संस्कृत पत्रकारिता
में अभी समाचार बेचने की परम्परा नहीं है। पाठक क्या पढ़ना चाहता है? इसपर विचार
नहीं किया जाता । यहाँ पर लोगों को क्या पढ़ना चाहिए इस बात पर जोर है। कुल मिलाकर
संस्कृत पत्रकारिता साहित्य की परिधि से बाहर नहीं निकल सका है। अन्य भाषाओं की
पत्रकारिता साहित्य को सनसनीखेज बनता है, जिससे पाठक नहीं चाहते हुए अध्ययन को
उत्सुक हो जाते है। भाषा ज्ञान तो बाधक है ही। आज स्मार्ट पत्रकारिता का युग है,
दजिसमें समय प्रबन्धन से लेकर पाठकों की इच्छा तथा वितरण का ध्यान रखा जाता है। स्मार्ट
पत्रकारिता में सफल पत्रकार वह माना जाता है, जो अधिक भागदौड़ से बचते हुए तकनीक
का उपयोग करते हुए समाचार का संकलन करता है। जो उस पत्र का पाठक नहीं है, उसके पास
तक अपनी पहुँच बनाने के लिए सोशल मीडिया, रिसर्च एण्ड डवलप आदि के द्वारा अपनी
पहुँच बनाता है। जैसा कि मैंने पत्रकारिता के अपने लेख में शब्द चयन का उल्लेख
किया था,पत्रकारिता में लगभग, आदि जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता। कम
शब्दों में अधिक बाते कही जाती जाती है ताकि अधिक से अधिक समाचार को स्थान दिया जा
सके। पत्रकारिता में सत्यता की स्थापना के लिए फोटोग्राफी एवं सम्बन्धित
व्यक्तियों से कथन को जोड़ा जाता है। स्थान भेद से व्यक्तियों के अध्ययन के प्रति
रूचि में भेद देखा जाता है। आज के समाचार पत्र इसी आधार पर स्थानीय समाचार में
इसका ध्यान रखते हैं। पत्रकारिता द्वारा बाजार की स्थापना और बाजार द्वारा
पत्रकारिता को संरक्षण आवश्यक अंग बनता जा रहा है। दोंनों के बीच एक अदृश्य
सम्बन्ध स्थापित है। इसी प्रकार अनेक क्षेत्रों के साथ गठजोर स्थापित करते हुए
पत्रकारिता आगे बढ़ रही है।
संस्कृत पत्रकारिता में गति देने के लिए
इनमें से कुछ तत्वों को अपना पड़ेगा। संस्कृत पत्र- पत्रिका के कुशल प्रबन्धन एवं
विक्री के लिए सम्बाददाता, छायाकार, विज्ञापन संकलन कर्ता को स्थान देना होगा।
पत्रका के विस्तार के लिए RND (रिसर्च एण्ड डवलप) का
कार्य करना होगा। रिसर्च एण्ड डवलप का काम किसी भी व्यक्ति से कराया जा सकता है।
इसमें एक सर्वे पत्र बनाना चाहिए, जिसमें निम्नलिखित जानकारी इकट्ठा करने का प्रारूप
हो।
1.
नाम
2.
परिवार में सदस्यों की
संख्या
3.
उनमें से संस्कृत जानकारों
की संख्या
4.
प्रत्येक व्यक्ति की
अवस्था, लिंग एवं शैक्षिक योग्यता
5.
परिवार के सदस्यों में कौन
नियमित पाठक है कौन अनियमित
6.
संस्कृत पत्र - पत्रिका
पढ़ते है या नहीं?
7.
कौन क्या पढ़ते है?
8.
उसका उपयोग कहाँ करते है?
9.
संस्कृत पत्र- पत्रिका के
अतिरिक्त और कौन सी पत्रिका पढ़ते है? नेट / मुद्रित
10.
क्या पढ़ना अच्छा लगता है?
11.
पत्रिका में क्या पढ़ना
चाहते है?
इस सर्वेक्षण पत्र
का उपयोग करते हुए अपनी पत्रिका में अपेक्षित सुधार करना चाहिए। संस्कृत के
जानकारों तथा इसकी उपाधि से रोजगार पाये लोग भी संस्कृत पत्र- पत्रिका के ग्राहक
नहीं बन पाते हैं। जबकि रोजगार प्राप्त व्यक्ति आसानी से इसके शुल्क का भुगतान कर
सकता है।
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