संस्कृत बाल साहित्य

  स्वतंत्रता आंदोलन के समय पीढ़ी को राजनीतिक चेतना के लिए ही नहीं जगाया गया बल्कि साहित्य चेतना का भी उदय हुआ। यह वही दौर था जब संस्कृत में बाल साहित्य अपना आकार लेने लगा था। बच्चों तक संस्कृत शिक्षा पहुंचाने के लिए उनके योग्य साहित्य के सृजन पर ध्यान दिया गया। मैंने परिशीलनम् पत्रिका का बाल साहित्य विशेषांक प्रकाशित करने का उपक्रम शुरू करायाजो अभी प्रकाशनाधीन है। मैंने अपने यहां बाल पुस्तकालय का एक अलग से सेल गठित कियाजो अभी बहुत अधिक परवान नहीं चढ़ पाया। देश में अभी तक बच्चों के लिए एक भी संस्कृत पुस्तकालय नहीं हैजहाँ बच्चे अपने लायक संस्कृत की पुस्तकोंपत्रिकाओंदृश्य श्रव्य संसाधनों द्वारा ज्ञान में बृद्धि कर सकें। हमें बाल साहित्यकारों की समस्त रचनायें एकत्र प्राप्त हो सके। मैंने कुछेक छात्रों को संस्कृत बाल साहित्य पर शोध करने के लिए प्रेरित भी किया। आशा है आने वाले दिनों में इस दिशा में ठोस कदम उठाये जा सकेंगें।
संस्कृत क्षेत्र में बच्चों के लिए शैक्षिक सामग्री सृजन करने तथा कार्यक्रम संचालित करने वाले लोगों को देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि यह पीढ़ियों को जगाने का काम हैजिसे तन्मयता से किया जा रहा है। हालाँकि अबतक किये अधिकांश काम व्यक्तिगत संस्थाओं और व्यक्तिगत रूचि के कारण हुए हैं। इन संस्थाओं के नाम आगे यहाँ दिये जायेंगें। बाल साहित्य प्रकाशन में सरकारी योगदान बहुत ही कम है। संस्कृत शिक्षा प्राप्त अभिभावकों तथा शिक्षकों के लिए बच्चों को समझने तथा उसके मनोविज्ञान,  विकासअधिकार, कल्पना,  संस्कार, अपराध तथा शोषण आदि विषयों को समझने के लिए साहित्य नहीं लिखा गया  है। बच्चों के लिए थोड़े बहुत कहानियाँ, कवितायें मिल जाती है। 
आधुनिक संस्कृत साहित्य के इतिहास में बाल साहित्य को लेकर बहुत अधिक सामग्री अभी तक नहीं उपलब्ध होती है। बच्चों के लिए वैज्ञानिक कथा लेखन तथा अन्य विधाओं मैं लेखन अभी शैशवावस्था में है। इधर कुछेक बाल साहित्य स्वतंत्र पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई है। बाल साहित्य लेखक के रूप में लेखक भी प्रकाश में आये हैं। अधिकांश लेखकों की रचनाओं में कुछेक बाल गीत मिल जाते हैं। जैसे हरिदत्त शर्मा की रचनाओं में। बच्चों के लिए मनमोहक कलेबर में पुस्तकें प्रकाशित हुई है परन्तु इसकी अधिक विक्री नहीं हो पाती। कारण इस प्रकार के पुस्तकों के प्रकाशन में अत्यधिक धन खर्च होता है, जिससे इसका मूल्य बढ़ जाता है। समाज की भाषा हिन्दी तथा अन्य क्षेत्रीय भाषायें हैं। बचपन से संस्कृत माध्यम में शिक्षा दिये जाने की व्यवस्था नहीं है अतः इसके खरीरदार भी नहीं होते।              जब से संस्कृत भाषा का आंदोलन शुरू हुआ तब से संस्कृत के प्रचारकों ने बच्चों को केंद्र में रखकर बाल साहित्य की रचनाएं आरंभ की। इसमें पंडित वासुदेव दिवेदी शास्त्री का अवदान बहुमूल्य है। बाल साहित्य को संस्कृत की मुख्यधारा में लाने का श्रेय पंडित वासुदेव द्विवेदी शास्त्री को जाता है। आपने न केवल प्रभूत बाल साहित्य की सर्जना की अपितु अनेक साहित्यकारों को इसके लिए प्रेरित भी किया। इनके द्वारा विरचित गीत  आज  हर विद्यालय के उत्सव में  बच्चों द्वारा गाया जाता है। आपने साहित्य की सभी विधाओं में बाल साहित्य की रचना की है। आपकी रचनाओं की सूची संलग्न है । आप द्वारा रचित वर्णमाला गीतावलि (हँसते खेलते संस्कृत) में पहले वर्णों से परिचय कराया गया है अनन्तर स्वर तथा व्यंजन वर्णों के गीत दिये गये हैं। इस गीत के आरम्भ में दो अक्षर वाला वर्ण पुनः तीन अक्षर वाला वर्ण है। क्रियाओं से परिचय कराने के लिए अकारदि क्रम से क्रिया पद दिये गये हैं। जैसे-
अ  अन्नम्         आ आम्रम्     इ इक्षुः      ई ईशः       उ उष्ट्रः        ऊ  उर्णा
अ अरविन्दम्    आ आगारः    इ इवारुः   ई ईशानी    उ उलूखम्    ऊ  ऊर्णायुः
अ अस्ति          आ आस्ते      इ इच्छति                  उ उदयति  
यहाँ प्रेरणार्थक क्रिया के गीत भी हैं।
क कारयति     ख खादयति   ग गूहयति   घ घ्रापयति

