उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ छात्रवृत्ति आवेदन पत्र

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ की छात्रवृत्ति के लिए आवेदन भरने वाले मेरे ब्लॉग पर पधारे आत्मीय जन!

इस ब्लॉग के माध्यम से छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र भरना बहुत ही आसान है। आप विना किसी सहायता के इसे निःशुल्क भर सकते है। इसके अतिरिक्त आपकी शिक्षा के लिए भी यहाँ जबरदस्त सामग्री उपलब्ध है। इस फार्म को भरने के साथ-साथ आप व्याकरण, साहित्य, कोश आदि का भी अध्ययन कर सकते हैं।


आवेदन पत्र भरने की अंतिम तिथि 20 दिसम्बर2022 है।

ऑनलाइन छात्रवृत्ति आवेदन करने वाले छात्र इस छात्रवृत्ति आवेदन पत्र मार्गदर्शक पुस्तिका को भली भाँति पढ़ लें। इसकी सहायता से आप  ऑनलाइन छात्रवृत्ति का फार्म आसानी से भर सकेंगें। 
आवेदन पत्र के ऊपर दाहिनी तरफ लाल रंग के मीनू बटन में नियम और दिशानिर्देश (छात्रवृत्ति के लिए निर्धारित) दिया गया है। इसे स्क्रीन पर पढ़ा, डाउनलोड तथा प्रिंट किया जा सकता है। वहाँ क्लिक कर नियम निर्देश ध्यान से पढ़ लें। 
आवेदन भरने में सहायता के लिए विडियो दिया गया है। इसे भलीभाँति देख लें। 
पूछताछ, समस्या समाधान के लिए सबसे ऊपरी भाग में मेरा फोन नं. तथा संस्थान ईमेल भी दिया गया है। 

कक्षा 6,7 एवं 8, पूर्व मध्यमा (प्रथम वर्ष)पूर्व मध्यमा (द्वितीय वर्ष)उत्तर मध्यमा (प्रथम वर्ष) तथा उत्तर मध्यमा (द्वितीय वर्ष) में नियमित अध्ययनरत/प्रवेशित छात्र / छात्राएं छात्रवृत्ति पाने के लिए http://sanskritsans.ulbup.in/ पर जाकर आवेदन करें ।


                            
                         ऑनलाइन छात्रवृत्ति आवेदन हेतु मार्गदर्शक पुस्तिका


पात्रता-
️ इस छात्रवृत्ति हेतु ऑनलाइन आवेदन पत्र को भरने के वे छात्र/छात्राएँ पात्र हैं, जो उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद्, लखनऊ के मान्यता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 6,7 एवं 8, पूर्व मध्यमा (प्रथम वर्ष), पूर्व मध्यमा (द्वितीय वर्ष), उत्तर मध्यमा (प्रथम वर्ष) तथा उत्तर मध्यमा (द्वितीय वर्ष) में नियमित अध्ययनरत/प्रवेशित हों। 
️ छात्र/छात्राओं को अंक वरीयता के आधार पर छात्रवृत्ति दी जाती है।

️ वर्ष 2022-23 की छात्रवृत्ति के लिए संस्थान की वेबसाईट http://upsanskritsansthanam.in/ के ऑनलाइन आवेदन मीनू बटन के माध्यम से आवेदन मांगा जा रहा है। 

 1. कक्षा 6,7 एवं 8) की छात्रवृत्ति आवेदन के लिए वे छात्र/छात्रायें अर्ह होंगे, जिन्होंने पूर्व कक्षा में 60 प्रतिशत अंक से परीक्षा उत्तीर्ण की हो। इन कक्षाओं के लिए निर्धारित छात्रवृत्ति की संख्या से अधिक आवेदन पत्र प्राप्त होने पर शीर्ष अंक वरीयता (मेरिट) के आधार पर आवेदकों का चयन किया जाएगा। इन कक्षाओं में अध्ययनरत छात्र/छात्रायें स्वयं अथवा विद्यालय के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। 

 2. वर्ष 2022 में प्रथमा, पूर्व मध्यमा (प्रथम वर्ष), पूर्व मध्यमा (द्वितीय वर्ष) तथा उत्तर मध्यमा (प्रथम वर्ष) कक्षाओं में शीर्ष अंक वरीयता (मेरिट) से उत्तीर्ण प्रतिकक्षा के 150-150 छात्रों को छात्रवृत्ति दिया जाना है। 

3. इस वर्ष पूर्व मध्यमा तथा उत्तर मध्यमा के छात्रों का आवेदन विद्यालय द्वारा पूरित किया जाना है। एतदर्थ प्रत्येक विद्यालय के लिए यूजर आई. डी. तथा पासवर्ड निर्गत किया गया। इसके माध्यम से लॉगिन करने पर यहाँ विद्यालय के छात्रों के नाम देखकर उनका आवेदन पूरित करा सकते हैं।

4. देश के किसी भी मान्यता प्राप्त संस्कृत शिक्षा बोर्ड से प्रथमा / समकक्ष  कक्षा की परीक्षा में 73.57 प्रतिशत से अधिक अंक से उत्तीर्ण तथा पूर्वमध्यमा प्रथम वर्ष में नामांकित छात्रों के छात्रवृत्ति आवेदन हेतु संस्थान से सम्पर्क करें।

5. प्रत्येक कक्षा के लिए निर्धारित छात्रवृत्ति की संख्या, अर्हता, वार्षिक धनराशि, नियम निर्देश आदि की जानकारी संस्थान की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। 

