tag:blogger.com,1999:blog-7583290317803224636.post2307186055609253033..comments2024-03-24T09:08:49.535-07:00Comments on Sanskritbhashi संस्कृतभाषी: योगः एक प्रायोगिक विज्ञानजगदानन्द झाhttp://www.blogger.com/profile/06293528399946976820noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7583290317803224636.post-9079949421633576272021-03-26T21:32:20.263-07:002021-03-26T21:32:20.263-07:00आदरणीय श्रीजगदानंदजी जिनके लिये बिना किसी मधुरसम्प...आदरणीय श्रीजगदानंदजी जिनके लिये बिना किसी मधुरसम्पुटसंश्लिष्ट किये यदि हम कहें तो यह अतिशयोक्ति न होगी कि वर्तमान में उ प्र सं संस्थान के परिचय एवं गौरव के आधारीय हेतु हैं। संस्कृतभाषा, भरतोयसंस्कृति एवं संस्कृत के प्रति विवेकानुराग के कारण ही आज संस्कृत को भारत में ही नहीं अपितु विश्वपटल पर यदि पुनः पुष्पित सुरभित होने का यदि गौरव प्राप्त हो रहा है तो कहीं न कहीं श्रीजगदानंदजी इस संस्कृतगौरवमहल के नीव के ईंट हैं, अद्यापि इस पुण्यमयी महाकृति के प्राखर्य एवं सुरभिप्रसार हेतु सतत साधनारत हैं।<br /> नमन है ऐसे विराटहृदय निष्कामयोगी को....<br /> 🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏<br />आचार्य शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07654262522648157147noreply@blogger.com