अ अन्नम् आ आम्रम् इ इक्षुः ई ईशः उ उष्ट्रः ऊ उर्णा
अ अरविन्दम् आ आगारः इ इवारुः ई ईशानी उ उलूखम् ऊ ऊर्णायुः
अ अस्ति आ आस्ते इ इच्छति उ उदयति
यहाँ प्रेरणार्थक क्रिया के गीत भी हैं।
उवाच धात्र्या प्रथमोदितं वचो ययौ तदीयामवलम्ब्य चाङ्गुलिम्।अभूच्च नम्रः प्रणिपातशिक्षया पितुर्मुदं तेन ततान सोऽर्भकः ॥
संस्कृत बाल साहित्य पर ऑनलाइन भी प्रभूत सामग्री उपलब्ध है। इस आलेख में मैं संस्कृत बाल साहित्य पर अब तक किए गए कार्यों का ब्यौरा प्रस्तुत करूँगा। साथ ही कुछ बाल कविता, बाल गीत आदि भी उपस्थित करूंगा।
अंतरजाल पर उपलब्ध बाल साहित्य
नोट- जिन शब्दों को अधोरेखांकित किया गया है, उस पर क्लिक करने से आप सम्बन्धित लिंक पर पहुँच जायेंगें।
चित्रकथा (कार्टून) में संस्कृत रामायण पढ़ने के लिए लिंक पर चटका लगाकर उसके साइट पर जायें।
प्रज्ञा जरे ने यूट्यूब पर बच्चों के लिए वर्णमाला गीत है। वेदिका के नाम से भी वर्णमाला गीत है। यहीं पर पर शरीर के अवयव के गीत, बाद्य, वाहन, मास,ऋतु आदि पर विडियो उपलब्ध है। संस्कृत प्रमोशन फान्डेशन ने भी बच्चों के लिए संस्कृत ट्युटोरियल में प्रत्येक कक्षा के लिए विडियो बनाया है। यूट्यूब पर बलदेवानन्द सागर की आवाज में कहानियाँ, अक्षर गीत, संख्या गीत के साथ विभिन्न प्रकार के एनिमेटेड संस्कृत गीत आदि उपलब्ध है।
सोशल मीडिया पर बच्चों के कार्यक्रम
मेरे अनेक मित्र सोशल मीडिया विशेषकर फेसबुक ग्रुप पर बच्चों की गीत प्रतियोगिता कराते रहते हैं। इसके लिए परितोषिक भी दिया जाता है। ग्रुप के सदस्य गीतों, कहानियों का यहाँ प्रचार भी करते हैं। यहाँ फेसबुक समूह का नाम अंकित किया जा रहा है। इसमें बच्चों द्वारा गाये गीत प्रचूर मात्रा में मिलेंगें, जो हमें अच्छे भविष्य के संकेत देते हैं।
1. शिशु संस्कृतम्
3. विश्वसंस्कृतकुटुम्बकम्
4. संस्कृतरसास्वादः
इस प्रकार के अन्य भी समूह हैं। दिग्दर्शन के लिए कुछ का लिंक यहाँ दे दिया है।
1. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् नई दिल्ली
2. अर्वाचीन संस्कृत साहित्य परिषद् बड़ोदरा
3. संस्कृत भाषा प्रचारिणी सभा नागपुर
4. चिन्मय मिशन चेन्नई
5. उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ
6. सार्वभौम संस्कृत प्रचार संस्थानम् वाराणसी
7. संस्कृतभारती बेंगलूरु, USA, गोआ, नई दिल्ली
8. श्री अरविन्दो आश्रम पदुच्चेरी
9. साहित्य एकेडमी नई दिल्ली
10. लोकभाषा प्रचार समिति पुरी (उड़ीसा)
11. दिल्ली संस्कृत अकादमी दिल्ली
12. राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली
