अंक ज्योतिष ऐसी विद्या
है जिसे सामान्य व्यक्ति अथवा अपरिपक्व बुद्धि का व्यक्ति स्वल्प प्रयत्न से ही
सम्पूर्ण भविष्य फल जान सकता है तथा किसी भी जातक के भूत, भविष्य
तथा वर्तमान को बता सकता है। जन्माङ्ग चक्र के लिये जितना अधिक शुद्ध समय होगा
उतना ही सटीक फल जाना जा सकता है किन्तु अंक ज्योतिष में केवल जन्मतिथि के आधार पर
सम्पूर्ण जीवन का फल ज्ञात हो जाता है। अंक ज्योतिष मूलत: भारतीय है किन्तु आजकल
जिस रूप में यह प्रसिद्ध है वह पाश्चात्य पद्धति को आधार बनाकर आजकल अंक
ज्योर्तिविद् अंक के आधार पर फलादेश कर रहे हैं। जैसे संयुक्तांक का फल जानने के
लिये नाम को लिखकर उसके प्रत्येक अक्षरों के अंकों को जोड़कर जो संयुक्त अक्षर होगा
वही उसकी भाग्य का निर्धारक होगा।
अंक
का प्रयोग सर्वप्रथम वैदिक काल में हुआ है। शुक्ल यजुर्वेद में एका च मे
तिस्रश्च्च मे तिस्रश्चमे पञ्च च मे पञ्च च मे सप्त च मे सप्त च मे नव च म नव च म
एकादश च मे एकादश च मे त्रयोदश च मे त्रयोदश च मे पञ्चदश च मे पञ्चदश च मे सप्तदश
च मे सप्तदश च मे नवदशचमे नव दश च एकविंशतिश्च मे एकविंशतिश्च मे त्रयोविंशतिश्च
मे त्रयोविंशतिश्च मे पञ्चिंवशतिश्च मे पञ्चविंशतिश्च मे सप्तिंवशतिश्च मे
सप्तिंवशतिश्च मे नविंवशतिश्च मे नविंवशतिश्च मे एकत्रिंशच्च मे एकत्रिंशच्च में
त्रयस्त्रिंशच्च मे यज्ञेन कल्पन्ताम् का
उल्लेख मिलता है (शुक्ल यजुर्वेद १८।२४)।
आर्यभट
ने भी अंकों को अक्षरों द्वारा प्रयोग किया है। उनके अनुसार क १,
ख २, ग ३, घ ४, ङ ५, च ६, छ ७, ज ८, झ ९, ञ १०, ट ११, ठ १२, ड १३, ढ १४, ण १५, त १६, थ १६, द १८, ध १९, न २०, प २१, फ २२, ब २३, भ २४, म २५, य ३०, र ४०, ल ५०, व ६०, श ७०, ष ८०, स ९० तथा ह का १०० अंक है।
स्वरों
की संख्या में अ का १, इ का १००, उ का १००००, ऋ का १० लाख, ऌ का
१० करोड़, ए का १० अरब, ऐ का १० खरब,
ओ का १० नील तथा औ का १० पद्म संख्या मानी है।
आधुनिक
काल के प्रसिद्ध पाश्चात्य ज्योर्तिविद् कीरो ने लिखा है कि मैं ज्ञान प्राप्ति के
प्रारम्भिक वर्षों में भारतवर्ष गया वहाँ अनेक ब्राह्मणों के सम्पर्क में अन्य
विद्याओं के साथ-साथ अंकों के गूढ़ रहस्य का ज्ञान भी प्राप्त किया। पाइथागोरस ने
भी कहा है कि सम्पूर्ण विश्व का निर्माण अंकों की शक्ति से ही हुआ है तथा अंकों की
शक्ति को भारतीय जानते हैं।
पञ्चाङ्गों के आधार पर भी अंक का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। संस्कृत महीनों
के आधार पर मूलांक जानना चाहिए। महीने का प्रारम्भ आश्विन मास से करना चाहिए। जैसे