6. छात्रवृत्ति आवेदन हेतु किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा। 

7. छात्रवृत्ति से सम्बन्धित जानकारी तथा सहायता के लिए दूरभाष सं. 7388883306 पर सम्पर्क किया जा सकता है। 

नामांकित छात्र / छात्राएं छात्रवृत्ति पाने के लिए http://sanskritsans.ulbup.in/ पर जाकर आवेदन करें ।

ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 20 दिसंबर 22 है।

️ सभी छात्रों का आवेदन विद्यालय द्वारा पूरित किया जाएगा।

👉 छात्रवृत्ति फार्म भरने हेतु फोन /वाट्सअप नंबर 7388883306 से सहायता ली जा सकती है।

आवेदन पत्र भरने के लिए आवश्यक प्रपत्र

आवेदन पत्र भरने से पूर्व निम्नलिखित प्रपत्र का फोटो (JPEJ)  अपने कम्प्यूटर में सुरक्षित कर लें।
1. आवेदक का आवक्ष फोटो (आकार 200KB)  
2. आवेदक का हस्ताक्षर (आकार 100 KB)
3. उत्तीर्ण कक्षा का अंक पत्र ( केवल प्रथमा के छात्र हेतु ,आकार 500 KB) 
4. छात्र प्रतियोगिता प्रमाण पत्र के फोटो  (आकार 500 KB यदि प्रतियोगिता में भाग लिया हो तो
5. पूर्व कक्षा में छात्रवृत्ति पाये छात्र पुस्तक/ संस्कृत पत्रिका क्रय का रसीद अपलोड करें ( आकार 500 KB)
प्रथमा कक्षा के लिए इस ऑनलाइन आवेदन पत्र को भरने के  कुल 8 चरण हैं।
1. पंजीकरण 2. लॉग इन 3. व्यक्तिगत विवरण 4. शैक्षिक विवरण 5. बैंक विवरण 6. प्रपत्र अपलोड 7. फार्म का सत्यापन 8. फार्म का प्रिंट।  इसमें 2 चरण पंजीकरण के लिए, 4 चरण आवेदन पत्र प्रपूरित करने के लिए तथा 1 चरण फार्म को प्रिंट करने के लिए है। फार्म का प्रिंट लेना आपकी इच्छा पर निर्भर करता है। आप अपने पास फार्म भरने का साक्ष्य सुरक्षित रखने के लिए प्रिंट ले सकते हैं। इसे PDF में भी सुरक्षित रखा जा सकता है। 

उ. प्र. संस्कृत संस्थान की ऑनलाइन छात्रवृत्ति आवेदन पत्र भरने के लिए यहाँ क्लिक करें।
  अब आप उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ की वेबसाइट के ऑनलाइन आवेदन मीनू बटन पर जायें। इसके ड्रॉप डाउन मीनू में से  छात्रवृत्ति आवेदन पत्र  का चयन कर लिंक पर क्लिक करें। इसपर क्लिक करते ही ऊपर एक बाक्स खुलकर आएगा, जिसमें लिखा होगा- आपको उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, की वेबसाइट से हस्तानांतरित किया जा रहा है और अब आप किसी बाहरी वेबसाइट का कंटेंट देखेंगे। 

  इसके ok बटन पर क्लिक करते ही निम्नांकित रूप से स्क्रीन खुलेगी।



चित्र सं. 1
विद्यालय के अध्यापक विद्यालय लॉगिन वाले मीनू बटन पर क्लिक कर लॉगिन आई डी तथा पासवर्ड भरकर  आवेदन करा लें। जिन विद्यालयों को लॉगिन आई डी तथा पासवर्ड दिया गया है, वहाँ के प्रथमा के छात्र विद्यालय के माध्यम से आवेदन करें। जिस विद्यालय को आई डी तथा पासवर्डनहीं दिया गया वहाँ के प्रथमा के छात्र प्रथमा के छात्र वाले मीनू बटन पर क्लिक करें। इसपर क्लिक करते ही चित्र सं. 2 जैसा स्क्रीन खुलेगा।

