अखिल भारतीय व्यास महोत्सव एक परिचय
अखिल भारतीय व्यास महोत्सव
पिछले वर्षों से पवित्र नगर काशी में अखिल
भारतीय महर्षि व्यास महोत्सव का भव्य आयोजन उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान,
लखनऊ
द्वारा किया जा रहा है, जिसमें
उत्तर प्रदेश सरकार के साथ केन्द्रीय सरकार भी सहयोग कर रही है। यह कहा जाता है कि एक बार रोष में आकर उन्होंने गंगा के दूसरे तट पर एक अन्य काशी की सृष्टि करनी चाही। किन्तु भगवान् गणेश की क्रीड़ापरक हस्तक्षेप के कारण उन्होंने अन्ततः ये विचार छोड़ दिया। उन्होंने काशी से लगे हुए रामनगर में निवास किया। जिस क्षेत्र में वे रहे वहॉं एक देवालय आज भी है और वह क्षेत्र व्यास काशी कहलाता है। माघ के महीने में काशी के नागरिक उस देवालय में विशेष रूप से जाते हैं। उनकी प्रशंसा में एक सुप्रसिद्ध श्लोक है कि ब्रहमा हैं, यद्यपि ब्रहमा की तरह उनके चार मुख नहीं है। वे विष्णु हैं जिनकी दो भुजायें ही हैं (चार भुजाएं नहीं है।) और वे शम्भु हैं यद्यपि उनके भाल पर (त्रिलोचन शम्भु की तरह) नेत्र नहीं हैं:-
महर्षि व्यास जी भारतीय
चिन्तन-परम्परा के आदि स्त्रोत रहे है। वेद को चार भागों-ऋग्,
यजुष,
साम
एवं अथर्व- में विभक्त करके आपने कृष्ण द्वैपायन से महर्षि वेदव्यास की उपाधि
प्राप्त की तथा महाभारत एवं पुराणों की रचना की।
यह प्रसिद्ध है कि वेद-व्यास ने अपना
कर्मक्षेत्र भगवान विश्वनाथ शंकर के त्रिशूल एवं उत्तर वाहिनी मां गंगा के तट पर
बसी मोक्ष-दायिनी नगरी वाराणसी अथवा काशी को बनाया। यह वजह है कि आज हम विश्व के
इस प्राचीनतम नगर में संस्कृत के शिखर विद्वानों और भारतीय परम्परा के जानकारों के
बीच भगवान वेद-व्यास को स्मरण करने के लिए कुछ कार्यक्रमों के साथ आये है,
जिन्हें
मोट-मोटे तौर पर बताना उचित होगा। महर्षि व्यास जी भारतीय चिन्तन-परम्परा के आदि
स्त्रोत रहे है। वेद की चार भागों- ऋग्, यजुष,
साम
एवं अथर्व - में विभक्त करके आपने कृष्ण
द्वैपायन से महर्षि वेदव्यास की उपाधि प्राप्त की तथा महाभारत एवं पुराणों की रचना
की ।
वस्तुतः महर्षि व्यास जी
ने महाभारत लिखकर केवल युद्धों का वर्णन नहीं किया है, बल्कि
उनका अभिप्राय था, इस भौतिक जीवन की निःसारता
दिखाकर मानवों को मोक्ष के लिए जागरूक एवं उत्सुक करना।
भारतीय संस्कृति का प्राण
धर्म ही है, जिसकी उपेक्षा आज हो रही है। उनका
स्पष्ट मत है कि अधर्म से देश का नाश होता है और धर्म से राष्ट्र का अभ्युत्थान
होता है। वे कहते है, कि धर्म का परित्याग किसी
भी स्थिति में, भय से या लोभ से,
कभी
नहीं करना चाहिए।
अतः समस्त व्यास साहित्य से सभी धर्मों से शिक्षा
मिलती है। नई पीढ़ी में इस ज्ञान का प्रचार-प्रसार हो इसी कामना से महोत्सव का आयोजन
किया जाता है।
अखिल भारतीय व्यास महोत्सव का उद्देश्य-
अखिल
भारतीय व्यास महोत्सव भारत के दार्शनिक एवे बौद्धिक परम्परा के महान् व्याख्याता
तथा भारतीय सर्जनात्मक कलाओं के स्त्रोत महर्षि व्यास की स्मृति को संरक्षित करने
के लिए आयोजित किया जाता है। व्यास वैदिक चिन्तन-परम्परा के महान् व्याख्याता है।
उ.प्र. शासन, भारत सरकार तथा देशभर के विद्वान्,
चिन्तक
एवं छात्र इस महान् और अमर परम्परा के व्याख्याता के प्रति अपना आदर व्यक्त करने
के लिए एकत्र होते है।
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