नाटकों का उद्गम स्थल वेद है।
ऋग्वेद के सूक्तों में अथवा एक से अधिक पात्रों द्वारा संवादात्मक योजना देखी जा
सकती है। इन्द्र द्वारा सोमपान का अभिनय, पुरुरवा उर्वशी संवाद, यम यमी संवाद आदि
ऐसे अनेक ऐसे उद्धरण हैं, जो अपनी कथोपकथन शैली से नाटकों के मूल को पुष्ट करता है।
यहाँ उषा को एक सुंदर नर्तकी के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। इस प्रकार वैदिक
वाङ्मय में नाटक के दो प्रमुख एवं मूलभूत तत्व संवाद तथा अभिनय सहज ही
देखने को मिलता है। इससे वेदों की नाट्यमूलकता भी पुष्ट होती है। बाल्मीकि रामायण के
नाराजके जनपदे प्रहृष्टनटनर्तकाः श्लोक से उस समय नट तथा नर्तक की उपस्थिति का पता
चलता है। पाणिनि ने भी पाराशर्यशिलालिभ्यां
भिक्षुनटसूत्रयोः में नटसूत्रों का संकेत दिया है। नृत्य, गायन तथा वाद्य की मिलीजुली प्रस्तुति को तौर्यत्रिक कहा जाता है। तौर्यत्रिकं नृत्यगीतवाद्यं नाट्यमिदं त्रयम्। कालिदास तथा भास के बाद भवभूति, भट्टनारायण, मुरारी, राजशेखर,वत्सराज प्रसिद्ध नाटककार हुए। नाटक गद्य एवं पद्य साहित्य से अधिक लोकप्रिय होता है। वैदिक युग से ईसा पूर्व द्वितीय
शताब्दी तक के काल में नाटकों तथा उससे संबंधित नियम एवं शास्त्र ग्रंथों की
रचना की गई है। वह परंपरा आज भी देखने को मिलती है।
विगत
शताब्दी एवं वर्तमान शताब्दी में समसामयिक विषयों पर विपुल मात्रा में नाटकों की रचना की गयी है। मैं अपने इस आलेख में आपको उन नाटकों से संक्षेप में
परिचय कराने जा रहा हूं।
1. अंगुष्ठदानम् रामकिशोर मिश्र रचनाकाल सं0 2044
पं. होतीलाल के पुत्र डॉ. रामकिशोर मिश्र द्वारा रचित अंगुष्ठदानम् नाटक में कुल 5
अंक हैं। द्रोणाचार्य तथा एकलव्य इसके मुख्य पात्र हैं। नाटक की ऐतिहासिक
कथा एकलव्य द्वारा गुरु द्रोणाचार्य को अंगूठा दान दिए के आधार पर लिखी गई है। नाटक
के चतुर्थ अंक में एकलव्य के साथ अर्जुन का संवाद तथा पांडु पुत्रों के साथ द्रोण
का संवाद वर्णित है। पंचम अंक में एकलव्य के द्वारा दान में अंगूठा देने का वर्णन
है। लेखक का जन्म फाल्गुन शुक्ल षष्ठी, शनिवार 1995 तदनुसार 25-02-1939 को एटा जनपद के सोरों ग्राम में हुआ।
2. अंजनासुन्दरी नाटक कन्हैयालाल सं0 1982
3. अभिज्ञानशाकुन्तलम् ई0
पी0 भरत पिषारटी 1979
4. अभिनव हनुमन्नाटकम् रमेशचन्द्र शुक्ल 1982
5. अभिषेक नाटकम् रामचन्द्र मिश्र 1981
6. अमर मार्कण्डेयम् नाटकम् शंकरलाल 1933
7. अमरक्रान्तिकारी पं0 रामप्रसाद विस्मिल केशवराम शर्मा 2001
8. अमृतोदयम् रामचन्द्र मिश्र 1964
9. अशोक विजयम् रामजी उपाध्याय सं0 2057
10. आभाणकजगन्नाथः जगन्नाथ 2005
11. आम्रपाली मिथिलेश कुमारी मिश्रा 1984
12. आयुरारोग्यसौख्यम् ई0
पी0 भरत पिषारटी
1987
13. आश्चर्यचूड़ामणिः रमाकान्त झा 1994
14. आश्वासनम् ओम प्रकाश शास्त्री 1993
15. उर्वशी चन्द्रभानु त्रिपाठी 1984
16. उर्वशी नाटक कुंवर रामलाल वर्मा सं0 1974
17. एकांकमाला रामकिशोर मिश्र 1990
18. एकांकस्तवकः केशवराम शर्मा 2006
