आदरणीय बन्धुओं,
मैं अपने संस्थान के पुस्तकालय की पुस्तकों, पत्रिकाओं, पाण्डुलिपियों, न्यूज एवं आडियो, विडियो को इंटरनेट पर डालने जा रहा हूँ। इससे आप अधिक सुविधापूर्वक संस्कृत के ग्रन्थों को प्राप्त कर सकेंगें। आज के जमाने से कदमताल करते हुए संस्कृत को वैश्विक दर्जा दिलाने एवं सर्वसुलभ बनाने का मेरा यह सत्प्रयास है। संस्कृत जगत् के पुस्तकालय आधुनिकीकरण में पीछे न रहें ज्ञान का सर्वत्र एवं सर्वविध प्रचार प्रसार को ध्यान में रखकर यह योजना निर्मित की गयी है।
एक संक्षिप्त विवरण-
संस्थान पुस्तकालय के वेबसाइट में निम्न प्रकार की सूचना विभागशः रखे गये है -
1. पुस्तक सूची 2. पाण्डुलिपि विभाग 3. शोध पत्रिका विभाग 4. बाल विभाग
5. ई-बुक विभाग
पुस्तकालय से सम्बद्ध अन्य सूचनाओं को भी निम्नानुसार श्रेणीबद्ध कर प्रदर्शित करने हेतु वेबसाइट में सामग्री उपलब्ध कराया गया है।
1. पुस्तकालय का इतिहास -
इसमें पुस्तकालय के विकास, स्थापना का इतिहास दिया जा रहा है।
2. उद्देश्य -
पुस्तकालय के उद्देश्यों को बताया गया है।
3. पुस्तकालय के नियम -
पुस्तकालय में अध्ययन के इच्छुक व्यक्तियों को नियमों की जानकारी दी गयी है।
4. विशिष्ट वाड्मय संग्रह -
विशिष्ट वाड्मय संग्रह में विशेषतया संदर्भ ग्रन्थों की सूची दी गयी है।
5. विशिष्ट लेखक -
संस्कृत साहित्य के प्राचीन एवं आधुनिक लेखकों की संक्षिप्त सूची दी गयी है। बाद में संस्थान द्वारा ग्रन्थ पुस्कार से पुस्कृत हुये एवं अन्य विशिष्ट लेखकों की जीवनी भी यहॉ दी जानी है।
6. विषय -
पुस्तकालय में उपलब्ध संस्कृत वाड्मय के महत्वपूर्ण विषयों की संक्षिप्त सूची के साथ उनके वर्गांक एवं प्रत्येक विषय के पुस्तकों की संख्या दी गयी है।
7. पत्रिका -
पुस्तकालय में सशुल्क एवं आदान-प्रदान के माध्यम से आने वाली समसमायिक पत्र-पत्रिकाओं की सूचना यहॉ दी गयी है। संकृतज्ञ यहाँ से देश में मुद्रित एवं प्रकाशित होने वाली पत्र-पत्रिकाओं की सूचना प्राप्त कर सकेंगें।
8. नवीन पुस्तकें -
पुस्तकालय में क्रय/भेट/ अनुदान के रूप में आने वाले नवीन पुस्तकों की जानकारी यहॉ पर दी जायेगी। ये पुस्तके पुस्तकालय वेबसाइट पर ध्यानाकर्षित करते रहेंगें।
9. सूचना -
पुस्तकालय से जुड़ी हुयी सूचनायें यथा पुस्तकालयीय आयोजन, अवकाश तथा अन्य प्रकार की सूचनायें यहॉ पर दी जायेगी।
10. मानचित्र -
संस्थान पुस्तकालय की अवस्थिति तथा यहॉ तक पहुॅचने हेतु मार्ग निर्देश दिया जाना है।
11. लिंक -
कोई भी व्यक्ति इस वेबसाइट को अपने वेबसाइट और सोशल मिडिया से लिंक कर सकेगा। इस लिंक के पास नेट के द्वारा सीधे पुस्तकालयाध्यक्ष से प्रश्न कर पुस्तकालयीय समाधन प्राप्त कर सकेंगें।
12. टिप्पणी -
इसमें पाठक तीन प्रकार से अपने विचारों को अभिव्यक्त कर सकेंगें।
1. शिकायती पत्र 2. फीडबैक/खोज 3. सुझाव