चित्र सं. 2
 


छात्रवृत्ति आवेदन पत्र भरने के लिए यहाँ सबसे पहले आपको पंजीकरण करना है। आप ऊपर दिये गये चित्र में देख रहे होंगें कि फार्म के नीचे में तीन विकल्प दिये गये हैं, जिनमें से पहला नया रजिस्ट्रेशन के लिए, दूसरा भूले हुए रजिस्ट्रेशन नंबर को दोबारा प्राप्त करने के लिए तथा तीसरा भूले हुए पासवर्ड को प्राप्त करने के लिए है। सर्वप्रथम आपको Login बटन के नीचे के पहले ऑप्शन छात्रवृत्ति के लिए यदि आपने पंजीकरण नहीं किया है तो यहाँ क्लिक करें वाले पहले विकल्प पर क्लिक करना है।  इसे क्लिक करने पर फार्म खुलकर सामने आ जाएगा।
यह पंजीकरण करने के लिए मांगी गई जानकारियों का फार्म है। आपको इस ऑनलाइन छात्रवृत्ति फार्म के कुछ फील्ड में लाल रंग का तारा * दिख रहा होगा। जैसा कि पहला नाम, सरनेम आदि के आगे लगा है। यह तारा हमें बताता है कि उस फील्ड के लिए मांगी गई सूचनाएं अंकित करना अनिवार्य है। जिस फील्ड में लाल रंग का तारा नहीं लगाया गया है, उस फील्ड को भरना अनिवार्य नहीं है। जैसे - मध्य नाम।  आप उस फील्ड को छोड़ भी सकते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप अपना मध्य नाम अंकित नहीं करें। किसी के नाम को तीन भागों में लिखा जाता है तो किसी का दो भागों में। रमेश कुमार झा जैसे नाम के पहले नाम में रमेश, मध्य नाम में कुमार तथा सरनेम में झा लिखा जाता है। इस प्रकार के नाम वाले छात्र अपने मध्य नाम कुमार को अवश्य भरें। यदि किसी का नाम विना मध्य नाम वाला है जैसे-  रमेश झा । ऐसे छात्र मध्य नाम नहीं लिखें।
इसमें मध्य नाम तथा ईमेल के फील्ड को छोड़कर शेष सभी फील्ड को भरना अनिवार्य है। आपकी सहायता के लिए खाली फील्ड के नीचे निर्देश भी दिया गया है, जो फार्म भरने में आपकी सहायता करता है। आवेदन पत्र भरते समय उसकी सहायता प्राप्त करें। उन निर्देशों का अनुपालन करते हुए फार्म भरें।
अपना नाम तथा पिता का नाम भरने के बाद मोबाइल नंबर अंकित करें। इसी नं. पर एस. एम. एस. के द्वारा आपको अपना रजिस्ट्रेशन नंबर और पासवर्ड मिलेगा। एक मोबाइल नंबर से अनेक रजिस्ट्रेशन नंबर और पासवर्ड प्राप्त किये जा सकते हैं।
इसमें मांगी गई सारी जानकारियों को ध्यान से भरने के बाद नीचे दिए हुए कैप्चा कोड को जैसा दिखाया गया है, उसी रूप में लिखकर भर दें। इसके बाद नीचे Register बटन पर क्लिक करें। (यदि कैप्चा कोड समझ में नहीं आये तो बगल के लाल रंग के Reset बटन दबाकर नया कैप्चा कोड प्राप्त करें।) इसके बाद आपके द्वारा अंकित किए गए मोबाइल नंबर पर आपको अपना पञ्जीकरण संख्या और पासवर्ड मिलेगा तथा चित्र सं. 1 की तरह स्क्रीन पर लॉग इन स्क्रीन खुलकर सामने आएगा।
 अब इसमें आप अपने मोबाइल पर प्राप्त पंजीकरण संख्या के अंक को पंजीकरण संख्या के आगे के खाली स्थान पर भरें तथा इसी प्रकार से पासवर्ड को भी भर दें। इसके बाद नीचे दिया हुआ कैप्चा कोड को भरकर Login लिखे बटन को दबा दें।
नोट- इस पञ्जीकरण संख्या तथा पासवर्ड को किसी डायरी या अन्य स्थानों पर लिख कर भी रख लें, ताकि मोबाइल से पञ्जीकरण संख्या या पासवर्ड खो जाने पर इसका उपयोग किया जा सके। इस प्रकार आप अनावश्यक झंझट से बचे रह सकते हैं।  छात्रवृत्ति मिलने तक आपको इसकी बार-बार आवश्यकता होगी।
यदि आप पञ्जीकरण संख्या भूल जाते हैं तो क्या आप पञ्जीकरण संख्या भूल गए ? पुनः प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें पर क्लिक करें। यहाँ क्लिक करते ही निम्नांकित रूप से एक फॉर्म आपकी स्क्रीन पर खुलकर आएगा।
इसमें आप अपना पहला नाम, पिता का नाम, जिस नं. से पंजीकरण संख्या तथा पासवर्ड मिला था वह मोबाइल नं. भरते हुए कैप्चा कोड डालकर लॉग इन बटन दबाने पर आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एस. एम. एस. के माध्यम से पुनः वही पञ्जीकरण संख्या भेज दी जाती है। आप यहाँ से लॉग इन करके आगे की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। स्क्रीन पर भी आपका पञ्जीकरण संख्या सफलतापूर्वक आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेज दिया गया है सूचना प्रदर्शित होती है।
यदि आप किसी कारणवश पासवर्ड भूल जाते हैं तो पासवर्ड को दोबारा प्राप्त करने की सुविधा भी उपलब्ध है। पासवर्ड को दोबारा प्राप्त करने के लिए पिता का नाम, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर भरना होता है। इस प्रक्रिया को करने पर आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर दोबारा पासवर्ड प्राप्त हो जाता है।
पंजीकरण संख्या तथा पासवर्ड प्राप्त होने के पश्चात् आप कभी भी लॉगआउट हो सकते हैं अर्थात् आगे फार्म भरना बंद कर सकते हैं। फार्म भरने के शेष बचे हुए कार्य को पूर्ण करने के लिए पंजीकरण संख्या तथा पासवर्ड अंकित कर आगे का फार्म भर सकते हैं। जब तक फार्म पूरी तरह भर नहीं जाए, बिना Logout हुए कंप्यूटर नहीं छोड़ें। ऐसा करने पर किसी अन्य के द्वारा गलत विवरण अंकित किया जा सकता है, जिससे आप छात्रवृत्ति पाने से वंचित रह सकते हैं । नीचे के चित्र में Logout बटन को गोलाकार में दिखाया गया है।
पञ्जीकरण के बाद 1.व्यक्तिगत विवरण भरने के लिए आपकी स्क्रीन इस प्रकार खुलकर सामने आएगी।