19. एकांकाष्टकम् केशवराम शर्मा 2003
20. एकांकि संस्कृत नवरत्न मंजूषा नारायण शास्त्री कांकर 0
21. करुणामरण नाटक योगेन्द्र सिंह 1967
22. कर्णाभिजात्यम् बलभद्र प्रसाद शास्त्री गोस्वामी 1989
23. कर्पूर मंजरी गंगासागर राय 1979
24. कादम्बरी नाटकम् भोजमणि शुक्ल 1979
25. कालिदास के0
कृष्णमूर्ति 1982
26. कालीदासचरितम् भि0
वेलणकर 1961
27. काश्मीरक्रन्दनम् मीरा द्विवेदी 2009
28. कुन्दमाला नाटकम् चुन्नीलाल शुक्ल 0
29. कुमारविजयम् रामाशीष पांडेय 2004
30. कौमुदी मित्रानन्दरूपकम् अशोक कुमार 1998
31. गुरु दक्षिणानाटकम् गौरीनाथ मिश्र भास्कर 1990
32. गुरूभक्ति अच्युत शर्मा 1981
33. चन्द्रकला नाटिका विश्वनाथ 1980
34. चमत्कारः कृष्णलाल 1985
35. चारुदत्तम् कपिलदेव 1990
36. चैतन्यचन्द्रोदयनाटकम् कर्णपूर 1966
37. जवाहरलाल नेहरु विजयनाटकम् रमाकान्त मिश्र 1968
38. तत् त्वं असि भि0
वेलणकर 1984
39. तौर्यत्रिकम् भास्कराचार्य त्रिपाठी 2002
तौर्यत्रिकम् तीन रूपकों का संकलन है। 1. उत्तर रामचरितम् 2. रामराज्यावतरणम् 3. सुतनुकालास्यम् । उत्तर रामचरितम् हिन्दी में शेष दो रूपक हिन्दी तथा संस्कृत में है। रामराज्यावतरणम् संगीत रूपक है। इसमें राम की कथा है। इसे दो नारी तथा दो पुरूष द्वारा गाया जा सकता है। सुतनुकालास्यम् में संगीत को पिरोया गया है, जिसे सुतनुका, लासिका, नटी एवं उद्घोषक गाते हैं।
39. तौर्यत्रिकम् भास्कराचार्य त्रिपाठी 2002
तौर्यत्रिकम् तीन रूपकों का संकलन है। 1. उत्तर रामचरितम् 2. रामराज्यावतरणम् 3. सुतनुकालास्यम् । उत्तर रामचरितम् हिन्दी में शेष दो रूपक हिन्दी तथा संस्कृत में है। रामराज्यावतरणम् संगीत रूपक है। इसमें राम की कथा है। इसे दो नारी तथा दो पुरूष द्वारा गाया जा सकता है। सुतनुकालास्यम् में संगीत को पिरोया गया है, जिसे सुतनुका, लासिका, नटी एवं उद्घोषक गाते हैं।
40. त्रि पत्री (रूपक त्रयी) शिवप्रसाद भारद्वाज 1985
41. थानाध्यक्षः केशवराम शर्मा 2005
42. दीपशिखा द्विजेन्द्र नाथ मिश्र 1997
दीपशिखा एकांकी में दीपशिखा, यौतुकम्, कुचक्रम्, वीर हमीदः नाम से चार एकांकी संकलित हैं। दीपशिखा में 6 दृश्य हैं। प्रथम दृश्य में सामाजिक चेतना एवं देशभक्ति भावपूर्ण विषयों को समेटकर नाटक की रचना की गई है। मुख्य पात्र नीरव है, जो भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करता है और दीपशिखा के समान प्रकाशित होते हुए अन्य को भी प्रकाशित करता है। प्रेम और देशभक्ति के सम्मिश्रण से कहानी आगे बढ़ती है और अंत में क्रांतिकारी नीरज को जनता का सहयोग प्राप्त होता है। एकांकी का आरंभ ही पिता से आज्ञा लेकर नीरव द्वारा बाढ़ से पीड़ित लोगों को जल से बाहर निकालने से होता है। नाटक का मुख्य उद्देश्य छात्रों में देश के प्रति राष्ट्र भावना जागृत करना है। यौतुकम् में कुल 7 दृश्य है।