एक स्वर तथा व्यंजन वाले अनेक शब्द एवं क्रियायें, बारहखडी़ (स्वराक्षरी) के गीत भी दिये गये हैं। सबसे अंत में संयुक्ताक्षर एवं संख्यावाची संस्कृत शब्द की तालिका दी गयी है। इस प्रकार कोई भी शिशु संस्कृत माध्यम से खेल खेल में संस्कृत वर्णमाला सीख जाता है। इसके साथ ही वह दैनिक व्यवहार में आन वाले शब्दों तथा क्रियाओं से भी परिचित हो जाता है। यूट्यूब पर संस्कृत वर्णमाला गीत की भरमार है।
 पंडित दिगंबर महापात्र ने पं. शास्त्री से प्रभावित होकर बाल साहित्य की रचना की। लखनऊ में डॉ. वीरभद्र मिश्र और लखीमपुर में आचार्य बाबूराम अवस्थी बाल साहित्य के सृजन में संलग्न हुए। आचार्य बाबूराम अवस्थी ने संस्कृत को समाज से जोड़ा। संस्कृत लोकगीतों का प्रणयन किया। बाल गीत लिखे। आज भी लखीमपुर में दशहरा मेले का आयोजन होता हैजिसमें संस्कृत कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। डॉ. वीरभद्र मिश्र का सम्पूर्ण कृतित्व महराजदीन पाण्डेय के सम्पादन में राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली से दो खंडों में प्रकाशित होकर आ चुका है। वीरभद्र रचनावली के प्रथम खंड में बाल रचनाओं का संकलन दिया गया है। वीरभद्र मिश्र संस्कृत के अनन्य साधक और प्रचारक थे। मैंने  #संस्कृतसर्जना ई-पत्रिका में इनका संस्मरण प्रकाशित किया था। आपने 1977 से 2000 ईस्वी तक सर्वगंधा नामक पत्रिका का प्रकाशन किया। आपके परिवार की भाषा संस्कृत है। रचनावली में उनके द्वारा लिखी गई कविताओं, काव्य, नाटक, गन्धवहः ( सर्वगंधा में प्रकाशित संपादकीय का संकलन) व्यंग चित्र और भद्रकोष आदि संकलित है। आप संपूर्ण जीवन संस्कृत को आधुनिक ज्ञान से पुष्ट करने का काम किया। आप प्रयोग वादी आचार्य थे। इसका दिग्दर्शन हमें इनकी रचनाओं से भी मिलता है। बाल कविता में उन्होंने नवीन विधान किया। आपने चल मम घोटक, दुग्धं पिव रे, चलति विडालः आदि लगभग 40 शिशु गीतों की भी रचना की। पत्रकारिता में भी उन्होंने नए मानदंड स्थापित किए। भद्रकोष में आज के प्रचलन में प्रयुक्त होने वाले शब्दों का संस्कृत शब्द दिया है। इसी प्रकार महाराष्ट्र में भि. वेलणकर का बालगीतम्, आन्ध्र प्रदेश में 1930 में जन्मे ओगेटि परीक्षित शर्मा का ललितगीतलहरी एवं परीक्षिन्नाटकचक्रम् प्रसिद्ध हुआ।
इच्छाराम द्विवेदी ने बाल गीतांजलिकेशव चंद्र सेन ने महान एकता पुस्तक में बच्चों के लिए शिशु कथा लिखी है। दिगंबर महापात्र की रङ्गरुचिरम् तथा ललितलवङ्गम् पुस्तक में शिशुओं के लिए बाल कविता लिखी है।
हरिदत्त शर्मा ने उत्कलिकाबालगीतालीगीतकन्दलिका मैं बच्चों के गाने लायक गीतों की रचना की है। अभिराज राजेंद्र मिश्र ने कनीनिकामृद्विका में बाल गीत तथा कान्तारकथा में वन्यजीवों पर आधारित कहानियां लिखी है। जनार्दन हेगड़े,  विश्वासकेशवचन्द्र दाश,  हरेकृष्ण मेहर  आदि ने प्रभूत योगदान किया। 
संस्कृत के विकास के लिए आवश्यक है कि बाल विकास पर ध्यान दिया जाय। जब बच्चों के स्कूल में शीतावकाश हो जाता है तब बाल रचना कार्यशाला किये जाने की आवश्यकता है। मैंने देखा है कि बच्चे कितनी तन्मयता और उत्साह के साथ गीतकहानियाँपत्रलेखनअभिनय पूर्वक गीत गायनक्रीडा आदि को सीखते हैं। इस अवसर पर बच्चों को छोटी छोटी कविता, कहीनियाँ लिखने को प्रेरित किया जा सकता है। लिखी कविताओं को चित्रों से सजाया जा सकता है। इन चित्रित कविताओं के प्रकाशन में अधिक खर्च नहीं आएगा।  अस्तु।
जब भी बाल साहित्य की चर्चा होती है, बरबस पंचतंत्र की कथा याद आती है। विश्वास ने भी पंचतंत्रकथा पुस्तक लिखी है। बच्चों को नैतिक शिक्षा देने के लिए नीति कथा प्रकाशित किये गये। संस्कृत के लगभग प्रत्येक महाकाव्य में बाल प्रसंग मिल जाता है । रामायण में भगवान श्री राम के बाल रूप की कथा, लव कुश का वर्णन तथा महाभारत में पांडवों कौरवों और अभिमन्यु का वर्णन मिलता है। इसी प्रकार परवर्ती कवि ने भी अपने साहित्य में छिटपुट रूप से बाल रूप का वर्णन किया है। रघुवंशम् में वर्णन आता है कि जब रघु अपने धायी की उंगली पकड़कर चलने लगे। प्रणाम करने की शिक्षा से नम्र होने लगे।
उवाच धात्र्या प्रथमोदितं वचो ययौ तदीयामवलम्ब्य चाङ्गुलिम्।
अभूच्च नम्रः प्रणिपातशिक्षया  पितुर्मुदं तेन ततान सोऽर्भकः ॥
 गोस्वामी तुलसीदास भी अपनी काव्य रचना आरंभ करते समय बंदऊँ बाल रुप सोई रामू लिखते हैं। बाल रूप, बाल स्वभाव किसे नहीं पसंद है? बीसवीं शताब्दी में संस्कृत भाषा में स्वतंत्र बाल साहित्य की रचना होने लगी। बाल कविता, बाल कथा, बाल नाटक, बाल गीत की पुस्तकें अब सचित्र उपलब्ध हैं।  कुछ साहित्यकारों ने हिंदी तथा अन्य भाषाओं में लिखित बाल साहित्य का संस्कृत में अनुवाद किया है। डा. उपद्रष्ट वेङ्कटरमण मूर्ति ने विविध चित्रों तथा रंगों से सुसज्जित संस्कृत बाल साहित्य की रचना की है। इसमें अकबर बीरबल कथा, तेनालि रामलिङ्ग कथा, जातक कथा, बाल रामायण तथा नीति कथायें हैं । सचित्र बाल रामायणम् को छोड़कर शेष पुस्तकें दो-दो भागों में प्रकाशित हैं। इसका अनुवाद दोर्बल प्रभाकर शर्मा ने किया है। इसकी भाषा इतनी सहज है कि कोई भी इसे पढ़कर आसानी से समझ सकता है। बच्चों में भाषा विकास के लिए ये पुस्तकें अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी।