आश्विन मास के किसी पक्ष में जन्म होने पर मूलांक १, कार्तिक
मास का २, अगहन मास का ३, पौष मास का ४,
माघ का ५, फाल्गुन का ६, चैत्र का ७, वैशाख का ८, ज्येष्ठ
का ९, आषाढ़ का १, श्रावण का २ तथा
भाद्रपद का ३ मूलांक होता है। जन्म तिथियों के आधार पर भी मूलांक जानने की परम्परा
है। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक ३० संख्या होती है। जैसे
पूर्णिमा तिथि का जन्म होने से मूलांक ६ तथा कृष्णपक्ष की पंचमी का मूलांक २ है।
इसी तरह संयुक्ताक्षर जानने के लिये तिथि, मास एवं संवत्
(जन्मानुसार) की संख्या जोड़कर अंक जानना चाहिए। यहाँ विभिन्न अंकों में जन्मे
जातकों के स्वभाव, शरीराकृति, खान-पान,
विद्या, धन, भाग्य,
सन्तान, आयु, मैत्री,
कर्म, लाभ, व्यय तथा
अन्य सभी बातों पर प्रकाश डाला जा रहा है।
अंक एक
एक
अंक का स्वामी सूर्य है, अत: एक मूलांक का
जातक, आत्मबली, दृढ़ इच्छा शक्ति वाला,
उत्तम विचार वाला, दृढ़ निश्चयी, स्थिर स्वभाव वाला, स्वाभिमानी, जिद्दी, क्रियाशील तथा दृढ़ मैत्री वाला रहेगा।
इस
अंक का जातक साहसी, अद्भुत सहनशक्ति
सम्पन्न तथा विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य धारक रहेगा। इसमें नेतृत्व की
क्षमता अधिक होगी। अपरिचित व्यक्ति भी शीघ्र मित्र बन जाते हैं किन्तु आपके तेज से
क्षुभित होकर अलग भी शीघ्र हो जाते हैं। व्यापार
में अधिक उन्नति करेंगे, नौकरी में श्रेष्ठ
पद, अध्यक्ष अथवा किसी भी संस्था में सर्वोपरि रहना पसन्द
करेंगे, दिल के साफ होंगे। सत्य का अधिकाधिक पालन करना
प्रमुख गुण होगा। सीमित काम वासना होगी। संयमी जीवन व्यतीत होगा।
धन
की अच्छी स्थिति रहेगी, स्वल्प सन्तान
रहेगी। प्राय: १ पुत्र की स्थिति बनती है। शत्रु पीछे से हानि पहुंचाते हैं।
सन्मुख आने का साहस नहीं करते। यदि किसी ने अपमान किया तो उससे सदैव प्रतिशोध का
भाव रखते हैं।
रविवार
का दिन सदैव शुभदायक रहेगा। लाल, गुलाबी,
मैरून या र्इंट का रंग शुभदायक होगा। माणिक्य, तांबा एवं स्वर्ण लाभदायक होगा। अंक १, १०, १९, २८ शुभदायक रहेंगे। सूर्य की आराधना, अघ्र्य देना, सूर्य को प्रणाम करना तथा वाल्मीकिकृत्
आदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ सदैव अनु्कूल रहेगा।
अंक दो
अंक
२ का स्वामी चन्द्रमा है, अत: दो मूलांक का
जातक कल्पनाशील, कलाप्रेमी, हास्यप्रिय,
सुन्दर आकृति वाला, शान्त एवं विनम्र स्वभाव
का होगा। यह जातक हवाई महल तक बनाता है। विचारवान किन्तु चञ्चल मनोवृत्तिवाला गुणी
एवं विलक्षण होगा।
यह
नयी वस्तुओं का सदैव अन्वेषण करता रहता है। यह लेखक, कवि अथवा चिकित्सक होता है। इसे क्रोध जल्दी आता है किन्तु शीघ्र ही
