उत्तर प्रदेश शासन, भाषा अनुभाग-3 द्वारा जारी कार्यालय ज्ञाप संख्या-72/23-3-2007- सं0सं0-41/06, दिनांक 21 मार्च 2007 में उत्तर प्रदेश संस्कृत
संस्थान के संयोजन में काशी की शैक्षणिक, सांस्कृतिक संस्थाओं के
समन्वय से अखिल भारतीय व्यास महोत्सव का वाराणसी में आयोजित किये जाने की स्वीकृति
है।
विगत
पांच वर्षों में कार्यक्रम संयोजन समिति की बैठक मा0 मुखयमंत्री
जी के निर्देशानुसार वर्ष 2007
तथा 2008 में तत्कालीन मा0संस्कृति मंत्री़, श्री
नकुल दुबे जी की अध्यक्षता में एवं 2009, 2010 तथा 2011 में मा0 संस्कृति मंत्री, श्री सुभाष पाण्डेय की
अध्यक्षता में सम्पन्न हुई थी।
दिनांक 10.09.2010 की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि अखिल भारतीय व्यास
महोत्सव का आयोजन चक्रानुक्रम से वाराणसी के तीनों विश्वविद्यालयों में किया जाये।
तद्नुरूप वर्ष 2010 में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में तथा
वर्ष 2011 में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में अखिल भारतीय
व्यास महोत्सव का आयोजन हुआ।
इस
वर्ष इसके आयोजनार्थ कुलपति काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को निःशुल्क स्थान उपलब्ध
कराने हेतु संस्थान द्वारा पत्र प्रेषित किया गया था, जिसपर
कुलपति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा संकायप्रमुख, संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकाय को इसके आयोजनार्थ स्थान
उपलब्ध कराने हेतु निर्देश दिया। संकाय प्रमुख, संस्कृत
विद्या धर्म विज्ञान संकाय ने अपने पत्र संखया एस0
वी0डी0वी0/12-13/922 दिनांक 12.12.12
द्वारा दिनांक 12.01.2013 के पश्चात
अपने संकाय में निःशुल्क स्थान उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।
इस वर्ष व्यास महोत्सव के अन्तर्गत प्रस्तावित
कार्यक्रमों, विषय निर्धारण, आय-व्ययक
आदि के विचारार्थ एवं अनुमोदनार्थ कार्यक्रम संचालन समिति की एक बैठक दिनांक 11 जनवरी,
2013 को मा0 होमगार्डस
एवं व्यावसायिक शिक्षा मंत्री श्री ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी जी की अध्यक्षता में
सर्किट हाउस वाराणसी में सम्पन्न हुई थी।
बैठक में लिये गये निर्णयानुसार इस वर्ष व्यास
महोत्सव का आयोजन दिनांक 24 फरवरी से 2
मार्च 2013 तक संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में किया जाना था। तथा सम्पूर्णानन्द संस्कृत
विश्वविद्यालय को व्यास महोत्सव के आयोजनार्थ नोडल विश्वविद्यालय के रूप में नामित
किया गया, कुलपति, सम्पूर्णानन्द संस्कृत
विश्वविद्यालय, वाराणसी व्यास महोत्सव आयोजन समिति के सम्मानित
सदस्य हैं। दिनांक 11.01.2013
को संस्कृत संस्थान के निदेशक की
भेंट वार्ता कुलपति,सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से हुई थी, जिसमें उन्होंने महोत्सव से सम्बन्धित समस्त कार्यों में सहयोग
