स्वामी श्रीपराङ्कुशाचार्य जी महाराज (1921-2036)
श्रीस्वामी जी का अवतार स्थल महमत्पुर गॉंव हैं जो विक्रम नौवतपुर के समीप अवस्थित है। 10 मार्च 1865 तदनुसार फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी शुक्रवार संवत् 1921 कुंभ के सूर्य में मघा नक्षत्र में नौवतपुर के समीप अवस्थित महमत्पुर गॉंव के कौण्डिन्य गोत्रीय आथर्वणिक ब्राह्मण...
बाणभट्ट ! तुम किसके हो?
शब्दार्थयोः समो गुम्फः पाञ्चाली रीतिरिष्यते
।
शिलाभट्टारिकावाचि बाणोक्तिषु च सा यदि ॥ धनपाल
महाकवि बाणभट्ट ने हर्षचरित के प्रथम दो उच्छ्वास और कादंबरी की भूमिका श्लोक
संख्या 10 से 20 तक में...
मगध क्षेत्र में संस्कृत की परम्परा 2
मैंने अपने पूर्व आलेख में स्पष्ट कर दिया है कि मगध क्षेत्र का अतीत अत्यंत
ही गौरव पूर्ण रहा है। मध्यकाल में यहाँ संस्कृत का उत्थान अधिक नहीं हो सका,
परंतु उन्नीसवीं सदी आते-आते इस क्षेत्र में पुनः संस्कृत
विद्या की स्थापना होने लगी। कारण यह कि 19 वीं तथा 20 वीं सदी में मगध के आसपास वाराणसी तथा कोलकाता ये दो संस्कृत
विद्या...