संस्कृत बाल साहित्य पर  ऑनलाइन भी प्रभूत सामग्री उपलब्ध है। इस आलेख में मैं संस्कृत बाल साहित्य पर अब तक किए गए कार्यों का ब्यौरा प्रस्तुत करूँगा। साथ ही कुछ बाल कविता, बाल गीत आदि भी उपस्थित करूंगा।







अंतरजाल पर उपलब्ध बाल साहित्य

नोट- जिन शब्दों को अधोरेखांकित किया गया है, उस पर क्लिक करने से आप सम्बन्धित लिंक पर पहुँच जायेंगें।
वेदिकासंस्कृत रैम्स नाम से यूट्यूब पर एक चैनल है, जिसमें बच्चों के गीत उपलब्ध होते हैं। इसे लिंक पर जाकर सुना जा सकता है।
भार्गवीवर्धन ने भी यूट्यूब पर कुछ वीडियो पोस्ट किया है, जहां पर वह बच्चों से संस्कृत गीत गाती हुई दिख रही है।
संस्कृत बाल साहित्य को समर्पित ब्लॉग के लिंक पर जायें।
सम्पदानन्द मिश्र ने संस्कृत बाल साहित्य परिषद् नाम से संस्था गठित की। उनकी अभिरुचि बाल साहित्य पर अधिक है। आपने बाल साहित्य पर शनैः शनैः आदि कई रचनाएं की है, जो प्रकाशित है। आप बाल साहित्य लेखकों की कार्यशाला का भी आयोजन कर चुके हैं।  उनके वेबसाइट का लिंक पर जायें।
इस लिंक में बच्चों के लिए संस्कृत में कहानियां दी गई है। प्रतीत होता है की इन कविताओं को बच्चों ने ही लिखा है।
इस लिंक में संस्कृत के छोटे-छोटे वाक्य दिए गए हैं। इसी वेबसाइट के लिंक में आम बोलचाल में बार बार प्रयोग करने वाले शब्दों को दिया गया है।
गूगल ग्रुप पर संस्कृते लघु कथाः का लिंक का प्राप्त होता है। यहां 2-3 छोटी-छोटी कहानियां दी गई है। लेखक अभी कहानी लिखने का प्रयास कर रहा है।
चित्रकथा (कार्टून) में संस्कृत रामायण पढ़ने के लिए लिंक पर चटका लगाकर उसके साइट पर जायें।
प्रज्ञा जरे ने यूट्यूब पर बच्चों के लिए  वर्णमाला गीत है। वेदिका के नाम से भी वर्णमाला गीत है। यहीं पर पर शरीर के अवयव के गीत, बाद्य, वाहन, मास,ऋतु आदि पर विडियो उपलब्ध है। संस्कृत प्रमोशन फान्डेशन ने भी बच्चों के लिए संस्कृत ट्युटोरियल में प्रत्येक कक्षा के लिए विडियो बनाया है। यूट्यूब पर बलदेवानन्द सागर की आवाज में कहानियाँ, अक्षर गीत, संख्या गीत के साथ विभिन्न प्रकार के एनिमेटेड संस्कृत गीत आदि उपलब्ध है। 
सोशल मीडिया पर बच्चों के कार्यक्रम
मेरे अनेक मित्र सोशल मीडिया विशेषकर फेसबुक ग्रुप पर बच्चों की गीत प्रतियोगिता कराते रहते हैं। इसके लिए परितोषिक भी दिया जाता है। ग्रुप के सदस्य गीतों, कहानियों का यहाँ प्रचार भी करते हैं। यहाँ फेसबुक समूह का नाम अंकित किया जा रहा है। इसमें बच्चों द्वारा गाये गीत प्रचूर मात्रा में मिलेंगें, जो हमें अच्छे भविष्य के संकेत देते हैं। 
1. शिशु संस्कृतम्
 2. सरलं संस्कृतम्
3. विश्वसंस्कृतकुटुम्बकम्
4.  संस्कृतरसास्वादः
इस प्रकार के अन्य भी समूह हैं। दिग्दर्शन के लिए कुछ का लिंक यहाँ दे दिया है।      
संस्कृत बाल साहित्य के प्रकाशक संस्थायें          स्थान
1. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्   नई दिल्ली
2. अर्वाचीन संस्कृत साहित्य परिषद्                     बड़ोदरा 
3. संस्कृत भाषा प्रचारिणी सभा                         नागपुर
4. चिन्मय मिशन                                          चेन्नई
5. उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान                          लखनऊ
6. सार्वभौम संस्कृत प्रचार संस्थानम्                  वाराणसी
7. संस्कृतभारती                                          बेंगलूरु, USA, गोआ, नई दिल्ली