बाल साहित्य पर श्री अरविन्दो आश्रम बहुत पहले से काम करते रहा है। यहाँ पर श्रीमाता के सान्निध्य में जगन्नाथ वेदालंकार तथा नरेन्द्र ने सरलसंस्कृतसरणिः पुस्तक लिखा। लोकभाषा प्रचार समिति से अनेक प्रकार के शिशु साहित्य प्रकाशित हुए। यहाँ से प्रकाशित मधुरं संस्कृतम् पुस्तक के गीतों को हर बालक गा रहा है। इसमें अनेक रचनाकारों के गीतों का संकलन है। कुछ प्रसिद्ध गीत का लेखक नाम तथा गीत का नाम अधोलिखित है-
डॉ. श्रीधरभास्कर वर्णेकर लोकहितं मम करणीयम्
श्री मञ्जूनाथ शर्मा पठत संस्कृतम्
श्री नारायण भट्ट सुन्दरसुरभाषा (मुनिवरविकसित)
श्री नारायण भट्ट चिरनवीना संस्कृता एषा
पं. वासुदेव द्विवेदी शास्त्री सादरं समीहताम्
श्री ल.म. चक्रदेव मम माता देवता
श्री जनार्दन हेगड़े मृदपि च चन्दनम्
बाल इस लिंक के अतिरिक्त मेरे यूट्यूब चैनल पर भी अनेक बाल गीत मिलते हैं। आप मेरे चैनल Jagdanand Jha पर भी पधारें। यहाँ संस्कृतेन संभाषणं कुरु तथा संस्कृत बाल साहित्य पर मेरा उद्बोधन सुना जा सकता है।
डा.
वेणीमाधव शास्त्री भा. जोशी द्वारा लिखित बाल संस्कृत सारिका में कविता, कथा तथा नाटक की त्रिवेणी प्रवाहित है।
कविता खंड में शारदानतिः से आरंभ होकर श्रीमती नेहेरू कमला महोदय तक कुल 39
बाल कविताएं हैं, प्रत्येक कविता का भाव ललित
है, प्रकृति का वर्णन करता है तथा बाल मनोविज्ञान से संवलित
है। कुछ कविताओं का अंश देखें-
घटिके घटिके टिक् टिक् घटिके
सूचयसि त्वं
कार्यं कर्तुम्
टिक् टिक्
संवदसे घटिके
विविधं वदनं
तव घटिके ।
विविधाः
संख्यास्तव घटिके
दर्शयसि
त्वं समयं घटिके ॥१॥
गेहे गेहे
शालां गन्तुं
प्रत्यूषे
गृहपाठं धर्तुम् ।
समये समयं
जाड्यं हर्तुं
सूचयसि त्वं
कार्यं कर्तुम् ॥२॥
शयनागारे
क्रीडाकाले
टीवीगेहे
भोजनकाले ।
सूचनमेकं
समये मास्तु ॥३॥
विश्रामं वा
स्मरसि न नूनं
श्रान्ति नो
वा गणयसि नूनम् ।
कर्तव्यस्य
च वदसि सुनीतिं
सद्वृत्तस्य
च कथयसि रीतिम् ॥४॥
मन्दं मन्दं
गच्छति कालः
गतः
नैवागच्छति कालः ।
सततं याति न
तिष्ठति कालः
तत्त्वमिदं
ते वदति च कालः ॥५॥
कवितां
श्रोतुं मे वाञ्च्छा
वल्लभ वल्लभ
त्वरितं एहि
आशां पूरय
वचनं देहि ।
अहमागतः
दयितस्ते हि
प्रथमं मम च
सकाशं एहि ।।
प्रिय तव
सविधे समागता
आशा चेतसि
ममागता ।
किं वा मे
वद ते वाच्छा
त्वरितं
कर्तुं मे वाञ्च्छा ।।
कवितायां मे
बहुला प्रीतिः
कविता-रचनायां
तव कीर्तिः ।
संप्रति
कुरुतात् किं मे प्रीतिः
सत्यं
कवितायां मम कीर्तिः ।।
चञ्चलमीनाः
प्रतरन्ति
चञ्चलमीनाः