इस पृष्ठ में नाम, पिता का नाम तथा मोबाइल नं. भरा हुआ दिख रहा होगा क्योंकि आप इसके पहले इन सूचनाओं को भर चुके हैं। शेष खाली पड़े फील्ड के नीचे दिये गये निर्देश के अनुसार फार्म भरें। पूर्व में भरा जा चुका फील्ड को पुनः भरने से रोकने के लिए कर्सर का आकार लाल गोलाकार हो जाता है। आपकी सुविधा के लिए जिला का नाम अकारादि क्रम में लगाकर ड्राप डाउन मीनू दे दिया गया है। मांगी गई सारी जानकारियां भरने के बाद नीचे दिए हुए कैप्चा कोड को ध्यान से भरें और फिर सुरक्षित करें बटन पर क्लिक करें। कैप्चा कोड भरने में परेशानी आने पर कोड पर क्लिक कर दूसरा कोड प्राप्त कर लें।
सुरक्षित करें बटन दबाते ही अब आप देखेंगें कि फार्म के ऊपर में दिया गया 1 व्यक्तिगत विवरण का बटन हरा हो गया। इसका अर्थ है कि व्यक्तिगत विवरण वाला पृष्ठ सफलतापूर्वक भरा जा चुका है। आप जैसे-जैसे फार्म भरते जाते हैं, ऊपर का वह बटन हरा होता हुआ चला जाता है। हरे बटन पर क्लिक करने पर उसके फील्ड पर जाया जा सकता है।
इसके बाद नीचे दिए गए फार्म के अनुसार एक नया फार्म शैक्षिक जानकारी भरने के लिए स्क्रीन खुलेगी, जो इस प्रकार दिखेगी-
उत्तीर्ण कक्षा का नाम* वाले मीनू में कुल 4 कक्षाओं प्रथमा, पूर्वमध्यमा ( प्रथम एवं द्वितीय वर्ष) तथा उत्तर मध्यमा (प्रथम वर्ष) का नाम दिया गया है। इन कक्षाओं में न्यूनतम 60% अंक से उत्तीर्ण छात्र छात्राएं छात्रवृत्ति का आवेदन पत्र भरने के पात्र हैं। यह छात्रवृत्ति शैक्षिक वर्ष 2019 – 20 में उत्तीर्ण विद्यार्थियो को ही दी जानी है अतः 2019 – 20 भरा हुआ मिलेगा। प्राप्तांक* भरते ही मार्कशीट का प्रतिशत* फील्ड स्वतः भर जाता है। उत्तीर्ण कक्षा के स्कूल का नाम* वाले फील्ड में आपने शैक्षिक वर्ष 2019 – 20 में जिस विद्यालय से उत्तीर्ण  किया है, उस विद्यालय का नाम लिखें। यहाँ तक आपका पिछला रिकार्ड का विवरण था। सत्र 2019-20 में विभिन्न कक्षाओं में नामांकित एवं अध्यनरत छात्र/छात्राओं का विवरण आगे के फील्ड में भरें। यदि आप सत्र 2019-20 में किसी अन्य विद्यालय से आकर वर्तमान विद्यालय में नामांकन कराया है तो स्थानांतरण प्रमाण पत्र नंबर तथा स्थानांतरण प्रमाण पत्र की तिथि वाले फील्ड को भरे जाने की आवश्यकता है। यदि आप गत सत्र में भी वर्तमान विद्यालय के ही छात्र रहे हैं तो एस फील्ड को रिक्त छोड़ दें। इसी प्रकार छात्र प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त प्रतिभागिता प्रमाण पत्र* वाले मीनू बटन में से सही सूचना का चयन कर भरें। यहाँ आप जिस सूचना को भरते हैं साक्ष्य के लिए आगे उसका फोटो अपलोड करना होगा। कक्षा, जिसमें छात्र/छात्रा अध्ययनरत है* में उत्तीर्ण कक्षा के आगे की कक्षा का नाम ही स्वीकार करेगा।
पंजीयन क्रमांक*  तथा कक्षा में प्रवेश की तिथि* का विवरण यदि आपको ज्ञात नहीं हो तो अपने प्रधानाचार्य से पूछकर सही- सही भरें। भविष्य में आपके नामांकन की पुष्टि करायी जा सकती है।
नामांकित विद्यालय का नाम एवं पता* में पूर्व में भरे गये जनपद नाम के विद्यालयों का नाम खुलकर आता है। इस सूची में यदि आपके वर्तमान विद्यालय का नाम नहीं हो तथा यदि आपका विद्यालय उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद्, लखनऊ से मान्यता प्राप्त हो तो अन्य का चयन करें। ऐसा करते ही इस फील्ड के आगे एक अन्य फील्ड खुलकर आएगा। उसमें अपने विद्यालय का नाम एवं पता का विवरण अंकित कर दें।
 इस प्रकार सभी जानकारियां ध्यान से भरने के बाद नीचे दिया हुआ कैप्चा कोड भर के सुरक्षित करें वाली बटन को क्लिक करें। आवेदन पत्र के हर पेज के नीचे कैप्चा कोड लगाया गया है।
अब इसके बाद बैंक डिटेल भरने का स्क्रीन आपके सामने खुलकर आएगा, जो कि निम्नांकित रूप में खुलेगी-
 इसमें आई एफ एस कोड वाले फील्ड को भरने पर बैंक का नाम तथा बैंक शाखा का नाम अपने आप ही भर जाता है अतः आप एफ एस कोड फील्ड को ध्यान से भरें। आई एफ एस कोड सही भरने पर भी यदि बैंक का नाम तथा शाखा का नाम स्वतः भरकर नहीं आता है तब आप सावधानीपूर्वक बैंक का नाम तथा बैंक खाता के नाम वाले फील्ड को भर दें। यह छात्रवृत्ति सीधे छात्र/ छात्रा के खाते में जाएगी अतः आपका अपने नाम से बैंक में बचत खाता होना चाहिए। यदि आपने अभी तक अपना बैंक में खाता नहीं खुल पाया है तो Logout कर लेँ तथा बैंक में स्वयं का अथवा संयुक्त खाता खुलवा कर पुनः Login करते हुए (इस लिंक पर आकर पंजीकरण संख्या तथा पासवर्ड भरकर लॉगिन हो जाएं) तथा शेष बचे हुए फार्म को भरें।
बैंक की सारी जानकारी अपनी पासबुक से मिलान करते हुए ध्यानपूर्वक भर दें। उसके बाद मैं प्रमाणित करता हूं लिखे हुए वाक्य के पहले बने छोटी चौकोर खाने में सही का निशान बन जाने दे। कैप्चा कोड भरकर सुरक्षित करें बटन को दबाए। अब आपकी स्क्रीन पर फोटो, हस्ताक्षर, अंक पत्र आदि अपलोड करने के लिए निम्नांकित रूप में खुलकर सामने आएगी।
आवेदन करने वाले छात्र-छात्राओं को सलाह दी जाती है कि इस फील्ड को भरने के पहले अपने कंप्यूटर या मोबाइल में अपना आवक्ष फोटो (200kb), हस्ताक्षर साइज (100 केबी), अंकपत्र (साइज 500) केबी और यदि आपने किसी प्रतियोगिता में भाग लिया हो तो उसके प्रमाण पत्र का फोटो (साइज 500 केबी) जेपीजी में बनाकर अपने कंप्यूटर या मोबाइल में सुरक्षित कर लें। सभी फाइल का नाम अपने नाम से कर लें। तदनन्तर फार्म भरें।
संस्कृत की प्रतियोगिता में प्रतिभाग किये छात्र उसका प्रमाण पत्र अपलोड करें। जिसने संस्कृत की प्रतियोगिता में प्रतिभाग नहीं किया वे इसे छोड़ दें। अंकपत्र का फोटो अपलोड करते समय सुनिश्चित कर लें कि फोटो में इसे कोई भी आसानी से पढ़ सकता है। धुंधला तस्वीर वाला अंक पत्र अपलोड नहीं करें, अन्यथा आपका आवेदन निरस्त हो जाएगा। प्रपत्रों का अपलोड होना आपके इंटरनेट की स्पीड पर निर्भर करता है। इंटरनेट की स्पीड के कारण इसमें कम या अधिक समय लग सकता है, अतः सुरक्षित करें बटन दबाने के पश्चात् कुछ समय तक प्रतीक्षा करें। नेट स्पीड धीमी होने की स्थिति में आपको यह प्रक्रिया बार-बार करनी पड़ सकती है।
अपलोड करते समय ध्यान रखें कि फोटो, हस्ताक्षर, अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र के फोटो का साइज निर्धारित केबी से अधिक नहीं होना चाहिए। यह साफ्टवेयर अधिक साइज के फोटो को स्वीकार नहीं करेगा। मैंने मार्कशीट 500 केबी से अधिक साइज का अपलोड कर दिया था। फार्म के ऊपर The mark sheet may not be greater than 500 kilobytes. सन्देश मिला। मैंने मार्कशीट का साइज 500 किलोबाइट का कम किया तब मेरा फार्म भरा जाना पूर्ण हुआ ।
अपलोड करने के लिए Choose file पर क्लिक करें और प्रपत्र अपलोड कर लें फिर कैप्चा भरकर सुरक्षित करें बटन को दबाकर अपलोड की प्रक्रिया पूरी करें।
 आप अब तक संपूर्ण आवेदन पत्र को भर चुके हैं। इसके बाद आपका फार्म सत्यापित करने के लिए निम्न रूप में खुलेगा।


