इस लेख में मैं भारत में स्थित गुरुकुलों का परिचय देने जा रहा हूँ। यहाँ आप
नामांकन कराकर संस्कृत विषयों का अध्ययन कर सकते हैं। इन विद्यालय में छात्र किस कक्षा में प्रवेश ले सकते हैं? विद्यालय में किस कक्षा से किस कक्षा तक पढ़ाई होती है? विद्यालय में सह शिक्षा की व्यवस्था है या नहीं? यह विद्यालय कहां से मान्यता प्राप्त है? यहां किन - किन विषयों की पढ़ाई होती है? विद्यालय आवासीय है अथवा नहीं? यदि आवासीय है तो वहां क्या-क्या व्यवस्थाएं हैं? यहां पढ़ने में वार्षिक खर्च कितना आएगा। छात्रों को अध्ययन
के लिए कहीं से छात्रवृत्ति मिल पाती है या नहीं आदि की जानकारी मिल सकेगी। हम समय- समय पर इस लेख को उन्नत करते रहेंगें
ताकि बच्चे यहाँ नामांकन करा सकें। विद्यालयों में छात्र संख्या बढाने के लिए कुछ
पहल करने की आवश्यता है। अनेक विद्यालय प्रवेश प्रारम्भ का बोर्ड लगाते हैं।
स्थानीय समाचार पत्रों,पत्रिकाओं
में प्रवेश सम्बन्धी सूचना प्रकाशित करते हैं। जनता को विद्यालय से जोड़ने वाले
कार्यक्रम करते हैं। इससे छात्रों का नामांकन प्रतिशत बढ़ता है। संस्कृत
विद्यालयों को पहचान दिलाने के लिए मैंने विद्यालय अन्वेषिका ऐप बनाया है। इसमें
विस्तृत जानकारी दिया जाना सम्भव नहीं था। अपनी प्रिय ई- पत्रिका संस्कृतसर्जना
में संस्था परिचय के नाम से एक कॉलम प्रकाशित करता था। अब यह ब्लॉग आपके सम्मुख
उपस्थित है। मैंने इस ब्लॉग के माध्यम से उन विद्यालयों के बारे में आपतक सूचना
उपलब्ध कराने का यथासंभव प्रयास किया है, इसमें आपके सहयोग की भी अपेक्षा है। आप भी टिप्पणी में
विद्यालयों के बारे में सूचना लिख सकते हैं।
श्रीमद् दयानन्द उत्कर्ष आर्ष कन्या गुरुकुल, मवाना-मेरठ
गुरुकुल का पता-
ग्राम- नारंगपुर,
ब्लाक - किला परीक्षितगढ़, (निकट गांव आसिफाबाद,)
तहसील- मवाना,
पिनकोड 250406,
जिला मेरठ, (उत्तर प्रदेश)
ग्राम- नारंगपुर,
ब्लाक - किला परीक्षितगढ़, (निकट गांव आसिफाबाद,)
तहसील- मवाना,
पिनकोड 250406,
जिला मेरठ, (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल नं.- 9412405589/ 9568899084 / 9568449191
ईमेल: gurukulnarangpur@gmail.com
वेबसाइट: www.utkarshgurukulnarangpur.com
इतिहास-
गुरुकुल की स्थापना सन् 2008 में हुई थी। आचार्या रश्मि आर्या गुरुकुल की संस्थापक आचार्या हैं। गुरुकुल के संचालन के लिये 11 सज्जन पुरुषों की एक संचालन समिति गठित है। गुरुकुल वर्तमान समय में पूर्णतयः गतिशील है एवं अपने शैक्षिक दायित्वों का निष्पादन कुशलतापूर्वक कर रहा है। शिक्षा प्रणाली आर्ष एवं प्रदेश के राज्य शिक्षा बोर्ड के अनुरूप हैं। गुरुकुल की परीक्षाओं की सम्बद्धता उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड से है। कक्षा 8 तक गुरुकुल मान्यता प्राप्त है। वर्तमान समय में गुरुकुल में छात्राओं की कुल 70 संख्या है। गुरुकुल अपनी 8 बीघा भूमि पर स्थित है, जिसका स्वामित्व गुरुकुल का ही है। गुरुकुल में कक्षा 1 से कक्षा 12 तक शिक्षण वा अध्यापन किया जाता है।
गुरुकुल की उपलब्धियों -
1- योग में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरुस्कार
2- ताइक्वांडो, किक बोक्सिंग में कई बार राज्य स्तर पर प्रथम पुरुस्कार
3- कबड्डी में राज्य स्तर पर पुरुस्कार
4- संगीत में पुरस्कार
5- मां तुझे प्रणाम, इस देशभक्तिपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम में दो बार प्रथम
पुरस्कार
6- गो प्रतियोगिता, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, पाक कला प्रतियोगिता तथा भाषण प्रतियोगिता में प्रथम
पुरस्कार।
गुरुकुल की आचार्या जी का मोबाइल नम्बर 9568449191 है। प्रधान जी का मोबाइल नं0
09810631319 तथा मंत्री
जी का मोबाइल नं0 9897890555 है।
गुरुकुल की कुछ अन्य उपलब्धियों निम्न प्रकार हैं:
1- शिक्षा, संस्कार के क्षेत्र में उत्कृष्ट छवि के लिए सम्मान (कमिश्नर श्री आलोक सिन्हा
जी मेरठ द्वारा)
2- गुरुकुल की कन्याओं को माता के समान प्रेम, स्नेह व ममता प्रदान करने हेतु भाजपा मोर्चा के महिला संगठन
की ओर से मातृत्व सम्मान।
3- रोटरी क्लब स्काटलैण्ड की ओर से प्रतिवर्ष दो माह के लिए विदेशी शिक्षिकाओं का
अंग्रेजी शिक्षण हेतु गुरुकुल में आगमन।
गुरुकुल महाविद्यालय, अयोध्या
परिचय-
अयोध्या में संचालित
गुरुकुल का नाम है ‘‘श्री निःशुल्क गुरुकुल
महाविद्यालय, अयोध्या फैजाबाद”। पत्रालय तहसील सदर तथा पिनकोड नं0 224123 है। गुरुकुल से मोबाइल संख्या 9415718089 एवं लैण्ड लाइन फोन 05278-240229 पर सम्पर्क किया जा सकता
है।
यह गुरुकुल उ0प्र0 माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद्, लखनऊ तथा सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से सम्बद्ध है। आचार्य पर्यन्त परीक्षाओं तक गुरुकुल महाविद्यालय सरकार से मान्यता प्राप्त है। वर्तमान में यहां कुल छात्रों की संख्या 150 है। सभी छात्र गुरुकुल में ही निवास करते हैं। गुरुकुल के पास अपनी 13 एकड़ भूमि है जिसका स्वामीत्व गुरुकुल का ही है।
इतिहास
इस गुरुकुल की स्थापना स्वामी त्यागानन्द सरस्वती जी ने सन् 1925 में की थी। आप इसके प्रथम आचार्य थे। गुरुकुल का संचालन एक प्रबन्ध समित करती है। वर्तमान समय में यह गुरुकुल पूर्ववत् गतिशील एवं संचालित हो रहा है। इस गुरुकुल में आर्ष पाठविधि सहित उत्तर प्रदेश संस्कृत बोर्ड एवं विश्वविद्यालय की सरकारी पाठविधि से शिक्षण कराया जाता है।यह गुरुकुल उ0प्र0 माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद्, लखनऊ तथा सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से सम्बद्ध है। आचार्य पर्यन्त परीक्षाओं तक गुरुकुल महाविद्यालय सरकार से मान्यता प्राप्त है। वर्तमान में यहां कुल छात्रों की संख्या 150 है। सभी छात्र गुरुकुल में ही निवास करते हैं। गुरुकुल के पास अपनी 13 एकड़ भूमि है जिसका स्वामीत्व गुरुकुल का ही है।
गुरुकुल से शिक्षा
प्राप्त स्नातक देश की विभिन्न आर्यसमाजों विद्यालयों, महाविद्यालयों/विश्वविद्यालयों आदि
में कार्यरत हैं। इनमें से कुछ आर्यसमाज का प्रचार भी करते हैं। गुरुकुल में
पठन-पाठन के साथ व्यायाम,
कर्मकाण्ड, आर्यवीर दल सेवा, राष्ट्रीय सेवा योजना, योगासन, प्राणायाम एवं संगीत की शिक्षा भी दी
जाती है। गुरुकुल अपने योग्य छात्रों को शास्त्री व आचार्य की उपाधि के साथ-साथ
विद्या मार्तण्ड,
विद्या वागीश एवं विद्या
वारिधि उपाधियों से विभूषित करता है।
गुरुकुल की ओर से आर्यवीर
दल के शिविर लगाये जाते हैं। योग शिविर लगाने के साथ आर्यसमाजों में वैदिक
सिद्धान्तों का प्रचार व प्रसार भी किया जाता है। गुरुकुल के द्वारा समय-समय पर
राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रमों को सम्पादित किया जाता है। गुरुकुल की विद्या
सभा के द्वारा छात्रों को वक्तृत्व कला में प्रवीण बनाया जाता है। ग्रामीण अंचलों
में जाकर यज्ञ एवं वेद प्रचार के आयोजन सम्पन्न कराये जाते हैं। आर्यसमाज की सभी
प्रकार की गतिविधियों को सफलतापूर्वक संचालित व आयोजित करने में नगर की आर्यसमाज
को सहयोग दिया जाता है। गुरुकुल के द्वारा ब्रह्मचारियों का वार्षिकोत्सव पर
सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार सम्पादित कर वैदिक वर्ण व्यवस्था को आगे बढ़ाया जाता है।
गुरुकुल में गोशाला, यज्ञशाला, पुस्तकालय, वाचनालय, औषधालय आदि का संचालन किया जाता है।
ब्रह्मचारी गुरुकुल की पत्रिका सम्पादन कर लेखन व सम्पादन कला से परिचित होते हैं।
गुरुकुल का उद्देश्य छात्रों का सर्वांगीण विकास अर्थात् उनकी शारीरकि, आत्मिक एवं सामाजिक उन्नति करना है।
वर्तमान में गुरुकुल के प्राचार्य आचार्य नागेन्द्र कुमार शास्त्री जी हैं। उनके
नेतृत्व में गुरुकुल संचालित हो रहा है। हम गुरुकुल को अपनी शुभकामनायें देते हैं।
हम चाहते हैं कि गुरुकुल आर्ष शिक्षण प्रणाली की रक्षा करते हुए अपने छात्रों को
अधिक संख्या में वैदिक विद्वान बनाये।
गुरुकुल वैदिक आश्रम,वेदव्यास- सुन्दरगढ़, उड़ीसा
पता-
गुरुकुल वैदिक आश्रम, वेदव्यास,
पत्रालय - वेदव्यास,
तहसील - लाठिकटा
जिला - सुन्दरगढ़-769004 (उड़ीसा)
मोबाईल न0 - 9937107981
ईमेल gurukulvedicashram@gmail.com
वेबसाइट www.gurukulvedicashram.org
पत्रालय - वेदव्यास,
तहसील - लाठिकटा
जिला - सुन्दरगढ़-769004 (उड़ीसा)
मोबाईल न0 - 9937107981
ईमेल gurukulvedicashram@gmail.com
वेबसाइट www.gurukulvedicashram.org
इतिहास
इस गुरुकुल की स्थापना दिनांक 12 फरवरी सन् 1960 को स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती जी ने की थी। गुरुकुल के संस्थापक आचार्य थे स्वामी शिवानन्द तीर्थ । गुरुकुल का संचालन एक प्रबन्ध समिति के द्वारा होता है जिसका नाम है ‘‘वनवासी विद्यासभा, गुरुकुल वैदिक आश्रम ट्रस्ट”। गुरुकुल उड़ीसा राज्य के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध है। यहां मध्यमा (एच0एस0सी0) का संस्कृत का विशेष पाठ्यक्रम है जिसका अध्यापन कराया जाता है। गुरुकुल को उड़ीसा सरकार ने दिनांक 10 जुलाई, सन् 1968 को मान्यता प्रदान की है।
गुरुकुल में विभिन्न कक्षाओं में निम्नलिखित छात्र अध्ययन कर रहे हैं:
प्रथमा प्रथम वर्ष - 21 विद्यार्थी
प्रथमा द्वितीय वर्ष - 25 विद्यार्थी
प्रथमा तृतीय वर्ष - 26 विद्यार्थी
मध्यमा प्रथम वर्ष - 26 विद्यार्थी
मध्यमा द्वितीय वर्ष - 28 विद्यार्थी
कुल विद्यार्थी 126 हैं।
गुरुकुल की अपनी 6.38 एकड़
भूमि है। गुरुकुल में जो भवन आदि की सुविधायें हैं, उनका
विवरण निम्नानुसार हैः
1-
कार्यालय
2-
स्वामी ब्रह्मानन्द स्मृति भवन
3-
अतिथिशाला
5-
वेद मंदिर
6-
संन्यास कुटिर
7-
मुख्याधिष्ठाता कुटिर
8-
यज्ञशाला (2 यज्ञशालायें हैं)
9-
आचार्य भवन
10- भण्डार गृह
11- भोजनालय
12- पाकशाला
13- विद्यालय भवन
14- सभा भवन
गुरुकुल के द्वारा ‘‘दयानन्द
शिशु केयर भवन” एवं ‘‘गुरुकुल संस्कृत
महाविद्यालय” भी संचालित किये जाते हैं। गुरुकुल की शिक्षणेतर गतिविधियां निम्न हैं:
1-
वैदिक साहित्य का प्रकाशन
2-
आर्यसमाजों की स्थापना व संचालन में मार्गदर्शन वा सहयोग
3-
शुद्धि संस्कार
4-
आर्यसमाज के सिद्धान्तों, मान्यताओं
एवं इसकी विचारधारा का प्रचार।
5-
वैदिक यज्ञों का आयोजन
6-
आर्य पर्वों का आयोजन वा पालन
7-
योग शिक्षा
8-
विवाह आदि संस्कार
9-
आपातकालीन सहायता
7-
अनेक सम्मेलनों का आयोजन
गुरुकुल के विद्यार्थी
अपना अध्ययन पूरा कर राजकीय सेवाओं में नियुक्त हो सकते वा होते हैं। कुछ अध्यापन
का कार्य करते है तो कुछ समाज सेवा के कार्य को अपनाते हैं। कुछ छात्र देश सेवा व
कुछ आर्यसमाज के लिये अपनी सेवायें समर्पित करते हैं। गुरुकुल दानी महानुभावों के
दान सहित स्थिर निधि पर प्राप्त होने वाले ब्याज से संचालित होता है। अनाथ बच्चों
के लिये राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार से
गुरुकुल के चार शिक्षिकों को मानदेय प्राप्त होता है।
गुरुकुल के वर्तमान
आचार्य पं0 सुरेन्द्र कुमार उपाध्याय हैं। इनका चलभाष 9776410384 है। गुरुकुल की प्रबन्ध समिति के प्रधान आचार्य डॉ0