समाप्त भी हो जाता है। ऐसा जातक सम्मान अधिक चाहता है, कभी-कभी
झूठी प्रशंसा से भी अत्यधिक प्रसन्न हो जाता है।
यह
जातक कामी एवं भोगी होता है। धनाढ्य योग होने से जातक धन का दुरुपयोग भी अधिक करता
है। इसके धन का अधिक भाग सट्टे, लाटरी अथवा
व्यभिचार में खर्च हो जाता है। इसके प्रकट एवं गुप्त दोनों प्रकार के शत्रु होते
हैं। किन्तु यह शत्रुओं पर सदैव हावी रहता है। ऐसे
जातक अत्यन्त दयालु, सौन्दर्यप्रेमी,
आत्मविश्वास में कमी, परिवर्तनशील, दाम्पत्य जीवन में अनबन, पुरुषों की अपेक्षा
स्त्रियों से अधिक प्रीति, समुद्र, नदी,
पर्वत, वन से अधिक प्रीति तथा दूसरों के मन का
भाव शीघ्र ही जान लेने वाले रहेंगे।
ऐसे
जातक के लिये सोमवार का दिन सदैव शुभदायक रहेगा। श्वेत,
दुधिया तथा आसमानी रंग शुभ रहेगा। मोती, चन्द्रकान्त
मणि, चांदी का छल्ला सदैव लाभदायक रहेगा। अंक २, ११, २० व २९ शुभदायक रहेगा। इन तिथियों में किया गया
कार्य भी सफल होगा। भगवान शिव की आराधना, शक्ति (दुर्गा) का
पूजन तथा सप्तशती का पाठ सदैव अनिष्टों का शमन करेगा।
अंक तीन
अंक
तीन का स्वामी गुरु है अत: तीन मूलांक का जातक महत्त्वाकांक्षी,
विश्वासयुक्त, अत्यन्त स्वाभिमानी, अहंकार युक्त, विवेकी, धैर्यवान्,
वेदान्त, भागवत, व्याकरण,
ज्योतिष आदि शास्त्रों का ज्ञाता, दृढ़
निश्चियी, सद्व्यवहार सम्पन्न, अतिथि
को ईश्वर समझने वाला तथा सदैव लोगों से घिरा रहने वाला होता है। जातक सद्-असद् का
विवेचन करने वाला तथा ग्राम, नगर या देश का मुखिया होता है।
किसी
की अधीनता स्वीकार नहीं करता, सदैव उच्च
अभिलाषा वाला, अधिकार सम्पन्न तथा अनुशासनप्रेमी होगा।
यम-नियम का पालन करने वाला, तानाशाही प्रवृत्ति, ईष्र्यालु प्रवृत्ति, धन का संचय न कर सकने वाला,
किन्तु धन की चिन्ता भी न करने वाला तथा परमार्थी होगा।
स्वजनों
से दूर रहने वाला, ईमानदार, प्रेम में असफल, बाल्यावस्था में संघर्ष अधिक,
दुष्ट मित्रों की सहायता करने वाला, समाजसुधारक,
यात्राप्रिय विशेषकर तीर्थयात्राओं में भ्रमण करने वाला, स्वार्थी लोगों से घिरे रहने वाला, वकील, प्रवक्ता, प्रोपेâसर, पौरोहित्य कर्म, पुजारी, र्धािमक
कार्यकत्र्ता, धर्मगुरु तथा अन्वेषक होगा।
सम्पूर्ण
जीवन में कोई ऐसा कार्य कर जाते हैं जिसे लोग बहुत काल तक याद रखते हैं। निद्रा
प्रेमी,
स्वादिष्ट भोजन करने वाले, राजयोगी, सुख-सुविधाओं अथवा भौतिक सुखों का पूर्ण उपभोग करने वाले, कभी सादा जीवन उच्च विचार वाले, स्वतन्त्रताप्रिय,
न्यायप्रिय, शत्रुओं से कष्ट तथा अपने विचारों