8. श्री अरविन्दो आश्रम                                  पदुच्चेरी
9. साहित्य एकेडमी                                      नई दिल्ली
10. लोकभाषा प्रचार समिति                          पुरी (उड़ीसा)
11. दिल्ली संस्कृत अकादमी                           दिल्ली
12. राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान                             नई दिल्ली
बाल साहित्य पर श्री अरविन्दो आश्रम बहुत पहले से काम करते रहा है। यहाँ पर श्रीमाता के सान्निध्य में जगन्नाथ वेदालंकार तथा नरेन्द्र ने सरलसंस्कृतसरणिः पुस्तक लिखा। लोकभाषा प्रचार समिति से अनेक प्रकार के शिशु साहित्य प्रकाशित हुए। यहाँ से प्रकाशित  मधुरं संस्कृतम् पुस्तक के गीतों को हर बालक गा रहा है। इसमें अनेक रचनाकारों के गीतों का संकलन है। कुछ प्रसिद्ध गीत का लेखक नाम तथा गीत का नाम अधोलिखित है-
डॉ. श्रीधरभास्कर वर्णेकर          लोकहितं मम करणीयम्
श्री मञ्जूनाथ शर्मा                     पठत संस्कृतम्
श्री नारायण भट्ट                      सुन्दरसुरभाषा     (मुनिवरविकसित
श्री नारायण भट्ट                      चिरनवीना संस्कृता एषा
पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री          सादरं समीहताम्
श्री ल.म. चक्रदेव                     मम माता देवता
श्री जनार्दन हेगड़े                     मृदपि च चन्दनम्
बाल इस लिंक के अतिरिक्त मेरे यूट्यूब चैनल पर भी अनेक बाल गीत मिलते हैं। आप मेरे चैनल Jagdanand Jha पर भी पधारें। यहाँ संस्कृतेन संभाषणं कुरु तथा संस्कृत बाल साहित्य पर मेरा उद्बोधन सुना जा सकता है।
बाल साहित्य के लेखकों और उनकी रचनाओं के बारे में विस्तार किया जाता रहेगा।
   1934 में अलीपुर पाकिस्तान में जन्मे ओम प्रकाश ठाकुर इंद्रधनुः में बाल गीतों की रचना की। प्रस्तुत है इनकी कुछ पंक्तियाँ-
मूषक! धाव मूषक! धाव
त्वोमेषोऽहं गृहणामि
क्षुधा बाधते मां तीव्रा
त्वामत्तुम् अभिवांछामि।
आपने क्रीत दास ईशप के विद्रोह की कथा को पुस्तक की शीर्षक से अलंकृत कर ईसप कथा निकुञ्जम् की रचना भी की, जिसमें कुल 111 लघुकथा दी गयी है। यह बच्चों के लिए उपयोगी साहित्य है।
डॉ. नवलता, डॉ. मनोरमा, विश्वास, डॉ. केशव प्रसाद गुप्त, प्रो. हरिदत्त शर्मा, प्रो. इच्छाराम द्विवेदी, प्रो. प्रभुनाथ द्विवेदी, डॉ. राजकुमार मिश्र सहित अनेको कवियों तथा साहित्यकारों ने अपनी सारस्वत लेखनी से बाल साहित्य की श्री में वृद्धि की है।
नन्दन पत्रिका में जय प्रकाश भारती ने हिन्दी में बाल कथायें लिखी थी। इसका मधुर शास्त्री ने संस्कृत में अनुवाद किया है। इसे संकलित कर बाल- नैतिक- कथाः नाम से पुस्तकाकार में लेखक ने प्रकाशित किया। दिल्ली संस्कृत अकादमी से प्रकाशित ते के आसन् डायनासोराः भी बच्चों के लिए ज्ञानबर्द्धक है। इस संस्था ने संस्कृत बाल साहित्य सर्जकों को प्रोत्साहित किया है।
संस्कृत में चंदा मामा, संस्कृत चंद्रिका जैसी बाल पत्रिकाओं का भी प्रकाशन हुआ। उपर्युक्त लेखकों से मेरा व्यक्तिगत लगाव है। बच्चों को आकर्षित करने के लिए संस्कृत में कॉमिक्स में प्रकाशित किये जा रहे हैं। यह ऑनलाइन तथा प्रिंट दोनों स्वरुप में मिलते हैं। सम्भाषण संदेशः पत्रिका में बच्चों के लिए कुतुककुटी (कॉमिक्स) तालक्कुटी, बालमोदनी का एक एक नियमित स्तंभ प्रकाशित होता है। यह बच्चों के लिए बहुत उपयोगी पत्रिका है।