प्रतरन्ति ।
सुन्दरमीनाः
प्रतरन्ति ।। ध्रुवपदम्
वृन्दे
वृन्दे परिधावन्ति
धान्यकणानथ
खादन्ति ।
क्रीडाः
कलहैः कुर्वन्ति
नद्याः
सलिले प्रतरन्ति ।।१।।
वीचीभिः सह
मीना यान्ति
किल
किलनादैरायान्ति ।
पत्रैः
पुष्पैः सह खेलन्ति
मित्रैः
सर्वैः सह कूर्दन्ति ।।२।।
पुच्छं लघु
लघु वीजन्ति
नीरे लघु
लघु विचरन्ति ।
मालिन्यं
सलिलस्य हरन्ति
आहरं लोकस्य
धरन्ति ।।३।।
जागरणस्य च
रीतिं वहति
जगदुपकारे
सुकृतिं वदति।
सततोद्योगसुनीतिं
दिशति
सुगुणगणैरथ
मीनो जयति ।।४।।
3 वर्ष से 7 वर्ष आयु के बच्चे इस प्रकार की सैकड़ों कविताएं जल्द ही याद कर लेते हैं।
उन्हें इस प्रकार की कविताएं पढ़ने में आनंद भी आता है।
पुस्तक के द्वितीय भाग में गीत कथाः दी हुई है। हिंदी साहित्य में कथा उपन्यास
आदि गद्य में लिखे जाते हैं जबकि संस्कृत में पद्य में भी कथा साहित्य की रचना की
जाती है। इसमें वानराणाम् उपवासः से लेकर नयने सजले कुरुत तक कुल 12 गीत कथायें हैं। गीत कथा का एक उदाहरण
प्रस्तुत है-
उदयपुरे सा
पन्नाधात्री
उदयपुरे सा
पन्नाधात्री
इतिहासे
बलिदान-विधात्री ।
बलिदानं सा
स्वीयकुमारं
कुरुते
पातुं स्वामिकुमारम् ।।१।।
देशस्यार्थं
विमलां भक्तिं
स्वामिनि
निष्ठां मातुः शक्तिम् ।
बालाः
श्रुणुत च करुणकथां
त्यागमयीं
तां स्मरत कथाम् ।। २।।
मालवराज्ये
राणानृपतिः
प्रजापालने
निर्जरपतिः ।
तस्य कुमारं
पालयते सा
पन्नाधात्री
लालयते सा ॥ ३।।
रोगग्रस्तो
नृपतिर्मृतः
सिंहासनकं
भ्राता गतः ।
हन्तुं
चेच्छति निष्ठुरकृतिः
राजकुमारं
कुत्सितमतिः ।।४।।
सोऽपि
कदाचित् वर्षाकाले
जोत्स्नारहिते
रौद्राकाले ।
चलितः सहसा
खङ्गं धृत्वा
हन्तुं
राज्ञीं कुमतिं कृत्वा ।।
राज्ञीं
हत्वा दुष्टो भ्राता
राजकुमारं
धूर्तत्राता।
हन्तुं
पन्नासविधे गतः
दृष्कृतबुद्धिः
खलसङ्गतः ।।
ज्ञात्वा
सर्वं क्षेमविधात्री
बालं
त्रातुं पन्नाधात्री ।
इष्टं
स्वसुतं जीवनभरणं
कुरुते
भूषितसर्वाभरणम् ।।
स्वसुते
कृत्वा राजभूषणं
प्रस्तरचित्ता
चित्ततोषणम् ।
राज्ञः सूनोः
सुन्दर शयने
न्यस्यति या
सा सलिलं नयने ।।
स्वीये शयने
राजकुमारं
नृपसुतशयने
स्वीयकुमारं ।
कृत्वा शेते
भीता शयने
कृत्रिमनिद्रां
धृत्वा नयने ।।
तस्मिन्नेव
क्षणके मुग्धं
भूषितबालं
पायितदुग्धम् ।
धावति राणा
खड्गं धृत्वा
उच्चैर्हसति
च बालं हत्वा ।।
पन्नाधात्रि
तनयं नीत्वा
गच्छ सुदूरं
राज्यं हित्वा ।
नो चेत्
गच्छसि नगरं नाकं
मुग्धेन
स्वसुतेन च साकम् ।।
एवं कथिता
राजा राज्ञां
वचनं तत्सा
मत्वा चाज्ञाम् ।
गत्वा
राजकुमारं पुष्यति
कर्तव्येन च
चित्ते तुष्यति ।।
