2011
की जनगणना पर आधारित भारतीयों भाषाओं के आंकड़े आ चुके हैं। कुछ
उत्साही मित्र समाचार पत्र की कटिंग लगाकर यह दिखाने की कोशिश में हैं कि संस्कृतभाषियों
की संख्या में वृद्धि हो रही है। इस शुभ वार्ता को प्रचारित कर वे मूल समस्या से
बचना चाह रहे हैं। मैं साक्ष्य सहित यह कह
सकता हूँ कि यह क्षणिक उफान है।
जनगणना हेतु निर्मित परिवार अनुसूची में उल्लिखित 29 प्रश्नों में से मातृभाषा एक प्रश्न था। अन्य भाषाओं का ज्ञान दूसरा अन्य प्रश्न। ये आंकड़े मातृभाषा वाले प्रश्न के हैं।जनगणना आधारित भाषायी आंकड़ों पर रह-रह कर हाय तौबा मचता रहता है। मैंने अपने एक अन्य लेख में भाषायी अल्पसंख्यकों और इसके लिए गठित संस्थाओं के बारे में विस्तार पूर्वक लिख चुका हूँ। जनगणना में कुछ स्थान पर श्रम पूर्वक कार्य सम्पादित होते हैं तो कुछ भी दूर बैठकर आंकड़े लिख दिये जाते हैं। यह शिकायत हमेशा से रही है कि जनगणनाकर्ता पूछता है, तुम्हारी माँ किस भाषा को बोलती है? यदि तुम्हारी माँ संस्कृत नहीं बोलती तो तुम्हारी प्रथम मातृभाषा संस्कृत कैसे हो सकती है? चुंकि जनगणना करने वाला हिन्दी या अन्य क्षेत्रीय भाषा बोल रहा होता है, जिसका उत्तर उसी भाषा में दी जाती है। पुनः उसका दूसरा प्रश्न होता है कि तुम्हारी द्वितीय भाषा संस्कृत नहीं हो सकती तुम मेरी भाषा में धारा प्रवाहपूर्वक उत्तर दे रहे हो। अंततः तृतीय भाषा में संस्कृत को स्थान मिल पाता है। यह तब संभव है जब जनगणना करने वाले महाशय से आपकी भेंट हो जाय। अन्यथा आपका पड़ोसी या रिश्तेदार भी नहीं जानते कि आप संस्कृत बोलना जानते हैं। क्योंकि आपने उसके समक्ष कभी संस्कृत में बोला ही नहीं।
जनगणना हेतु निर्मित परिवार अनुसूची में उल्लिखित 29 प्रश्नों में से मातृभाषा एक प्रश्न था। अन्य भाषाओं का ज्ञान दूसरा अन्य प्रश्न। ये आंकड़े मातृभाषा वाले प्रश्न के हैं।जनगणना आधारित भाषायी आंकड़ों पर रह-रह कर हाय तौबा मचता रहता है। मैंने अपने एक अन्य लेख में भाषायी अल्पसंख्यकों और इसके लिए गठित संस्थाओं के बारे में विस्तार पूर्वक लिख चुका हूँ। जनगणना में कुछ स्थान पर श्रम पूर्वक कार्य सम्पादित होते हैं तो कुछ भी दूर बैठकर आंकड़े लिख दिये जाते हैं। यह शिकायत हमेशा से रही है कि जनगणनाकर्ता पूछता है, तुम्हारी माँ किस भाषा को बोलती है? यदि तुम्हारी माँ संस्कृत नहीं बोलती तो तुम्हारी प्रथम मातृभाषा संस्कृत कैसे हो सकती है? चुंकि जनगणना करने वाला हिन्दी या अन्य क्षेत्रीय भाषा बोल रहा होता है, जिसका उत्तर उसी भाषा में दी जाती है। पुनः उसका दूसरा प्रश्न होता है कि तुम्हारी द्वितीय भाषा संस्कृत नहीं हो सकती तुम मेरी भाषा में धारा प्रवाहपूर्वक उत्तर दे रहे हो। अंततः तृतीय भाषा में संस्कृत को स्थान मिल पाता है। यह तब संभव है जब जनगणना करने वाले महाशय से आपकी भेंट हो जाय। अन्यथा आपका पड़ोसी या रिश्तेदार भी नहीं जानते कि आप संस्कृत बोलना जानते हैं। क्योंकि आपने उसके समक्ष कभी संस्कृत में बोला ही नहीं।
भारतीय जनगणना परिणाम 2011 के लिंक पर क्लिक कर डाउनलोड कर ले। इसका विस्तार
पूर्वक अध्ययन करें। 2011 के रिपोर्ट के अनुसार 22 सूचीबद्ध भाषाओं में संस्कृत
सबसे कम बोली जाने वाली भाषा है। 2011 के रिपोर्ट के अनुसार इसे सम्पूर्ण भारत में प्रथम भाषा को रूप में बोलने वालों की कुल जनसंख्या मात्र 24,821 हैं।द्वितीय भाषा के रूप में बोलने करने वाले की कुल जनसंख्या 12,34,931 तथा तृतीय भाषा
के रूप में बोलने करने वाले की कुल जनसंख्या 37,42,223 है। देखें रिपोर्ट -
2001
में हुई जनगणना रिपोर्ट के अनुसार संस्कृत बोलने वाले कुल संख्या 14,135 थी, जबकि 1991 में 49,736 ।
क्या 1991 में जो लोग संस्कृत बोल रहे थे वे 2001 आते आते बोलना भूल गये अथवा सहसा
परमपद को सिधार गये ? यद्यपि 2001 में रिपोर्ट आने पर इस विषय पर बहुत अधिक चर्चा
हुई थी। कारण खोजे गये थे। नयी पीढ़ी के लोगों तथा इस विषय में रूचि रखने वाले के
लिए अंत में 1971 से लेकर अबतक संस्कृत भाषा बोलने वाले का रिपोर्ट विश्लेषण करने
के लिए दे रहा हूँ। कुछ प्रश्न हो, जिज्ञासा हो, चर्चा करनी हो तो टिप्पणी में
अपना मंतव्य लिख दें।
वर्ष
|
1971
|
1981
|
1991
|
2001
|
2011
|
जनसंख्या
|
2,212
|
6,106
|
49,736
|
14,135
|
24,821
|
लेख का स्रोत जानने के लिए यहाँ क्लिक करें
नितरां शोभनम् !
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