डा. वेणीमाधव शास्त्री भा. जोशी द्वारा लिखित बाल संस्कृत सारिका में कविता, कथा तथा नाटक की त्रिवेणी प्रवाहित है। कविता खंड में शारदानतिः से आरंभ होकर श्रीमती नेहेरू कमला महोदय तक कुल 39 बाल कविताएं हैं, प्रत्येक कविता का भाव ललित है, प्रकृति का वर्णन करता है तथा बाल मनोविज्ञान से संवलित है। कुछ कविताओं का अंश देखें-

 

घटिके घटिके टिक् टिक् घटिके


 

सूचयसि त्वं कार्यं कर्तुम्

टिक् टिक् संवदसे घटिके

विविधं वदनं तव घटिके ।

विविधाः संख्यास्तव घटिके

दर्शयसि त्वं समयं घटिके ॥१॥

 

गेहे गेहे शालां गन्तुं

प्रत्यूषे गृहपाठं धर्तुम् ।

समये समयं जाड्यं हर्तुं

सूचयसि त्वं कार्यं कर्तुम् ॥२॥

 

शयनागारे क्रीडाकाले

टीवीगेहे भोजनकाले ।

सूचनमेकं समये मास्तु ॥३॥

 

विश्रामं वा स्मरसि न नूनं

श्रान्ति नो वा गणयसि नूनम् ।

कर्तव्यस्य च वदसि सुनीतिं

सद्वृत्तस्य च कथयसि रीतिम् ॥४॥

 

मन्दं मन्दं गच्छति कालः

गतः नैवागच्छति कालः ।

सततं याति न तिष्ठति कालः

तत्त्वमिदं ते वदति च कालः ॥५॥

 

कवितां श्रोतुं मे वाञ्च्छा

 

वल्लभ वल्लभ त्वरितं एहि

आशां पूरय वचनं देहि ।

अहमागतः दयितस्ते हि

प्रथमं मम च सकाशं एहि ।।

 

प्रिय तव सविधे समागता

आशा चेतसि ममागता ।

किं वा मे वद ते वाच्छा

त्वरितं कर्तुं मे वाञ्च्छा ।।

 

कवितायां मे बहुला प्रीतिः

कविता-रचनायां तव कीर्तिः ।

संप्रति कुरुतात् किं मे प्रीतिः

सत्यं कवितायां मम कीर्तिः ।।

 

चञ्चलमीनाः प्रतरन्ति

 

चञ्चलमीनाः प्रतरन्ति ।

सुन्दरमीनाः प्रतरन्ति ।। ध्रुवपदम्

 

वृन्दे वृन्दे परिधावन्ति

धान्यकणानथ खादन्ति ।

क्रीडाः कलहैः कुर्वन्ति

नद्याः सलिले प्रतरन्ति ।।१।।

 

वीचीभिः सह मीना यान्ति

किल किलनादैरायान्ति ।

पत्रैः पुष्पैः सह खेलन्ति

मित्रैः सर्वैः सह कूर्दन्ति ।।२।।

 

पुच्छं लघु लघु वीजन्ति

नीरे लघु लघु विचरन्ति ।

मालिन्यं सलिलस्य हरन्ति

आहरं लोकस्य धरन्ति ।।३।।

 