देवव्रत जी, मंत्री श्री रामचन्द्र साहु जी एवं कोषाध्यक्ष
पं0 धनेश्वर बेहेरा जी हैं।
कान्हा आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय, रुईखैरी, नागपुर
परिचय-
गुरुकुल का पता है निकट बुट्टीबोरी,
ग्राम रुईखैरी, पत्रालय बुट्टीबोरी, तहसील नागपुर, जिला नागपुर, राज्य
महाराष्ट्र एवं पिनकोड 441108। गुरुकुल से मोबाइल नं0
08698887969 पर सम्पर्क कर सकते हैं। इस गुरुकुल की स्थापना श्रीमती
लक्ष्मीबाई कान्हूजी तास्के (आर्या) जी ने दिनांक 17 नवम्बर
सन् 2013 को की थी। गुरुकुल के संस्थापक आचार्य श्री धमवीर
जी हैं। गुरुकुल का संचालन ‘‘महर्षि दयानन्द सरस्वती वैदिक
न्यास” द्वारा किया जाता है। यहां आर्ष पाठ विधि से
ब्रह्मचारियों को अध्ययन कराया जाता है। छात्र महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय,
रोहतक की परीक्षायें देते हैं। यह परीक्षायें मध्यमा से आचार्य
कक्षा पर्यन्त की होती हैं। इस समय गुरुकुल में 14
ब्रह्मचारी अध्ययन कर रहे हैं। गुरुकुल की भूमि गुरुकुल के नाम पर पंजीकृत है।
गुरुकुल की 15 हजार वर्ग फीट भूमि नागपुर में है तथा 10 एकड़ भूमि ऊमरखेड़ में है।
गुरुकुल की अचल सम्पत्ति में निम्न
भवन आदि सम्मिलित हैं:
1-
एक विद्यालय भवन,
2-
एक यज्ञशाला,
3-
एक छात्रावास भवन,
4-
एक पाकशाला,
5-
एक गोशाला एवं
6-
एक कार्यालय।
गुरुकुल के छात्र प्रतिदिन प्रातः
ब्रह्ममुहुर्त में निद्रा त्याग करते हैं।
प्रातःकाल के पाठ करने वाले ईश्वर प्रार्थना के मन्त्रों का पाठ करते हैं। शौच आदि
से निवृत होकर सन्ध्या, यज्ञ, ध्यान एवं
व्यायाम आदि करते हैं। गुरुकुल के तीन ब्रह्मचारी 4 जनवरी,
2015 को संस्कृत भारती, बंगलौर की दशमी अखिल
भारतीय शलाका परीक्षा में सम्मिलित हुए थे। यह तीनों ब्रह्मचारी प्रथम श्रेणी में
उत्तीर्ण हुए। गुरुकुल के ब्रह्मचारी अपना समय अध्ययन व अध्यापन में लगाते हैं।
गुरुकुल की आय का कोई स्थाई व नियमित स्रोत नहीं है। कृषि एवं दान आदि से जो
प्राप्त होता है उसी धन व पदार्थों से गुरुकुल अपना निर्वाह करता है। गुरुकुल की
गौशाला में 3 गायें एवं 2 बछड़े हैं।
गुरुकुल को राज्य व केन्द्र की ओर से किसी प्रकार की सहायता व मानदेय आदि उपलब्ध
नहीं हैं।
गुरुकुल के प्राचार्य आचार्य धर्मवीर
जी हैं जो कोषाध्यक्ष का भी काम देखते हैं। गुरुकुल की प्रबन्ध समिति वा न्यास के
प्रधान श्री शुचिव्रत का0 तास्के हैं तथा मन्त्री श्री का0बा0 पेंधे हैं।
निगम-नीडम् वेदगुरुकुलम्, तेलंगाना
परिचय-
गुरुकुल निगमनीडम् वेदगुरुकुलम् (सांगोपांग वेदमहाविद्यालय), तेलंगाना आर्यसमाज की विचारधारा का आदर्श गुरुकुल है। यह गुरुकुल महर्षि
दयानन्द मार्ग, ग्राम पिडिचेड़, तहसील गज्वेल जिला सिद्धिपेट, राज्य
तेलगांना पिनकोड 502278 पते पर
स्थित है। गुरुकुल से मोबाइल नं0 9440721958 व ईमेल nigamaneedam@gmail.com पर सम्पर्क कर सकते हैं।
इस गुरुकुल की स्थापना आचार्य उदयन मीमांसक जी ने दिनांक 3 अप्रैल सन् 2005 को की है। आचार्य उदयन मीमांसक जी तेलंगाणा निवासी है। आपका जन्म 16 जुलाई सन् 1970 को माता श्रीमती स्वराज्य लक्ष्मी जी और पिता श्री लक्ष्मी नारायण जी से जनपद करिंनगर के भार्गवपुर (हुस्नाबाद) ग्राम में एक सामान्य शैव परिवार में हुआ था। गुरुकुल निगम-नीडम् की स्थापना आपका एक प्रशंसनीय महत्कार्य है।
इस गुरुकुल की स्थापना आचार्य उदयन मीमांसक जी ने दिनांक 3 अप्रैल सन् 2005 को की है। आचार्य उदयन मीमांसक जी तेलंगाणा निवासी है। आपका जन्म 16 जुलाई सन् 1970 को माता श्रीमती स्वराज्य लक्ष्मी जी और पिता श्री लक्ष्मी नारायण जी से जनपद करिंनगर के भार्गवपुर (हुस्नाबाद) ग्राम में एक सामान्य शैव परिवार में हुआ था। गुरुकुल निगम-नीडम् की स्थापना आपका एक प्रशंसनीय महत्कार्य है।
गुरुकुल का प्रबन्ध आपके द्वारा स्थापित व संचालित एक न्यास के द्वारा किया
जाता है। गुरुकुल पूर्णरुपेण गतिशील एवं
सक्रिय है। अध्ययन की पद्धति आर्ष शिक्षा व अष्टाध्यायी-महाभाष्य प्रणाली
है। वर्तमान में गुरुकुल में कुल 30 ब्रह्मचारी अध्ययन कर रहे हैं। न्यायदर्शन, महाभाष्य, काशिका, प्रथमावृत्ति व अष्टाध्यायी आदि में क्रमशः 6, 4, 2, 2 एवं 16 ब्रह्मचारी अध्ययन कर रहे
हैं। गुरुकुल अपनी 3 एकड़ भूमि पर स्थित है। यहां
निम्न भवन बने हुए हैं:
1- यज्ञशाला,
2- ध्यानशाला,
3- छात्रावास,
4- आचार्यकक्ष,
5- कार्यालय,
6- गोशाला,
7- पुस्तकालय,
8- पाकशाला,
9- भोजनालय,
10- अतिथिशाला एवं
11- स्नानागार आदि।
गुरुकुल के पास अपनी
आय के निश्चित नियमित साधन नहीं हैं। आर्यजनों, वेदप्रेमियों एवं स्थानीय जनता से दान आदि प्राप्त कर यह गुरुकल संचालित हो
रहा है।
गुरुकुल ने
अपने एक पत्रक में अपने 11 उद्देश्य दिये हैं। हम यहां
प्रथम पांच उद्देश्यों को प्रस्तुत कर रहे हैं।
1- सम्पूर्ण
वैदिक वांग्मय का अध्ययन-अध्यापन एवं अनुसंधान।
2- वैदिक
विद्वानों का निर्माण।
3- वैदिक धर्म
के प्रचारकों तथा पुरोहितों का निर्माण।
4- वैदिक
संस्कृति और सभ्यता की रक्षा।
5- वैदिक
वांग्मय एवं वेदानुकूल प्रमुख ग्रन्थों का प्रकाशन।
6- वैदिक आश्रम-धर्म
की रक्षा हेतु वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम की स्थापना आदि।
आचार्य उदयन
मीमांसक जी ने संस्कृत, हिन्दी एवं तेलगू भाषा में 12 ग्रन्थों का निर्माण भी किया है जो संस्कृत व्याकरण सहित विविध विषयों से
सम्बन्धित हैं। गुरुकुल ने अभी 14 वर्षों की
यात्रा जी पूरी की है। अभी इस गुरुकुल वा आचार्यजी को अपने उद्देश्यों को पूरा
करने के लिये लम्बी यात्रा व संघर्ष करना है।
गुरुकुल वेद योग महाविद्यालय, केह्लारी जिला खण्डवा-म0प्र0
पता-
वेद योग महाविद्यालय गुरुकुल,
ग्राम- केह्लारी
जिला- खण्डवा (मध्यप्रदेश)
मोबाइल न0 09403036456 एवं
व्हटशप न0 08484965066
इमेल आईडी vedyoggurukul@gmail.com
वेबसाइट www.vedyoggurukul.in
केह्लारी ग्राम, जिसकी जनसंख्या लगभग 2000 है आर्थिक दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है। यहाँ की आबादी आदिवासी बहुल है. यहाँ ईसाई एवं मुस्लिम लोग सक्रीय हैं । यहाँ मदरसे भी चलते हैं।
इस गुरुकुल की स्थापना 12 वर्ष पूर्व सन् 2006 में आचार्य सर्वेश जी ने की है। आचार्य सर्वेश शास्त्री जी आचार्य विद्यादेव जी के शिष्य हैं। आचार्य विद्यादेव जी कई वर्षों तक ऋषि जन्म भूमि, टंकारा में संचालित गुरुकुल के आचार्य रहे हैं। वर्तमान में यह ऋषि दयानन्द की उत्तराधिकारिणी सभा परोपकारिणी सभा में संचालित गुरुकुल के आचार्य हैं। गुरुकुल में वर्तमान में लगभग 50 ब्रह्मचारी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह गुरुकुल आचार्य जी ने दो एकड़ भूमि क्रय करके स्थापित किया है। गुरुकुल में ब्रह्मचारियों के छात्रावास है जिसमें 15 कमरे हैं। अतिथिशाला है तथा दो और कमरे और बन रहे हैं। गुरुकुल की यज्ञशाला निर्माणाधीन है। गुरुकुल में भोजनशाला भी है। गुरुकुल का अपना एक पुस्तकालय भी है। नवम्बर महीने में गुरुकुल में वार्षिकोत्सव आयोजित किया जाता है। पिछला तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव 10 से 12 नवम्बर, 2018 को हुआ है। गुरुकुल की गोशाला में 3 गायें हैं। गुरुकुल की भूमि में अमरुद, पपीता एवं हरी तरकारियां आदि उत्पन्न की जाती हैं। गुरुकुल के बच्चे सन्ध्या, अग्निहोत्र यज्ञ, आसन, प्राणायाम एवं व्यायाम आदि नियमित रूप से करते हैं। सभी बालक सत्यार्थप्रकाश का भी नियमित रूप से पाठ करते हैं। योग शिविरिों का आयोजन भी गुरुकुल में होता है। बच्चों को लाठी चलाना भी सिखाया जाता है।
ग्राम- केह्लारी
जिला- खण्डवा (मध्यप्रदेश)
मोबाइल न0 09403036456 एवं
व्हटशप न0 08484965066
इमेल आईडी vedyoggurukul@gmail.com
वेबसाइट www.vedyoggurukul.in
केह्लारी ग्राम, जिसकी जनसंख्या लगभग 2000 है आर्थिक दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है। यहाँ की आबादी आदिवासी बहुल है. यहाँ ईसाई एवं मुस्लिम लोग सक्रीय हैं । यहाँ मदरसे भी चलते हैं।
इस गुरुकुल की स्थापना 12 वर्ष पूर्व सन् 2006 में आचार्य सर्वेश जी ने की है। आचार्य सर्वेश शास्त्री जी आचार्य विद्यादेव जी के शिष्य हैं। आचार्य विद्यादेव जी कई वर्षों तक ऋषि जन्म भूमि, टंकारा में संचालित गुरुकुल के आचार्य रहे हैं। वर्तमान में यह ऋषि दयानन्द की उत्तराधिकारिणी सभा परोपकारिणी सभा में संचालित गुरुकुल के आचार्य हैं। गुरुकुल में वर्तमान में लगभग 50 ब्रह्मचारी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह गुरुकुल आचार्य जी ने दो एकड़ भूमि क्रय करके स्थापित किया है। गुरुकुल में ब्रह्मचारियों के छात्रावास है जिसमें 15 कमरे हैं। अतिथिशाला है तथा दो और कमरे और बन रहे हैं। गुरुकुल की यज्ञशाला निर्माणाधीन है। गुरुकुल में भोजनशाला भी है। गुरुकुल का अपना एक पुस्तकालय भी है। नवम्बर महीने में गुरुकुल में वार्षिकोत्सव आयोजित किया जाता है। पिछला तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव 10 से 12 नवम्बर, 2018 को हुआ है। गुरुकुल की गोशाला में 3 गायें हैं। गुरुकुल की भूमि में अमरुद, पपीता एवं हरी तरकारियां आदि उत्पन्न की जाती हैं। गुरुकुल के बच्चे सन्ध्या, अग्निहोत्र यज्ञ, आसन, प्राणायाम एवं व्यायाम आदि नियमित रूप से करते हैं। सभी बालक सत्यार्थप्रकाश का भी नियमित रूप से पाठ करते हैं। योग शिविरिों का आयोजन भी गुरुकुल में होता है। बच्चों को लाठी चलाना भी सिखाया जाता है।
गुरुकुल का एक पूर्व छात्र जेएनयू में कार्यरत है। इसने कई शोध पत्र लिखे हैं।
हमें गुरुकुल से सक्रियता से जुड़े श्री सन्तोष आर्य, जालना (महाराष्ट्र) ने बताया है कि कुछ समय पूर्व इसने 12 देशों की यात्रा की है। यह आर्यसमाज का प्रचारक भी है। गुरुकुल का समस्त
व्यय भार दान पर निर्भर है। गुरुकुल को किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिलती।
गुरुकुल का बैंक खाता सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया, शिवाजी चौक,
खंडवा शाखा में है। खाता संख्या 3094649908 है
तथा आईएफएससी कोड CBIN0280761 है। बैंक खाता वेद योग
महाविद्यालय के नाम पर है। दानी बन्धुओं से अपेक्षा है कि वह समय समय पर गुरुकुल
की गतिविधियों की जानकारी लेते रहे हैं और आर्थिक सहायता प्रदान करते रहें।
गुरुकुल को यदि सरकार से मान्यता मिल जाये और गुरुकुल का सरकारी विद्यालयों की
भांति पोषण हो तो गुरुकुल के संचालन की बाधायें दूर हो सकती हैं।
गुरुकुल में विद्युत लग गई है। यह
कार्य खण्डवा के बीजेपी विधायक श्री देवेन्द्र वर्मा जी ने 4 लाख की आर्थिक सहायता दिलाकर सम्पन्न कराया है। इस कार्य में
वहां के सांसद ने भी सहयोग किया है। जहां यह गुरुकुल है वहां के लोग आर्थिक दृष्टि
से पिछड़े हुए हैं। आदिवासी लोग चारो ओर रहते हैं।
आर्ष गुरुकुल दयानन्द वाणी, मधुबनी-बिहार
परिचय-
पता-
दयानन्द बाग, निकट मध्य विद्यालय,
ग्राम
- जरैल,
पत्रालय - जरैल,
थाना
- अरेर,
तहसील- बेनीपट्टी, जिला
मधुबनी (बिहार)।
मोबाइल
न0
8809852187
इमेल
आईडी dayanand.jankalyanashram@gmail.com.
