संस्कृत गीतों की यह सूची आधुनिक और पारंपरिक रचनाओं का एक समृद्ध संकलन प्रस्तुत करती है।प्रत्येक गीत के भावों को समाहित करते हुए, यह संग्रह संस्कृत के सौंदर्य को जीवंत बनाता है, जो श्रोता को शांति, प्रेरणा, और आनंद प्रदान करता है।
संस्कृत
गीतों की यह सूची आधुनिक और पारंपरिक रचनाओं का एक समृद्ध संकलन प्रस्तुत करती है, जो संस्कृत भाषा की लचीलापन और भावनात्मक गहराई को दर्शाती है। यह http://sanskritbhasi.blogspot.com
पर उपलब्ध है। ये गीत प्रकृति, देशभक्ति,
जीवन दर्शन, उत्सव, और
सामाजिक संदेशों पर आधारित हैं। इसमें देशभक्ति ("धरां मातृभूमिं भजामो
मुदा"), जीवन और आत्मा की अमरता ("न मृता, म्रियते न मरिष्यति वा"), प्रकृति ("मेघो
वर्षति"), और सांस्कृतिक उत्सवों ("जन्मदिनमिदम्
अयि प्रिय सखे") जैसे विविध विषयों पर आधारित गीत शामिल हैं। ये रचनाएँ सरल
भाषा में लिखी गई हैं, जो संस्कृत के सौंदर्य और प्रासंगिकता
को दर्शाती हैं। प्रत्येक गीत का लिंक पाठकों को मूल स्रोत तक पहुँच प्रदान करता
है, जिससे इस जीवंत साहित्यिक परंपरा का अन्वेषण आसान हो
जाता है। ये गीत न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हैं, बल्कि
आधुनिक संदर्भों में भी प्रेरणा देते हैं।
गीत
संस्कृत भाषा की सरलता और आकर्षण का वर्णन करता है, जो
मन को मोह लेती है। भाव: भाषा की सुगमता और वैश्विक अपील पर उत्साहपूर्ण प्रशंसा।
https://sanskritbhasi.blogspot.com/2011/07/sanskrit-geet-1.html
प्रकृति
की सुंदरता और मिट्टी की सुगंध को चंदन से तुलना करते हुए गीत का भाव है कि साधारण
में भी दिव्यता छिपी है। भाव: प्रकृति प्रेम और आध्यात्मिक जुड़ाव।
https://sanskritbhasi.blogspot.com/2011/07/sanskrit-geet-2.html
3.
न मृता,
म्रियते न मरिष्यति वा
जीवन
और आत्मा की अमरता पर आधारित, गीत मृत्यु को नश्वर
मानते हुए आत्मा की शाश्वतता का गान करता है। भाव: दार्शनिक चिंतन और जीवन की
अनित्यता पर विजय।
https://sanskritbhasi.blogspot.com/2018/08/blog-post_2.html
देशभक्ति
से ओतप्रोत, गीत मातृभूमि की प्रशंसा करता है,
जो मिट्टी, नदी, और
संस्कृति के माध्यम से प्रेरणा देता है। भाव: राष्ट्रप्रेम और सांस्कृतिक गौरव।
https://sanskritbhasi.blogspot.com/2018/08/blog-post_14.html
5.
वन्दे त्वां भूदेवीमार्य-मातरम्
भूदेवी
(पृथ्वी माता) की वंदना, गीत पृथ्वी की उदारता और
जीवनदायिनी भूमिका का गुणगान करता है। भाव: प्रकृति और मातृत्व की पवित्रता।
https://sanskritbhasi.blogspot.com/2011/08/blog-post.html
संस्कृत
भाषा के पुनरुत्थान और उसके भवन (संरक्षण) का आह्वान, गीत भाषा प्रचार पर जोर देता है। भाव: सांस्कृतिक जागरण और संरक्षण।
https://sanskritbhasi.blogspot.com/2011/08/blog-post_13.html
7.
संस्कृतस्य रक्षणाय बद्धपरिकरा वयम्
भाषा
संरक्षण के लिए समर्पण का गान, गीत संस्कृत के रक्षकों
की प्रशंसा करता है। भाव: सामूहिक प्रयास और समर्पण।
8.