को दूसरों पर लादने वाले होंगे।
गुरुवार
का दिन सदैव शुभदायक रहेगा। पीला, श्वेत मिश्रित
पीत वर्ण, शुभदायक रहेगा। पीला पुखराज, सुनहला, हल्दी की माला तथा स्वर्ण लाभदायक रहेगा।
अंक ३, १२, २१ तथा ३० शुभदायक रहेंगे।
भगवान विष्णु की आराधना, विष्णुसहस्रनाम स्तोत्र का पाठ,
केले के वृक्ष में जलादि देना, अश्वत्थपूजन
तथा शालिग्राम शिलापूजन से समस्त अरिष्टों का शमन होगा।
अंक चार
अंक
चार का स्वामी छाया ग्रह राहु है, अत: ऐसे जातक।
सामान्य से हटकर भिन्न दृष्टि वाले होंगे। संघर्षमय जीवन, वाद-विवाद,
बहस में विरोधी रुख अपनाना, मित्रों की
अपेक्षा शत्रुओं की अधिकता, कभी-कभी मित्र भी शत्रुवत्
व्यवहार करेंगे। प्राचीन परम्परा का विरोध करना, धर्म में
अनास्था अथवा र्धािमक मर्यादाओं के विपरीत चलना रूढ़िवादिता को पाखण्ड मानना इनका
स्वभाव होगा।
धन
की समस्या सदैव बनेगी, आय की अपेक्षा व्यय
की अधिकता अधिक रहेगी। क्रोधी प्रकृति, अस्थिर चित्तवृत्ति,
चञ्चल धन तथा अस्थायी जीविका वाले, भूत-प्रेत
में विश्वास करने वाले, अनिश्चय की स्थिति अथवा
द्वन्द्वात्मक जीवन वाले किसी भी कार्य में स्वजनों अथवा किसी भी व्यक्ति से
परामर्श लेने वाले, समाज सुधार की योजना बनाने वाले तथा
विरोधी पक्ष की सदैव सहायता करने वाले होंगे।
दूसरों
को हानि पहुँचाकर भी अपना कार्य सिद्ध करने की प्रवृत्ति,
अपने दोषों को न मानने वाले, उग्र स्वभाव होते
हैं तथा ऐसे जातक के व्यक्तित्व को समझकर लोग घबड़ा जाते हैं ।
किसी भी व्यक्ति की परवाह न करने वाले, स्वभाव में क्षणिकता
वाले, क्षण-क्षण में बदलने वाले बिना सोच तथा विचार के काम
में लग जाने वाले रहेंगे।
वाचाल
, व्यर्थ का परोपकार
करने वाले, जल्दी प्रसन्न होने वाले, भावुक
प्रकृति, असहिष्णु, वृद्धावस्था
कष्टकारी, सन्देह से युक्त, स्वास्थ्य
बाधित, वायु, हृदय रोग, पत्नी से अनबन, पिता की सम्पत्ति में विवाद, स्वजनों से दूर रहने वाले तथा एक साथ अनेक कार्यों में उलझे रहने वाले
होंगे।
शनिवार
का दिन शुभदाक रहेगा। नीला, बैंगनी, चित्र-विचित्र तथा काला रंग शुभदायक रहेगा। गोमेद, लाजावर्त,
हकीक तथा त्रिशक्ति मुद्रिका धारण करना शुभ रहेगा। ४, १३, २२ तथा ३१ अंक शुभ रहेंगे। शक्ति की आराधना,
हनुमान या भैरव की उपासना, कृष्णा गाय की सेवा
तथा तुलसीपूजन उत्तम होगा। अपाहिज, कोढ़ी तथा दीन दरिद्रों की
सेवा से भी अनिष्ट प्रभाव समाप्त होंगे।
अंक पांच
अंक
५ का स्वामी ग्रह बुध है, अत: जातक बुद्धिमान,
स्वाभिमानी, दुर्बल, कुछ
चिड़चिड़ा स्वभाव, निर्णय में शीघ्रता करने वाला, संवेदनशील, उत्तेजक, तीक्ष्ण