इतिहास-
इस गुरुकुल की स्थापना श्री सुशील कान्त मिश्र जी ने 27 मई सन् 1995 को की थी। आचार्य वेदश्रमी जी गुरुकुल के पूर्व आचार्य हैं। आचार्य श्री रामदयाल जी फरवरी 2019 तक आचार्य रहे हैं। इनका मोबाइल न0 9304908062 है। गुरुकुल का संचालन व व्यवस्था ‘दयानंद जनकल्याण आश्रम न्यास’ के द्वारा की जाती है। गुरुकुल अपने उद्देश्य की पूर्ति में सक्रिय एवं गतिशील है। वर्तमान समय में इस गुरुकुल में 12 ब्रह्मचारी अध्ययनरत हैं। गुरुकुल की भूमि पंजीकृत है और इसका क्षेत्रफल 17 कट्ठा दशधूर अर्थात् लगभग 1 बीघा है। गुरुकुल में दो भवन, एक यज्ञशाला एवं 1 गोशाला शेड है। इसी में गुरुकुल चल रहा है।
गुरुकुल में गोशाला चल रही है। समय समय पर प्रशिक्षण शिविर लगते रहते हैं।
गोमूत्र, गोबर आदि से दवा एवं खाद का निर्माण किया जाता है। गुरुकुल के
पुस्तकालय से भी लोग लाभ उठाते हैं। अध्ययन सहित इन सभी कार्यो को करने के अतिरक्त
समय-समय पर ग्राम-ग्राम जाकर वेद-प्रचार किया जाता है। निकटवर्ती जिन-जिन स्थानों
पर ईसाई हिन्दुओं का धर्मान्तरण कर रहे हैं वहां जाकर वेद प्रचार कर लोगों को धर्म
का यथार्थ स्वरूप व वैदिक धर्म का महत्व बताकर उन्हें पुनः वैदिक धर्म ग्रहण करने
के लिये प्रेरित किया जाता है। जो लोग ईसाई नहीं बने हैं तथा जिनके बनने की
सम्भावना हो सकती है, उन्हें भी वैदिक धर्म का महत्व बताया
जाता है जिससे वह ईसाई बनने का अविवेकपूर्ण निर्णय न लें और विधर्मियों के किसी
प्रलोभन में न फंसे। इस प्रकार से स्वबन्धुओं को जागृत किया जाता है।
आचार्य रामदयाल जी ने इस गुरुकुल में अध्यापन कराया है। वह अजमेर के ऋषि
उद्यान में आचार्य सत्यजित्त आर्य जी से पढ़े हैं। आप व्याकरणाचार्य, दर्शनाचार्य एवं निरुक्ताचार्य हैं। आपने जोधपुर के एक मौलाना
से अरबी भाषा का अध्ययन भी किया है। आप फरवरी, 2019 में
गुरुकुल से अन्यत्र चले गये हैं। वर्तमान गुरुकुल के संस्थापक श्री सुशील कान्त
मिश्र जी अध्यापन करा रहे हैं। गुरुकुल के एक ब्रह्मचारी श्री अनिल जी ने जर्मनी
के ओलम्पिक खेलों में कुश्ती में स्वर्णपदक भी प्राप्त किया है। यह इस गुरुकुल की
सबसे बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है। यह ब्रह्मचारी मधुबनी के ही छपराड़ी गांव के रहने
वाले हैं। इनकी वर्तमान में आयु 30-35 वर्ष के मध्य बताई गयी
है। गुरुकुल के ब्रह्मचारी वसुनीथ एवं गोपाल जी ने संस्कृत में एम.ए. किया है।
इन्होंने नेट परीक्षा भी पास की है। ब्रह्मचारी प्रवीण ने पी0एच0डी0 की है।
गुरुकुल से शिक्षित कई छात्र महाविद्यालयों में शिक्षक हैं। एक छात्र ट्रेनिंग
कालेज में प्रवक्ता है। गुरुकुल का एक
ब्रह्मचारी पटना के सचिवालय और 5-6 छात्र
दिल्ली में आर्यसमाज मन्दिर सहित आर्य परिवारों में यज्ञ आदि कर्मकाण्ड कराते हैं।
यह लोग योग के माध्यम से आर्य सिद्धान्तों का प्रचार भी करते हैं। गुरुकुल के 2 छात्र भजनोपदेशक बन कर देश भर में जाकर प्रचार कार्य करते हैं। इनके नाम
श्री सुमन कुमार झा एवं श्री शिव नारायण आर्य हैं।
गुरुकुल की आय का कोई निश्चित स्रोत नहीं है। केवल चन्दे से ही सब कार्य
सम्पादित किये जाते हैं। केन्द्र व राज्य सरकारों से भी गुरुकुल को किसी प्रकार का
सहयोग प्राप्त नहीं है।
गुरुकुल के आचार्यों का सुझाव है कि गुरुकुल के विद्यार्थियों की परीक्षा की
व्यवस्था ऐसी हो जिसकी मान्यता पूरे देश में हो। इस पर विशेष ध्यान देने की
आवश्यकता है। राज्य स्तर पर भी हमारे ऐसे संगठन हों जो संस्था के सभी क्रियाकलापों
की जानकारी रखें और गुरुकुलीय संस्थाओं को आवश्यक सहयोग दिलाने में सहायक हों।
संस्था में
फरवरी, 2019 तक आचार्य रामदयाल जी रहे हैं। अब गुरुकुल के संस्थापक
श्री सुशील कान्त मिश्र जी अध्ययन करा रहे हैं। श्री योग मुनी जी प्रबन्ध समिति के
प्रधान हैं। मंत्री श्री सुशील कान्त मिश्र जी हैं तथा कोषाध्यक्ष ब्रह्मचारी
ज्ञाननिष्ठ है। ओ३म् शम्।
गुरुकुल कागड़ी विद्यालय, हरिद्वार
परिचय-
गुरुकुल
कांगड़ी विद्यालय, हरिद्वार गुरुकुल कांगड़ी
विश्वविद्यालय, हरिद्वार के परिसर में ही स्थित है। इसका पता
लोक सेवा आयोग कार्यालय के निकट, ग्राम जगजीत पुर, पत्रालय गुरुकुल कागड़ी, थाना कनखल, तहसील ज्वालापुर, जिला हरिद्वार पिनकोड 249404 राज्य उत्तराखण्ड है। गुरुकुल से मोबाईल न0 9411177277 अथवा 9412025930 पर सम्पर्क किया जा सकता है।
गुरुकुल का ईमेल gurukulkangri@gmail.com है। गुरुकुल की
अपनी वेबसाइट www.gurukulkangrividyalaya.org भी है। गुरुकुल
की स्थापना सन् 1902 में स्वामी श्रद्धानन्द जी व आर्य
प्रतिनिधि सभा, पंजाब ने की थी। स्वामी श्रद्धानन्द ही
गुरुकुल के प्रथम आचार्य रहे हैं। इस गुरुकुल का संचालन आर्य विद्या सभा, गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार द्वारा किया जाता है। गुरुकुल में शिक्षा गुरुकुल
कांगड़ी विश्वविद्यालय/सीबीएसई पाठ्यक्रम के अनुसार दी जाती है। यह गुरुकुल गुरुकुल
कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से सम्बद्ध एवं मान्यता
प्राप्त है। वर्तमान समय में गुरुकुल में लगभग 400 छात्र
अध्ययनरत हैं।
गुरुकुल में
अचल सम्पत्ति के रूप में निम्न सम्पत्तियां व सुविधायें हैं:
विद्यालय : 1 हाल।
कमरे : 30 न0
ब्रह्मचर्य
आश्रम : दो मंजिला है। इसमें 06 हाल व कमरे
ऊपर व 06 हाल/कमरे नीचे हैं।
भोजन भण्डार
है।
गौशाला है।
कार्यालय है।
गुरुकुल में
कृषि फार्म है जहां कृषि कार्य किया जाता है। गौशाला का संचालन भी गुरुकुल के
द्वारा होता है।
गुरुकुल में
की जाने वाली शिक्षणेतर गतिविधियां निम्न हैं:
1- राज्यीय एवं राष्ट्रीय योग प्रतियोगिता
2- त्रिभाषा-भाषण प्रतियोगिता
3- अन्य क्रीड़ा प्रतियोगितायें एवं
4- प्रश्न मंच (विज्ञान एवं सामान्य ज्ञान)
गुरुकुल की
उपलब्धियां
1- नवीन भवनों का निर्माण (भोजनालय एवं विद्यालय)
2- सीसीटीवी कैमरे लगे हैं।
3- कोबसे से सदस्यता है।
4- छात्रावास में नये पंखे लगाये गये हैं।
5- योग के क्षेत्र में गुरुकुल की अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति हैं।
अध्ययन के
बाद छात्रों की गतिविधियां
1- विभिन्न संस्थानों में उच्च
पदों पर कार्यरत।
2- लगभग 17-18 छात्र योग शिक्षक के रुप में विदेशों में
कार्यरत् हैं।
3- अनेक छात्र आईआईटी एवं चिकित्सा क्षेत्र में चयनित।
गुरुकुल स्व-वित्तपोषित संस्था है। गुरुकुल को राज्य व केन्द्रीय सरकार से कोई
आर्थिक मदद व मानदेय आदि प्राप्त नहीं है। गुरुकुल को छात्रों के सर्वांगीण विकास
हेतु शूटिंग रेंज, बैडमिण्टन कोर्ट,
तरणताल आदि की आवश्यकता है। सरकार से अपेक्षा है कि वह विद्यालय के
भवनों का निर्माण, जीर्ण भवनों की मरम्मत आदि कार्यों सहित
अध्यापकों एवं कर्मचारियों के वेतन हेतु अनुदान प्रदान करें।
गुरुकुल की
उपलब्धियां में प्रथम उपलब्धि यह है कि यहां गुरु-शिष्य परम्परा को स्थापित कर
छात्रों के विकास पर ध्यान दिया जाता है। छात्रों के चरित्र का विकास किया जाता है
तथा उनके मन में प्राचीन भारतीय संस्कृति के प्रति गौरव की भावना उत्पन्न की जाती
है। प्राचीन ज्ञान-विज्ञान के साथ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान का अध्ययन करावाया जाता
है। प्रत्येक प्रकार की शिक्षा के लिये प्रत्येक स्तर पर मातृभाषा को माध्यम रखा
गया है। गुरुकुल शिक्षा प्रणाली प्रचलित दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति का विकल्प
प्रस्तुत करती है।
गुरुकुल प्राचार्य डॉ0 विजेन्द्र शास्त्री जी
हैं। प्रधान डॉ0 दीनानाथ शर्मा, मंत्री
वा सचिव श्री ओम प्रकाश आर्य एवं कोषाध्यक्ष ब्र0
दीक्षेन्द्र आर्य हैं। गुरुकुल का अतीत अत्यन्त स्वर्णिम है। गुरुकुल ने अनेक
विद्वान, वेदभाष्यकार, शिक्षाविद्,
पत्रकार, साहित्यकार, स्वतन्त्रता
सेनानी, इतिहासकार एवं राजनेता आदि दिये हैं। ओ३म् शम्।
मातृ मन्दिर कन्या गुरुकुल, वाराणसी
परिचय-
महर्षि
दयानन्द द्वारा सत्यार्थप्रकाश के तीसरे समुल्लास में पोषित गुरुकुल परम्परा का एक
कन्या गुरुकुल है ‘‘मातृ मन्दिर कन्या गुरुकुल, वाराणसी”। गुरुकुल का पता है डी-45/129 निकट नई बस्ती ग्राम रामापुरा पत्रालय लक्सा थाना लक्सा तहसील सदर जिला
वाराणसी-221010 राज्य उत्तरप्रदेश। गुरुकुल का ई-मेल है matrimandir.VNS@gmail.com तथा सम्पर्क के लिये मोबाइल न0 9450150961 है। गुरुकुल की स्थापना सन् 1960 में स्मृतिशेष आचार्या डॉ0 पुष्पावती
जी ने की थी। आप ही इस गुरुकुल की संस्थापक आचार्या जी थी। गुरुकुल का संचालन मातृ
मंदिर संस्था द्वारा किया जाता है। गुरुकुल मे ंआर्ष पद्धति से अध्ययन कराया जाता
है। गुरुकुल उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद से सम्बद्ध है। गुरुकुल
उत्तर मध्यमा अर्थात् कक्षा 6 से 12 तक मान्यता प्राप्त है। गुरुकुल में इन दिनों 25 ब्रह्मचारिणियां अध्ययन कर रही हैं। गुरुकुल की सम्पत्ति गुरुकुल के नाम पर
पंजीकृत है। गुरुकुल की कुछ सम्पत्ति पर एक पूर्व व्यक्ति द्वारा कब्जा भी किया
हुआ है। कुल की सम्पत्ति पर दृष्टि डालें तो यह 1720 वर्ग फीट है। इस भूमि पर तीन मंजिला भवन बना हुआ है जिसके लिये प्रयत्न किये
गये हैं। भवन में कुल आठ कमरे हैं। गुरुकुल में संस्कृत पाठशाला भी चलाई जाती है।
इस गुरुकुल में अध्ययन सहित अन्य प्रकल्पों में सन्ध्या, यज्ञ, व्यायाम, प्राणायाम, कम्प्यूटर शिक्षा, गृहशिल्प आदि भी नियमित रूप
से सिखायें जाते हैं।
गुरुकुल में अध्ययनरत छात्रायें संस्कारित होकर अध्ययन के बाद अध्यापन एवं
आदर्श गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए स्वतन्त्र रूप से वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार
करती हैंं। यह गुरुकुल उदार दानी महानुभावों के सहयोग से संचालित है। गुरुकुल को
केन्द्र व राज्य सरकार से किसी प्रकार की कोई सहायता प्राप्त नहीं है। गुरुकुल की
आवश्यकताओं पर दृष्टि डालें तो गुरुकुल के पुराने जर्जरित भवन के जीर्णोद्धार
अर्थात् मरम्मत की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त छात्राओं के लिये एक पुस्तकालय एवं
वाचनालय की भी आवश्यकता है। उदार दानी महानुभाव इस कार्य में गुरुकुल के सहयोगी हो
सकते हैं।
गुरुकुल की आचार्या जी यह अनुभव करती हैं कि आर्यसमाज से जुड़े देश के सभी
गुरुकुलों में एक समान पाठ्यक्रम होना चाहिये। सभी गुरुकुलों का एक वैदिक शिक्षा
बोर्ड होना चाहिये जिसमें ऋषि दयानन्द की मान्यताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम हो। इसके
लिये आर्यसमाज की सभी संस्थाओं को प्रयास करने चाहियें।
वर्तमान समय में डॉ0 गायत्री आर्या जी गुरुकुल
की प्राचार्या व आचार्या हैं। श्री अशोक कुमार त्रिपाठी जी मंत्री/सचिव एवं श्री
राजेश राय जी कोषाध्यक्ष हैं। इन पंक्तियों के लेखक की इस गुरुकुल, इसकी आचार्या जी व सभी छात्राओं को शुभकामनायें हैं। ओ३म् शम्।
श्री विरजानन्द आर्ष गुरुकुल, मथुरा
परिचय-
विगत अनेक वर्षों से मथुरा में ‘‘श्री
विरजानन्द आर्ष गुरुकुल” मसानी चौराहे पर स्थित है। गुरुकुल से पत्रव्यवहार का पता है : पत्रालय
गायत्री तपोभमि, गोविन्दनगर थाना, मथुरा-281001 उत्तर प्रदेश। सम्पर्क के लिये मोबाइल न0 9456811519 है। गुरुकुल की स्थापना सन् 1990 में हुई थी।
गुरुकुल के संस्थापक आचार्य, आचार्य स्वदेश जी हैं। आचार्य