सरलभाषा संस्कृतं सरसभाषा संस्कृतम्
संस्कृत
की सरलता और रसपूर्णता का वर्णन, गीत भाषा की मधुरता को
उजागर करता है। भाव: भाषा की सुगमता और सौंदर्य।
वायु
(हवा) को संबोधित गीत प्रकृति की गतिशीलता और रहस्यमयता पर चिंतन करता है। भाव:
प्रकृति की अनंतता और प्रश्न।
10.
राघव ! माधव ! सीते ! ललिते !
राम, कृष्ण, सीता, और ललिता की
स्तुति, गीत भक्ति और दिव्य प्रेम का गान करता है। भाव: भक्ति
और आध्यात्मिक आकर्षण।
चंद्रमा
को माता संबोधित कर एकाकीपन का भावपूर्ण वर्णन। भाव: मातृत्व और एकांत की सौंदर्य।
संस्कृत
पढ़ने का आह्वान, गीत भाषा के ज्ञान को
प्रोत्साहित करता है। भाव: शिक्षा और जागृति।
13.
मम देशो भारतं मम भाषा संस्कृतम्
भारत
और संस्कृत को अपनी पहचान बताते हुए गीत का भाव है सांस्कृतिक गौरव। भाव:
राष्ट्रभक्ति और भाषा प्रेम।
14.
घनागमन- गीतम्
मेघों
के आगमन पर उत्साह, गीत वर्षा और प्रकृति का
वर्णन करता है। भाव: मौसम की मधुरता।
नदी
तट के विस्तार का चित्रण, गीत प्रकृति की शोभा गाता
है। भाव: सौंदर्य और विस्तार।
16.
एहि सुधीर ! एहि सुविक्रम !
धैर्यवान
और वीरों को आमंत्रित, गीत संघर्ष पर प्रेरणा देता
है। भाव: साहस और निमंत्रण।
17.
एहि एहि चन्दिर !
चंद्रमा
को बुलाते हुए गीत रात्रि की शांति का गान करता है। भाव: चंद्र प्रेम और शीतलता।
18.
तेन किम्
किसी
घटना का प्रश्न, गीत जीवन की नश्वरता पर चिंतन करता है।
भाव: दार्शनिक प्रश्न।
जन्मदिन
पर हर्ष की कामना, गीत उत्सव का भाव व्यक्त
करता है। भाव: आनंद और शुभकामना।
20. मेघो वर्षति
मेघों की वर्षा का उत्साहपूर्ण वर्णन, प्रकृति की शक्ति और जल की जीवनदायिनी भूमिका पर आनंद का भाव।
21. हस्ती हस्ती हस्ती
हाथियों की शक्ति और भव्यता का गान, प्रकृति के विशाल प्राणियों के प्रति सम्मान और आकर्षण।
22. चटक चटक रे चटक
गीत में गौरैया को "चिवं चिवं" की मधुर आवाज के साथ संबोधित किया गया है, जो सुखपूर्वक अपने घोंसले में निवास करती है। यह स्वतंत्रता का प्रतीक है, जो खुले आसमान में विचरण करती है और मीठे फलों का आनंद लेती है। गीत में किसी भी बंधन से मुक्त जीवन और प्रकृति में स्वच्छंदता का हर्षपूर्ण चित्रण है, जो गौरैया की निश्छलता और आजादी को उजागर करता है।
23. कालिदासो जने जने
कालिदास की काव्य प्रतिभा का जन-जन में प्रसार, साहित्यिक गौरव और प्रेरणा का भाव।
अतिथियों के आगमन पर हार्दिक स्वागत, शुभकामनाओं और सौहार्द के साथ उत्साहपूर्ण अभिवादन।
25. सर्वेषां नो जननी
माता या मातृभूमि को सभी की जननी मानकर सम्मान, प्रेम और संरक्षण का भाव।
विवाह की शुभता और हर्ष की कामना, परिवारिक आनंद और मंगलमयता का उत्सव।
27.