इस आवेदन पत्र को प्रिंट लेकर भी जांचा जा सकता है कि आवेदन भरने में कहीं कोई त्रुटि तो नहीं रह गयी?
अतः फार्म के नीचे लाल रंग का प्रिंट का जांच करें बटन दिया गया है। आप प्रिंट लेकर अथवा स्क्रीन पर ही भली भाँति पढ़ने के पश्चात् यदि कहीं संशोधन करना अपेक्षित हो तो उसमें संशोधन कर लें। अंत में कैप्चा कोड डालकर सत्यापित करें बटन पर क्लिक करें।
 सत्यापित करें  बटन पर क्लिक करते ही एक नया पृष्ठ खुलकर आता है । इसके नीचे लिखा होगा आपका फार्म सफलतापूर्वक भरा गया। अब आप का फार्म पूरी तरह से भरा जा चुका है। अब ऊपर चल रही हरी पट्टियों में जहां लिखा है प्रिंट पंजीकरण पर्ची उस पर क्लिक करें। इससे आपका भरा हुआ फार्म निम्नांकित रूप में प्रिंट होने के लिए नये विंडो में खुलेगा।
इसे प्रिंट कर अपने पास सुरक्षित रख लें। इसमें आप द्वारा दर्ज की गई सभी सूचनाएं पूर्ण रूप से उपलब्ध है। अंत में Logout बटन पर क्लिक कर  Logout हो जायें। भविष्य में पंजीकरण क्रमांक तथा पासवर्ड से Login कर सकते हैं।