के साथ-साथ किसी भी प्रकार की कमी न आने देने का आश्वासन दिया था।
विद्वदगोष्ठी में सर्ववेद शाखा स्वाध्याय, वेद,
वेदान्त, पुराण
व धर्मशास्त्र, महाभारत एवं संस्कृत संगोष्ठियों के आयोजन का
प्रस्ताव था। छात्र प्रतियोगिताओं में गीता कण्ठस्थ पाठ, चित्रकला, छन्दोगान,
शोध छात्र संगोष्ठी एवं संस्कृत
वादस्पर्द्धा किये जाने का निर्णय लिया गया।
प्रत्येक
विद्वदगोष्ठी एवं छात्र प्रतियोगिताओं के संयोजक नामित किये गये। समिति ने पूर्व
वर्ष की भांति प्रत्येक संगोष्ठियों में 5
बाह्य तथा 10 स्थानीय विद्वानों को संयोजकों द्वारा चयन कर उन्हें आमंत्रित करने
का सुझाव दिया तथा शैक्षिक गतिविधियों हेतु नोडल अधिकारी के रूप में प्रो0 युगल किशोर मिश्र को नामित किया। प्रो. मिश्र के देखरेख में
विद्वद् गोष्ठियों के संयोजक विद्वानों के नाम, व्याखयान
के विषय, स्थान आदि की विस्तृत कार्ययोजना बनाकर स्थानीय
संचालन समिति के विचारार्थ अगली बैठक में प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया।
विभिन्न गोष्ठियों में प्रतिभाग करने वाले विद्वदजनों को आमंत्रित करने का दायित्व
संयोजकों को सौंपा गया कि संयोजक अपने स्तर से विद्वानों एवं प्रतिभागियों को सूचना
देंगे तथा उसकी प्रति निदेशक उ0 प्र0 संस्कृत संस्थान को
उपलब्ध करायेंगे ।
23 जनवरी, 2013 को डॉ0 चन्द्रकान्त द्विवेदी जी द्वारा विद्वदगोष्ठियों में आमंत्रित
किये जाने वाले विद्वद्जनों की सूची यह कहकर उपलब्ध करायी कि यह सूची नोडल अधिकारी
प्रो0 मिश्र ने प्रेषित किया है।
24
जनवरी, 2013 की बैठक में महाभारत एवं वेदान्त संगोष्ठी के
संयोजकों को गोष्ठी के विषय एवं नाम पर आपत्ति थी। अतः वेदान्त संगोष्ठी के संयोजक
ने उस सूची में कुछ अन्य विद्वानों के नाम आमंत्रण हेतु प्रस्तावित किया।
महाभारत
संगोष्ठी की संयोजिका प्रो0 उमारानी त्रिपाठी ने यह कहते हुए सूची अपने पास रख
ली कि विद्वानों के नाम,
विषय एवं स्थान की जानकारी प्रो0 कमलेश दत्त त्रिपाठी जी से चर्चा के उपरान्त दे दी जायेगी।
प्रो0 उमारानी त्रिपाठी से दूरभाष पर निरन्तर इस विषय पर प्रगति की
पृच्छा पर उन्होने 7 बाह्य विद्वानो के संशोधित नाम दूरभाष पर उपलब्ध
करा दी एवं विभिन्न पक्षों से वार्ता के उपरान्त महाभारत संगोद्गठी को महात्मा
गांधी काशी विद्यापीठ के केन्द्रीय पुस्तकालय समिति कक्ष में संचालित करने की
सूचना दी।
29 जनवरी, 2013 को
प्रो0 युगल किशोर मिश्र, नोडल
अधिकारी शैक्षिक गतिविधि ने विद्वदगोष्ठी के विद्वज्जनों के आमंत्रण का दायित्व
प्रच्चासनिक एवं वित्तीय नियन्त्रण हेतु संस्कृत संस्थान को निर्वाह करने का सुझाव
दिया।
संयोजकों ने स्वयं को विद्वानों के आमंत्रण में
असमर्थता प्रकट की। नोडल अधिकारी एवं संयोजकों द्वारा उपलब्ध करायी गयी मौखिक एवं
विभिन्न माध्यमों द्वारा प्रेषित विद्वानों के नामों में से विविध विद्वद्गोष्ठी