बुद्धि के कारण स्थिति को तुरन्त भांप लेने वाला, ज्योतिष
अथवा भविष्य को जानने वाला, परिश्रम से भागने वाला किन्तु
बौद्धिक परिश्रम करने वाला, नवीन आविष्कार तथा नया विचार
करने वाला, मौलिक चिन्तन युक्त, किन्तु
बहुत शीघ्र क्रोध करने वाला होगा।
स्त्रियों
के कारण अपमानित होने वाला, चंचल स्वभाव के
कारण जल्दी कार्यक्षेत्र, व्यापारादि में परिवर्तन करने वाला,
सबसे मैत्री भाव रखने वाला, विपत्ति से जल्दी
घबड़ाने वाला, धैर्य का अभाव, धनी,
धन का स्थायी स्वामी, कला, चित्र आदि का पारखी, रत्नों का विशेषज्ञ, सट्टे, लाटरी, दलाली आदि में
रुचि रखने वाला होगा।
जोखिम
भरा कार्य करने वाला, परिस्थितियों के
अनुवूâल ढालने वाला, धन का सदुपयोग
करने वाला, कभी अपव्यय भी करता है। सदैव लोगों से घिरा रहने
वाला, यात्रा अधिक करने वाला तथा यात्राओं से लाभ उठाने वाला,
आय के अनेक स्रोतों वाला तथा व्यापारिक प्रवृत्ति का होगा।
अचानक
धन की अधिक प्राप्ति, भाग्यवादी, जीवन में उतार-चढ़ाव अधिक देखने वाले, शीघ्र ही कार्य
की गुणवत्ता समझने वाले, युवावस्था तक जीवन के सम्पूर्ण
सुखों को प्राप्त कर लेने वाले, गुणी व्यक्तियों का आदर करने
वाले, उच्च लोगों के सम्पर्क में सदैव रहने वाले, मित्रों की सदा सहायता पाने वाले, अनेक क्षेत्र में
उपयुक्त ज्ञान रखने वाले तथा स्वतन्त्र विचारों के होंगे।
बुधवार
का दिन सदैव अनुवूâल रहेगा। पन्ना,
आनेक्स, मरगज, फिरोजा,
ओपल रत्न शुभदायी रहेंगे। ५, १४, तथा २३ अंक शुभदायक रहेंगे। गणेश की उपासना शुभ रहेगी। गणेश अथर्वशीर्ष का
प्रतिदिन पाठ अथवा विष्णुसहस्रनाम स्तोत्र का पाठ कल्याणकारी होगा। हरा रंग शुभ
है। धानी रंग भी हितकर होगा।
अंक छ:
अंक
६ का स्वामी ग्रह शुक्र है, अत: ऐसे जातक
आकर्षक व्यक्तित्व वाले, कोमल स्वभाव के कारण अपरिचित को भी
अपना बना लेने वाले, दृढ़निश्चयी, कुछ
सीमा तक हठी, साहित्य, संगीत, कला तथा विज्ञान के प्रेमी, सौन्दर्यप्रेमी, मित्रों की सहायता करने वाले, जिस कार्य को एक बार
स्वीकार कर ले उसका आजीवन निर्वाह करने वाले होंगे।
निवास
स्थान या आफिस को सजाकर रखने वाले, साधारण
धनी, कहीं-कहीं धन का दुरुपयोग करने वाले, चंचलचित्त, यात्रा के शौकीन, रहस्यात्मक,
विज्ञान अथवा आधुनिक नयी खोजों में रुचि रखने वाले, मातृभक्त, गुरुजनों का सम्मान करने वाले किन्तु
विरोध को न सहने वाले होंगे।
प्राय:
अपनी बात पर अड़ने वाले, उतावली करने वाले,
कभी नशे की आदी, मिष्ठान्न प्रेमी, स्वादिष्ट या चटपटे भोजनों के प्रेमी, शारीरिक श्रम
