संस्कृत क्षेत्र की चुनौतियाँ तथा समाधान-3

       कार्य छोटे-छोटे है पर दृष्टि नहीं जाती। संस्कृतज्ञों से परीक्षा, रोजगार, पुरस्कार आदि के प्रपत्र भी हिन्दी या अन्य भाषा में भरायी जाती है। यहाँ संस्कृत में करने में परेशानी क्या है? धन्यवाद गीता प्रेस को जिसने संस्कृत वाङ्मय को सुलभ बनाने का कार्य किया। रेलवे स्टेशन से लेकर छोटे-छोटे कस्बे तक अपनी पहुँच बनायी। संस्कृत कला, संस्कार और मानव मूल्यों की भाषा है। यह जितना कोमल भावों, उदात्त मूल्यों द्वारा मानव को पोषित करता है, अन्य नहीं। इसके उदात्त सन्देश को एकत्र कर समाज के सम्मुख रखें। आज की शिक्षा से मानव, दानवीय जीवन की ओर अग्रसर है। धनलोलुपता के कारण राष्ट्र, राष्ट्र के मानव खतरे में है। कहीं आतंकवाद तो कहीं अन्य अमानवीय कृत्य। क्या मनुष्य के जीवन का चरम लक्ष्य  ट्रेनिंग के अनुसार एक मशीन बनकर कार्य निष्पादन है। करुणा, ममता, सेवा भाव, मैत्री आदि प्राकृतिक गुणों का विकास नहीं ? विदेशी शरीर को सुख भोग का साधन मात्र समझते हैं। वहाँ वर्जना शब्द नहीं है। परिणामतः परस्पर अविश्वास, पाशविक कृत्य के लिए हिंसा देखी जाती है।
आवश्यक धन एवं संसाधनों के अभाव में हम खुद या कुछ संस्थाएँ अपनी सार्वत्रिक पहुँच नहीं बना सकते। उपाय जरुर ढूढ़ सकते हैं, जिससे हमारी पहुँच, मेरा सन्देश सर्वत्र जाय। संस्कृतज्ञों के लिए जरुरी मंत्र है ऐक्य। हम जिस भी सुर में गायें जो भी गायें सन्देश एक हो।
         कुछ स्वार्थी तत्वों ने हमें बदनाम किया है। वे संस्कृत ग्रन्थों के कुछ उद्वरणों को लेकर समूचे वाङ्मय को खारिज करने पर तुले हैं। उनसे सावधान। उनसे अनुरोध है कि सार-सार गहि रहे थोथा देई उराई। कार्यक्रम वजनदार करें। इसकी धमक दूर तक जाती है। शक्ति संचय कर एक दिशा में मोड़े। सुनामी का रुप दें। सभी अपसंस्कृतियां डूब जाएगीं। फुटकर आवाज दब जाती है।
     2011 की जनगणना केवल 14 हजार संस्कृतभाषी ? । संस्कृत क्षेत्र में रोजगार कितने कर रहे हैं? क्या उनकी मातृभाषा  संस्कृत नहीं हो सकती ? क्या हम पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय से एक प्रोजेक्ट नहीं ले सकते। धर्मशास्त्रों, स्मृति ग्रन्थों में स्वच्छता के बारे में बहुतेरे दिशा निर्देश मिलते है। संस्कृत भाषा को भविष्योन्मुख बनाने के लिए अधोलिखित उपाय की आवश्यकता है।
1. संस्कृत भाषा को आधुनिक भाषा की श्रेणी में रखा जाय।
 2. आज के परिवेश के अनुकूल पाठ्यक्रम बनायें जायें।
 3. इनका शिक्षण वैज्ञानिक रीति से हो।
 4. बच्चों द्वारा घर आये अतिथियों को ए0 बी0 सी0 डी0 सुनवाना निन्दनीय है। इस प्रथा के जगह श्लोक सुनाने की परम्परा हो। 
 5. नियुक्ति में अयोग्य एवं अनुत्साही को स्थान न दें।
 6. संस्कृत डिग्री की सहारा लेकर लोग नौकरी तो पाते हैं, परन्तु प्रतिबद्धता नहीं होती है। आरम्भिक कक्षा में अध्यापनरत संस्कृत डिग्रीधारी शिक्षकों को चिहिनत कर प्रतिबद्धता के पाठ पढ़ाये जायें।
 7. परीक्षा नियमित और नियत समय पर हो।
 8. जनता संस्कृत के प्रौढ़ विद्वान् और कम पढ़े मंदिर के पुजारी के बीच का भेद समझ सके, इसके लिए दैनिक उपयोगी मंत्रों, श्लोकों से आम जन को परिचित कराया जाय।
 9. सरकारें अन्य भाषा के शिक्षकों को तो नियुक्त करती है। संस्कृत शिक्षकों की नहीं। संस्कृत के पारम्परिक विद्यालयों की दशा सुधारी जाय।
 10.  शान्ति, परस्पर मैत्री आदि सद्गुणों से युक्त सद्प्रसंग संग्रहीत कर अनेक ग्रन्थ का निर्माण हो।
11.  सरल भाषा युक्त बाल साहित्य निर्माण हो।
Share:

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अनुवाद सुविधा

ब्लॉग की सामग्री यहाँ खोजें।

लोकप्रिय पोस्ट

जगदानन्द झा. Blogger द्वारा संचालित.

