श्री वेङ्कटेशसुप्रभातम्

॥ अथ श्रीवेङ्कटेशसुप्रभातम्॥

कौसल्या सुप्रजा राम पूर्वा सन्ध्या प्रवर्तते
उत्तिष्ठ नरशार्दूल कर्तव्यं दैवमाह्निकम् ॥ १

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज ।
उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यं मङ्गलं कुरु ॥ २

मातः समस्तजगतां मधुकैटभारेः
वक्षोविहारिणि मनोहरदिव्यमूर्ते ।
श्रीस्वामिनि श्रितजन-प्रियदानशीले
श्रीवेङ्कटेशदयिते तव सुप्रभातम् ॥ ३

तव सुप्रभातमरविन्दलोचने भवतु प्रसन्न-मुखचन्द्र-मण्डले ।
विधिशङ्करेन्द्र-वनिताभिरर्चिते वृषशैलनाथदयिते दयानिधे ॥ ४
   
अत्र्यादिसप्तऋषयः समुपास्य सन्ध्या-
-माकाशसिन्धुकमलानि मनोहराणि ।
आदाय पादयुगमर्चयितुं प्रपन्नाः
शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥ ५
   
            पञ्चाननाब्जभव-षण्मुखवासवाद्याः
            त्रैविक्रमादिचरितं विबुधाः स्तुवन्ति ।
            भाषापतिः पठति वासरशुद्धिमारात्
            शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥
   
    ईषत्प्रफुल्ल-सरसीरुह-नारिकेल-
    -पूगद्रुमादि-सुमनोहर-पालिकानाम् ।
    आवाति मन्दमनिलः सह दिव्यगन्धैः
    शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥
   
            उन्मील्य नेत्रयुगमुत्तम-पञ्जरस्थाः
 पात्रावशिष्ट-कदलीफल-पायसानि ।
            भुक्त्वा सलीलमथ केलिशुकाः पठन्ति
            शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥
   
    तन्त्रीप्रकर्षमधुरस्वनया विपञ्च्या
    गायत्यनन्तचरितं तव नारदोऽपि ।
    भाषासमग्रमसकृत्करचारुरम्यं
    शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥
   
भृङ्गावली च मकरन्द-रसानुविद्ध-
-झङ्कारगीत-निनदैः सह सेवनाय ।
निर्यात्युपान्त-सरसी-कमलोदरेभ्यः
शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥ १०


   योषागणेन वरदध्निविमथ्यमाने
   घोषालयेषु दधिमन्थनतीव्रघोषाः ।
   रोषात्कलिं विदधते ककुभश्च कुम्भाः
   शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥ ११

            पद्मेशमित्रशतपत्र-गतालिवर्गाः
            हर्तुं श्रियं कुवलयस्य निजाङ्गलक्ष्म्या ।
            भेरीनिनादमिव बिभ्रति तीव्रनादं
            शेषाद्रिशेखरविभो तव सुप्रभातम् ॥
   
श्रीमन्नभीष्ट-वरदाखिललोक-बन्धो
श्रीश्रीनिवास-जगदेकदयैकसिन्धो ।
श्रीदेवतागृहभुजान्तर-दिव्यमूर्ते
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥
   
            श्रीस्वामिपुष्करिणिकाप्लवनिर्मलाङ्गाः
            श्रेयोऽर्थिनो हर-विरिञ्चि-सनन्दनाद्याः ।
             द्वारे वसन्ति वरवेत्र-हतोत्तमाङ्गाः
            श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥
   
 श्रीशेषशैल-गरुडाचल-वेङ्कटाद्रि-
 -नारायणाद्रि-वृषभाद्रि-वृषाद्रि-मुख्याम् ।
 आख्यां त्वदीय वसतेरनिशं वदन्ति
 श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥ १५

            सेवापराः शिवसुरेश-कृशानुधर्म-
            -रक्षोम्बुनाथ-पवमान-धनादिनाथाः ।
            बद्धाञ्जलि-प्रविलसन्निज-शीर्षदेशाः
             श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥
   
    धाटीषु ते विहगराज-मृगाधिराज-
    -नागाधिराज-गजराज-हयाधिराजाः।
    स्वस्वाधिकार-महिमाधिकमर्थयन्ते
    श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥
   
सूर्येन्दुभौम-बुधवाक्पति-काव्यसौरि-
-स्वर्भानुकेतुदिविषत्परिषत्प्रधानाः ।
त्वद्दासदासचरमावधि-दासदासाः
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥
   
    त्वत्पाद-धूलिभरित-स्फुरितोत्तमाङ्गाः
    स्वर्गापवर्ग-निरपेक्ष-निजान्तरङ्गाः ।
    कल्पागमाकलनयाकुलतां लभन्ते
    श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥
   
त्वद्गोपुराग्रशिखराणि निरीक्षमाणाः
स्वर्गापवर्गपदवीं परमां श्रयन्तः ।
मर्त्या मनुष्यभुवने मतिमाश्रयन्ते
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥ २०

 
श्रीभूमिनायक दयादिगुणामृताब्धे
देवाधिदेव जगदेकशरण्यमूर्ते ।
श्रीमन्ननन्त गरुडादिभिरर्चिताण्घ्रे
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥ २१

श्रीपद्मनाभ पुरुषोत्तम वासुदेव
वैकुण्ठ माधव जनार्दन चक्रपाणे ।
श्रीवत्सचिह्न शरणागतपारिजात
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥ २२

कन्दर्पदर्प हरसुन्दर दिव्यमूर्ते
कान्ताकुचाम्बुरुह कुट्मल लोलदृष्टे ।
कल्याणनिर्मलगुणाकर दिव्यकीर्ते
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥ २३

मीनाकृते कमठ कोल नृसिंह वर्णिन्
स्वामिन् परश्वथतपोधन रामचन्द्र ।
शेषांशराम यदुनन्दन कल्किरूप
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥ २४

एला लवङ्ग घनसार सुगन्धि तीर्थं
दिव्यं वियत्सरिति हेमघटेषु पूर्णम् ।
धृत्वाऽऽद्य वैदिक शिखामणयः प्रहृष्टाः
तिष्ठन्ति वेङ्कटपते तव सुप्रभातम् ॥ २५

भास्वानुदेति विकचानि सरोरुहाणि
संपूरयन्ति निनदैः ककुभो विहङ्गाः ।
श्रीवैष्णवाः सततमर्थित मङ्गलास्ते
धामाऽऽश्रयन्ति तव वेङ्कट सुप्रभातम् ॥ २६

ब्रह्मादयः सुरवराः समहर्षयस्ते
सन्तस्सनन्दन मुखास्त्वथ योगिवर्याः ।
धामान्तिके तव हि मङ्गलवस्तु हस्ताः
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥ २७

लक्ष्मीनिवास निरवद्यगुणैकसिन्धो
संसार सागर समुत्तरणैकसेतो ।
वेदान्तवेद्यनिजवैभव भक्तभोग्य
श्रीवेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ॥ २८

इत्थं वृषाचलपतेरिह सुप्रभातं
ये मानवाः प्रतिदिनं पठितुं प्रवृत्ताः ।
तेषां प्रभातसमये स्मृतिरङ्गभाजां
प्रज्ञां परार्थसुलभां परमां प्रसूते ॥ २९

 ॥ इति श्रीवेङ्कटेश-सुप्रभातम्

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