जागरणस्य च रीतिं वहति

जगदुपकारे सुकृतिं वदति।

सततोद्योगसुनीतिं दिशति

सुगुणगणैरथ मीनो जयति ।।४।।

3 वर्ष से 7 वर्ष आयु के बच्चे इस प्रकार की सैकड़ों कविताएं जल्द ही याद कर लेते हैं। उन्हें इस प्रकार की कविताएं पढ़ने में आनंद भी आता है।

पुस्तक के द्वितीय भाग में गीत कथाः दी हुई है। हिंदी साहित्य में कथा उपन्यास आदि गद्य में लिखे जाते हैं जबकि संस्कृत में पद्य में भी कथा साहित्य की रचना की जाती है। इसमें वानराणाम् उपवासः से लेकर नयने सजले कुरुत तक कुल 12 गीत कथायें हैं। गीत कथा का एक उदाहरण प्रस्तुत है-

उदयपुरे सा पन्नाधात्री

 

उदयपुरे सा पन्नाधात्री

इतिहासे बलिदान-विधात्री ।

बलिदानं सा स्वीयकुमारं

कुरुते पातुं स्वामिकुमारम् ।।१।।

 

देशस्यार्थं विमलां भक्तिं

स्वामिनि निष्ठां मातुः शक्तिम् ।

बालाः श्रुणुत च करुणकथां

त्यागमयीं तां स्मरत कथाम् ।। २।।

 

मालवराज्ये राणानृपतिः

प्रजापालने निर्जरपतिः ।

तस्य कुमारं पालयते सा

पन्नाधात्री लालयते सा ॥ ३।।

 

रोगग्रस्तो नृपतिर्मृतः

सिंहासनकं भ्राता गतः ।

हन्तुं चेच्छति निष्ठुरकृतिः

राजकुमारं कुत्सितमतिः ।।४।।

 

सोऽपि कदाचित् वर्षाकाले

जोत्स्नारहिते रौद्राकाले ।

चलितः सहसा खङ्गं धृत्वा

हन्तुं राज्ञीं कुमतिं कृत्वा ।।

 

राज्ञीं हत्वा दुष्टो भ्राता

राजकुमारं धूर्तत्राता।

हन्तुं पन्नासविधे गतः

दृष्कृतबुद्धिः खलसङ्गतः ।।

 

ज्ञात्वा सर्वं क्षेमविधात्री

बालं त्रातुं पन्नाधात्री ।

इष्टं स्वसुतं जीवनभरणं

कुरुते भूषितसर्वाभरणम् ।।

 

स्वसुते कृत्वा राजभूषणं

प्रस्तरचित्ता चित्ततोषणम् ।

राज्ञः सूनोः सुन्दर शयने

न्यस्यति या सा सलिलं नयने ।।

 

स्वीये शयने राजकुमारं

नृपसुतशयने स्वीयकुमारं ।

कृत्वा शेते भीता शयने

कृत्रिमनिद्रां धृत्वा नयने ।।

 

तस्मिन्नेव क्षणके मुग्धं

भूषितबालं पायितदुग्धम् ।

धावति राणा खड्गं धृत्वा

उच्चैर्हसति च बालं हत्वा ।।

 

पन्नाधात्रि तनयं नीत्वा

गच्छ सुदूरं राज्यं हित्वा ।

नो चेत् गच्छसि नगरं नाकं

मुग्धेन स्वसुतेन च साकम् ।।

 

एवं कथिता राजा राज्ञां

वचनं तत्सा मत्वा चाज्ञाम् ।

गत्वा राजकुमारं पुष्यति

कर्तव्येन च चित्ते तुष्यति ।।

 

पन्त्राधात्रीतनयो मृतः

स्वाम्यर्थे खलु त्यागः कृतः।

एवं सर्वे सर्वं ज्ञात्वा  

स्तौति च मुक्तं बहिः यात्वा ।।

 

राजकुमारो युवको भूत्वा

करुणकथां स्वां सर्वां श्रुत्वा ।

धृतवान् राज्यं शत्रुं हत्वा

न्यायस्यैव च विजयं मत्वा ।।

 

पन्नाधात्री सुन्दरमतिः

सौजन्यस्य च मन्दिरकृतिः ।

तस्या धात्र्याश्चमराकीर्तिः

तेन च विहिता सुन्दरमूर्तिः ।।

 

इस प्रकार गीत के माध्यम से संपूर्ण कहानियां कही गई है। उन कहानियों का भाव चित्र भी पुस्तक पर अंकित है।

पुस्तक के तृतीय और अंतिम लघु नाटकानि खंड में नाहंकारसमो रिपुः से लेकर तीर्थयात्रा तक कुल 18 लघु नाटक हैं। अधिकांश नाटकों की भावभूमि धार्मिक और नैतिकता है। इसकी भाषा सरल होते हुए भी बाल मनोविज्ञान का इसमें अनुसरण नहीं किया गया है।

यह ब्रह्मविद्याप्रकाशनम्, श्रीशङ्कराचार्य संस्कृत पाठशाला, गान्धीचौक, धारवाड - 580001 (कर्नाटक) Ph : 0836 - 2443747 से प्रकाशित है।