दीपशिखा एकांकी में दीपशिखा, यौतुकम्, कुचक्रम्, वीर हमीदः नाम से चार एकांकी संकलित हैं। दीपशिखा में 6 दृश्य हैं। प्रथम दृश्य में सामाजिक चेतना एवं देशभक्ति भावपूर्ण विषयों को समेटकर नाटक की रचना की गई है। मुख्य पात्र नीरव है, जो भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करता है और दीपशिखा के समान प्रकाशित होते हुए अन्य को भी प्रकाशित करता है। प्रेम और देशभक्ति के सम्मिश्रण से कहानी आगे बढ़ती है और अंत में क्रांतिकारी नीरज को जनता का सहयोग प्राप्त होता है। एकांकी का आरंभ ही पिता से आज्ञा लेकर नीरव द्वारा बाढ़ से पीड़ित लोगों को जल से बाहर निकालने से होता है। नाटक का मुख्य उद्देश्य छात्रों में देश के प्रति राष्ट्र भावना जागृत करना है। यौतुकम् में कुल 7 दृश्य है।
43. दूतमाधवम् मदन शर्मा 1995
44. देवीचन्द्रगुप्तम् रामशंकर अवस्थी 2003
सात अंक में विभाजित देवीचन्द्रगुप्तम् ऐतिहासिक भावभूमि पर लिखा गया नाटक है। विशाखदत्त द्वारा प्रणीत देवीचन्द्रगुप्तम् नाटक का कुछ अंश रामचन्द्र गुणचन्द्र कृत नाट्यदर्पण तथा भोज कृत श्रृंगार प्रकाश में मिलता है। अवस्थी कृत इस नाटक का मूल स्रोत वही नाटक है।
44. देवीचन्द्रगुप्तम् रामशंकर अवस्थी 2003
सात अंक में विभाजित देवीचन्द्रगुप्तम् ऐतिहासिक भावभूमि पर लिखा गया नाटक है। विशाखदत्त द्वारा प्रणीत देवीचन्द्रगुप्तम् नाटक का कुछ अंश रामचन्द्र गुणचन्द्र कृत नाट्यदर्पण तथा भोज कृत श्रृंगार प्रकाश में मिलता है। अवस्थी कृत इस नाटक का मूल स्रोत वही नाटक है।
45. नलविलास नाटकम् रामचन्द्र सूरि 1996
46. नवरुपकचक्रम् सुखमय भट्टाचार्य बं0 1410
47. नवरूपकम् गुल्लपल्लि श्रीराम कृष्णमूर्ति 1992
48. नाटकसुधातरंगिणी ब्रह्मानन्देन्द्र सरस्वती 2003
49. नाट्य कल्पः शिव सागर त्रिपाठी 2003
50. नाट्य त्रयी रामकिशोर मिश्र 2003
51. नाट्य पंचामृतम् अभिराज राजेन्द्र मिश्र 1977
52. नाट्यनवग्रहम् अभिराज राजेन्द्र मिश्र 2007
53. नाट्यनवरत्नम् अभिराज राजेन्द्र मिश्र 2007
54. नाट्यसप्तपदम् अभिराज राजेन्द्र मिश्र 1996
55. नाट्य मंजरी श्रीकृष्ण सेमवाल 0
56.नाट्यकथा सागरः भि0
वेलणकर 1984
57. नाट्यनवनीतम् बाबूराम अवस्थी 2002
नाट्यनवनीतम् नाटकों
का संकलन है। इसमें कुल 18 छोटे- छोटे नाटक (एकांकी रूपक) संकलित किए गए हैं। बृहत्संस्कृतसंघटनम्, कक्षायां संस्कृतम्, संस्कृतिसर्वस्वं संस्कृतम् जहाँ नाटककार के के संस्कृत प्रेम को प्रदर्शित करता है, वहीं अनतिक्रमणीयो लोकव्यवहारः, लोकमंगलाचरणम् नाटक संस्कृत को लोक से जोड़ता दिखता है। नाटक में वर्णित घटनायें ग्रामीण जीवन से संपृक्त है।
58. नाट्यनीराजनम् बाबूराम अवस्थी 1998
59. नाट्यवल्लरी श्रीकृष्ण सेमवाल 2006
60. नाट्यसप्तकम् रमाकान्त शुक्ल 1992
61. नृत्यनाट्यशकुन्तला भि0
वेलणकर 1986
62. परिवर्तनम् क्षेमचन्द 1995
63. पाणिनीय नाटकम् गोपाल शास्त्री दर्शनकेसरी 1964
64. प्रमद्वरा अभिराज राजेन्द्र मिश्र 1984
65. प्रशान्तराघवम् अभिराज राजेन्द्र मिश्र 2008
66. प्रेमपीयूषम् नाटकम् राधावल्लभ त्रिपाठी सं0 2027