से दूर भागने वाले, सब पर विश्वास करने वाले, विपरीत िंलग को अधिक महत्व देने वाले, अत्यधिक भोग
विलास में रहने वाले, जारिणी स्त्रियों से प्रेम रखने वाले
होंगे।
प्रतिशोध
की भावना रखने वाले, भूमि, भवन, वाहन के स्वामी, विद्या
के व्यसनी, अलौकिक विद्या जानने वाले, तन्त्र-मन्त्र
में पूर्ण विश्वास रखने वाले, नीच (छुद्र) जनों की सहायता
प्राप्त करने वाले, अपनी प्रतिभा के सामने अन्य को कम समझने
वाले तथा गुप्त रोगों से पीड़ित रहेंगे।
अंक
६ सर्वदा शुभदायक रहेगा। दिन शुक्रवार शुभ रहेगा। श्वेत आसमानी या हल्का नीला रंग
शुभदायक रहेगा। हीरा, सफेद पुखराज, स्फटिक, चांदी आदि
रत्न शुभदायक रहेंगे। दुर्गा की आराधना, वैष्णवी देवी का
पूजन एवं दर्शन तथा सौन्दर्यलहरी के पाठ से समस्त अरिष्टों का शमन होगा।
अंक सात
अंक
७ का आधिपत्य केतु करता है। अत: सात अंक का जातक भावुक,
कलाप्रिय, कल्पनाशील तथा आध्यात्मिक शक्ति
वाला होगा। जातक प्रवक्ता, लेखक, चित्रकार,
संगीतज्ञ तथा धर्मप्रचारक होगा। सभी धर्मों का समान आदर करेगा।
स्वाध्याय में रत, विद्या तथा पुस्तकों का प्रेमी, दार्शनिक, सदा परिवर्तन प्रिय, सामान्य यात्रा से बचने वाला, कभी दूर देशों की यात्रा करने वाला, यशस्वी,
विनोदी तथा धनाढ्य होगा।
जातक
मौलिक विचारों वाला, जनसामान्य से अलग
विचार रखने वाला, संकोची स्वभाव, एकान्तप्रेमी,
वाद-विवाद से बचने वाला तथा गूढ़ विद्याओं का ज्ञाता, स्वकुटुम्ब पालक, मातृपितृभक्त, स्वतन्त्रताप्रिय, जल का प्रेमी, उच्च विचारों वाला या योगी होगा।
जातक
चुम्बकीय व्यक्तित्व वाला, अन्तर्दृष्टिसम्पन्न,
हृदय सम्बन्धी कष्ट अथवा गुर्दे की समस्या से ग्रस्त, अल्पावस्था का विवाह कष्टकारी रहेगा। विलम्ब से विवाह हितकारी होगा। इसकी
र्आिथक स्थिति सुदृढ़ होगी यह अपने लोगों तथा स्ववर्ग वालों के लिये
सगे-सम्बन्धियों की पूर्ण सहायता करने वाला होगा।
सामान्य
परिस्थितियों में जातक बहुत ही परम्परावादी तथा रीति-रिवाजों को निभाने वाला होगा,
प्राकृतिक रूप से कर्मशील, चुस्त, सक्रिय, शक्तिशाली, ऊर्जावान
तथा आशावादी होगा। जातक स्वर्निमित पद-प्रतिष्ठा का स्वामी होगा तथा दूसरों के
सामने अपना उदाहरण प्रस्तुत करेगा। ऐसा जातक महापुरुष की श्रेणी में गिना जाता है।
अंक
७ सर्वदा शुभदायक रहेगा। दिन बुधवार शुभ रहेगा। चित्र-विचित्र रंग,
दुधिया रंग अथवा भूरा रंग शुभ रहेगा। लहसुनिया तथा वैदूर्यमणि
सर्वदा शुभदायक रहेगा। नरिंसह भगवान की आराधना, नरिंसहकवच
एवं स्तोत्र का पाठ अरिष्टों से रक्षा करेगा।
अंक आठ
अंक
८ का स्वामी ग्रह शनि है, अत: ८ अंक वाले