पंडित वासुदेव द्विवेदी शास्त्री ने जिस हेतु पीढ़ी को जगाया, उसे मूर्त रूप संस्कृतभारती नामक संस्था ने दिया। इस संस्था ने बच्चों को केंद्र में रखकर विभिन्न प्रांतों से 50 से अधिक बाल साहित्य प्रकाशित किया। इसमें उन संस्कृत सेवाव्रती विद्वानों का महनीय योगदान है, जिन्होंने अपना सर्वस्व प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पाने वाले बच्चों के लिए लगाया। आज के दिन इस संस्था के द्वारा किए गए कार्यों की मुक्त कंठ से प्रशंसा करता हूं। संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान ने बाल साहित्य को डिजिटल रूप दिया।
डॉ. सम्पदानन्द मिश्र आज बरबस याद आ रहे हैं। आपके द्वारा लिखित एवं प्रकाशित बाल साहित्य आधुनिक रचनाकारों के मार्गदर्शन हेतु पर्याप्त है। चित्ताकर्षक कलेवर में प्रकाशित आप की रचना किस बच्चे का मन नहीं मोहता? संस्कृतसर्जना त्रैमासिकी ई पत्रिका में मैंने आपका एक साक्षात्कार प्रकाशित किया था, जिसमें बाल साहित्य पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। इसी पत्रिका में प्रो. प्रभुनाथ द्विवेदी का चतुरः काकः तथा अन्य बाल कविता भी प्रकाशित हुई। इस विषय पर आपसे घंटों बातचीत होती है । आपने संस्कृत बाल साहित्य परिषद् का गठन किया तथा कार्यशालाओं, संगोष्ठियों का भी आयोजन किया। मैंने अपने ब्लॉग में इनका सादर उल्लेख किया है।
मेरे अभिन्न मित्रों में प्रोफेसर मदन मोहन झा संस्कृत बाल साहित्य को नए आयाम दे रहे हैं। अभी तक किसी रचनाकार ने बच्चों के लिए शब्दकोश पर ध्यान नहीं दिया था। इस कमी को प्रो. मदनमोहन झा ने पूरा किया। आपने हिन्दी संस्कृत चित्रकोश नाम से एप बनाया।
संस्कृत बाल साहित्य
पुस्तक का नाम                       लेखक/ अनुवादक/ संकलनकर्ता
1.   बाल गीतावलिः                           पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
2.   संस्कृत गानमाला                         पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
3.   सरल संस्कृतगद्यसंग्रह                   पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
4.   हास्यविनोद कथासंग्रह                  पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
5.    हास्य विनोदवाटिका                   पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
6.   संस्कृतप्रहसनम्                           पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
7.   कौत्सस्य गुरुदक्षिणा                     पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
8.   बाल निबंधमाला                         पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
9.   बाल विनोदमाला                         पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
10.    बालनाटकम् भाग 1-2              पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
11.    वर्णमाला गीतावलिः                 पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
12.    भारतराष्ट्रगीतम्                       पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
13.    भोजराज्ये संस्कृतसाम्राज्यम्        पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री
14.    बाल एकता                             केशव चंद्र सेन
15.    रङ्गरुचिरम्                            दिगम्बर महापात्र
16.    ललितलवङ्गम्                        दिगम्बर महापात्र
17.    उत्कलिका                               हरिदत्त शर्मा
18.   बालगीताली                           हरिदत्त शर्मा
19.    गीतकन्दलिका                         हरिदत्त शर्मा
20.   कनीनिका                               अभिराज राजेन्द्र मिश्र
21.    मृद्विका                                   अभिराज राजेन्द्र मिश्र
22.    कान्तारकथा                            अभिराज राजेन्द्र मिश्र
23.    बालगीतम्                              भि. वेलणकर
24.    इंद्रधनुः                                  ओम् प्रकाश ठाकुर
25.    ईसप कथा निकुञ्जम्                  ओम् प्रकाश ठाकुर
26.    कथामंदाकिनी                          ओम् प्रकाश ठाकुर
27.    बालकथाकौमुदी                       विश्वास
28.    बाल बाटिका                           विश्वास
29.    भारतीय स्वतंत्रता संघर्षगाथा    सत्यदेव चौधरी
30.   लक्ष्य वेधकः बुद्धिमान्                   सत्यदेव चौधरी
31.    हास्यमञ्जरी                             सम्पदानन्द मिश्र
32.   शनैः शनैः                                सम्पदानन्द मिश्र
33.   सप्तवर्णचित्रपतङ्गः                   सम्पदानन्द मिश्र
34.  लोकगीताञ्जलिः                        बाबूराम अवस्थी
35.    अभिनवा संकृत-नाट्य-मञ्जरी     अनन्त गोपाल देशपाण्डे
36.    अस्माकं पतङ्गिका          सम्पादक- कृष्णचन्द्र पाण्डेय, अनुवाद- रंजीत वेहरा
37.   भुट्टाकम्                         सम्पादक- कृष्णचन्द्र पाण्डेय, अनुवाद- रंजीत वेहरा
38.   चुन्नी मुन्नी च                   सम्पादक- कृष्णचन्द्र पाण्डेय, अनुवाद- रंजीत वेहरा
39.   दोला                             सम्पादक- कृष्णचन्द्र पाण्डेय, अनुवाद- रंजीत वेहरा
40.   गोधूमाः                         सम्पादक- कृष्णचन्द्र पाण्डेय, अनुवाद- रंजीत वेहरा
41.   गोलगप्पकम्                   सम्पादक- कृष्णचन्द्र पाण्डेय, अनुवाद- रंजीत वेहरा
42.   गुल्ली दण्डः च                 सम्पादक- कृष्णचन्द्र पाण्डेय, अनुवाद- रंजीत वेहरा
43.   हर्षः जातः                      सम्पादक- कृष्णचन्द्र पाण्डेय, अनुवाद- रंजीत वेहरा
44.   हिक् हिक् हिक्का               सम्पादक- कृष्णचन्द्र पाण्डेय, अनुवाद- रंजीत वेहरा
45.   आत्माभिव्यक्तिः                 बुद्धदेव शर्मा
46.  बालगीतम्                         शशिपाल शर्मा
47.   बालकथा                           संकलनकर्ता- पुलियालिल रमेश
48.   बालगीतम्                         कृष्णलाल
49.   बालकथासप्तति                   जनार्दन हेगड़े
50.    बालकथा स्रवन्ती                जनार्दन हेगड़े
51.   अभिनवा संस्कृत नाट्य मंजरी  अनन्त गोपाल देशपाण्डे
52.    बालगीतम् अङ्कगीतम्          कृष्णलाल
53.    बालकथाः                            माधुरी
54.    बालनैतिक कथाः                  मधुर शास्त्री
55.    बालेभ्यः महाभारतनीतिकथाः मनु, अनुवादक- विद्वान् उदयन
56.   बालनाटकानि                       पूजा लाल
57.   बालश्लोकाः                          श्री अरविन्दो आश्रम
58.   भस्मासुरवधम्                      भास्कर केशव धोक
59. बोधकथाः                            अशोक कौशिक, अनुवादक- संजीव
60. चमत्कारिकः दूरभाषः             ऋषिराज जानी
61. चपलः चिन्टुः                        चारुहास पंडित, प्रभाकर वडेकर
62. डयते कथमाकाशे                  राजकुमार मिश्र
63. दशावतारकथाः                    पी. रमेश
64. दुहिता                                वरदा वसा
65. एकदा                                 केशवचन्द्र दाश
66. एहि, हसाम                         संस्कृतभारती
67. गीत संस्कृतम्                       संस्कृतभारती
68. अदृश्यम्                              राधिका रंजन दाश
69. कथा विचित्राः                      राधिका रंजन दाश
70.बाल संस्कृत सारिका        डा. वेणीमाधव शास्त्री भा. जोशी  