वा न वा
संदेहपूर्ण
प्रश्न,
गीत जीवन की अनिश्चितता पर चिंतन करता है। भाव: संशय और स्वीकृति।
28.
शूरा वयम्
वीरों
का गान,
गीत साहस का भाव जगाता है। भाव: वीरता और आत्मविश्वास।
29.
रत्नगर्भा धरा सुस्मिता श्यामला
पृथ्वी
की सुंदरता का वर्णन, गीत मातृभूमि का गुणगान करता
है। भाव: प्रकृति प्रेम।
30.
वाणी वन्दना
वाणी
(सरस्वती) की वंदना, गीत भाषा की महिमा गाता है।
भाव: ज्ञान भक्ति।
31.
नव्या गीतिः
नई
गीत शैली,
गीत नवीनता का भाव व्यक्त करता है। भाव: सृजन और परिवर्तन।
मेघों
की गर्जना, गीत वर्षा का उत्साह दर्शाता है। भाव:
मौसम की शक्ति।
शरद
ऋतु की सुंदरता, गीत शरद का स्वागत करता है। भाव: ऋतु
सौंदर्य।
34.
क आगतः
आगमन
का प्रश्न, गीत यात्रा का भाव जगाता है। भाव: स्वागत
और उत्सुकता।
वेद
वाणी का प्रकाश, गीत देश और वेदों का गुणगान करता है।
भाव: सांस्कृतिक गौरव।
36.
न मृता,
म्रियते न मरिष्यति वा
आत्मा
की अमरता,
गीत जीवन की अनित्यता पर चिंतन करता है। भाव: दार्शनिक अमरता।
मातृभूमि
भजन,
गीत देशप्रेम का भाव व्यक्त करता है। भाव: राष्ट्रभक्ति।
अन्य गीतों को सुनने
के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें-
38. Sanskrit music
संस्कृत संगीत:
संस्कृतभाषी का अनुपम संग्रह
"https://sanskritbhasi.blogspot.com/2023/08/sanskrit-music.html" पर उपलब्ध
"संस्कृत संगीत" पृष्ठ संस्कृतभाषी (Sanskritbhasi) ब्लॉग का एक महत्वपूर्ण और शैक्षणिक प्रयास है, जो
संस्कृत के आधुनिक गीतों को संरक्षित और प्रचारित करता है। इस पृष्ठ पर आधुनिक
संस्कृत गीतकारों द्वारा रचित गीतों के MP3/MPEG ऑडियो और उनके पाठ (Text) का संकलन किया गया है,
जिसे शैक्षिक उद्देश्यों के लिए प्रस्तुत किया गया है। प्रत्येक गीत
के MP3 के बाद उसका शीर्षक (Title) दिया
गया है, जिस पर क्लिक करके पाठक गीत का पाठ देख सकते हैं। यह
सुविधा गीत सुनते समय शुद्ध उच्चारण सीखने में सहायक है।
मुख्य विशेषताएँ
ऑडियो
और पाठ का समन्वय: उदाहरण के लिए,
"चलाम सर्वे" (2:03 मिनट, 1.89
MB) जैसे गीतों के ऑडियो के साथ उनका पाठ उपलब्ध है, जो श्रोताओं को गीत के शब्दों और अर्थ को समझने में मदद करता है।
शैक्षिक
उद्देश्य: यह संग्रह विशेष रूप से संस्कृत भाषा के
उच्चारण और गायन की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
सर्जकों
का सम्मान: गीत के अंत में गीतकार/लेखक का नाम दिया
गया है,
और उनके साथ-साथ स्वर देने वालों के प्रति आभार व्यक्त किया गया है,
जो इस प्रयास की नम्रता को दर्शाता है।
प्रौद्योगिकी
का उपयोग: आधुनिक ब्राउज़र की आवश्यकता को रेखांकित
करते हुए,
यह पृष्ठ तकनीकी रूप से प्रासंगिक है।
यह पृष्ठ न केवल
