पालि भाषा में स्थविरवादी (हीनयानी)
बौद्ध धर्म का समस्त साहित्य संगृहीत हैं तत्कालीन बौद्धग्रन्थों का प्रणयन, भारत वर्ष के अतिरिक्त लंका, वर्मा एवं एशिया महाद्वीप
के अन्य देशों में पालिभाषा में हुआ। बौद्धों के धार्मिक
साहित्य के अतिरिक्त अन्य साहित्य का प्रणयन या संग्रह पालि भाषा में अल्पमात्र ही
हुआ है।
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