स्वदेश जी अष्टाध्यायी महाभाष्य के बहुत प्रेमी है। हमने वर्षों पूर्व इनसे इस
विषय में बात की थी। आप गुरुकुल कालवां-हरयाणा के ब्रह्मचारी रहे हैं। पतंजलि
योगपीठ के प्रख्यात स्वामी रामदेव जी वहां इनके सहपाठी थे। स्वामी राम देव जी और
आचार्य स्वदेश जी की तब की मित्रता वर्तमान में भी कायम है। हमने स्वयं देखा है कि
आचार्य स्वदेश जी गुरुकुल के विद्यार्थियों को एक पिता के समान स्नेह देते हैं एवं
उनके दुःख में दुःखी हो जाते हैं। आतिथ्य करने में आचार्य जी एक आदर्श व्यक्ति
हैंं। हम अनेक बार यहां अकेले व अपने मित्रों के साथ गये हैं। रात्रि शयन भी किया
है। बिना नाश्ता व भोजन किये हमें और हमारे मित्रों को आपने आने नहीं दिया। हमारे
एक पौराणिक मित्र श्री जी.एस. शर्मा तो इनके आकर्षक व्यक्तित्व एवं व्यवहार से
बहुत प्रभावित हुए थे। हम आर्यसमाज का सौभाग्य समझते हैं कि आचार्य स्वदेश जी जैसे
आचार्य एवं ऋषि भक्त हमारे पास हैं।
गुरुकुल का संचालन ‘‘श्री विरजानन्द ट्रस्ट,
मथुरा” द्वारा किया जाता है। गुरुकुल समय के
साथ प्रगति कर रहा है। आचार्य स्वदेश जी का यह गुरुकुल संस्कृत बोर्ड से मान्यता
प्राप्त है। यह मान्यता अस्थाई है। यहां आर्ष व्याकरण व शिक्षा का अध्ययन कराया
जाता है। वर्तमान में यहां 20 छात्र अध्ययन कर रहे हैं।
गुरुकुल के पास अपनी 3 एकड़ भूमि है। वर्षों पूर्व गुरुकुल के
मुख्य द्वार के दोनों ओर असामाजिक तत्वों ने अपनी अस्थाई व अवैध दुकाने बना रखी
थी। आचार्य स्वदेश जी ने अपने विवेक से इन सभी को वहां से हटाया और अब यह स्थान
स्वच्छ एवं दर्शनीय बन गया है। गुरुकुल में ब्रह्मचारियों के लिये 20 कमरे हैं। गुरुकुल परिसर में सत्य प्रकाशन की ओर से एक मासिक पत्रिका ‘‘तपोभूमि” का प्रकाशन होता है। इसके साथ ही यहां से
महात्मा प्रेमभिक्षु जी और अन्य कुछ आर्य विद्वानों का साहित्य भी प्रकाशित होता
है। गोशाला की व्यवस्था, वेद प्रचार एवं आर्य वीर दल की
गतिविधियां भी संचालित की जाती हैं। गुरुकुल से शिक्षित अनेक छात्र आर्यसमाज में
उपदेशक, भजनोपदेशक, पुरोहित आदि का
कार्य करते हैं। कुछ छात्र सरकारी सेवा में भी नियुक्त हुए हैं। गुरुकुल में
अध्ययनरत छात्र पत्रिका के सम्पादन का कार्य करने के साथ वेद प्रचार एवं आर्य वीर
दल के शिविरों में भी अपनी सेवायें देते हैं। गुरुकुल की आय का मुख्य स्रोत धर्म
प्रमियों की ओर से प्राप्त होने वाला दान है।
आचार्या स्वदेश जी गुरुकुल के आचार्य हैं। गुरुकुल के प्रधान
श्री सत्यप्रकाश अग्रवाल हैं। मंत्री श्री बृजभूषण अग्रवाल तथा कोषाध्यक्ष श्री
कृष्ण गोपाल गुप्त जी हैं।
आर्यसमाज की विचारधारा पर आधारित देश में संचालित गुरुकुलों में ‘‘विरजानन्द-आश्रम-पाणिनि महाविद्यालय गुरुकुल, मुरथल-सोनीपत” का अनन्य स्थान है। इस गुरुकुल का पूरा पता है निकट शिवमन्दिर (राजवहा), ग्राम रेवली, पत्रालय ई0सी0 मुरथल, थाना मुरथल, तहसील सोनीपत, जिला सोनीपत, राज्य हरयाणा पिनकोड 131039। गुरुकुल से सम्पर्क के लिये मोबाइल नम्बर 7082111460 एवं 7082111457 हैं। गुरुकुल का ईमेल vedvanee@gmail.com है। गुरुकुल की स्थापना पं. ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी के द्वारा अलीगढ़ के हरदुआगंज में सन् 1921 में हुई थी। पं. ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी आर्ष व्याकरण प्रमुख अधिकारी विद्वानों में से एक हैं जिन्होंने अपना सारा जीवन संस्कृत भाषा एवं साहित्य सहित वैदिक वांग्मय के अध्ययन-अध्यापन व प्रचार-प्रसार में व्यतीत किया। आपने और आपके शिष्यों ने अनेक स्थानों पर अनेक गुरुकुलों की स्थापना की और उनका सफल संचालन किया। यह गुरुकल आज भी चल रहे हैं। आपके सुयोग्य शिष्यों में पं0 युधिष्ठिर मीमांसक, डॉ. आचार्या प्रज्ञादेवी, आचार्य भद्रसेन जी आदि का नाम लिया जा सकता है। पं0 ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी गुरुकुल के संस्थापक आचार्य थे और इसके पूर्व आचार्यों में स्वामी सर्वदानन्द सरस्वती जी, पं, युधिष्ठिर मीमांसक एवं आचार्य विजयपाल जी के नाम सम्मिलित हैं। वर्तमान में वा विगत लम्बे समय से इस गुरुकुल का संचालन रेवली-हरयाणा स्थित रामलाल कपूर टस्ट के अन्तर्गत किया जा रहा है। इससे पूर्व यह गुरुकुल बहालगढ़-हरियाणा में स्थित था। पं. ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी अध्ययन-अध्यापन के क्षेत्र में जो महत्वपूर्ण कार्य कर सके, उसमें उनका रामलाल कपूर ट्रस्ट से अन्तिम समय तक सम्बन्ध बने रहना महत्वपूर्ण हैं। आप इस ट्रस्ट की मासिक पत्रिका वेदवाणी के आद्य सम्पादक भी रहे हैं। यह भी बता दें कि पं. ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी भारत के राष्ट्रपति जी से सम्मानित एक राष्ट्रीय विद्वान के रूप में आदृत हुए थे। वर्तमान समय में गुरुकुल का संचालन रामलाल कपूर ट्रस्ट के द्वारा किया जा रहा है। गुरुकुल आरम्भ से ही गतिशील है और यहां छात्र बिना किसी सरकारी मान्यता प्राप्त उपाधि के शास्त्रीय शिक्षा प्राप्त कर सांगोपांग वेद का अध्ययन कर अपने जीवन को एक उच्च कोटि का वैदिक विद्वान बनाते हैं। यह पुनः बता दें कि यहां शिक्षा की पाठ विधि व प्रणाली वही है जो ऋषि दयानन्द को पूरी तरह से मान्य है अर्थात् गुरुकुल आर्ष शिक्षा प्रणाली का पूर्णतः पोषण यहां किया जाता है। गुरुकुल किसी सरकारी संस्था से न तो सम्बद्ध है, न मान्यता प्राप्त है और न ही सरकार से इसे किसी प्रकार की कोई सुविधा अथवा आर्थिक सहायता प्राप्त होती है।
विरजानन्द-आश्रम-पाणिनि महाविद्यालय, मुरथल- सोनीपत
आर्यसमाज की विचारधारा पर आधारित देश में संचालित गुरुकुलों में ‘‘विरजानन्द-आश्रम-पाणिनि महाविद्यालय गुरुकुल, मुरथल-सोनीपत” का अनन्य स्थान है। इस गुरुकुल का पूरा पता है निकट शिवमन्दिर (राजवहा), ग्राम रेवली, पत्रालय ई0सी0 मुरथल, थाना मुरथल, तहसील सोनीपत, जिला सोनीपत, राज्य हरयाणा पिनकोड 131039। गुरुकुल से सम्पर्क के लिये मोबाइल नम्बर 7082111460 एवं 7082111457 हैं। गुरुकुल का ईमेल vedvanee@gmail.com है। गुरुकुल की स्थापना पं. ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी के द्वारा अलीगढ़ के हरदुआगंज में सन् 1921 में हुई थी। पं. ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी आर्ष व्याकरण प्रमुख अधिकारी विद्वानों में से एक हैं जिन्होंने अपना सारा जीवन संस्कृत भाषा एवं साहित्य सहित वैदिक वांग्मय के अध्ययन-अध्यापन व प्रचार-प्रसार में व्यतीत किया। आपने और आपके शिष्यों ने अनेक स्थानों पर अनेक गुरुकुलों की स्थापना की और उनका सफल संचालन किया। यह गुरुकल आज भी चल रहे हैं। आपके सुयोग्य शिष्यों में पं0 युधिष्ठिर मीमांसक, डॉ. आचार्या प्रज्ञादेवी, आचार्य भद्रसेन जी आदि का नाम लिया जा सकता है। पं0 ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी गुरुकुल के संस्थापक आचार्य थे और इसके पूर्व आचार्यों में स्वामी सर्वदानन्द सरस्वती जी, पं, युधिष्ठिर मीमांसक एवं आचार्य विजयपाल जी के नाम सम्मिलित हैं। वर्तमान में वा विगत लम्बे समय से इस गुरुकुल का संचालन रेवली-हरयाणा स्थित रामलाल कपूर टस्ट के अन्तर्गत किया जा रहा है। इससे पूर्व यह गुरुकुल बहालगढ़-हरियाणा में स्थित था। पं. ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी अध्ययन-अध्यापन के क्षेत्र में जो महत्वपूर्ण कार्य कर सके, उसमें उनका रामलाल कपूर ट्रस्ट से अन्तिम समय तक सम्बन्ध बने रहना महत्वपूर्ण हैं। आप इस ट्रस्ट की मासिक पत्रिका वेदवाणी के आद्य सम्पादक भी रहे हैं। यह भी बता दें कि पं. ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी भारत के राष्ट्रपति जी से सम्मानित एक राष्ट्रीय विद्वान के रूप में आदृत हुए थे। वर्तमान समय में गुरुकुल का संचालन रामलाल कपूर ट्रस्ट के द्वारा किया जा रहा है। गुरुकुल आरम्भ से ही गतिशील है और यहां छात्र बिना किसी सरकारी मान्यता प्राप्त उपाधि के शास्त्रीय शिक्षा प्राप्त कर सांगोपांग वेद का अध्ययन कर अपने जीवन को एक उच्च कोटि का वैदिक विद्वान बनाते हैं। यह पुनः बता दें कि यहां शिक्षा की पाठ विधि व प्रणाली वही है जो ऋषि दयानन्द को पूरी तरह से मान्य है अर्थात् गुरुकुल आर्ष शिक्षा प्रणाली का पूर्णतः पोषण यहां किया जाता है। गुरुकुल किसी सरकारी संस्था से न तो सम्बद्ध है, न मान्यता प्राप्त है और न ही सरकार से इसे किसी प्रकार की कोई सुविधा अथवा आर्थिक सहायता प्राप्त होती है।
वर्तमान समय में गुरुकुल में 50 छात्र अध्ययनरत हैं। यह छात्र ज्योतिष,
वाक्यपदीय, निरुक्त, उपनिषद्, काशिका, धातुवृत्ति, प्रथामवृत्ति, साहित्य-पंचतन्त्र, हितोपदेश आदि का अध्ययन कर रहे हैं। हमारा यह प्रिय गुरुकुल
एक एकड़ भूमि में संचालित है। गुरुकुल में भवनों की दृष्टि से हम यह कह सकते हैं कि
यहां 15 भवन वा प्रकोष्ठ हैं। गुरुकुल को संचालित करने वाले रामलाल
कपूर ट्रस्ट की ओर से वैदिक वांग्मय का प्रकाशन किया जाता है। ट्रस्ट से उच्च कोटि
की एक मासिक पत्रिका ‘‘वेदवाणी” का प्रकाशन भी नियमित रूप से होता है। वर्ष में इस पत्रिका
के 12 अंक प्रकाशित किये जाते हैं जिसमें वर्ष में एक विशेषांक
भी पाठकों को दिया जाता है। इस पत्रिका की यह विशेषता है कि यह प्रत्येक माह के
प्रथम सप्ताह के आरम्भ में ही पाठकों को सुलभ होती है। प्रकाशन तिथि को कभी आगे
पीछे नहीं किया जाता। गुरुकुल में शिक्षेणतर गतिविधियों में ग्रन्थों व मासिक
पत्रिका के सम्पादन सहित समय-समय पर अनेक नये व पुराने ग्रन्थों का प्रकाशन होता
है। यहां के आचार्यगण लेखन कार्य करते रहे हैं और छात्र सम्भाषण सीखते व कुशलता के
साथ प्रस्तुत भी करते हैं।
इस गुरुकुल में शिक्षित छात्रों ने यहां अध्ययन कर इसके बाद सरकारी शैक्षिक
उपाधियां प्राप्त कर महाविद्यालयों में प्रोफेसर आदि पदों पर नियुक्तियां प्राप्त
की हैं। बहुत से छात्र गुरुकुलों का संचालन करते हुए अध्यापन कर रहे हैं। यहां के
विद्वान स्नातक छात्र वैदिक धर्म वा आर्यसमाज का प्रचार भी करते हैं। कुछ छात्रों
ने आईएएस परीक्षा की तैयारी भी की है और बने भी हैं। यहां के छात्र पुरोहित का
कार्य भी सुगमता एवं सफलता से अधिकारपूर्वक करते हैं।
गुरुकुल जनता के सहयोग से चल रहा है। वर्तमान में आचार्य प्रदीप कुमार शास्त्री इस गुरुकुल के आचार्य हैं।
स्वामी वेदानन्द सरस्वती जी पाणिनी महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के प्रधान एवं श्री
सनत् कपूर जी सचिव हैं। श्री रमेश कपूर जी महाविद्यालय के कोषाध्यक्ष हैं।
इस गुरुकुल का अतीत स्वर्णिम है। वर्तमान एवं भविष्य भी स्वर्णिम प्रतीत होते
हैं।
गुरुकुल विश्वविद्यालय वृन्दावन, मथुरा
परिचय-
आर्यसमाज की विचारधारा के अनुरूप शिक्षा के विस्तार के लिये स्थापित यह
गुरुकुल विश्वविद्यालय वृन्दावन, मथुरा उत्तर
प्रदेश राज्य के प्रमुख हिन्दू तीर्थ नगरी वृन्दावन के गौरानगर नामक स्थान पर
स्थित है। इस गुरुकुल की स्थापना सन् 1900 ईसवी में हुई थी। पहली पीढ़ी के प्रमुख आर्यसमाजों के विद्वानों में अग्रणीय
स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती जी इस गुरुकुल के संस्थापक हैं। आचार्य विश्वेश्वर जी
गुरुकुल के संस्थापक आचार्य थे।
गुरुकुल वृन्दावन अपनी शिक्षा योजना के अनुसार गतिशील है। यह किसी संस्था से