67. बंग्लादेशोदयम् रामकृष्ण शर्मा 1980
68. बालनाटकम् वासुदेव द्विवेदी शास्त्री 0
69. बालनाट्यसौरभम् रामकिशोर मिश्र 1998
70. बालरामभरतम् के0
साम्बशिव शास्त्री 1991
71. भर्तृहरि निर्वेदनाटकम् मुकुन्द शर्मा 0
72. भारतविजय नाटकम् मथुरा प्रसाद दीक्षित 2009
73. भीष्मायणम् के0
विश्वनाथन् 2015
74. मदनसंजीवनो भाणः घनश्याम 2002
75. मनोनुरंजन नाटकम् अनन्त शास्त्री 1997
76. मेघदूतोत्तरम् भि0
वेलणकर 1975
77. मेघवेधम् मोहन गुप्त 2009
मेघवेधम् नाटक शेक्सपीयर की रचना मैकवैथ् का संस्कृत रूपान्तरण है। गुप्त ने 16 वीं शताब्दी में पद्यबन्ध अंग्रेजी भाषा में लिखा गया मैकवैथ् का संस्कृत में ही पद्यानुवाद किया। यद्यपि यहाँ बहुशः अपाम्परिक छन्दों का प्रयोग किया किया गया है,जिसकी संख्या 550 है। संस्कृत काव्यशास्त्र के सिद्धान्त के इतर इसका रस करुण है। इसमें रमणीय बिम्ब विधान, नेपथ्य में रौद्र तथा करूण रस के द्वारा रोमाञ्च पैदा किया गया है। इसमें कुल 5 अंक हैं।
मेघवेधम् नाटक शेक्सपीयर की रचना मैकवैथ् का संस्कृत रूपान्तरण है। गुप्त ने 16 वीं शताब्दी में पद्यबन्ध अंग्रेजी भाषा में लिखा गया मैकवैथ् का संस्कृत में ही पद्यानुवाद किया। यद्यपि यहाँ बहुशः अपाम्परिक छन्दों का प्रयोग किया किया गया है,जिसकी संख्या 550 है। संस्कृत काव्यशास्त्र के सिद्धान्त के इतर इसका रस करुण है। इसमें रमणीय बिम्ब विधान, नेपथ्य में रौद्र तथा करूण रस के द्वारा रोमाञ्च पैदा किया गया है। इसमें कुल 5 अंक हैं।
78. मेनका विश्वामित्रम् हरिनारायण दीक्षित 1984
79. मोक्षमूलरवैदुष्यम् नाटकम् भवानी शंकर त्रिवेदी 1981
80. यौतकम् शिवजी उपाध्याय 1986
81. रंगवीथिः कीर्तिवल्लभ शक्टा सं0 2065
82. रक्तदानम् वनेश्वर पाठक 1980
83. रणश्रीरंगः भि0
वेलणकर 1964
84. राघवाभ्युदयम् रामभद्राचार्य सं0 2053
85. लटकमेलकम् कपिलदेव गिरि 1962
86. लवंगी क्षेमेन्द्र 1999
87. विख्यातविजयम् नाटकम् लक्ष्मणमाणिक्य देव 2005
88. विद्धशालभंजिका राजशेखर 1965
89. विभुविजयः कृष्णलाल 1995
90. वेणीसंहार नाटकम् बालगोविन्द झा 1984
91. वेदनाव्यंजकम् शम्भूदयाल अग्निहोत्री 2001
92. शम्बूकाभिषेकम् रामजी उपाध्याय 2001
93. शिवराजभिषेकम् श्रीधर भास्कर वर्णेकर 1974
94. शौनः शेपम् हीरालाल पाण्डेय 2006
ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 24 सूक्त के ऋषि शौनः शेप हैं। ऐतरेय ब्राह्मण की सप्तमपंजिका में लिखा है कि राजा हरिश्चन्द्र पुत्र प्राप्ति के लिए वरुण को प्रसन्न किया। पुत्र होने पर वह वरुण के लिए अपने पुत्र की बलि देगा। यही कथानक रामायण, भागवत तथा विष्णु पुराण में भी थोडे परिवर्तन के साथ मिलता है। रामायण में शौनः शेप को ऋचीक नाम से कहा गया है। उसी कथानक में थोड़ा नाटकीयता लाते हुए नाटककार ने प्रस्तुत नाटक को 7 अंकों में लिखा।
हीरालाल पाण्डेय ने वर्वरीकशौर्यम्,युतकयाचनम्,कुम्भसमुद्भवम्,भारतवैभवम् ये पांच रूपकों तथा सर्वं नष्टं तथा यौतुक मसीहा संस्कृत प्रहसन, गुरु दक्षिणा संस्कृत एकांकी संग्रह का प्रणयन किया।
