संस्कृत-ज्ञान
परम्परा श्रुति-परक रही है। आदिकाल से ही मूलग्रन्थ को गुरुमुख से सुनकर
विद्यार्थी उसके शुद्ध मानक उच्चारण को सीख जाता था और फिर वही शुद्ध उचारण अपनी
अगली पीढ़ी में संक्रांत कर देता था, जिससे एकरूपता अखंड रूप से बनी रहती थी किन्तु
कालांतर में यह परम्परा भंग हो गयी, जिसके फलस्वरूप संस्कृत के मानक उच्चारण और
मूल ग्रन्थ की आवृत्ति की परम्परा भी लगभग नष्टप्राय हो गयी। संस्कृत भाषा विश्व
की अनेक लिपियों में निबद्ध है, जिसे विश्व के
अनेक देशों में पढ़ा जाता है। देश तथा विेदेश के अनेक भागों मे संस्कृत का पठन-पाठन
होता है। उन अध्येताओं के लिए संस्कृत के मानक उच्चारण सीखने की तथा मानक उच्चारण
पूर्वक शास्त्र ग्रन्थों को पढ़ने के लिए ध्वन्यंकन सामग्री का अभाव है। इस कमी को
पूरा करने के लिए शास्त्र ग्रन्थों का ध्वन्यंकन कराया जाना चाहिए। आज भारत के 90 प्रतिशत घरों में मोबाइल पहुंच चुका है, उस मोबाइल
में ध्वनि रूप में संस्कृत आडियों बुक्स रखने के लिए सामग्री उपलब्ध नहीं है। आडियों
बुक्स के निर्माण से छात्र एवं संस्कृत प्रेमी संस्कृत ज्ञान के प्रति उन्मुख होंगे।
इस प्रकार वे चलते फिरते मूल ग्रन्थों का स्मरण कर सकचे हैं। स्मरण किये गये
ग्रन्थों की आवृत्ति दे सकते हैं।
उल्लेखनीय
है कि शास्त्रों के पल्लवन में मूल ग्रन्थों की महती भूमिका होती है,
बिना सन्दर्भ के किसी भी बात को मान्यता नहीं मिलती। इस प्रकार मूल
ग्रन्थों के स्मरण होने के उपरान्त ही उसका मनन करना भी सम्भव हो पाता है। शास्त्र
शिक्षण के चरणों में प्रथम चरण श्रोतव्यः (सुनना चाहिए) उसके बाद दूसरा चरण
मंतव्यः (मनन करना चाहिए) का आता है। इन प्रविधियों को अपनाने के कारण अन्य भाषाओं
तथा विषयों के शिक्षण में गुणात्मक वृद्धि देखी गयी है। अनेक भाषाओं में आडियों
बुक्स देखने को मिलते हैं।
आजकल
संस्कृत विषय के विद्यार्थी भी मूल ग्रन्थों के स्थान पर द्वितीयक स्रोतों का
उपयोग करने लगे। आज इंटरनेट पर आडिओ-बुक्स का युग है, किन्तु संस्कृत के मूल ग्रन्थों की आडिओ-बुक्स की उपलब्धता लगभग शून्य
है। अतः ऐसे में संस्कृत का विद्यार्थी स्वयं को संसाधन-हीन अनुभूत करता है।
संस्कृत के
मानक उच्चारण के प्रसार के लिए, छात्रों में
मूलग्रन्थ की आवृत्ति की प्रवृत्ति को बढाने के लिए, संस्कृत
भाषा को डिजिटल रूप से अधिक समृद्ध बनाने के लिए तथा ज्ञान परम्परा के प्रति एक
श्रद्धा अर्पित करने के लिए शुद्ध-मानक उच्चारण के साथ संस्कृत के मूल ग्रन्थों की
आडिओ रिकार्डिंग करना एक अत्यंत आवश्यक और प्रासंगिक कार्य है।