संलग्न न होकर स्वायत्तशासी संस्था रहा है। पहले इस विश्वविद्यालय की सभी
परीक्षायें व उपाधियां मान्य थी परन्तु अब नहीं हैं। गुरुकुल में कक्षा 6 से कक्षा 12 व उसके बाद शास्त्री व
आचार्य परीक्षाओं का अध्ययन कराया जाता है। इन सभी कक्षाओं में यहां छात्र अध्ययन
कर रहे हैं। गुरुकुल में विद्यार्थियों की संख्या निम्नवत् है।
कक्षा 6 -10
कक्षा 7 -10
कक्षा 8 -12
कक्षा 9 -10
कक्षा 10 -8
कक्षा 11 -13
कक्षा 12 -10
शास्त्री
परीक्षा -8
आचार्य
परीक्षा -7
गुरुकुल
वृन्दावन 50 एकड़ भूमि में विस्तृत है।
यह सम्पत्ति गुरुकुल के नाम पर सरकारी अभिलेखों में पंजीकृत है। गुरुकुल में 10 बड़े हाल, छात्रावास, अध्यापन के लिये कमरे, गोशाला भवन, पाकशाला भवन, पुस्तकालय, यज्ञशाला, आचार्य कक्ष-4 अतिथि कक्ष-4 उपलब्ध हैं। गुरुकुल का भवन
देखकर प्राचीन काल के गुरुकुलों की याद स्मरण हो आती है। हमें कुछ वर्ष पूर्व यहां
जाने का अवसर मिला था। तब श्री कैलाशनाथ सिंह आर्य प्रतिनिधि सभा, उत्तर प्रदेश के प्रधान थे। हमने देखा था कि परिसर में भव्य इमारतें बनी हुई
हैं। बहुत अच्छा लगा था इन्हें देखकर। यह सभी भवन बहुत पुराने हो चुके हैं।
गुरुकुल की आर्थिक स्थिति पर विचार करें तो हमें लगता है कि इनकी मरम्मत व रखरखाव
कराना आसान नहीं है। बच्चों की संख्या भी गुरुकुल के अतीत व उपलब्ध क्षमता की
दृष्टि से कम है। हमें लगता है कि कोई भी संस्था सुयोग्य हाथों में रहे तो फलती
फूलती है। गुरुकुल का अतीत स्वर्णिम है। यहां आर्यसमाज के महान् विद्वान एवं नेता
महात्मा नारायण स्वामी जी ने अपनी सेवायें दी थी।
गुरुकुल वृन्दावन ने आर्यसमाज व देश को 200 से अधिक वेदाचार्य दिये हैं। यहां के स्नातकों में से कुछ विद्वान सांसद व
विधायक भी बने हैं। आचार्य मेधाव्रत जी संस्कृति के महाकवि हुए हैं। आचार्य
विश्वेश्वर जी प्रसिद्ध साहित्यकार हुए हैं। गुरुकुल ने आर्यसमाज को अनेक प्रचारक
भी दिये हैं। गुरुकुल के अनेक स्नातक आर्यजगत के प्रसिद्ध ग्रन्थकार व लेखक भी रहे
हैं। यह गुरुकुल पराधीनता के वर्षों में क्रान्तिकारी गतिविधियों का प्रमुख
केन्द्र स्थान रहा है। गांधी जी, श्री जवाहरलाल
नेहरू, श्री लाल बहादुर शास्त्री, जननेत्री
सरोजनी नायडू आदि प्रसिद्ध लोगों ने गुरुकुल के द्वारा किये गये कार्यों की
प्रशंसा की है।
कन्या गुरुकुल, खरल-जीन्द
परिचय-
हमारे बहुत से मित्रों को यह ज्ञात नहीं होगा कि हरियाणा राज्य के जीन्द-126116 जिले में नरवाना तहसील के खरल ग्राम में एक कन्या
गुरुकुल संचालित होता है। इस गुरुकुल का सम्पर्क दूरभाष नम्बर 01684-273141 है। गुरु का ईमेल kanyagurukulkharal@gmail.com है।
इस गुरुकुल की स्थापना 26 जनवरी सन् 1976 को हुई थी। संस्थापक हैं स्व0 स्वामी रत्नदेव
सरस्वती जी। गुरुकुल की संस्थापक आचार्या डॉ0 कुमारी दर्शना
देवी जी हैं। गुरुकुल का संचालन इसकी प्रबन्ध समिति ‘वैदिक
शिक्षण संस्थान, कन्या गुरुकुल खरल (जीन्द)’ द्वारा किया जाता है। गुरुमुल अध्ययन-अध्यापन में पूर्णरूपेण क्रियाशील
है। गुरुकुल में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी तथा
भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां (सोनीपत) की
पाठविधि से शिक्षा दी जाती है। गुरुकुल सरकार से स्थाई मान्यता प्राप्त है।
गुरुकुल में विभिन्न कक्षाओं में निम्नलिखित छात्रायें अध्ययनरत हैं:
कक्षा 1 से 5 - 147
कक्षा 6 - 94
कक्षा 7 - 81
कक्षा 8 - 111
कक्षा 9 - 172
कक्षा 10 - 286
कक्षा 10 प्लस 2 - 240
कक्षा 10 प्लस 1 - 261
यह गुरुकुल
अपनी निजी भूमि में स्थित है जिसका कुल क्षेत्रफल 28 एकड़ है। गुरुकुल की अचल सम्पत्तियों में निम्न भवन आदि सम्मिलित हैंः
विशाल
छात्रावास भवन
विद्यालय भवन
भोजनालय
विशाल
यज्ञशाला
विशाल
बहुद्देशीय हाल वा सभा भवन
पुस्तकालय
कम्प्यूटर
लैब
भौतिक
विज्ञान एवं रसायन विज्ञान प्रयोगशाला
स्टाफ
क्वार्टर्स
पाकशाला
गौशाला भवन 1
विशाल सभागार
गुरुकुल में एक गौशाला है। गुरुकुल में कृषि का कार्य भी होता है। गुरुकुल की
यह उपलब्धि कह सकते हैं कि इस गुरुकुल से हजारों छात्रायें शिक्षित हुई हैं।
स्नातक छात्राओं में से कुछ अन्य विद्यालयों में अध्यापिकायें नियुक्त हुई हैं।
नेपाल की अनेक छात्रायें यहां शिक्षित होकर नेपाल में चिकित्सक नियुक्त हुई हैं।
भारत के अनेक प्रान्तों की छात्राओं ने यहां शिक्षा प्राप्त की है। कुछ छात्रायें
उच्च पदों पर कार्यरत हैं। यहां की छात्राओ से हरियाणा राज्य में नारी शिक्षा का
प्रचार हुआ है। गुरुकुल की आय का अपना कोई स्रोत नहीं है। सभी कार्य गुरुकुल
प्रेमियों के दान व उनसे चन्दा इकट्ठा करके किये जाते हैं। राज्य सरकार से आंशिक
आर्थिक सहायता प्राप्त होती है। जहां तक शिक्षकों को राज्य सरकार से मानदेय का
प्रश्न है, इन्हें सरकार से कोई
मानदेय प्राप्त नहीं होता है। गुरुकुल में बिजली की स्थाई व निरन्तर रूप से पूर्ति
नहीं होती। बिजली सुचारु रूप से लगातार मिलती रहे, इसके लिये
दानी महानुभावों से आर्थिक सहयोग की अपेक्षा है। गुरुकुल सरकार से भी अपेक्षा करता
है कि सरकार की गुरुकुल के प्रति सकारात्मक सोच हो और सरकार की ओर से गुरुकुल की
मूलभूत आवश्यकतायें पूरी की जायें।
गुरुकुल की
आचार्या जी के निम्न सुझाव हैं जिन्हें यहां प्रस्तुत किया जा रहा हैः-
1- उत्तर भारत के सभी गुरुकुलों का
केन्द्रीय स्तर पर एक बोर्ड गठित होना चाहिये।
2- सभी गुरुकुलों का पाठ्यक्रम एक
होना चाहिये।
3- केन्द्र सरकार गुरुकुलों की अपने अन्य विद्यालयों के समान आर्थिक सहायता
प्रदान करे। गुरुकुलों को स्वायत्तशासी संस्था के रूप में संचालित किया जाये।
4- गुरुकुल के अध्यापक व अध्यापिकाओं
का एक प्रशिक्षण केन्द्र होना चाहिये। यह कोई गुरुकुल हो सकता है।
5- सभी गुरुकुलों को वैदिक धर्म,
संस्कृति व सभ्यता के रक्षण पर विशेष ध्यान देना चाहिये।
गुरुकुल के
उपप्रधान श्री जिले सिंह आर्य (मोबाइल 9467222721),
मंत्री मा0 ओम प्रकाश आर्य तथा कोषाध्यक्ष मा0 राय सिंह आर्य हैं।
आर्ष कन्या गुरुकुल महाविद्यालय, देहरादून
परिचय-
द्रोणस्थली
आर्ष कन्या गुरुकुल महाविद्यालय, देहरादून
वैदिक शिक्षा पद्धति पर संचालित कन्याओं की देहरादून की एक प्रमुख गुरुकुलीय
संस्था है। यह गुरुकुल किशनपुर निकट मानव कल्याण केन्द्र, देहरादून
में स्थित है। इसका डाक का पता है, 35-ए किशनपुर, राजपुर, देहरादून-248009
उत्तराखण्ड। मोबाइल से भी गुरुकुल से सम्पर्क किया जा सकता है। इसके लिये सम्पर्क
न0 7983091104 एवं 7895617280 हैं।
गुरुकुल की स्थापना 15 अगस्त, 1997 को
स्व. डा0 वेद प्रकाश गुप्ता जी द्वारा की गई थी। इस गुरुकुल
की संस्थापक आचार्या डॉ0 अन्नपूर्णा नन्द हैं। गुरुकुल का
संचालन एक समिति के द्वारा किया जा सकता है। गुरुकुल अपनी पूरी क्षमता से संचालित
व गतिशील है। यहां आर्ष पाठ विधि से अध्ययन कराया जाता है। गुरुकुल उत्तराखण्ड
संस्कृत बोर्ड एवं उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार
से सम्बद्ध है। गुरुकुल स्नातक व स्नात्कोत्तर (प्राचीन व्याकरण) पाठ्यक्रमों के
लिये उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार से मान्यता
प्राप्त है। गुरुकुल में पूर्व प्रथमा से आचार्य पर्यन्त लगभग 150 छात्रायें अध्ययनरत हैं। गुरुकुल की भूमि एवं भवन सरकार रिकार्ड में
गुरुकुल के नाम पर पंजीकृत हैं। भूमि का क्षेत्रफल लगभग डेढ़ बीघा है। गुरुकुल में
छात्राओं के आवास के लिये लगभग 15 कमरे हैं तथा 7 कमरे अध्ययन कक्ष के लिये हैं।
अध्ययन के साथ गुरुकुल की छात्रायें यज्ञ, योग तथा प्राणायाम आदि नियमित रूप से करती हैं। संस्कृत सम्भाषण शिविर एवं
योग साधना शिविरों आदि का आयोजन यहां होता रहता है। गुरुकुल के माध्यम से संस्कृत
का प्रचार व प्रसार भी किया जाता है। आचार्या जी अपने उपदेशों एवं व्याख्यानों के
द्वारा वेद प्रचार भी करती हैं। गुरुकुल में गोशाला एवं होम्योपैथी चिकित्साशाला भी
है। यहां कम्प्यूटर, सिलाई, संगीत
(गायन एवं वादन), जुडो-कराटे सहित अस्त्र-शस्त्र संचालन का
प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
गुरुकुल की अनेक उपलब्धियां है। सन् 2007 से 2018 तक निरन्तर आचार्य कक्षा (विषय प्राचीन
व्याकरण) में छात्राओं ने स्वर्ण पदक प्राप्त किये हैं। गुरुकुल की दो छात्राओं ने
स्नातक स्तर पर स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। इस द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल की
छात्राओं ने अनेक संस्कृत व हिन्दी की प्रतियोगिताओं में प्रथम व द्वितीय स्थान
प्राप्त कर शील्ड एवं नकद पुरस्कार भी प्राप्त किये हैं। गुरुकुल की अनेक छात्रायें
अपना अध्ययन पूरा करके अध्यापन क्षेत्र में प्रवक्ता तथा अध्यापक आदि का कार्य कर
रहीं हैं। कुछ छात्रायें वेद प्रचार करती हैं तथा कुछ गुरुकुलों का संचालन भी कर
रही हैं। गुरुकुल में आय का स्रोत दान है। गुरुकुल की प्रधानाचार्या, तीन शिक्षकों एवं एक परिचारिका का वेतन राज्य/केन्द्र सरकार से प्राप्त
होता है। संस्कृत अकादमी एक अध्यापिका को प्रतिमाह 600 रुपये
का मानदेय प्रदान करती है।
गुरुकुल को अध्ययन कक्ष, पुस्तकालय,
फर्नीचर, भोजन सामग्री सहित निर्धन छात्राओं
के अध्ययन हेतु छात्रवृत्तियों की आवश्यकता है।
श्रीमद्दयानन्द वेद विद्यालय
“देश
की राजधानी में वैदिक सिद्धान्तों पर संचालित आदर्श गुरुकुल”
महर्षि
दयानन्द जी के सत्यार्थप्रकाश के तीसरे समुल्लास में गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली
विषयक विचारों से प्रभावित होकर ऋषिभक्त स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती जी ने सन् 1902 में पहला गुरुकुल हरिद्वार के निकट कांगड़ी ग्राम में खोला था। इस गुरुकुल
के लिये आवश्यक धन का संग्रह भी उन्होंने स्वयं ही किया था और कालान्तर में
जालन्धर स्थित अपना निवास एवं ‘सद्धर्म प्रचारक’ पत्र का प्रेस आदि अपनी सभी सम्पत्ति
इस गुरुकुल को दान कर दी थी। स्वामी श्रद्धानन्द जी का दान ऐसा दान था जिसे
हम सर्वस्व का दान कह सकते हैं। स्वामी जी ने अपना जीवन तो पहले ही दान कर रखा था।
उनका प्रत्येक क्षण ऋषि दयानन्द के मिशन को पूरा करने का स्वप्न लिया करता था।
उन्होंने ऋषि द्वारा सुझाये गये समाज सुधार एवं देशोन्नति के प्रायः सभी व अधिकतम
कार्य किये। गुरुकुल कागंड़ी की स्थापना के लगभग 32 वर्ष बाद
ऋषिभक्त श्री राजेन्द्र नाथ शास्त्री (स्वामी सच्चिदानन्द योगी) जी ने 24 अगस्त सन् 1934 (श्रावण पूर्णिमा संवत् 1991 विक्रमी) को ‘‘श्रीमद् दयानन्द वेद विद्यालय,
119 गौतमनगर, दिल्ली” की
स्थापना की थी।
गुरुकुल से
शास्त्री व आचार्य आदि की उपाधि प्राप्त छात्र विश्वविद्यालयों,
महाविद्यालयों एवं राज्य सरकारों के भिन्न-भिन्न शिक्षण संस्थानों
में सहायक आचार्य, प्राध्यापक, प्रधानाचार्य,
शिक्षक आदि अनेक पदों पर सेवारत हैं। बहुत से छात्र योग प्रचार व
योग प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी अपनी सेवायें दे रहे हैं। यह छात्र स्वयं तो
आर्यत्व व वेद के गुणों से युक्त होते ही हैं, इसके साथ ही
अपने चहुंओर के वातावरण अर्थात् समाज में वेद प्रचार भी करते हैं।
यह
विद्यालय अपनी कतिपय विशिष्टताओं के कारण आर्यजगत् की श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ
है-
1.