94. शौनः शेपम् हीरालाल पाण्डेय 2006
ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 24 सूक्त के ऋषि शौनः शेप हैं। ऐतरेय ब्राह्मण की सप्तमपंजिका में लिखा है कि राजा हरिश्चन्द्र पुत्र प्राप्ति के लिए वरुण को प्रसन्न किया। पुत्र होने पर वह वरुण के लिए अपने पुत्र की बलि देगा। यही कथानक रामायण, भागवत तथा विष्णु पुराण में भी थोडे परिवर्तन के साथ मिलता है। रामायण में शौनः शेप को ऋचीक नाम से कहा गया है। उसी कथानक में थोड़ा नाटकीयता लाते हुए नाटककार ने प्रस्तुत नाटक को 7 अंकों में लिखा।
हीरालाल पाण्डेय ने वर्वरीकशौर्यम्,युतकयाचनम्,कुम्भसमुद्भवम्,भारतवैभवम् ये पांच रूपकों तथा सर्वं नष्टं तथा यौतुक मसीहा संस्कृत प्रहसन, गुरु दक्षिणा संस्कृत एकांकी संग्रह का प्रणयन किया।
95. श्री शंकराचार्य नारायण रथ 0
96. श्रूयते न तु दृश्यते मीरा कान्त 2013
97. श्रृंगार मंजरी सट्टकम् विश्वेश्वर पाण्डेय 1978
98. श्रृंगारभूषणम् भट्टवामन बाण 2005
99. श्रेष्ठ संस्कृत नाटक चतुरसेन 1986
100. संयोगिता स्वयंवर मूलशंकर 1996
101. संस्कृत नाट्य कौमुदी श्रीकृष्ण सेमवाल 0
102. संस्कृत लघु नाटक संग्रह श्रीकृष्ण सेमवाल 0
103. संस्कृतलघुनाट्यचयः सुरेशचन्द्र शर्मा 2008
104. संस्कृतसंगीतकालिन्दी भि0
वेलणकर 1976
105. सप्तर्षिकांग्रेसम् रेवाप्रसाद द्विवेदी 2000
106. सीताहरणम् कालूरि हनुमन्तरावः 1987
107. सुदर्शनचरितम् रामशंकर अवस्थी 2001
108. सुभद्राहरणम् माधव भट्ट 1962
109. सेतुबन्धम् नाटकम् गोस्वामी बलभद्र प्रसाद शास्त्री 0
110. सैरन्ध्री नाटकम् बलभद्र प्रसाद शास्त्री गोस्वामी 2005
111. हवनहविः (शिशुपालबधः) भि0 वेलणकर 1980
112. हास्यचूडामणिप्रहसनम् जयशंकर त्रिपाठी सं0 2027
113. हास्यार्णव प्रहसनम् ईश्वर प्रसाद चतुर्वेदी 1963
Eash datt sastri ke bare me jankari de plz partap vijay ke rachyita plz sir plz
जवाब देंहटाएंमहोदयः भवतः अन्तर्जाले प्रियदर्शनीशतकम् इत्यस्य विवरणं न वर्तते।अतः हृदयेन आग्रहास्ति यत् एतस्य प्रकाशन नामापि ददातु इति
जवाब देंहटाएंधन्यवादाः
प्रियदर्शनीशतकम् के लेखक और उनके प्रकाशन उपलब्धता के विषय में जानकारी देने की कृपा करें।
जवाब देंहटाएंसंस्कृत में प्रियदर्शिनी नामक एक ग्रन्थ है, जिसके रचयिता श्रीकृष्ण सेमवाल है। प्रियदर्शिनीशतकम् के बारे में शतक काव्य परम्परा नामक पुस्तक से अधिक जानकारी मिल सकती है। संस्कृत में इसे गीति काव्य के नाम से जाना जाता है। प्रियदर्शिनीशतकम् सम्भवतः इन्दिरा गांधी का जीवन चरित हो सकता है, जिसे किसी आधुनिक कवि ने लिखा है।
जवाब देंहटाएंभगवन् !यदि कालकूट नाटकस्य परिचय: प्राप्यते चेत् महद्कृपा भविष्यति।
जवाब देंहटाएंBahu dhanyawadah Jagadanand Mahodyah
जवाब देंहटाएंWhere do I get these books ?
जवाब देंहटाएंWhere do I get the scripts for sanskrit drama / plays?
जवाब देंहटाएं