शिक्षा, कल्प, निरुक्त, व्याकरण, छन्दः एवं
ज्योतिष ये छः वेदाङ्ग हैं। सर्वाधिक उपयोगिता की दृष्टि से वेदाङ्गों में शिक्षा
का प्रथम स्थान है। पाणिनि ने शिक्षा को घ्राण (नासिका) कहा है। "शिक्षा
घ्राणं तु वेदस्य ।" यह वर्णोच्चारण-विज्ञान का प्रतिपादक है। जिस तरह
प्राण के बिना जीवन का अस्तित्व संभव नहीं है उसी तरह शिक्षा के बिना अर्थात्
शुद्धोच्चारण-...