किसी भी ज्ञान को व्यक्त करने के लिए भाषा एक माध्यम है। भाषा को समझने के लिए –व्याकरण तथा कोश महत्वपूर्ण साधन है। – इसलिए हमें प्रारम्भिक कक्षाओं में भाषा ज्ञान के लिए व्याकरण तथा कोश का अध्ययन कराया जाता है। भाषा ज्ञान होने के बाद उस भाषा में लिखित साहित्य को समझना आसान हो जाता है। भारत में प्राचीन काल से ही व्याकरण अध्ययन की परम्परा रही है। संस्कृत व्याकरण के महत्वपूर्ण ग्रन्थ सरस्वतीकण्ठाभरण में ध्वनि वर्ण, पद तथा वाक्य इन चार सोपानों की चर्चा की गयी है। लघुसिद्धान्तकौमुदी जैसे व्याकरण की पुस्तक में भी डमरू की ध्वनि से माहेश्वर सूत्र की उत्पत्ति तथा वर्ण परिचय प्राप्त होता है। इसके बाद सुबन्त तथा तिङन्त पद से परिचय कराया जाता है। वर्ण तथा पद ज्ञान हो जाने के बाद हम कारक का अध्ययन करते हैं। कारक से वाक्य का ज्ञान होता है। विभिन्न प्रकार के पदों का ज्ञान कोश ग्रन्थों से होता है। अग्नि पुराण में भी ध्वनि वर्ण, पद तथा वाक्य की चर्चा प्राप्त होती है। वैयाकरण महाभाष्य में आये चत्वारि वाक् परिमिता पदानि तानि विदुर्ब्राह्मणा ये मनीषिणः की व्याख्या करते हुए नाम, आख्यात, उपसर्ग और निपात को वाणी के 4 पाद मानते हैं। अबतक आप समझ चुके होंगे कि किसी भी पुस्तक में लिखी बात को समझने के लिए भाषा का ज्ञान आवश्यक है। भाषा ज्ञान के लिए व्याकरण अर्थात् शब्दशास्त्र का ज्ञान आवश्यक है। व्याकरण ज्ञान के लिए ध्वनि, वर्ण, पद तथा वाक्य का अर्थ जानने की आवश्यकता है।
पहले
हम इन विषयों के जानकार किसी गुरु के पास जाते थे। प्रौद्योगिकी के विकास के साथ ही
भाषा प्रौद्योगिकी पर भी तेजी से कार्य हो रहा है। भाषा प्रौद्योगिकी विशेष रूप से
संस्कृत भाषा के लिए निर्मित प्रौद्योगिकी के लिए अनेक टूल्स निर्मित किये गये
हैं। इस टूल्स की सहायता से हम दो वर्णों बीच हुई सन्धि को समझ पाते है। दो पदों
के बीच हुए समास तथा पदों के भीतर दो अक्षरों के बीच हुई सन्धि को समझ लेते हैं।
किसी पद के निर्माण की प्रक्रिया को समझ पाते हैं। पदों के भीतर छिपे प्रत्ययों,
उपसर्ग तथा निपात को पहचानने लगते हैं। पद ज्ञान होने के बाद वाक्य का ज्ञान
प्राप्त करना आसान होता है। इस लेख में मैं कुछ टूल्स (संसाधन, औजार) से आपको
परिचय कराने जा रहा हूँ।
यह
चित्र https://sanskrit.uohyd.ac.in/scl/#
इस वेबसाइट के Tools मीनू
बटन का है।
आप
देख पा रहे होंगें कि पद को विश्लेषित करने की सुविधा यहाँ दी गयी है। जैसे उपागतः
एक पद है। छात्रों को इस पद का अर्थ नहीं समझ में आ सकता है अथवा वह जानना चाहता
है कि इस पद का निर्माण किस उपसर्ग, धातु तथा प्रत्यय से हुआ है। इस पद को
पदविश्लेषिका सबमीनू के फील्ड में लिखने के बाद submit बटन पर क्लिक
करते ही उपागत पुं 1 एक(उप_आङ्_गम्1 क्त गमॢँ भ्वादिः) इस प्रकार का परिणाम प्राप्त होता है। हम इसकी सहायता से
जान पाते हैं कि उपागतः पद उप तथा आङ् उपसर्ग, गम् धातु तथा क्त प्रत्यय के योग से
बना है।
बहुत ही महत्वपूर्ण पोस्ट धन्यवाद महोदय
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