के विद्वदजनों एवं संयोजकों से निरन्तर दूरभाष पर सम्पर्क कर उनके संशयात्मक आगमन
के आधार पर संस्थान की ओर से आमंत्रण पत्र प्रेषित
किया गया। उपर्युक्त परिस्थितियों के कारण प्रत्येक संगोष्ठियों में 5 बाह्य तथा 10 स्थानीय विद्वानों के आगमन में न्यूनाधिक होने की
भी सम्भावना थी, तथापि यह प्रयास किया गया कि प्रत्येक संगोद्गठी
हेतु प्रस्तावित धनराशि रु0
70200.00 की सीमा में ही संगोष्ठियों का
सफल संचालन किया जा सके।
विद्वानों को प्रेषित किये जाने वाले आमंत्रण पत्र
में दिनॉक 11 जनवरी, 2013 के
कार्यवृत्त में प्रदत्त दिशा निर्देशानुसार गमनागमन हेतु वाह्य विद्वानों को ए0सी0 द्वितीय श्रेणी के तथा स्थानीय विद्वानों को रू0 200.00 मात्र मार्ग व्यय एवं समुचित मानदेय का पत्र प्रेषित किया गया।
महोत्सव के आयोजन में कुछ ही दिन शेष रहने पर सम्पूर्णानन्द संस्कृत
विश्वविद्यालय, वाराणसी ने अपने पत्र संखया 118/2/2013 दिनांक 5.02.2013 द्वारा
सूचित किया कि अखिल भारतीय व्यास महोत्सव के कार्यक्रम हेतु विश्वविद्यालय परिसर
के जिस भवन को दिनांक 14.02.2013
से 02 मार्च, 2013 तक आवंटित कराना है उसका आवंटन नियमानुसार शुल्क जमा करने के
पश्चात् ही विश्वविद्यालय द्वारा किया जायेगा। विश्वविद्यालय द्वारा प्रदत्त सूची
के अनुसार प्रति दिन लगभग 87000.00
(सत्तासी हजार मात्र) के व्यय होने
से कुल 7 दिनों के आयोजन पर रूपये 6,09,000.00 (रूपये छः लाख नौ हजार मात्र) के व्यय आने की सम्भावना थी।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने महाभारत
संगोष्ठी हेतु निःशुल्क स्थान उपलब्ध कराया।
अखिल
भारतीय व्यास महोत्सव का आयोजन,
सम्पूर्णानन्द संस्कृत
विश्वविद्यालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा
गांधी काशी विद्यापीठ,
संस्कृति विभाग एवं जिला प्रशासन, वाराणसी के सहयोग से उ0
प्र0 संस्कृत संस्थान, आयोजित
करता रहा है। विगत वर्षो में जिस विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित किये जाते थे
वहॉ कार्यक्रम आयोजन हेतु सभी सुविधायें निःशुल्क संस्थान को प्राप्त होती थी।
इस वित्तीय वर्ष में शासन से संस्थान को मात्र
रूपये 15,00,000.00
(रूपये पन्द्रह लाख मात्र) का बजट
प्राप्त हुआ। जबकि पूर्व के वर्षो में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली से रूपये 10,00,000.00 (दस लाख
मात्र) का बजट संस्थान को प्राप्त होता रहा। इस वर्ष राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली से अनुदान प्राप्त नहीं हो पाया।
संस्थान को उपलब्ध रूपये 15,00,000.00 (रूपये पन्द्रह लाख मात्र) से सम्पूर्णानन्द
संस्कृत विश्वविद्यालय के किराये की धनराशि रूपये 6,09,000.00 (रूपये छः लाख नौ हजार मात्र) दिये जाने के उपरान्त बचे रूपये 8,91,000.00 (आठ लाख इक्यानबे हजार मात्र) के इस अल्प बजट में
अखिल भारतीय व्यास महोत्सव का आयोजन करने में संस्थान अपने आप को असमर्थ पाया।