मास्तु प्रतिलिपिः

इस ब्लॉग के बारे में

संस्कृतभाषी ब्लॉग में मुख्यतः मेरा
वैचारिक लेख, कर्मकाण्ड,ज्योतिष, आयुर्वेद, विधि, विद्वानों की जीवनी, 15 हजार संस्कृत पुस्तकों, 4 हजार पाण्डुलिपियों के नाम, उ.प्र. के संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों आदि के नाम व पता, संस्कृत गीत
आदि विषयों पर सामग्री उपलब्ध हैं। आप लेवल में जाकर इच्छित विषय का चयन करें। ब्लॉग की सामग्री खोजने के लिए खोज सुविधा का उपयोग करें

समर्थक एवं मित्र

सर्वाधिकार सुरक्षित

विषय श्रेणियाँ

ब्लॉग आर्काइव

संस्कृतसर्जना वर्ष 1 अंक 1

संस्कृतसर्जना वर्ष 1 अंक 2

संस्कृतसर्जना वर्ष 1 अंक 3

Sanskritsarjana वर्ष 2 अंक-1

Recent Posts

लेखानुक्रमणी

लेख सूचक पर क्लिक कर सामग्री खोजें

अभिनवगुप्त (1) अलंकार (3) आधुनिक संस्कृत गीत (14) आधुनिक संस्कृत साहित्य (5) उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान (1) उत्तराखंड (1) ऋग्वेद (1) ऋषिका (1) कणाद (1) करवा चौथ (1) कर्मकाण्ड (47) कहानी (1) कामशास्त्र (1) कारक (1) काल (2) काव्य (16) काव्यशास्त्र (27) काव्यशास्त्रकार (1) कुमाऊँ (1) कूर्मांचल (1) कृदन्त (3) कोजगरा (1) कोश (12) गंगा (1) गया (1) गाय (1) गीति काव्य (1) गृह कीट (1) गोविन्दराज (1) ग्रह (1) छन्द (6) छात्रवृत्ति (1) जगत् (1) जगदानन्द झा (3) जगन्नाथ (1) जीवनी (6) ज्योतिष (20) तकनीकि शिक्षा (21) तद्धित (10) तिङन्त (11) तिथि (1) तीर्थ (3) दर्शन (19) धन्वन्तरि (1) धर्म (1) धर्मशास्त्र (14) नक्षत्र (2) नाटक (4) नाट्यशास्त्र (2) नायिका (2) नीति (3) पतञ्जलि (3) पत्रकारिता (4) पत्रिका (6) पराङ्कुशाचार्य (2) पर्व (2) पाण्डुलिपि (2) पालि (3) पुरस्कार (13) पुराण (3) पुस्तक (1) पुस्तक संदर्शिका (1) पुस्तक सूची (14) पुस्तकालय (5) पूजा (1) प्रत्यभिज्ञा शास्त्र (1) प्रशस्तपाद (1) प्रहसन (1) प्रौद्योगिकी (1) बिल्हण (1) बौद्ध (6) बौद्ध दर्शन (2) ब्रह्मसूत्र (1) भरत (1) भर्तृहरि (2) भामह (1) भाषा (1) भाष्य (1) भोज प्रबन्ध (1) मगध (3) मनु (1) मनोरोग (1) महाविद्यालय (1) महोत्सव (2) मुहूर्त (1) योग (5) योग दिवस (2) रचनाकार (3) रस (1) रामसेतु (1) रामानुजाचार्य (4) रामायण (3) रोजगार (2) रोमशा (1) लघुसिद्धान्तकौमुदी (45) लिपि (1) वर्गीकरण (1) वल्लभ (1) वाल्मीकि (1) विद्यालय (1) विधि (1) विश्वनाथ (1) विश्वविद्यालय (1) वृष्टि (1) वेद (6) वैचारिक निबन्ध (26) वैशेषिक (1) व्याकरण (46) व्यास (2) व्रत (2) शंकाराचार्य (2) शरद् (1) शैव दर्शन (2) संख्या (1) संचार (1) संस्कार (19) संस्कृत (15) संस्कृत आयोग (1) संस्कृत कथा (11) संस्कृत गीतम्‌ (50) संस्कृत पत्रकारिता (2) संस्कृत प्रचार (1) संस्कृत लेखक (1) संस्कृत वाचन (1) संस्कृत विद्यालय (3) संस्कृत शिक्षा (6) संस्कृत सामान्य ज्ञान (1) संस्कृतसर्जना (5) सन्धि (3) समास (6) सम्मान (1) सामुद्रिक शास्त्र (1) साहित्य (7) साहित्यदर्पण (1) सुबन्त (6) सुभाषित (3) सूक्त (3) सूक्ति (1) सूचना (1) सोलर सिस्टम (1) सोशल मीडिया (2) स्तुति (2) स्तोत्र (11) स्मृति (12) स्वामि रङ्गरामानुजाचार्य (2) हास्य (1) हास्य काव्य (2) हुलासगंज (2) Devnagari script (2) Dharma (1) epic (1) jagdanand jha (1) JRF in Sanskrit (Code- 25) (3) Library (1) magazine (1) Mahabharata (1) Manuscriptology (2) Pustak Sangdarshika (1) Sanskrit (2) Sanskrit language (1) sanskrit saptaha (1) sanskritsarjana (3) sex (1) Student Contest (2) UGC NET/ JRF (4)