संस्कृत संगीत को संजोए रखता है, बल्कि इसे सुलभ और
शिक्षाप्रद बनाकर भाषा के प्रचार में योगदान देता है। पाठकों को गीतों के शुद्ध
उच्चारण और अर्थ को समझने का अवसर प्रदान करता है, जो
संस्कृत के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
https://sanskritbhasi.blogspot.com/2023/08/sanskrit-music.html
• sanskrit song collection 1 (संस्कृत गीत संग्रह - 1)
संस्कृत
गीत संग्रह - 1: भारत की सांस्कृतिक चेतना का प्रतिबिंब
"https://sanskritbhasi.blogspot.com/2011/07/10.html" पर उपलब्ध "संस्कृत गीत
संग्रह - 1" संस्कृतभाषी ब्लॉग का एक विशेष संकलन है, जो
संस्कृत के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक चेतना, भाषाई गौरव,
और राष्ट्रीय भावना को व्यक्त करता है। यह संग्रह शुद्ध संस्कृत में
रचित 22 गीतों का संकलन है, जो भाव, भक्ति,
प्रेरणा, और देशभक्ति के मिश्रण से ओतप्रोत
हैं। कुछ गीत पारंपरिक शास्त्रीय शैली के हैं, जबकि अन्य
आधुनिक संगीत रचनाएँ हैं, जो छात्रों, शिक्षकों,
और संस्कृत उत्साही लोगों के लिए उपयोगी हैं। ये गीत स्त्री शक्ति,
शिक्षा, संस्कृति, मातृभूमि,
और भाषा की महिमा का गुणगान करते हैं। संग्रह विद्यालयी
प्रस्तुतियों, भाषणों, नाट्य शिक्षा,
और संस्कृत सप्ताह जैसे अवसरों के लिए आदर्श है।
संग्रह के प्रमुख
गीत और उनके भाव
अवनितलं
पुनरवतीर्णा स्यात्
संस्कृत गंगा की
पुनरावतरण की प्रार्थना, गाँव-गाँव शिक्षा फैलाने का
आह्वान। भाव: भाषा पुनरुत्थान और सामूहिक कल्याण।
चिरनवीना
संस्कृता एषा
संस्कृत की शाश्वत
नवीनता का वर्णन, वेद, रामायण,
महाभारत से प्रेरित। भाव: भाषा की मधुरता और सांस्कृतिक धरोहर।
संस्कृतस्य
सेवनं संस्कृताय जीवनम्
संस्कृत सेवा को
जीवन का मूल्य मानकर धन-मोह से मुक्ति का संदेश। भाव: निस्वार्थ समर्पण।
वन्दे
भारतमातरं वद
भारत माता की वंदना, बलिदानशीलों की प्रशंसा। भाव: राष्ट्रभक्ति।
ध्येयपथिक
साधक
कर्तव्य पथ पर साधक
की प्रेरणा। भाव: समर्पित सेवा।
जय जय हे भगवति
सुरभारति (दोहराया गया)
सरस्वती की स्तुति, वाणी शक्ति का आह्वान। भाव: ज्ञान भक्ति।
आयाहि
रे ! आयाहि रे ! आऽऽयाहि रे
संस्कृत के स्वागत
का उत्साह। भाव: भाषा का आगमन।
वीणानिनादिनि
देवि मातः शारदे शुभदे शुभे (दोहराया गया, वाणी-वन्दना)
सरस्वती को संबोधित
कर अज्ञान नाश की प्रार्थना। भाव: विद्या प्राप्ति।
सुन्दरसुरभाषा
संस्कृत की मधुरता
और सुगंध का गुणगान। भाव: भाषा का सौंदर्य।
राष्ट्ररक्षाविधौ
यास्ति काष्ठा परा
राष्ट्र रक्षा में
सर्वोच्च समर्पण। भाव: बलिदान।
भारतधरणीयं
मामकजननीयम् (आंशिक दोहराव)
भारत की भौगोलिक और
सांस्कृतिक शोभा। भाव: मातृभूमि प्रेम।
सुरभारति
देवि सरस्वति हे
सरस्वती की करुणामयी
