दिन काफी
चढ़ आए। सूर्य की रोशनी घर में प्रवेश कर गयी थी। शशि अभी नहाई नहीं है। वह सुबह
उठते ही जल्दी-जल्दी बालों को संभालकर मूंह हाथ धो ली। आज ही रक्षाबन्धन है। भाई
बहन का पर्व। पवित्र और जिम्मेदारी का प्रतीक राखी। वह अपने भाई को बांधकर मिठाई
खिलाएगी। शशि घर के बाहर गोबर मिटृी मिलाकर आंगन लीप रही है। सहसा...
मेरी आवृत्ति
जब मैं छोटा था। प्रथमा और मध्यमा में प्रातः उठकर पठित
पाठ, याद किये गये श्लोकों एवं सूत्रों की आवृत्ति करता
था। प्रातः 7 से 9 के बीच आवृत्ति का समय सुनिश्चित होता था। अब जब मैं सेवा क्षेत्र में आ
गया। एक पुस्तकालय के प्रबन्धन एवं संचालन का दायित्व मुझे सौपा गया था। यूं कहें
सरकार...
रत्नगर्भा धरा सुस्मिता श्यामला
रत्नगर्भा धरा सुस्मिता श्यामला
दिव्यतीर्थास्तटाः पर्वताः सिन्धवः ।
निर्झराः वाटिकाश्चात्र देवालयाः
भव्यमेतत्प्रियं भारतं भूतले ॥1॥
वेदशास्त्राणि साहित्यकाव्यानि वा
यत्र यच्छन्ति लोकाय सत्प्रेरणम् ।
रम्यरामायणं श्रीमहाभारतं
...
शूरा वयम्
शूरा
वयं धीरा वयं वीरा वयं सुतराम्
गुणशालिनो
बलशालिनो जयगामिनो नितराम् ॥
दृढमानसा
गतलालसा: प्रियसाहसा: सततम्
जनसेवका
अतिभावुका: शुभचिन्तका नियतम् ॥
धनकामना
सुखवासना न च वञ्चना हृदये
ऊर्जस्वला
वर्चस्वला अतिनिश्चला विजये ॥
गतभीतयो
धृतनीतयो दृढशक्तयो निखिला:
यामो
वयं समराङ्गणं विजयार्थिनो बाला: ॥
जगदीश
हे परमेश...