जातकों का व्यक्तित्व निराला होता है। मित्रों में ऐसे जातक का जीवन सबसे अलग
होगा। ये दार्शनिक विचार, भाग्य की अपेक्षा कर्म पर अधिक
निर्भर रहने वाले, गुप्त शत्रुओं के प्रकोप वाले, गृहस्थ जीवन में गम्भीर कठिनाईयों वाले धन की समस्या, पुत्र सुख में बाधा अथवा पुत्र भी शत्रु जैसा बर्ताव करने वाले रहेंगे।
इस
अंक के जातक प्रेम प्रसंगों में असफल, विरक्ति
प्रधान, धर्म तथा योग में गहरी आस्था तथा योगी जीवन, सदैव किसी न किसी कार्य में लगे रहने वाले, अन्तर्मुखीवृत्ति,
थोड़ा बोलने वाले, प्राय: परेशानियों से घिरे
रहने वाले, अपने लोगों द्वारा अपमानित होने वाले तथा
तन्त्र-मन्त्र आदि गूढ़ विद्याओं के ज्ञाता होंगे।
गम्भीर
प्रवृत्ति, दिखावे से दूर रहने वाले,
परम्परा अथवा रीति-रिवाजों से दूर रहने वाले, कुछ
महत्त्वाकांक्षी, परिश्रम से उच्च पद प्राप्त करने वाले,
कठिन परिस्थितियों में भी अपूर्व धैर्यधारक, धन
का दुरुपयोग न करने वाले, जीवन में मनोरंजन से दूर रहने वाले,
थोड़े उत्सवों में सम्मिलित होने वाले, व्यसन
में रुचि तथा जीवन के स्वल्पावस्था से सूझ-बूझ रखने वाले होंगे।
इनकी
पत्नी एवं पुत्र का स्वभाव रूखा होता है। ये एक स्थान पर ही स्थिर रहने वाले,
संकोची स्वभाव, लोगों की सहायता प्राप्त न
करने वाले, हठी प्रवृत्ति, लोगों की
सलाह को न मानने वाले, वातव्याधि, कोष्ठबद्धता,
पीतज्वर, गठिया आदि से कष्ट, खल्वाट, न्यायप्रिय, न्याय के
लिये लड़ने वाले होते हैं और वकील अथवा न्यायाधीश भी बन सकते हैं।
अंक
८ सर्वदा शुभदायक। ८, १७, २६ अंक शुभ। शनिवार शुभदायक। नीलम, जमुनिया आदि रत्न
अनुवूâल। काला एवं नीला रंग शुभदायक रहेगा। भगवान शिव की
आराधना, रुद्राभिषेक, शिवमहिम्नस्तोत्र
का पाठ अथवा लघुमृत्युञ्जय मन्त्र या महामृत्युञ्जय मन्त्र जप से समस्त बाधाएँ दूर
होंगी।
अंक नौ
अंक
९ का स्वामी ग्रह मंगल है, अत: ९ अंक के जातक
अत्यन्त भाग्यशाली होंगे। उत्साही, दु:साहसी, महत्त्वाकांक्षी, विचारों से सुस्पष्ट, दृढ़ इच्छा शक्ति वाले, अच्छी तर्क शक्ति, गणितज्ञ, भूगोल अथवा खगोल का ज्ञान रखने वाले,
वाद-विवाद में प्रभावी, प्रतिपक्षी को परास्त
करने वाले, कलहप्रिय, युद्धप्रिय अथवा
लड़ाई—झगड़े में आनन्द लेने वाले, स्पष्टवादी,
किञ्जित् भावुक तथा उत्तम व्यक्तित्व के कारण लोगों को अपनी ओर
आर्किषत करने वाले होंगे।
ऐसे
जातक अच्छे संगठनकत्र्ता, समाज सुधारक,
कार्यों में शीघ्रता करने वाले, स्वतन्त्रताप्रिय,
शत्रुओं का बाहुल्य, बड़े नेता अथवा अधिक
नेतृत्व क्षमता वाले, अपनी आलोचना से कुपित होने वाले,
