वैदिक साहित्य सर्जन में
हजार साल व्यतीत हुए होंगे! इतने दीर्घ समय के दौरान वैदिक भाषा में
अप्रतिम वैविध्य, भेद या परिवर्तन हो जाना सहज था । इसीलिए महामुनि पाणिनी ने
वैदिक व्याकरण व भाषा नियमों को सुसंबद्ध किया । इनका काल करीब ई.पू. 350 का माना जाता है, जो कि “सूत्रों” के सर्जना का काल भी था । प्रचलित संस्कृत की जननी पाणिनीय
व्याकरण को माना...