स्तुति। भाव: ज्ञान प्राप्ति।
कुरुध्वमद्य
सज्जतां रणाय भोः
सामाजिक-संस्कृतिक
संघर्ष का आह्वान। भाव: जागृति।
भजामि
शैलसुतारमणम्
शिव की आराधना। भाव:
भक्ति।
पाठयेम
संस्कृतं जगति सर्वमानवान्
वैश्विक संस्कृत
शिक्षा का संकल्प। भाव: भाषा प्रसार।
भारतं
भारतीयं नमामो वयम्
भारत की प्रशंसा।
भाव: देशभक्ति।
सम्पूर्णविश्वरत्नं
खलु भारतम् स्वकीयम्
भारत को विश्व रत्न
मानकर स्वामित्व का भाव (सारे जहाँ से अच्छा का संस्कृत अनुवाद)। भाव: राष्ट्रीय
गौरव।
आधुनिक संस्कृत गीतकारों कीप्रतिनिधि रचनाओं का संकलन: एक जीवंत संग्रह
"https://sanskritbhasi.blogspot.com/2023/12/blog-post.html"
पर उपलब्ध यह ब्लॉग पोस्ट संस्कृतभाषी के संचालक जगदानन्द झा द्वारा
तैयार एक उपयोगी सूची है, जो आधुनिक संस्कृत गीतकारों की
प्रतिनिधि रचनाओं को एकत्रित करती है। यह संकलन अब तक के 13 भागों
का सारांश प्रस्तुत करता है, जो संस्कृत गीतों की नवीन
रचनाओं से परिचय कराने और उनके डिजिटल संरक्षण के उद्देश्य से बनाया गया है।
प्रत्येक भाग में एक या दो गीतकारों के दो या अधिक गीत शामिल हैं, जो दुर्लभ और प्रेरणादायक हैं। यह कार्य गतिमान है, और
भविष्य में अन्य गीतकारों को भी जोड़ा जाएगा।
संकलन का महत्व
आधुनिक संस्कृत गीतकारों की रचनाएँ जीवनकाल में
प्रकाशित होने पर भी भाषा की जन अभिरुचि की कमी से जल्दी अप्राप्त हो जाती हैं। यह
संकलन उन्हें पाठ्यक्रमों में स्थान दिलाने और गायकों के लिए सुगम बनाने का प्रयास
है। सूची के माध्यम से पाठक विभिन्न भागों के लिंक पर क्लिक कर रचनाओं तक पहुँच
सकते हैं, जो संस्कृत के प्रसार में योगदान देती हैं।
भागों की सूची
- भाग-1: प्रारंभिक
गीतकारों की रचनाएँ। लिंक
- भाग-2: विविध भावों
के गीत। लिंक
- भाग-3: आधुनिक
प्रेरणा। लिंक
- भाग-4: बाल गीत। लिंक
- भाग-5: प्रकृति और
जीवन। लिंक
- भाग-6: भक्ति गीत। लिंक
- भाग-7: समसामयिक
संदेश। लिंक
- भाग-8: राष्ट्रीय
भाव। लिंक
- भाग-9: वैचारिक गीत।
लिंक
- भाग-10: दार्शनिक
चिंतन। लिंक
- भाग-11: सामाजिक
संदेश। लिंक
- भाग-12: उत्सव गीत। लिंक
- भाग-13: समकालीन
रचनाएँ। लिंक
- विशेष
संकलन: राम जन्मभूमि मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा पर संस्कृत
गीत। लिंक
निष्कर्ष
यह संकलन संस्कृत गीतों की दुर्लभता को दूर करता है
और भाषा के पुनरुत्थान में योगदान देता है। पाठक इन रचनाओं से प्रेरित होकर
संस्कृत के सौंदर्य का अनुभव कर सकते हैं।
यह संग्रह संस्कृत गीतों की विविधता को दर्शाता है, जो भावनाओं का दर्पण हैं। प्रत्येक गीत का लिंक मूल स्रोत तक ले जाता है, जहाँ आप पूरा पाठ और व्याख्या पा सकते हैं। ये रचनाएँ संस्कृत की जीवंतता को प्रमाणित करती हैं।