पन्त्राधात्रीतनयो
मृतः
स्वाम्यर्थे
खलु त्यागः कृतः।
एवं सर्वे सर्वं
ज्ञात्वा
स्तौति च
मुक्तं बहिः यात्वा ।।
राजकुमारो
युवको भूत्वा
करुणकथां
स्वां सर्वां श्रुत्वा ।
धृतवान्
राज्यं शत्रुं हत्वा
न्यायस्यैव
च विजयं मत्वा ।।
पन्नाधात्री
सुन्दरमतिः
सौजन्यस्य च
मन्दिरकृतिः ।
तस्या
धात्र्याश्चमराकीर्तिः
तेन च
विहिता सुन्दरमूर्तिः ।।
इस प्रकार
गीत के माध्यम से संपूर्ण कहानियां कही गई है। उन कहानियों का भाव चित्र भी पुस्तक
पर अंकित है।
पुस्तक के तृतीय और अंतिम लघु नाटकानि खंड में नाहंकारसमो रिपुः से लेकर
तीर्थयात्रा तक कुल 18 लघु नाटक हैं। अधिकांश
नाटकों की भावभूमि धार्मिक और नैतिकता है। इसकी भाषा सरल होते हुए भी बाल
मनोविज्ञान का इसमें अनुसरण नहीं किया गया है।
यह ब्रह्मविद्याप्रकाशनम्,
श्रीशङ्कराचार्य संस्कृत पाठशाला,
गान्धीचौक, धारवाड - 580001 (कर्नाटक) Ph : 0836 -
2443747 से प्रकाशित है।
बहोत अच्छा लेख.. .
जवाब देंहटाएंनमस्कार मुझे मत्तविलास की कथा की आवश्यकता है कृपया उपलब्ध करवाये ।
जवाब देंहटाएंनमस्ते, महोदय।
जवाब देंहटाएंमैं अभी अर्वाचीन संस्कृत बालसाहित्ये शिक्षा विषय पर पीएचडी कर रही हुँ। मुझे आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता रहेगी।
मैं आपका मार्गदर्शन कैसे प्राप्त कर शकती हुँ?
मितल अमित गोर
भुज- कच्छ
गुजरात
मुझे sanskritbhasi@gmail.com पर अपना फोन नं. दें।
हटाएंसर, मैंने आपको मेइल कर दिया है
हटाएंसर् मैं आपके कार्य मे सहयोग करना चाहता हूँ, संकृत में कुशल हूँ, कुछ मार्गदर्शन करें
जवाब देंहटाएंमुझे संस्कृत के सभी आधुनिक रचनाकार व उनकी रचनाओ की जानकारी चाहिये कृपया मार्गदर्शन करें
जवाब देंहटाएंमै कहां से प्राप्त करूं 🙏
आधुनिक संस्कत के लेखक एवं उनती रचनायें नाम से मेरा अन्य पोस्ट देखें।
हटाएंhttps://sanskritbhasi.blogspot.com/2014/08/blog-post.html
नमस्ते सर, मैं आकांक्षा श्री, आपसे फेसबुक के द्वारा काफी समय से जुड़ी हूँ। मैंने अपने phd के लिए एक विषय सोचा जिसके उपरांत मैंने कुछ सर्च किया तो आपका ये लेख मुझे प्राप्त हुआ। यह लेख मेरे विषय से काफी हद तक मिलता हुआ है। और इसे पढ़ कर मुझे नई दिशा भी मिली। आपसे अगर मेरे विषय पर कुछ चर्चा हो जाती तो मेरे लिए अत्यंत लाभकारी होता। कृपया मुझे बताये की आपसे की प्रकार सीधा संपर्क सम्भव होगा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
अब आपके शोध की क्या स्थिति है?
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