धनी, मनोविनोदी, क्रोधी,
किसी के अधीन न रहने वाले, घरेलू जीवन झंझटों
से युक्त, प्रत्येक कार्य में पूर्ण नियन्त्रण रखने वाले
होते हैं। कठोरता एवं कोमलता का समन्वय ऐसे जातकों के जीवन में देखा जाता है।
ऐसे
जातक दिखावा का आडम्बर युक्त जीवन वाले, थोड़ी
(छोटी) भी बात को बढ़ा-चढ़ा कर बताने वाले, अनुशासनप्रिय,
किसी भी प्रकार के कार्य करने की पूर्ण क्षमता वाले, निर्बल जनों की सहायता करने वाले, उच्चाधिकारियों से
भी उलझने वाले, उतावली
करने वाले, र्धािमक, पुरातनपन्थी,
बुद्धिमान, साहित्य या संगीत में रुचि,
पिता के स्नेह अथवा संरक्षण से वंचित तथा परिवार से अतिरिक्त बाहर
पूर्ण सम्मान प्राप्त करने वाले, हंसी-मजाक अथवा गप्पबाजी
में अधिक समय व्यतीत करने वाले, ईष्र्यालु प्रवृत्ति,
आजीविका के लिये जन्मस्थान से दूर जाने वाले, पूर्ण
शिक्षा प्राप्त करने वाले, रक्त चाप अथवा रुधिर विकार,
चोट-चपेट तथा दुर्घटनाओं के योग वाले होते हैं। इन्हें फोड़े,
पुंâसी अथवा घाव से कष्ट तथा कभी मूच्र्छा का
प्रकोप भी होता है।
अंक
९ सर्वदा शुभदायक होगा। ९, १८, २७ अंक शुभ रहेंगे। मंगलवार अनुवूâल रहेगा। जीवन में
९, १८, २७, ३६,
४५, ५४, ६३ वर्ष लाभ,
भाग्य एवं पद-प्रतिष्ठा के लिये होगा। रंग लाल या गुलाबी शुभ रहेगा।
मूंगा, लाल हकीक शुभदायक रहेगा। हनुमान जी की आराधना,
हनुमत् स्तोत्र तथा भगवान राम के पूजन से समस्त कष्टों से निवृत्ति
होगी।
इस
प्रकार अंकों के आधार पर भविष्य का ज्ञान किया जा सकता है। अंकों का प्रत्येक
मनुष्य के जीवन से गहरा सम्बन्ध है। एक ही अंक किसी के लिये शुभ तो दूसरे के लिये
अशुभ हो जाता है। प्रत्येक घटनाएँ एक क्रिया हैं तथा संख्या का क्रिया से घनिष्ठ
सम्बन्ध है। शब्दों को भी अंकों में परिर्वितत कर अथवा नामोंं को अंक में
परिर्वितत कर उनके योग से जो अंक प्राप्त हो अथवा जन्मतिथि,
मास, संवत् के अंकों का योग कर उनके योग से जो
अंक प्राप्त हो अथवा जन्मतिथि, मास, संवत्
के अंकों का योग कर उसके आधार पर भविष्य फल निर्धारण करना चाहिए।
बहुत बढ़िया लेख है श्रीमान पर अंग्रेजी कैलेंडर को जनसामान्य के जीवन मे इतना भर दिया गया है कि संस्कृत और वैदिक गणित किसी के लिए भी समझना बहुत ही कठिन है।
जवाब देंहटाएंअंकशास्त्र का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है. ऐसा कहा जाता है कि हमारा भविष्य अंकों पर निर्भर करता है.
जवाब देंहटाएंहमारे जीवन में अंक का महत्व क्या है विस्तृत लिखें?
जवाब देंहटाएंअंक का उल्लेख कौन से वेद में है मंत्र सहित लिखिए?
जवाब देंहटाएं