ब्रह्मचारियों के भोजनाच्छादन और रहन-सहन आदि में समानता का व्यवहार होता है।
2.
यहाँ छात्र नियमित रूप से एक घण्टा यथायोग्य श्रमदान करते हैं, जिसमें सफाई, गोसेवा आदि इस प्रकार के सामाजिक कार्य
सम्मिलित हैं। इस श्रमदान द्वारा जहाँ छात्रों का स्वास्थ्य ठीक रहता है, वहाँ अपनी संस्था से हार्दिक स्नेह एवं आत्मीयता उत्पन्न होती है।
3.
पढ़ाई के साथ स्वास्थ्य, सदाचार एवं शिष्टाचार की शिक्षा भी
मुख्यरुप से दी जाती है।
4.
विद्यार्थी अपने योग्य आचार्यों के संरक्षण में आदर्श जीवन व्यतीत करते हैं।
5.
वैदिक साहित्य, संस्कृत, अंग्रेजी व
आधुनिक विषयों में विद्यार्थी को योग्य बनाया जाता है।
6.
निःशुल्क शिक्षा देकर तथा बालक के अन्य सभी उत्तरदायित्व वहन करके माता-पिता को
निश्चिन्त किया जाता है।
7.
इस विद्यालय में प्राचीन मूल्यों के साथ-साथ वर्तमान की समस्याओं से संघर्ष करने
का उत्साह भी बालक में पैदा किया जाता है।
8.
कक्षा प्रथमा (अष्टम) से आचार्य (दर्शन, साहित्य, वेद, योग, इतिहास, पुरातत्व, आदि, एम0ए0 समकक्ष) तक की शिक्षा दी जाती है।
श्रीमद्दयानन्द
वेद विद्यालय एक दृष्टि में-
स्थान -
दक्षिण दिल्ली के प्रसिद्ध अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (मेडिकल अस्पताल) के
पीछे गौतमनगर में आधुनिक भव्य भवनों से सुसजित, इण्डिया
गेट से लगभग ५ किलोमीटर की दूरी पर वेद-विद्यालय स्थित है।
प्रवेश समय
- 15 मई से 30 जून तक।
प्रवेश आयु
- सप्तम कक्षा उत्तीर्ण (12 से 14)।
श्रेणी -
अष्टम से 16 वीं तक (प्रथमा से आचार्य तक)।
विषय
-
व्याकरण,
धर्मशास्त्र, साहित्य, निरुक्त,
छन्दः, अलंकार, उपनिषद्,
दर्शन, वेद, राजनिति,
इतिहास, गणित, विज्ञान,
अंग्रेजी आदि।
उपधि
-(प्रथमा) अधिकारी, (मध्यमा) प्रवीण,
(शास्त्री) व्याकरण-निष्णात, (आचार्य) व्याकरण
पारंगत।
शिक्षा
-सप्तम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र के एक वर्ष तक विशेष अध्ययन कराकर,
व्याकरणशास्त्र में प्रवेश के योग्य बनकर (मध्यमा) प्रवीण से
(आचार्य) व्याकरणपारंगत 16 वीं श्रेणी तक अध्ययन कराना इस
अध्ययनकाल के किसी प्रकार का शिक्षा शुल्क नहीं है।
अवकाश -
शिक्षाकाल में कोई अवकाश नर्ही होता है।
मान्यता -
महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक
(हरियाणा) से सम्बद्ध।
उत्सव -
शीत ऋतु नवम्बर, दिसम्बर।
गुरुकुल का
पूरा पता है-
पत्रालय - 119 गौतमनगर,
थाना हौज-खास, तहसील- दक्षिण दिल्ली, पिनकोड 110049 राज्य- दिल्ली।
फोन नं0
011-26525663 तथा मोबाइल नं0 09868855155 एवं 09810420373
वर्तमान
समय में यशस्वी स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती (पूर्व आश्रम का नाम आचार्य हरिदेव) जी
इस गुरुकुल के आचार्य हैं। इनसे पूर्व आचार्य राजेन्द्र नाथ शास्त्री (स्वामी
सच्चिनन्द योगी जी) गुरुकुल के आचार्य थे। गुरुकुल का संचालन श्रीमद् दयानन्द
वेदार्ष महाविद्यालय न्यास, दिल्ली द्वारा किया
जाता है। गुरुकुल अपने स्थापना के समय से निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर है। शिक्षण
का प्रकार आर्ष शिक्षण पाठ्य पद्धति है। गुरुकुल में सत्र 2018-2019 में 200 छात्र अध्ययनरत थे।
गुरुकुल 6 बीघा
भूमि में स्थित है जिसका स्वामीत्व गुरुकुल के नाम पर रजिस्टर्ड है। यज्ञशाला,
पुस्तकालय, वाचनालय, पाकशाला,
भोजनालय, छात्रावास - 12 कक्ष, विद्यालय भवन - 12 कक्ष,
अतिथि कक्ष - 3 गुरुकुल परिसर में उपलब्ध हैं।
गुरुकुल के द्वारा सम्पूर्ण भारतवर्ष में वेदपाठ एवं यज्ञों के सम्पादन में सहयोग
दिया जाता है। वेद प्रचार हेतु दिल्ली में होने वाली शोभायात्राओं में गुरुकुल की
सहभागिता होती है। गुरुकुल के द्वारा संस्कृत-सम्भाषण शिविरों का आयोजन भी किया
जाता है। योग शिविरों का आयोजन इत्यादि अनेक कार्य भी गुरुकुल के द्वारा आयोजित
किये जाते हैं।
गुरुकुल आश्रम, आमसेना
परिचय--
गुरुकुल
आश्रम आमसेना आर्यजगत का विख्यात गुरुकुल है। यह गुरुकुल खरियार रोड, ग्राम आमसेना, पत्रालय- आमसेना थाना- जोंक
तहसील - नुवापारा जिला- नवापारा राज्य ओडिशा-766104 में स्थित
है। इस गुरुकुल से दूरभाष संख्या 8280283034, मोबाइल नं0
7873111213, ईमेल aumgurukul@rediffmail.com एवं
वेबसाइट www.vedicgurukulamsena.com पर सम्पर्क किया जा सकता
है।
इस गुरुकुल की स्थापना 7 मार्च सन् 1968 को इसके संस्थापक स्वामी धर्मानन्द सरस्वती जी ने की थी। स्वामी व्रतानन्द सरस्वती जी गुरुकुल के संस्थापक आचार्य हैं। स्वामी धर्मानन्द जी ने गुरुकुल में आचार्यत्व भी किया है। गुरुकुल का संचालन प्राचीन भारतीय विद्या सभा द्वारा किया जाता है। गुरुकुल गतिशील है और यहां इस समय 179 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। गुरुकुल में आर्ष व्याकरण पद्धति से शिक्षा दी जाती है। यह गुरुकुल परीक्षाओं की दृष्टि से महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक से सम्बद्ध है। गुरुकुल का कक्षानुसार विवरण भी हमें उपलब्ध है। कक्षा 6 से कक्षा 12 तक गुरुकुल में क्रमश: 36, 28, 33, 32, 19, 11 एवं 20, कुल 179 छात्र अध्ययनरत हैं। गुरुकुल का भवन आदि का परिसर साढे तीन एकड़ में बना है। इसके अतिरिक्त गुरुकुल के पास 80 एकड़ कृषि योग्य भूमि भी है। गुरुकुल की समस्त अचल सम्पत्ति अपने अधिकार में है जिस पर किसी किरायेदार आदि का कोई कब्जा नहीं है। गुरुकुल में उपलब्ध कुल 75 कक्षों व भवनों में पाकशाला भवन एवं 3 सभा भवन सम्मिलित हैं।
इस गुरुकुल की स्थापना 7 मार्च सन् 1968 को इसके संस्थापक स्वामी धर्मानन्द सरस्वती जी ने की थी। स्वामी व्रतानन्द सरस्वती जी गुरुकुल के संस्थापक आचार्य हैं। स्वामी धर्मानन्द जी ने गुरुकुल में आचार्यत्व भी किया है। गुरुकुल का संचालन प्राचीन भारतीय विद्या सभा द्वारा किया जाता है। गुरुकुल गतिशील है और यहां इस समय 179 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। गुरुकुल में आर्ष व्याकरण पद्धति से शिक्षा दी जाती है। यह गुरुकुल परीक्षाओं की दृष्टि से महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक से सम्बद्ध है। गुरुकुल का कक्षानुसार विवरण भी हमें उपलब्ध है। कक्षा 6 से कक्षा 12 तक गुरुकुल में क्रमश: 36, 28, 33, 32, 19, 11 एवं 20, कुल 179 छात्र अध्ययनरत हैं। गुरुकुल का भवन आदि का परिसर साढे तीन एकड़ में बना है। इसके अतिरिक्त गुरुकुल के पास 80 एकड़ कृषि योग्य भूमि भी है। गुरुकुल की समस्त अचल सम्पत्ति अपने अधिकार में है जिस पर किसी किरायेदार आदि का कोई कब्जा नहीं है। गुरुकुल में उपलब्ध कुल 75 कक्षों व भवनों में पाकशाला भवन एवं 3 सभा भवन सम्मिलित हैं।
गुरुकुल में
फार्मेसी, गोशाला, साहित्य प्रकाशन केन्द्र,
कुश्ती स्थल, संगीत कक्ष, सिलाई-कढ़ाई कक्ष, कृषि उद्यान एवं धर्मार्थ
चिकित्सालय कार्यरत हैं। गुरुकुल की शिक्षणेतर गतिविधियों में कुश्ती, संगीत, धनुर्विद्या, सिलाई,
कढ़़ाई, कम्प्यूटर आदि का प्रशिक्षण शामिल है।
यहां युवा चरित्र निर्माण शिविरों का आयोजन भी किया जाता है। गुरुकुल की
उपलब्धियों पर ध्यान दें तो यहां कुश्ती में प्रवीण राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं।
यहां के ब्रह्मचारी शास्त्र स्मरण प्रतियोगिता में भी भाग लेते हैं व स्वर्ण पदक
आदि से पुरस्कृत हुए हैं। गुरुकुल के छात्र यहां अध्ययन करने के बाद अन्य
विश्वविद्यालयों में अध्ययन के लिये जाते हैं। कुछ अध्यापक बनते हैं और अन्य
पुरोहित एवं व्यापार आदि का कार्य करते हैं। गुरुकुल की आय के स्रोत धर्मस्व वा
दान तथा स्थिर निधियां हैं। कृषि से उत्पन्न अन्न आदि से भी गुरुकुल को सहयोग
मिलता है। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से गुरुकुल को आर्थिक सहयोग प्राप्त होता है।
गुरुकुल में
अधिकांश निर्धन छात्र अध्ययन करते हैं जो अपने अध्ययन का व्यय वहन नहीं कर सकते।
इनके लिये दानी महानुभावों से छात्रवृत्तियों की अपेक्षा है। सरकार से
भी अपेक्षा गुरुकुल प्रबन्धन अपेक्षा करता है कि यहां के अध्यापकों व आचार्यों को
वेतन दिया जाया करे। गुरुकुल प्रबन्धन आर्यसमाज की सभा संस्थाओं से अपेक्षा करता
है कि वह गुरुकुल परिषद द्वारा दर्शन एवं व्याकरण के अध्यापकों को उचित मानदेय पर
नियुक्ति दिलाने में सहयोग करें। यह भी बता दें कि माता परमेश्वरी देवी जी गुरुकुल
आश्रम आमसेना की प्रधाना हैं। स्वामी व्रतानन्द सरस्वती जी प्रबन्धन समिति के
मंत्री एवं श्री रामनिवास गोयल जी कोषाध्यक्ष हैं।
गुरुकुल से एक मासिक पत्रिका "कुलभूमि" का
प्रकाशन भी होता है जिसमे उच्च कोटि के लेख होते हैं।
गुरुकुल महाविद्यालय, झज्जर
परिचय
गुरुकुल महाविद्यालय, झज्जर आर्यसमाज का प्रसिद्ध
एवं प्रमुख गुरुकुल है। यह गुरुकुल हरियाणा राज्य के झज्जर जिले में स्थित है।
इसका सम्पर्क सूत्र पत्रालय झज्जर, तहसील झज्जर, पिनकोड 124103, दूरभाष/मोबाइल नं0 9416055044 एवं इमेल
अपकलंचममजींतेण्हउंपसण्बवउ है। इस गुरुकुल की स्थापना वर्ष 1915 में पं0 विशम्भर दयाल जी ने की थी।
इस गुरुकुल के पूर्व आचार्य स्वामी ओमानन्द सरस्वती जी हुए हैं जिनका यश आर्यसमाज
में सर्वदा विद्यमान रहेगा। गुरुकुल का संचालन विद्यार्य सभा के द्वारा किया जाता
है। यहां आर्ष शिक्षा प्रणाली से अध्ययन कराया जाता है। गुरुकुल महर्षि दयानन्द
विश्वविद्यालय, रोहतक से सम्बद्ध है। यह गुरुकुल
मान्यता प्राप्ति की दृष्टि से ‘श्रीमद्
दयानन्द आर्ष विद्यापीठ’ द्वारा मान्यता प्राप्त है
एवं इससे एसोसियेट स्टेटस से युक्त है।
वर्तमान समय
में यहां कुल 204 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
गुरुकुल के पास अपनी 60 एकड़ भूमि व भवन आदि हैं। यह
पूरी भूमि गुरुकुल के अपने अधिकार में है और इस पर किसी का किसी प्रकार का कब्जा
