
पातञ्जल योगसूत्र में चित्तवृत्तियों के निरोध को योग कहा गया हैं। अन्तः करण की वृत्तियाँ योगक्रिया द्वारा क्रमशः शान्त होते-होते जब पूर्णतः शान्त हो जाती हैं, उस अवस्था का नाम योगयुक्त अवस्था हैं। उसी अवस्था में द्रष्टा अपने यथार्थ स्वरूप में प्रकट होता...