जगदानन्द झा
नाम- जगदानन्द झा
(जन्म : 30
दिसम्बर 1973 )
पिता का नाम- श्री धर्मनाथ
झा
दादा का नाम- श्री हरिहरनाथ
झा
गोत्र- भारद्वाज
मध्यमा- 1987
व्याकरणाचार्य- 1994
उपाधियां ( बी.एड, बी. एल आई
एस सी, नेट )
संस्कृत पुस्तकालय के वर्गीकरण पद्धति के परिष्कर्ता।
संस्कृत पुस्तकालय के कम्प्यूटरीकरण पर इनका अधिक अधिकार है। ये विश्वविख्यात
शैवागम परम्परा के विद्वान् पं0
रामेश्वर झा के पौत्र हैं।
जन्म ग्राम-पटसा,
जिला-समस्तीपुर,
बिहार,
भारत में हुआ ।
इन्होंने अपने ज्येष्ठ
भ्राता विमलेश झा से संस्कृत की प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की। विद्यालयीय शिक्षा
के इतर विद्याओं का अध्ययन किया, जिनमें व्याकरणशास्त्र के गुरु पं. रामप्रीत
द्विवेदी, वाराणसी, पं. शशिधर मिश्र, वाराणसी, न्यायशास्त्र के गुरु महामहोपाध्याय
प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, वाराणसी,
जगद्गुरुरामानन्दाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य, वाराणसी आदि है। संस्कृत,
हिन्दी,
अंग्रेजी,मैथिली,
उड़िया,
बंगाली भाषा पर इनका असाधारण अधिकार
है। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय,दरभंगा
से वर्ष 1994
में नव्य व्याकरण विषय पर आचार्य की उपाधि प्राप्त की। सम्पूर्णानन्द संस्कृत
विश्वविद्यालय, वाराणसी
से ग्रन्थालय एवं सूचना विज्ञान विषय से बी.लिव की उपाधि प्राप्त की। उत्तर प्रदेश
संस्कृत संस्थान, लखनऊ
के पुस्तकालय में सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष पद पर 1999
से कार्य करते हुए पाण्डुलिपि विवरणिका, व्यावहारिक
संस्कृत प्रशिक्षक, पौरोहित्य
कर्म प्रशिक्षक, लखनऊ
के पुस्तकालय आदि अनेक ग्रन्थों का सम्पादन किया। संस्कृत के डिजिटलाइजेशन में अहम
योगदान है। अब तक पुस्तकालय संदर्शिका तथा स्कूल लोकेटर नामक दो ऐप बना चुके हैं। इसके अतिरिक्त हिन्दी संस्कृत शब्दकोश ऐप का निर्माण वर्ष 2020 में किया। 2011 से संस्कृतभाषी ब्लॉग लेखन आरम्भ किया। 2015 में संस्कृतसर्जना त्रैमासिकी
ई-पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ किया। अबतक 100 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के शैक्षिक
कार्यक्रमों, कवि सम्मेलनों, नाटकों सहित विविध प्रकार की कार्ययोजनाओं का संचालन
सफलता पूर्वक कर चुके हैं, जिसमें वाराणसी में आयोजित अखिल भारतीय व्यास महोत्सव
एक है। गत वर्ष के संस्कृत सप्ताह के अवसर पर संस्कृत सब्जी मंडी की अवधारणा को
लेकर काफी चर्चित रहे। संस्कृत क्षेत्र में रोजगार के सृजन, भाषायी प्रचार-प्रसार,
प्राचीन ज्ञान सम्पदा के संरक्षण की दिशा में नित्य संलग्न रहते हुए ऩई नई
युक्तियों तथा योजनाओं का निर्माण किया।
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कृपया पंच देव पूजा विधि सहित बताइए ।
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