आदि नहीं है। गुरुकुल में छात्रावास, रसायनशाला, बलिदान भवन, कुश्ती भवन तथा गोशाला एवं अतिथिशाला हेतु पर्याप्त भवन उपलब्ध हैं। गुरुकुल
का अपना संग्रहालय एवं प्राकृतिक चिकित्सालय है। गुरुकुल का संग्रहालय देश भर में
प्रसिद्ध है।
शिक्षणेतर
गतिविधियों में यहां पर क्रीड़ा, कृषि तथा वेद
प्रचार आदि का कार्य सम्पन्न किया जाता है। गुरुकुल की उपलब्धियों पर दृष्टि डालें
तो अब तक यहां से सैकड़ों स्नातक विद्वान बनकर निकले हैं जो कि देश विदेश में
विभन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं। यह क्षेत्र हैं शिक्षा, साहित्य, राजनीति, प्रशासनिक, योग, पुरातत्व, सामाजिक, क्रीड़ा एवं आयुर्वेद।
गुरुकुल से
अधीत अधिकांश स्नातक अध्यापन कार्य में संलग्न हैं। इनके अतिरिक्त कई स्नातक समाज
को अपना जीवन समर्पित करके अनेक नये गुरुकुलों की स्थापना करके समाज सेवा कर रहे
हैं। कुछ स्नातक राजनीति में उच्च पदों को सुशोभित कर चुके हैं। कुछ स्नातक
संन्यासी बनकर भी देश व समाज की सेवा कर रहे हैं।
गुरुकुल की
आय का स्रोत दान व कृषि आदि है। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान तथा राज्य सरकार से
अल्प आर्थिक मदद उपलब्ध होती है। सरकार से अपेक्षा है कि वह गुरुकुल की सभी
गतिविधियों के संचालन के लिये पूर्ण आर्थिक सहायता व अनुदान प्रदान करे।
वर्तमान समय
में गुरुकुल के आचार्य श्री विजयपाल जी (मोबाइल नं. 9416055044) हैं। गुरुकुल की विद्यार्य सभा के प्रधान पद पर श्री पूर्ण सिंह देशववाल जी
(मोबाइल नं. 8053178787) हैं तथा
मंत्री व कोषाध्यक्ष पद पर क्रमशः श्री राजवीर सिंह जी (मोबाइल नं. 9811778655) और श्री राम प्रताप जी (मोबाइल नं. 9416434541) हैं। गुरुकुल से मासिक पत्रिका ‘‘सुधारक” का प्रकाशन भी होता है।
गार्गी कन्या गुरुकुल महाविद्यालय, अलीगढ़
परिचय-
अलीगढ़ देश का प्रसिद्ध नगर है। यह मथुरा,
वृन्दावन, आगरा आदि नगरों के समीप है। यहां पर आर्यसमाज की वैदिक
विचारधारा से पोषित कन्याओं का एक गुरुकुल है जिसे गार्गी कन्या गुरुकुल
महाविद्यालय, अलीगढ़ के नाम से जाना जाता है। यह गुरुकुल ग्राम चामड़,
पत्रालय भैया, तहसील इगलास, पिन कोड 202124, जिला अलीगढ़ में स्थित है। गुरुकुल से फोन पर सम्पर्क करने
के लिये मोबाइल नं0 9410426199 तथा 9411879561 पर सम्पर्क किया जा सकता है। ईमेल पर सम्पर्क करना हो तो gargikga123@email.com
पर सम्पर्क कर सकते हैं। गुरुकुल की स्थापना 1 जुलाई सन् 2002 को स्वामी चेतनदेव वैश्वानर जी ने की थी। गुरुकुल का
संचालन ‘‘विरजानन्द राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान”
के द्वारा किया जाता है। गुरुकुल गतिशील है और कन्याओं को
प्राचीन भाषा संस्कृत एवं धर्म व संस्कृति की शिक्षा देकर नारियों के जीवन निर्माण
में संलग्न है। गुरुकुल में आर्ष पाठ्यक्रम से अध्ययन कराया जाता है। परीक्षा हेतु
महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक से सम्बद्धता है। गुरुकुल पूर्वमध्यमा से आचार्य
पर्यन्त श्रेणियों के लिये मान्यता प्राप्त है। वर्तमान समय में गुरुकुल में 30 छात्रायें अध्ययन कर रहीं हैं। गुरुकुल के पास अपनी 28 बीघा अर्थात् 2.75 हेक्टेयर भूमि है।
गुरुकुल में अध्ययन के साथ साथ गोशाला, वेद प्रचार, आयुर्वेद चिकित्सा, शोध एवं प्राकृतिक कृषि का कार्य भी संचालित किया जाता है।
समय-समय पर गुरुकुल में व गुरुकुल की ओर से योग शिविरों के आयोजन किये जाते हैं।
युवति विकास शिविरों का अयोजन भी किया जाता है। वेद प्रचार के अन्तर्गत गुरुकुल की
ओर से वैदिक साहित्य का वितरण किया जाता है। समाज का पतन रोकने के लिये नशा मुक्ति
कार्यक्रम भी चलाये जाते हैं। गुरुकुल की गतिविधियों में एक गतिविधि वानप्रस्थियों
का निर्माण करना भी है।
गुरुकुल अपने स्थापना काल से प्राचीन एवं आधुनिक परम्परा से ब्रह्मचारिणियों
को वैदिक धर्म एवं संस्कारों में दीक्षित कर उनका निर्माण कर रहा है। गुरुकुल का
उद्देश्य आर्ष विद्या वा शिक्षा का संरक्षण करना व इसकी उन्नति करना है। गुरुकुल
की छात्रायें शासकीय सेवाओं में भी कार्यरत हैं। पांच छात्रायें अध्यापन कराती
हैं। पुलिस सेवा में गुरुकुल की छात्रायें कार्यरत हैं। निजी क्षेत्र में भी
गुरुकुल की छात्रायें अनेक प्रकार के कार्य कर रही हैं। दो छात्राओं ने प्रथम
प्रयास में ही नैट-जूनियर रिसर्च फैलों परीक्षा उत्तीर्ण की है और तदोपरान्त शोध
कार्य कर रहीं हैं। गुरुकुल की पांच छात्रायें वेद प्रचार कार्य में संलग्न हैं।
कुछ छात्रायें गुरुकुल में अध्यापन एवं व्यवस्था प्रबन्धन कार्यों में नियुक्त
हैं। गुरुकुल की कुछ छात्राओं ने गायन, भाषण तथा शौर्य प्रदर्शन की जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में
भाग लेकर प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त किये हैं।
गुरुकुल की प्राचार्या सुश्री मनु आर्या जी का फोन नं0
9411879561 है। स्वामी
केवलानन्द सरस्वती जी गुरुकुल के प्रधान हैं। श्री चेतनदेव वैश्वानर जी मोबाइल नं0
9410426199 मंत्री हैं
तथा श्री कारे सिंह जी कोषाध्यक्ष हैं।
कन्या गुरुकुल महाविद्यालय, देहरादून
परिचय-
वर्तमान समय में देहरादून में कन्याओं एवं बालकों के
मुख्यतः तीन गुरुकुल संचालित हो रहे हैं। इनके नाम है श्री मद्दयानन्द आर्ष
ज्योतिर्मठ गुरुकुल, पौंधा, द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल, देहरादून एवं कन्या गुरुकुल महाविद्यालय,
देहरादून। कन्या गुरुकुल महाविद्यालय देहरादून से मसूरी
जाने वाली राजपुर रोड पर स्थित है और इसकी नगर से दूरी लगभग 1.5 किमी0 है। गुरुकुल का पता है 60 राजपुर रोड, निकट मधुबन होटल, देहरादून-248001। गुरुकुल से यदि दूरभाष पर सम्पर्क करना हो तो लैंड लाइन
फोन नं0
0135-2748334 एवं मोबाइल
नं0
9761219696 पर सम्पर्क
कर सकते हैं। गुरुकुल विषयक कुछ जानकारी नैट पर वेब साइट www.gurukulkangrividyalaya.org
से भी प्राप्त की जा सकती हैं। इस कन्या गुरुकुल की स्थापना
स्वामी श्रद्धानन्द जी के गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय में सहयोगी आचार्य रामदेव जी ने
8 नवम्बर सन् 1923 को की थी। आप ही इसके आद्य आचार्य रहे। गुरुकुल का संचालन
आर्य विद्या सभा, पंजाब के द्वारा किया जाता है। कन्या गुरुकुल,
देहरादून गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय,
हरिद्वार से सम्बद्ध है और इसके पाठ्यक्रम के अनुरुप ही
यहां का भी पाठ्यक्रम है। गुरुकुल मान्यता प्राप्त है। हमारे पास जुलाई,
2018 की जानकारी उपलब्ध है।
इसके अनुसार गुरुकुल में विभिन्न कक्षाओं में निम्न छात्रायें अध्ययन कर रही थीं।
प्रथम - 2
द्वितीय - 1
तृतीय - 2
चतुर्थ - 2
पंचम - 4
षष्ठम - 4
सप्तम - 5
अष्टम - 6
नवम - 9
दशम - 14
एकादश - 4
द्वादश - 16
गुरुकुल अपनी भूमि में संचालित है जिसका क्षेत्रफल 84 बीघा है। यद्यपि गुरुकुल नगर के मध्य में स्थित है परन्तु
हमने गुरुकुल के भीतर का वातावरण देखा है जो कि बहुत सुखद,
मनमोहक एवं गुरुकुल के वातावरण के अनुरूप है। गुरुकुल परिसर
में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त अन्य स्नातक एवं
स्नात्कोत्तर पाठ्यक्रम भी संचालित होते हैं ऐसा हमारा अनुमान है। गुरुकुल परिसर
में विद्यालय, आश्रम, कार्यालय एवं खेल मैदान की सुविधा उपलब्ध है व यह सब भवन परिसर में स्थित एवं
संचालित होते है।
गुरुकुल द्वारा संचालित अन्य प्रकल्पों में एन.टी.टी. (N.😭.) एवं PLAY GROUP (GURUKUL LITTLE
FLOWER) स्कूल भी
संचालित किया जाता है। गुरुकुल के भीतर अध्ययन-अध्यापन के साथ साग सब्जी का
उत्पादन भी किया जाता है। गुरुकुल का विगत वर्ष का परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत रहा
है। गुरुकुल के द्वारा उत्तराखण्ड सरकार द्वारा संचालित योग दिवस के आयोजन सहित
पर्यावरण की रक्षा हेतु वृक्षारोपण कार्यक्रम में भी भाग लिया जाता है। अपने
कार्यों के सम्पादन में गुरुकुल की आय का जो साधन है वह बच्चों की फीस है एवं
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली से वार्षिक अनुदान के रूप में प्राप्तव्य राशि है।
गुरुकुल को अपने पुराने भवनों की मरम्मत आदि के लिये आर्थिक सहायता की आवश्यकता है।
दानी महानुभाव एक जनरेटर एवं आर0ओ0 प्रदान कर भी यश के भागी हो सकते हैं। गुरुकुल सरकार से
आर्थिक सहायता की अपेक्षा रखता है जिससे गुरुकुल के सभी कार्यों का सम्पादन सुगमता
से हो सके।
वर्तमान में सुश्री संतोष विद्यालंकार गुरुकुल की आचार्या हैं। श्री दीनानाथ
शर्मा प्रधान अथवा मुख्याधिष्ठाता हैं। सचिव श्री ओम प्रकाश आर्य हैं।
गार्गी कन्या गुरुकुल महाविद्यालय, अलीगढ़
परिचय-
ग्राम- चामड़
पत्रालय - भैयां,
थाना गोंडा,
तहसील इगलास,
जिला - अलीगढ़,(उत्तरप्रदेश)
पिन-202124
सम्पर्क
दूरभाष न0 05722263489
मोबाइल न0 9411879561/9410426199
पत्रालय - भैयां,
थाना गोंडा,
तहसील इगलास,
जिला - अलीगढ़,(उत्तरप्रदेश)
पिन-202124
सम्पर्क
दूरभाष न0 05722263489
मोबाइल न0 9411879561/9410426199
इस गुरुकुल की स्थापना 1 जुलाई सन् 2002 को
स्वामी चेतनदेव ‘‘वैश्वानर” जी के करकमलों से हुई थी। गुरुकुल की संस्थापक आचार्या कु0 मनु आर्या तथा
पूर्व आचार्या सुश्री आदेश जी आर्या रही हैं। गुरुकुल का संचालन श्री विरजानन्द
राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान के द्वारा किया जाता है। गुरुकुल अपने सीमित साधनों एवं
क्षमता के अनुरूप गतिशील है। यहां महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक (हरियाणा) से स्वीकृत आर्ष पाठविधि से शिक्षण कराया जाता है। आर्ष
पाठविधि आर्ष विद्यापीठ गुरुकुल महाविद्यालय, झज्जर के
अनुरूप है। इस समय गुरुकुल में 25 छात्रायें अध्ययन कर रही हैं।
