गत 20 वर्षों
के बाद इस बार जन्माष्टमी महोत्सव पर मुझे हुलासगंज जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हुलासगंज
का जन्माष्टमी काफी प्रसिद्ध है। प्रसिद्ध
धार्मिक व आध्यामिक नगरी हुलासगंज में जन्माष्टमी महोत्सव पर खूब चहल-पहल है। यहां 12 अगस्त 2012 को जन्माष्टमी का
महोत्सव मनाया जाना है। आश्रम में दो दिन पूर्व से हीं दूर-दराज से श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगना शुरु
हो जाता है। रविवार को संस्थान
में आरा, बक्सर, पटना, नवादा, रोहतास, गया एवं
अन्य कई जिलों के श्रद्धालुओं
का आना शुरु हो गया था। सभी आगंतुकों को संस्थान की ओर से आवासीय व खाने-पीने की सुविधा मुफ्त में
उपलब्ध है। यहां प्रतिवर्ष राज्य भर के विभिन्न जिलों के पचास हजार से भी अधिक श्रद्धालु जन्माष्टमी
महोत्सव में हिस्सा लेने
पहुंचते है। स्वामी रंगरामानुजाचार्य जी महाराज के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व उदयकालीन
रोहिणी नक्षत्र में ही मनाना चाहिए। दरअसल पूरे वैष्णवपंथी श्रद्धालु हीं इस
वर्ष शास्त्रों के विधान का हवाला देकर रविवार को हीं जन्माष्टमी मना रहे हैं। सुबह से हीं दोनों संस्थानों
में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ रहा था। खासकर हुलासगंज में तो माहौल में सुबह से हीं एक अद्भूत पवित्रता पसरी थी। श्रद्धालुओं में महिलाओं की
संख्या भी उल्लेखनीय रही। इधर
परिसर के आसपास के इलाके में अस्थायी दुकानों की रेलमपेल, झूलो व तमाशे वालों से माहौल एकदम जीवंत व उत्सवी लग रहा था। एक ओर जहां गोपुरम मंदिर की ओर
से बाहर से आने वाले लोगों को ठहरने के लिए प्रसाद का भी इंतजाम था। इस बड़े त्योहार के अवसर पर शांति कायम रखने के उद्देश्य से प्रशासन
के स्तर पर भी व्यापक इंतजाम किए गए थे। बड़ी संख्या में सशस्त्र बलों के अलावा
लाठी पार्टी तथा महिला पुलिस की व्यवस्था की गयी थी। हुलासगंज जहानाबाद मुख्य मार्ग पर भी एक ओर जहां विभिन्न प्रकार की
दुकानें सजी थी, वहीं श्रद्धालुओं की भी भारी भीड़
जमी थी। ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से व्यवस्थापकों
द्वारा लगातार जानकारी दी जा रही थी। लोगों दूर दराज से आने वाले लोगों के लिए दिन
में भी प्रसाद का इंतजाम था। किसी को किसी प्रकार की कठिनाई नहीं हो इस पर
व्यवस्थापक नजर रख रहे थे।
दोपहर बारह बजे अखंड हरिनाम की गुंज से मंदिर परिसर गुंज उठा। संध्या में परम विभूषित स्वामी
रंगरामानुजाचार्य जी महाराज का प्रवचन आरंभ हुआ तो श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह में भजन के बाद खुद स्वामी रंगरामानुजाचार्य जी महाराज श्रद्धालु
नर नारियों को गुरुदीक्षा
देने में दोपहर बाद तक व्यस्त रहे। उन्होंने हजारों श्रद्धालुओं को गुरुदीक्षा देकर सदाचारी जीवन की
शपथ दिलायी। तत्पश्चात गीता भवन सभागार में विद्वानों के प्रवचन व भक्ति संगीत के एक से बढ़कर एक
प्रस्तुतियों से माहौल में भक्तिरस की खुशबू बिखरती रही। खुद स्वामीजी तथा उनके सहयोगी
शिष्यों व विद्वानों ने भी कृष्ण जीवन
लीला दर्शन से श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन किया। रात्रि बारह बजे के पूर्व महाआरती हुयी और बाल भगवान के प्रकट होते ही
जयकारे से जन्माष्टमी
का विधान विधिवत संपन्न हुआ। रात्रि बारह बजे के बाद एक विशाल भंडारे का आयोजन हुआ जिसमें लगभग पचास
हजार लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस पूरे आयोजन में पुलिस प्रशासन की सक्रियता व तैयारी भी सराहनीय रही।
सम्पूर्ण आयोजन की विडियोग्राफी कर मैंने अपने यूट्यूब पर उपलब्ध करा दिया है।
सम्पूर्ण आयोजन की विडियोग्राफी कर मैंने अपने यूट्यूब पर उपलब्ध करा दिया है।
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