ये तीनों के प्रकार के विचार ई-मेल के द्वारा पुस्तकालयाध्यक्ष/निदेशक को प्राप्त हो सकेगा।
13. हेल्प -
पुस्तकालय पुस्तक खोज प्रणाली का उपयोग किस प्रकार से किया जाये तथा संस्थान पुस्तकालय में पुस्तकों को सरलतया कैसे खोजे जाये इसका विवरण यहॉ से प्राप्त हो सकेगा। खोज प्रणाली के संचालन हेतु एक क्रमबद्ध निर्देश आडियो-विडियो के माध्यम से प्रदर्शित किया जाना है।
बहुउद्देश्शीय सदस्यता -
पुस्तकालय की सदस्यता, पाण्डुलिपियों, ई-बुक्स आदि के अध्ययन, डाउनलोड हेतु ऑनलाइन सदस्यता प्रपत्र भरने हेतु एक कॉलम रखे गये है। सदस्यता पत्र को डाउनलोड भी किया जा सकेगा।
पुस्तक सूची से पुस्तक खोज -
पुस्तक सूची हेतु पुस्तकालय में उपलब्ध देवनागरी लिपि kruti Dev 10 फॉन्ट पर टंकित 18000 पुस्तकों की सूची तथा अंग्रेजी में 771 पुस्तकों की सूची उपलब्ध करायी गयी है। देवनागरी लिपि में टंकित पुस्तक सूची को यूनिकोड में परिवर्तित किया गया है। इसमें भूमिका लेखक, सम्पादक, अनुवादक, सहलेखक, आई0एस0बी0एन0 नम्बर, आकार की सूचना उपलब्ध नहीं है। प्राप्त करायी गयी सूचना पुस्तकालय में उपलब्ध परिग्रहण के आधार पर निर्मित है।
जिन पुस्तकों को अत्यधिक खोजा जायेगा, उसकी एक सूची पृथक रूप से निर्मित होती जायेगी। इससे पता चलेगा कि वर्तमान समय में किन पुस्तकों की मांग अधिक है। उन लगभग 10 पुस्तकों के विवरण पाठकों को पढ़ने हेतु इस वेबसाइट के माध्यम से सुझाव देते हुए प्रदर्शित किये जाने की योजना है।
महत्वपूर्ण पुस्तकों को स्कैन कर उसके चित्र भी लगाने की योजना है, जिससें पाठक सुगमतया अभीष्ट पुस्तक को पहचान सके। खोज की गयी पुस्तक की एक सूची पृथकतया निर्माण करने तथा उसे सुरक्षित करने की सुविधा प्राप्त होगी। इच्छित पुस्तक सूची को अपने मेल तक भेजने का विकल्प भी इसमें दिया जाना प्रस्तावित है। इस मेल की एक प्रति पुस्तकालय को भी प्राप्त होगा।
खोज प्रणाली द्विविधात्मक होगी -
1. सामान्य खोज -
इसके अन्तर्गत कोई भी अक्षर टंकित कर All द्वारा उससे जुड़ी सभी प्रकार की सूचनायें प्राप्त की जा सकती है। यदि अनुसंधाता को यह ज्ञात हो की टंकित किये गये शब्द लेखक, पुस्तक नाम, विषय नाम, प्रकाशक से सम्बद्ध है तो वह उस विकल्प का भी चयन कर सटीक जानकारी प्राप्त सकेगा।
2. विशिष्ट खोज -
इसके अन्तर्गत किसी लेखक, पुस्तक नाम, विषय, प्रकाशक से जुड़ी वर्ष विशेष, निश्चित टीकाकार आदि के बारे में And, or विधि से सूचनायें प्राप्त कर सकेगा।