Share:

बन्दी नहीं, नियुक्ति है समाधान


इलाहाबाद के दैनिक समाचार पत्र हिंदुस्तान में यह समाचार छपते ही कुछ सजग संस्कृत प्रेमियों के बीच आक्रोश का उबाल आ गया। ऐसा नहीं है कि ऐसा आदेश केवल संस्कृत विद्यालय के लिए ही जारी हुआ है, चुंकि समाचार पत्र में संस्कृत विद्यालय के बारे में समाचार छप गया इसीलिए यह हमारा ध्यान आकर्षित कर गया। यू. पी. बोर्ड तथा बेसिक शिक्षा के अध्यापकों का स्थानान्तरण हो जाता है अतः वहाँ पर बन्द होने वाले स्कूल का असर और चिन्ता वहाँ के अध्यापकों को कम ही होती है।
 सरकार चाहती है कि विद्यालयों को रिफॉर्म किया जाए। जहां छात्र नहीं है, उसे बंद कर दिया जाए। इसके लिए कुछ लोग अपनी छाती पीटने लगे। दुर्भाग्य यह भी है कि संस्कृत समुदाय के लोग भी इसके लिए आवाज उठाने में या तो डरते हैं या हमेशा की तरह निष्क्रिय है । यहाँ समस्या से मुकाबला करने के बजाय अधिकांश आबादी चैन की नींद सो रही है। कुछ पीठ पीछे कर भाग रहे हैं। अंगुलि पर गिने जा सकने भर लोग यहाँ वहाँ उछल कूद कर अपनी आपत्ति दर्ज करा रहे हैं।  ( हाय-तौबा मचाने वाले की संख्या मुट्ठी भर है फिर भी इनका छाती पीटना मुझे अच्छा लगा)
उत्तर प्रदेश में कक्षा 6 से 12 तक के परम्परागत संस्कृत छात्रों की प्रथमा, पूर्व मध्यमा तथा उत्तर मध्यमा की परीक्षा कराने के लिए सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से अलग कर उ0प्र0 माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद, शाहमीना रोड, लखनऊ का गठन राज्य सरकार की अधिसूचना संख्या 102 सा0/15/09/2001-25 (72)/96 दिनाँकः 17/02/2001 द्वारा किया गया। यह संस्कृत भवन, 2 शाहमीना रोड, लखनऊ २२६ ००३ पर अवस्थित है। माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद् में नए संस्कृत विद्यालय खोलने के इच्छुक लोग अक्सर मिलते रहते हैं । मैं उनसे एक ही प्रश्न पूछता हूं, आप विद्यालय क्यों खोलना चाहते हैं? वे कहते हैं मेरे यहां संस्कृत विद्यालय नहीं है। मैं लोगों को संस्कृत बढ़ाना चाहता हूं। मैं पूछता हूं आपके खोले जाने वाले विद्यालय से कितनी दूरी पर संस्कृत विद्यालय है तो अक्सर लोग 10 से 20 किलोमीटर की दूरी बताते हैं। जिन्हें नहीं पता होता है, उन्हें मैं बता देता हूं। मैं पुनः पूछता हूं कि आप की अभिरुचि लोगों को संस्कृत पढ़ाने में है अथवा विद्यालय खोलने में है? यदि लोगों को संस्कृत पढ़ाने में है तो उन्हीं विद्यालयों में नामांकन क्यों नहीं करा देते? छात्रों को अपनी ओर से सुविधाएं क्यों नहीं देते? यदि आपकी इच्छा संस्कृत की सेवा है तो वर्तमान विद्यालय को ही मजबूत कीजिए क्योंकि वही दुर्दशा ग्रस्त है। आपके यहां 10 किलोमीटर से लोग आएंगे भी नहीं। स्थानीय इतने बच्चे मिलते भी नहीं। इससे अच्छा होगा कि आप दूसरे विद्यालय में आवासीय व्यवस्था करा दें। मेरे प्रश्नों का लोग समुचित उत्तर नहीं दे पाते और अक्सर चुप हो जाते हैं। दरअसल संस्कृत विद्यालय खोलने और चलाने के पीछे कुछ और ही लक्ष्य निर्धारित होता है जिसमें संस्कृत सेवा नहीं बल्कि स्वयं की सेवा की सोच होती है। मैं कई बार लिख चुका हूं कि एक-एक व्यक्ति कई विद्यालयों का प्रबंधक बन बैठा है जिससे उसे सुधारना भी मुश्किल हो गया है।
तर्क दिया जा रहा है कि
1- बन्दी नहीं नियुक्ति आवश्यक है ।
2- पहले शिक्षक दीजिये , फिर विद्यालयों को व्यवस्थित कीजिये ।
3- 1994 से यदि संस्थान में शिक्षक नहीं है तो सभी सरकारें दोषी हैं । पर आप तो पहल कीजिए ।
4- नियुक्तियों में यदि विसंगतियां हैं उन्हें तत्काल ठीक करें ।
5- वर्षों से बिना वित्तीय मदद के चल रहे विद्यालयों को बन्द करने का विचार तुरन्त वापस लें ।
6- जब माध्यमिक में ही नियुक्ति नहीं , छात्र नहीं तो क्या आप भविष्य में महाविद्यालय और विश्वविद्यालय भी बन्द करेंगे , यह सोच भी खतरनाक है ।
7- विद्यालयों को वर्षों से खण्डहर बनाकर रखा है, किसी ने मदद नहीं की, अब उन्हें अभिशाप नहीं, अनुदान दीजिये ।