गुरुकुल अपनी 28 बीघा भूमि में स्थित है। वर्तमान में इस गुरुकुल में आठ कमरे हैं। इसके अतिरिक्त छात्रावास, चार अध्ययन कक्ष, यज्ञशाला, पाकशाला, स्नानागार, शौचालय एवं व्यायामशाला आदि सुविधायें उपलब्ध है। गुरुकुल की आय कृषि एवं दान में प्राप्त धनराशि से होती है। इसी से गुरुकुल का व्यय चलता है। गुरुकुल को केन्द्र या राज्य सरकार से किसी प्रकार की कोई सहयता उपलब्ध नहीं है। गुरुकुल में भोजन करने के लिये भोजन कक्ष की आवश्यकता है जहां लगभग 50 लोग एक साथ बैठकर भोजन कर सकें। इसके लिये दानी महानुभावों से सहयोग की आवश्यकता है। सरकार से अनुरोध है कि वह गुरुकुल पहुंचने के लिये सड़क का निर्माण कराये।
गुरुकुल की वर्तमान आचार्या सुश्री मनु आर्या जी हैं। प्रधान श्री स्वामी केवलानन्द जी सरस्वती, मंत्री श्री स्वामी चेतनदेव वैश्वानर एवं कोषाध्यक्ष श्री कारे सिंह जी हैं। इस गुरुकुल का इतना ही विवरण हमें उपलब्ध है।
श्रीमद्दयानन्द
कन्या गुरुकुल, चोटीपुरा
श्रीमद्दयानन्द
कन्या गुरुकुल, चोटीपुरा
आर्यसमाज
की विचारधारा से प्रभावित देश भर में कन्याओं के अनेक गुरुकुल चल रहे हैं जहां
कन्याओं को वेद-वेदांगों की शिक्षा दी जाती है। इन गुरुकुलों में से एक गुरुकुल है
‘‘श्रीमद्दयानन्द कन्या गुरुकल, चोटीपुरा”। यह गुरुकुल उत्तरप्रदेश राज्य के जनपद अमरोहा में स्थित है। गुरुकुल
दिल्ली-मुरादाबाद सड़क मार्ग पर दिल्ली से 117 किमी0 तथा मुरादाबाद से दिल्ली की ओर जाते हुए मुरादाबाद से 40 किमी0 की दूरी पर स्थित है। गुरुकुल रजबपुर कस्बे
में है जो कस्बे की उत्तर दिशा में 2 किमी0 दूरी पर है। गुरुकुल से चलभाष पर सम्पर्क के लिए मोबाइल नं0
09412322258 एवं 09719013756 हैं। इस गुरुकुल
की स्थापना महाशय श्री हरगोविन्द सिंह जी, चोटीपुरा ने 6 मार्च, सन् 1988 को की थी।
गुरुकल का संचालन प्राचार्या डॉ0 सुमेधा एवं आचार्या डॉ0 सुकामा जी कर रही हैं। गुरुकुल में कक्षा पंचम से शास्त्री (बी0ए0) एवं आचार्य पर्यन्त अध्ययन की सुविधा है।
गुरुकुल में 870 छात्रायें अध्ययन कर रही हैं जिन्हें 45 शिक्षिकायें अध्ययन कराती हैं। वर्तमान समय में गुरुकुल में निम्न भवन
हैं:
1- छात्रावास,
2- यज्ञशाला, 3- गोशाला, 4- पाकशाला, 5- अतिथिशाला, 6- सभागार,
7- पुस्तकालय एवं वाचनालय, 8- कार्यालय,
9- शिक्षिका-कक्ष, 10- संगणक-कक्ष एवं 11-
पानी की टंकी (Water Tank)
गुरुकुल की
शैक्षिक प्रगति की स्थिति यह है कि गुरुकुल का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशल रहता है।
विगत परीक्षा में सभी छात्रायें प्रथम श्रेणी में पास हुई हैं। शास्त्री एवं
आचार्य परीक्षाओं में 32 छात्राओं ने
स्वर्णपदक प्राप्त किये हैं। यह भी बता दें शास्त्री परीक्षा को बी0ए0 के समकक्ष एवं आचार्य को एम0ए0 के समकक्ष मान्यता प्राप्त है। राष्ट्रीय पात्रता
परीक्षा (छम्ज्) में 50 छात्रायें उत्तीर्ण हुई हैं जबकि
राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा संचालित) में 60 जे0आर0एफ0 उतीर्ण/चयनित हुईं हैं। गुरुकुल की विशिष्ट उपलब्धि यह है कि इसकी एक
छात्रा कु0 वन्दना ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS-2012)
में 8वां रैंक प्राप्त किया है। इस उपलब्धि से
यह गुरुकुल गौरवान्वित हुआ है। गुरुकुल की एक अन्य छात्रा कु0 समंगला उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार-2004 से पुस्कृत हुई थी जो ओलम्पिक खिलीड़ी भी रही हैं। गुरुकुल की 3 छात्राओं ने अखिल भारतीय शास्त्रीय स्पर्धा में ‘स्वर्ण
श्लाका पुरस्कार’ प्राप्त किया है। 1
छात्रा ने पाणिनीय अष्टाध्यायी स्पर्धा में विजय वैजयन्ती (2006) पुरस्कार भी प्राप्त किया है। हम यहां सन् 2007 से
सन् 2017 के मध्य गुरुकुल की छात्राओं के शास्त्रीय स्पर्धा
में प्राप्त पुरस्कारों का विवरण तालिका के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। यह विवरण
निम्नानुसार हैः
अखिल
भारतीय स्पर्धा (राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान,
दिल्ली)
प्रथम
(स्वर्ण पदक) - 11
द्वितीय
(रजत पदक) - 03
तृतीय
(कांस्य पदक) - 05
कुल पदक - 19
राज्यस्तरीय स्पर्धा (राष्ट्रिय
संस्कृत संस्थान, दिल्ली)
प्रथम
(स्वर्ण पदक) - 25
द्वितीय
(रजत पदक) - 02
तृतीय
(कांस्य पदक) - 01
कुल पदक - 28
अन्य
प्रान्तों (दिल्ली, उत्तर प्रदेश,
उत्तराखण्ड, हरियाणा, राजस्थान
आदि) में आयोजित प्रतियोगिताओं में प्राप्त पुरस्कार (2006-2017)
स्वर्ण पदक
- 32
रजत पदक - 24
कांस्य पदक
- 14
कुल पदक - 70
गुरुकुल की
अनेक छात्राओं ने यजुर्वेद एवं सामवेद सहित वेदांगान्तर्गत व्याकरण एवं अन्य
इतिहास आदि के ग्रन्थों को भी कण्ठ किया हुआ है। 25 छात्रओं ने यजुर्वेद-सामवेद स्मरण किया हुआ है। 190
छात्राओं ने पाणिनीय अष्टाध्यायी कण्ठ की हुई है। पंच पाणिनीय उपदेश ग्रन्थों
(अष्टाध्यायी, उणादिकोष, लिंगानुशासन,
धातुपाठ एवं गणपाठ) भी 14 छात्राओं ने स्मरण
किये हुए हैं। 300 छात्राओं को धातुपाठ स्मरण है। 100 छात्राओं को गीता स्मरण है। 10 छात्रायें ऐसी हैं
जिन्होंने सत्यार्थप्रकाश एवं संस्कारविधि स्मरण की हुई है। 1 छात्रा ने षडदर्शन स्मरण किये हुए हैं। 6 छात्रओं
को अमरकोष स्मरण है। गुरुकुल की दो छात्रायें ऐसी भी हैं जिन्हें रामायण का
सुन्दरकाण्ड स्मरण है। छात्राओं की इतनी संख्या में शास्त्रीय ग्रन्थों को स्मरण
करना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। पौराणिक सनातनी बन्धुओं ने तो अतीत में
नारियों के वेदों के उचचरण तक पर प्रतिबन्ध लगा दिये थे। उनके लिए कठोर एवं
अमानवीय दण्डों का विधान भी किया था। आज भी कुछ लोग इन मान्यताओं को मानते हैं।
गुरुकुल की यह जो उपलब्धि है इसका समस्त श्रेय ऋषि दयानन्द, गुरुकुल
की आचार्याओं एवं उनकी शिष्याओं को है। गुरुकुल की इन उपलब्धियों ने इसे एक
सर्वोत्तम तीर्थ के समान महत्वपूर्ण स्थान बना दिया है। आर्यजगत के विद्वानों एवं
अनुयायियों को गुरुकुल के उत्सवों आदि में सम्मिलित होकर यहां की छात्राओं को अपना
आशीर्वाद देना चाहिये। इन की आचार्यायें भी आर्यजगत की ओर से अभिनन्दन, शुभकामनाओं एवं धन्यवाद की पात्र हैं।
अधिक
जानकारी के लिए श्रीमद्दयानन्द कन्या गुरुकुल, चोटीपुरा
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कन्या गुरुकुल का इतिहास
ऋषि दयानन्द ने पराधीन भारत में स्त्री शिक्षा पर सबसे अधिक बल दिया था। उन्होंने ही स्त्रियों को वेदाध्ययन का अधिकार दिया। ऋषि दयानन्द के बाद स्वामी श्रद्धानन्द जी ने भी स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। जालन्धर के कन्या महाविद्यालय की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। इसके बाद ऋषि भक्तों ने एवं आर्य विदुषी देवियों ने कन्या गुरुकुलों की स्थापनायें की हैं। हमारा अनुमान है कि आचार्य रामदेव जी द्वारा देहरादून में स्थापित कन्या गुरुकुल देश के सभी कन्या गुरुकुलों में एक प्राचीन गुरुकुल है। इसके बाद आर्यजगत के प्रसिद्ध ऋषिभक्त विद्वान पं0 ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी की शिष्या वेदविदुषी डॉ0 प्रज्ञादेवी जी ने वाराणसी में पाणिनी कन्या गुरुकुल महाविद्यालय की स्थापना की जो वर्तमान में भी आचार्या डॉ0 नन्दिता शास्त्री जी के कुशल नेतृत्व एवं प्राचार्यत्व में सफलतापूर्वक चल रहा है। इसके अतिरिक्त भी देश में बड़ी संख्या में कन्या गुरुकुल कार्यरत हैं।
सहयोग- श्री व्रजेश गौतम,दिल्ली
मनमोहन कुमार आर्य से साभार
बहुत ही अच्छी पोस्ट online hindi book
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर जानकारी युक्त पोस्ट।
जवाब देंहटाएंनमस्ते एवं हार्दिक धन्यवाद जी, सादर.
जवाब देंहटाएंसंस्कृत का कौन सा विद्याल़ डहॉ संस्कृत के साथ अंग्रेजी भी पढ़ाई जाती हो
जवाब देंहटाएंउत्तर प्रदेश तथा बिहार के सभी संस्कृत विद्यालयों में कक्षा 10 तक संस्कृत अनिवार्य रूप से पढ़ायी जाती है।
हटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंGurukul prabhat ashram tikri bhola jhall meerut ki bhi kripya jaankari de
जवाब देंहटाएंइसके बारे में संस्कृतसर्जना पत्रिका में लिख चुका हूँ। कृपया संस्कृतसर्जना वर्ष 1 अंक 2 से जानकारी लें।
हटाएंGurukul may hum jana chhahte hai process kya hai
जवाब देंहटाएंआशीष कुमार प्रयासी
जवाब देंहटाएंमुकाम सलैयाप्यासी निवासस्थान हनुमंतटोला पोस्टआफिस पिपरियापरौहा विकासकेन्द्र तेवरी तहसील स्लीमनाबाद विकास खण्ड बहोरीबंद जिला कटनी संभाग जबलपुर राज्य मध्यप्रदेश देश भारत महाद्वीप एशिया स्थान पिन कोड-483440
मोबाइल नंबर
9669938129
ashishkumarpyasi129@gmail.com
गुरुकुल वृंदावन विश्वविद्यालय मथुरा ने हाई स्कूल व्यक्तिगत परीक्षा कराई है या नहीं वर्ष 2006 में
जवाब देंहटाएंस्मृतितीर्थ उपाधि दी जाती हो एसा कोई विद्यालय हे । अनलाईन सिस्टेम भी हो ।।
जवाब देंहटाएंआपने अपने गुरुकुल परिचय के क्रम में केवल आर्यसमाज गुरुकुल का ही उल्लेख किया है प्राचीन सनातन परंपरागतमठों अथवा आश्रमों में संचालित गुरुकुल इतिहास स्थान देने की कृपा करें
जवाब देंहटाएंआप स्वयं या अन्य कोई सनातन परम्परागत मठों अथवा आश्रमों में संचालित गुरुकुलों का विवरण दे दें। उपलब्ध करायी गयी जानकारी की पुष्टि तथा प्रवेशार्थियों/ इस आलेख को पढ़ने वाले की सुविधा के लिए उस गुरुकुल का फोन नं. दीजिये। मैं उसे अवश्य प्रकाशित करूँगा। किसी भी गुरुकुल के बारे में सूचना प्रसारित कराने हेतु उसका इतिहास, वेबसाइट (यदि हो तो) अवस्थिति, उसकी उपलब्धियाँ, फोटो, गुरुकुल को किस कक्षा से किस कक्षा तक मान्यता प्राप्त है, प्रवेश की प्रक्रिया, गुरुकुल में उपलब्ध संसाधन । इतनी जानकारी दे दीजिये।
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