संस्थान में लगभग 8000 पाण्डुलिपियां संग्रहीत हैं। इसमें लगभग 5000 पाण्डुलिपियों की सूची तैयार है। इन्हें स्कैन कर वेबसाइट पर डाला गया है। स्नैक की हुई सूचीपत्र द्वारा पाठक को अभीष्ट सूचना तत्काल प्राप्त नहीं हो पाएगी। यह विषयानुक्रम से डाला गया है। इसके लिए पाठक को विषय की जानकारी होना अनिवार्य है। लेखक, लेखनाधार, लिपि के आधार पर खोज कर पाना सम्प्रति सम्भव नहीं हो सकेगा। शेष 3000 पाण्डुलिपियों की सूचना भी इस माध्यम से प्राप्त नहीं हो पाती है। डाटा इंट्री हेतु साफ्टवेयर का निर्माण किया जा रहा है। इसमें छपी सूचीपत्र के साथ शेष पाण्डुलिपि के आंकड़े की सूची भी निर्मित किये जा सकेंगें तथा बहुउद्देशीय खोज सम्भव हो सकेगा।
द्वितीय चरण में पाण्डुलिपि को स्कैन कर कम्प्यूटर के माध्यम से नेट पर पठनीय बनाकर जनोपयोगी एवं जनसुलभ बनाया जा सकता है। इसके निम्न चरण होगें-
1. इच्छित पाण्डुलिपि भाषा, लेखक, विषय, नाम आदि के द्वारा खोजना।
2. पाण्डुलिपि को सूचना प्राप्त हो जाने पर एक रीड का विकल्प होगा, जिसपर क्लिक करने पर सम्बद्ध पाण्डुलिपि पढ़ सकता है। डाउनलोड एवं प्रिंट भी कर सकता है। पढ़ने एवं प्रिन्ट हेतु सामान्य शुल्क लिये जा सकते हैं।
शोध पत्रिका-
पुस्तकालय में लगभग 200 से अधिक शोध पत्रिकाऍ/स्मारिकाऍ उपलब्ध है। इनमें विभिन्न विषयों पर अधुनान्त शोध लेख एवं शोध सन्दर्भ प्राप्त होते है। शोधकर्ताओं को अल्पकाल में ही अपने विषय पर किये गये या हो रहे अद्यावधि शोध कार्य से जुड़ी सूचना प्राप्त होगी। एक ही विषय या लिखित अनेक शोध निबन्धों को पढना एवं सारकरण करना इससे सम्भव हो सकेगा। शोधपत्रिकाओं से शोध विषय, लेखक नाम, पत्रिका का नाम, प्रकाशन वर्ष, भाग, प्रकाशक आदि की सूचना प्राप्त कर ऑनलाइन सूची तैयार किया जा रहा है।
4. बाल विभाग-
पुस्तकालय में राजाराममोहन राय पुस्तकालय प्रतिच्च्ठान, कोलकाता के सौजन्य से लगभग 1100 पुस्तकें प्राप्त हुयी हैं। ये पुस्तके बच्चों के लिए अधिक उपयोगी हैं। इन पुस्तकों की भी ऑनलाइन किया जा रहा है।
5. ई-बुक -
ई-बुक के अन्तर्गत तीन प्रकार की सूचनायें उपलब्ध कराये जाने की योजना है।
1. संस्थान द्वारा प्रकाशित पुस्तकों को यूनीकोड में परिवर्तित/स्कैन कर पाठकों हेतु उपलब्ध कराना। संस्थान से जुड़े संस्कृत के विद्वानों/शोध छात्रों के ग्रन्थ, शोध निबन्ध भी इसके माध्यम से प्रकाशित किये जा सकेंगें।
2. संस्थान द्वारा प्रकाशित परिशीलनम् पत्रिका को इंटरनेट के द्वारा पढने हेतु उपलब्ध करना। परिशीलनम् पत्रिका में प्रकाशन हेतु आये हुए अप्रकाशित शोध निबन्ध को इसके माध्यम से प्रकाशित किया जा सकेगा। संस्कृत भाच्चा में प्रकाशित होने वाले उन पत्रिकाओं को भी लोग पढ सकेगें, जिनका इंटरनेट संस्करण प्रकाशित होता है।
3. आडियो-विडियो, भाषण सामग्री-
इसमें संस्थान में समय-समय पर होने वाले विषय विशेष के महत्वपूर्ण व्याख्यानों को उपलब्ध कराने की योजना है।
good work
जवाब देंहटाएंthanks
bhai jha ji jaisi madad ki jarurat ho bataiyega ham aap ke saath hain
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