8- जब प्रदेश में लाखों प्राथमिक विद्यालय चल सकते हैं जिनकी दशा किसी से छिपी नहीं , हजारों उर्दू शिक्षकों की नियुक्तियां हो सकती हैं तब बचे खुचे संस्कृत विद्यालयों को बन्द करना अस्वीकार्य है ।
संस्कृत सप्ताह की शुभकामना भी और यह निर्णय भी दोनों एकसाथ उचित नहीं ।
इन सभी तर्कों में लेकिन लगा हुआ है विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति कर देने मात्र से छात्र संख्या बढ़ जाएगी इसकी संभावना नगण्य है हम लोग प्रायः समाचार पत्रों में यह खबर पढ़ते रहते हैं कि इंटर कॉलेज में पर्याप्त अध्यापकों के रहते भी छात्र नहीं है इसके पीछे कुछ और कारण है। उन कारणों पर भी विचार करना होगा। जिस इंटर कॉलेज में संस्कृत के अध्यापक हैं भी वहां के छात्र संस्कृत पढ़ना ही नहीं चाह रहे हैं। मानविकी के ऐसे तमाम विषय हैं जहां छात्रों का टोटा बना हुआ है, जबकि वहां अध्यापक भी हैं और सभी प्रकार के संसाधन भी। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन विषयों को पढ़ने के बाद रोजगार के उतने अवसर उपलब्ध नहीं है जितने की विज्ञान, वाणिज्य,कानून आदि विषयों को पढ़ने के बाद।
यदि आप केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों की लोक सेवा आयोग तथा विभिन्न एजेंसियों द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं पर ध्यान दें तो आप पाएंगे कि सिविल सेवा परीक्षा में अधिकांश इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्र के बच्चों का चयन होने लगा है। बैंकिंग सेक्टर में भी बीटेक किये छात्र की संख्या में इजाफा देखी जा रही है। आज जब हिंदी माध्यम के बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में अपर्याप्त मात्रा में चयनित हो पा रहे हैं तो संस्कृत की स्थिति दूर की कौड़ी है। यह इसलिए क्योंकि हम अपने पाठ्यक्रम में सुधार करना नहीं चाहते । शिक्षण पद्धति में बदलाव लाना नहीं चाहते। स्वयं को रिफॉर्म नहीं करना चाहते। आप जानते होंगे कि हिंदी में करंट अफेयर्स कंटेंट का भारी अकाल रहता है। संस्कृत में तो है ही नहीं फिर प्रतियोगी परीक्षा में छात्र सफल होंगे तो कैसे? मैंने आज से 4 वर्ष पहले उत्तर प्रदेश के परंपरागत माध्यमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में परिवर्तन का खाका खींचा था, वह अब लागू होने के कगार पर है। इस पाठ्यक्रम मैं हम बुर्ज खलीफा के बारे में नहीं पढ़ा सकते। ट्रेन 18 के बारे में नहीं बता सकते। यहां कालिदास पढ़ाये जाएंगे जबकि प्रतियोगी परीक्षा में समसामयिक विषयों के प्रश्न पूछे जायेंगे ।
रिफॉर्म करने के लिए जिंदगी लगानी हीं पड़ती है। माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद् कि अपनी वेबसाइट नहीं थी मैंने इसके पीछे लग कर उसका वेबसाइट बनवाया आज उसका फायदा सभी लोगों को मिल पा रहा है। यद्यपि मैं वहां का शिक्षक नहीं हूं फिर भी संस्कृत के हित के लिए काम करना पड़ता है। यदि जागरूक रहते हुए एक एक व्यक्ति एक एक कदम भी सुधारात्मक काम किया होता तो आज यह मुंह देखने को नहीं मिलता। आज से 2 माह पहले 200 से अधिक संस्कृत के शिक्षक जुटे थे जिसमें से 5 अध्यापक ऐसे नहीं मिल पाए जिन्होंने अपने जीवन काल में संस्कृत की कोई कुंजी भी लिखी हो अब आप उनकी शैक्षिक यात्रा से अवगत हो चुके होंगे। लोग तो बस झोला उठाकर सरकार की नौकरी करने चले आए। यदि संकटग्रस्त भाषा संस्कृत को बचाना है तो यहां यह सब नहीं चल पाएगा आप भी मिटेंगे और संस्कृत भी मिट जाएगी।
आवश्यकता इस बात की है कि हर एक अध्यापक को अपनी उपलब्धि दिखाने के लिए कुछ होना चाहिए। उन्हें अध्ययन शील होना चाहिए और बाल्मीकि की तरह लव कुश को पढ़ाना चाहिए। वही लव कुश आज अश्वमेध का घोड़ा रोक लिया होता।
 जो लोग संस्कृत शिक्षा से जुड़े हैं वे बैठकर एक बार सोचें कि उन्होंने जनता को दिखाने लायक क्या काम किया और उनकी अब तक की उपलब्धि क्या रही है। निष्कर्ष स्वयं सामने आ जाएगा।

Share:

अनुवाद सुविधा

ब्लॉग की सामग्री यहाँ खोजें।

लोकप्रिय पोस्ट

जगदानन्द झा. Blogger द्वारा संचालित.

