गत लेख में मैं संस्कृत साहित्य के हास्य कवि और उनकी रचनाओं के बारे में जानकारी दे चुका हूँ। प्रस्तुत लेख में रूपक के भेद प्रहसन के काव्य (नाट्य) शास्त्रीय सिद्धान्तों का विवेचन किया जा रहा है।
प्रहसन का विषय मुख्य
रूप से हास्य होता है-‘प्रकृष्ट हसत्यनेनेति प्रहसनम्।’...
साहित्यदर्पण और इसके कर्ता विश्वनाथ
साहित्यदर्पण में विश्वनाथ द्वारा दी गयी अल्प सूचना के अनुसार इनका ब्राह्म्ण कुल से सम्बन्ध था। उनके प्रपितामह,
नारायण उद्भट विद्वान् थे और अलंकार शास्त्र के प्रकांड पण्डित।
विश्वनाथ के काव्यप्रकाश दर्पण में इन्हें पितामह भी कहा गया है। विश्वनाथ के पिता
चन्द्रशेखर भी प्रसिद्ध कवि तथा विद्वान् थे। उन्होंने दो मौलिक कवियों पुष्पमाला
तथा...
नायिका भेद
नायिका तीन प्रकार की होती है-
1. स्वस्त्री =स्वकीय
2. परस्त्री =अन्या=परकीया
3. साधारण स्त्री
उत्तर-रामचरितम्‘ की सीता स्वीया है,
‘मृच्छकटिकम्’ की वसन्तसेना सामान्या है।
1. स्वस्त्री =स्वकीय
स्वीयाविभाग-गर्व सामान्य लक्षणः- शील सद्वृतम्, एवं आर्जव (ऋजुता, सरलता) लज्जा, पुरूषोपचार-निपुणता,
पातिव्रत्य,...