मेघदूतम्
के लेखक महाकवि कालिदास हैं। यह एक खंडकाव्य है। यह पूर्व एवं उत्तर मेघ के रूप
में दो भागों में विभाजित है। पूर्वमेघ में 63 श्लोक तथा उत्तरमेघ में 52 श्लोक
हैं। कुछ संस्करणों में श्लोकों की संख्या में अन्तर देखने को मिलता है। इसमें लगभग
15 प्रक्षिप्त श्लोक प्राप्त होते हैं। कवि ने इसमें “मंदाक्रांता" छन्द का प्रयोग किया है।
इस
संदेश-काव्य...
मृच्छकटिकम्
मृच्छकटिकम्
महाकवि शूद्रक विरचित प्रकरण है । इसमें चारुदत्त एवं वसंतसेना नामक वेश्या का
प्रणय-प्रसंग, 10 अंकों में वर्णित है।
प्रथम अंक
में प्रस्तावना के पश्चात् चारुदत्त के निकट उसका मित्र मैत्रेय (विदूषक) अपने
अन्य मित्र चूर्णवृद्ध द्वारा दिये गये जातीकुसुम से सुवासित उत्तरीय लेकर जाता है
। चारुदत्त उसका स्वागत करते हुए...
लघुसिद्धान्तकौमुदी पढ़ने के लिए उपयोगी यूट्यूब लिंक
Jagdanand
Jha
इस यूट्यूब चैनल में लघुसिद्धान्तकौमुदी के लिए दो प्रकार से playlists बनाया गया है। 1. प्रकरण के अनुसार
यथा- संज्ञा प्रकरण, अच् सन्धि आदि । 2. लघुसिद्धान्तकौमुदी
के लिए। इस चैनल में संज्ञा प्रकरण के 5, अच् सन्धि के 20, हल् सन्धि के 10,
विसर्ग सन्धि के 3, अजन्तपुल्लिंग के 19, अजन्तस्त्रीलिंग के 14, अजन्तनपुंसकलिंग के 07 तथा...
दशदिवसीयसम्भाषणशिविरस्य पाठ्यक्रमः (संस्कृतभारतीद्वाराप्रवर्तितः)
प्रथमं दिनम्
॥ गीतम् ॥
॥ मम नाम /
भवतः
नाम / भवत्याः
नाम ॥
॥ सः कः ? /कः
सः ? ॥
॥ सा का ? /का
सा ॥
॥ तत् किम् ?
/किं तत् ? ॥
॥ एषः कः ?/
कः
एषः ? ॥
॥ एषा का ?/
का
एषा ॥
॥ एतत् किम् ?
/किम् एतत् ?
॥
॥ अहम् /
भवान्
/ भवती ॥
॥ आम /न /व ॥
॥ अस्ति /
नास्ति
॥
॥ अत्र /
तत्र
/ कुत्र / अन्यत्र / सर्वत्र / एकत्र ॥
॥ तस्य /कस्य
॥...