यहां अधिक नहीं लिखते हुए पं. दिगम्बर महापात्र रचित इस कविता से अपनी बात पूर्ण करता हूं-
पठ रे सुत!
देव-भाषितम्
ज्ञानगर्भितं चारुभाषितम्
पाणिनेर्मुनेः रङ्गीकृतम्
अमृतायितं मृदुसंस्कृतम्
गौरवायितम् । पठ...........

लेखक- जगदानन्द झा, लखनऊ दूरभाष- 73 8888 3306
 कृपया विना अनुमति लेख को कापी नहीं करें।

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10 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्कार मुझे मत्तविलास की कथा की आवश्यकता है कृपया उपलब्ध करवाये ।

    जवाब देंहटाएं
  2. नमस्ते, महोदय।
    मैं अभी अर्वाचीन संस्कृत बालसाहित्ये शिक्षा विषय पर पीएचडी कर रही हुँ। मुझे आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता रहेगी।
    मैं आपका मार्गदर्शन कैसे प्राप्त कर शकती हुँ?
    मितल अमित गोर
    भुज- कच्छ
    गुजरात

    जवाब देंहटाएं
  3. सर् मैं आपके कार्य मे सहयोग करना चाहता हूँ, संकृत में कुशल हूँ, कुछ मार्गदर्शन करें

    जवाब देंहटाएं
  4. मुझे संस्कृत के सभी आधुनिक रचनाकार व उनकी रचनाओ की जानकारी चाहिये कृपया मार्गदर्शन करें
    मै कहां से प्राप्त करूं 🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आधुनिक संस्कत के लेखक एवं उनती रचनायें नाम से मेरा अन्य पोस्ट देखें।
      https://sanskritbhasi.blogspot.com/2014/08/blog-post.html

      हटाएं
  5. नमस्ते सर, मैं आकांक्षा श्री, आपसे फेसबुक के द्वारा काफी समय से जुड़ी हूँ। मैंने अपने phd के लिए एक विषय सोचा जिसके उपरांत मैंने कुछ सर्च किया तो आपका ये लेख मुझे प्राप्त हुआ। यह लेख मेरे विषय से काफी हद तक मिलता हुआ है। और इसे पढ़ कर मुझे नई दिशा भी मिली। आपसे अगर मेरे विषय पर कुछ चर्चा हो जाती तो मेरे लिए अत्यंत लाभकारी होता। कृपया मुझे बताये की आपसे की प्रकार सीधा संपर्क सम्भव होगा।
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

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