मास्तु प्रतिलिपिः

इस ब्लॉग के बारे में

संस्कृतभाषी ब्लॉग में मुख्यतः मेरा
वैचारिक लेख, कर्मकाण्ड,ज्योतिष, आयुर्वेद, विधि, विद्वानों की जीवनी, 15 हजार संस्कृत पुस्तकों, 4 हजार पाण्डुलिपियों के नाम, उ.प्र. के संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों आदि के नाम व पता, संस्कृत गीत
आदि विषयों पर सामग्री उपलब्ध हैं। आप लेवल में जाकर इच्छित विषय का चयन करें। ब्लॉग की सामग्री खोजने के लिए खोज सुविधा का उपयोग करें

समर्थक एवं मित्र

सर्वाधिकार सुरक्षित

विषय श्रेणियाँ

ब्लॉग आर्काइव

संस्कृतसर्जना वर्ष 1 अंक 1

संस्कृतसर्जना वर्ष 1 अंक 2

संस्कृतसर्जना वर्ष 1 अंक 3

Sanskritsarjana वर्ष 2 अंक-1

Recent Posts

लेखानुक्रमणी

लेख सूचक पर क्लिक कर सामग्री खोजें

अभिनवगुप्त (1) अलंकार (3) आधुनिक संस्कृत गीत (14) आधुनिक संस्कृत साहित्य (5) उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान (1) उत्तराखंड (1) ऋग्वेद (1) ऋषिका (1) कणाद (1) करवा चौथ (1) कर्मकाण्ड (47) कहानी (1) कामशास्त्र (1) कारक (1) काल (2) काव्य (16) काव्यशास्त्र (27) काव्यशास्त्रकार (1) कुमाऊँ (1) कूर्मांचल (1) कृदन्त (3) कोजगरा (1) कोश (12) गंगा (1) गया (1) गाय (1) गीति काव्य (1) गृह कीट (1) गोविन्दराज (1) ग्रह (1) छन्द (6) छात्रवृत्ति (1) जगत् (1) जगदानन्द झा (3) जगन्नाथ (1) जीवनी (6) ज्योतिष (20) तकनीकि शिक्षा (21) तद्धित (10) तिङन्त (11) तिथि (1) तीर्थ (3) दर्शन (19) धन्वन्तरि (1) धर्म (1) धर्मशास्त्र (14) नक्षत्र (2) नाटक (4) नाट्यशास्त्र (2) नायिका (2) नीति (3) पतञ्जलि (3) पत्रकारिता (4) पत्रिका (6) पराङ्कुशाचार्य (2) पर्व (2) पाण्डुलिपि (2) पालि (3) पुरस्कार (13) पुराण (3) पुस्तक (1) पुस्तक संदर्शिका (1) पुस्तक सूची (14) पुस्तकालय (5) पूजा (1) प्रत्यभिज्ञा शास्त्र (1) प्रशस्तपाद (1) प्रहसन (1) प्रौद्योगिकी (1) बिल्हण (1) बौद्ध (6) बौद्ध दर्शन (2) ब्रह्मसूत्र (1) भरत (1) भर्तृहरि (2) भामह (1) भाषा (1) भाष्य (1) भोज प्रबन्ध (1) मगध (3) मनु (1) मनोरोग (1) महाविद्यालय (1) महोत्सव (2) मुहूर्त (1) योग (5) योग दिवस (2) रचनाकार (3) रस (1) रामसेतु (1) रामानुजाचार्य (4) रामायण (3) रोजगार (2) रोमशा (1) लघुसिद्धान्तकौमुदी (45) लिपि (1) वर्गीकरण (1) वल्लभ (1) वाल्मीकि (1) विद्यालय (1) विधि (1) विश्वनाथ (1) विश्वविद्यालय (1) वृष्टि (1) वेद (6) वैचारिक निबन्ध (26) वैशेषिक (1) व्याकरण (46) व्यास (2) व्रत (2) शंकाराचार्य (2) शरद् (1) शैव दर्शन (2) संख्या (1) संचार (1) संस्कार (19) संस्कृत (15) संस्कृत आयोग (1) संस्कृत कथा (11) संस्कृत गीतम्‌ (50) संस्कृत पत्रकारिता (2) संस्कृत प्रचार (1) संस्कृत लेखक (1) संस्कृत वाचन (1) संस्कृत विद्यालय (3) संस्कृत शिक्षा (6) संस्कृत सामान्य ज्ञान (1) संस्कृतसर्जना (5) सन्धि (3) समास (6) सम्मान (1) सामुद्रिक शास्त्र (1) साहित्य (7) साहित्यदर्पण (1) सुबन्त (6) सुभाषित (3) सूक्त (3) सूक्ति (1) सूचना (1) सोलर सिस्टम (1) सोशल मीडिया (2) स्तुति (2) स्तोत्र (11) स्मृति (12) स्वामि रङ्गरामानुजाचार्य (2) हास्य (1) हास्य काव्य (2) हुलासगंज (2) Devnagari script (2) Dharma (1) epic (1) jagdanand jha (1) JRF in Sanskrit (Code- 25) (3) Library (1) magazine (1) Mahabharata (1) Manuscriptology (2) Pustak Sangdarshika (1) Sanskrit (2) Sanskrit language (1) sanskrit saptaha (1) sanskritsarjana (3) sex (1) Student Contest (2) UGC NET/ JRF (4)