स्वतन्त्रता प्राप्ति (1947) के पश्चात् संस्कृत में लिखित साहित्य (भाग- 1)

             असम

अविनाश- (उपन्यास) डॉ. विश्वनारायण शास्त्री । (प्राच्यभारती” - गुवाहाटी में प्रकाशित)

केतकी (मूल- असमी काव्य रघुनाथ चौधरी कृत) अनुवादक- मनोरंजन चौधरी ।

गीतांजलि - (मूल- बंगाली काव्य- घ-रवीन्द्रनाथकृत) अनुवादक- कामिनीकान्त अधिकारी ।

नवमल्लिका- (मूल- असमीकाव्य- रघुनाथ चौधरीकृत) - अनुवादक- बिपिनचंद्र गोस्वामी ।

पताकाप्नाय - मनोरंजन शास्त्री ।

प्रक्रमकामरूपम् - मनोरंजन शास्त्री।

प्रबोधचन्द्रोदय -डॉ. अपूर्वकुमार भरथकुरिया (विषय - चार्वाकदर्शन)

वृत्तमंजरी - धीरेश्वराचार्य ।

व्यंजनाप्रवचनम् (शोधप्रबन्ध) - डॉ. एम.एम. शर्मा ।

शाक्तदर्शनम् - चक्रेश्वर भट्टाचार्य । श्रीकृष्णलीलामृतम् - वैकुण्ठनाथ तर्कतीर्थ।

                आन्ध्र प्रदेश

काकदूतम् - एन. आर. राजगोपाल अय्यंगार ।

कालिदासस्य भौगोलिक विज्ञानम्- डॉ. श्रीरामचन्द्रडु उस्मानिया वि.वि. ।

कृष्णतारा - (उपन्यास) श्रीनिवास शास्त्री।

शिक्षामनोविज्ञानम् - व्ही.एस. वेंकटराघवाचार। केंद्रीय संस्कृत विद्यापीठ - तिरुपति द्वारा सन 1971 में प्रकाशित।

शैक्षिकी सांख्यिकी - डॉ. पी. सुब्बारायन्। के.सं. विद्यापीठ तिरुपति द्वारा, सन 1982 में प्रकाशित।

सर्वाभ्युदय - (उपन्यास) श्रीनिवास शास्त्री ।

साहितीजगती - कालूरी हनुमंतराव उस्मानिया वि.वि. । विषय साहित्यशास्त्र ।

                उडीसा

अपराजिता वधू (काव्य) - डॉ. पूर्वचन्द्र शास्त्री।

अभिशप्तचन्द्रम् (गीतिनाट्य) - वैकुण्ठविहारी नन्द ।

अमरभारती (नाटक)- सुदर्शन पाठी।

कपोतदूतम् - नारायण रथ (1972 में प्रकाशित)

अभिशापम् (काव्य) - डॉ. पूर्वचन्द्र शास्त्री।

अलंकारशास्त्रम् - अनन्त त्रिपाठी शर्मा।

करुणापारिजातम् - सुदर्शन पाठी।

कलिंगभानु - हरेकृष्ण शतपथी।

कवितामाला - श्रीसुदर्शनाचार्य ।

कविशतकम् - हरेकृष्ण शतपथी। 1978 में प्रकाशित ।

कांचीविजयम् - वैकुण्ठविहारी नन्द ।

किशोरचंद्राननचम्पू -(मूल लेखक बलदेव रथ) अनन्त त्रिपाठी शर्मा।

कीचकवधम् (काव्य)- वैकुण्ठविहारी नन्द |

घोटकनृत्यम् - वैकुण्ठविहारी नन्द ।

चन्द्रभागा - (मूल उडिया लेखक- राधानाथ रथ) 1) अनुवादक- गदाधर दाश। 2) अनुवादक- उमाकान्त पण्डा ।

चाणक्यविजयम् (रूपक)- हरेकृष्ण महताब ।

चेतना (रूपक) पुण्डरीकाक्ष मिश्र।

जगन्नाथ रथोत्सव -गुणनिधि ।

जैनदर्शनम् - जगन्नाथ रथ ।

तारुण्यशतकम्- क्षीरोदचन्द्र दाश।

तिलोत्तमा -क्षीरोदचन्द्र दाश।

द्वादशी रात्री -(मूल शेक्सपीयर का नाटक) अनुवादक अनन्त त्रिपाठी शर्मा ।

धर्मपदम् -(मूल उडिया ग्रंथ) 1) वेणुधर परिडा । 2) हरेकृष्ण शतपथी। 1981 में प्रकाशित। 3) प्रबोधकुमार मिश्र ।

धर्मशास्त्रशब्दकोश - कुलमणि मिश्र। (दो भागों में प्रकाशित) 

धर्मशास्त्रे अन्तर्दृष्टि - व्रजकिशोर स्वाँई ।

नन्दशर्मकवितामाला (संकलन) - वैकुण्ठविहारी नन्द ।

नन्दशर्मग्रंथावली - वैकुण्ठविहारी नन्द ।

नवकलेवरविधानम् - वेणुधर पारिडा। (1977 में प्रकाशित)

नवजन्म (रूपक) - सुदर्शनाचार्य ।

न्याय-वैशेषिकयोः प्रत्यक्षलक्षणविकासः - कमलेश मिश्र।

पदसिद्धान्तकौमुदी - चंद्रशेखर ब्रह्मा ।

परशुरामप्रतिज्ञा (रूपक)- दयानिधि मिश्र ।

पादुकाविजयम् (रूपक)- सुदर्शन पाठी।

पितृस्मृतिशतकम् - सुदर्शनाचार्य।

प्रतिवाद (गद्य उपन्यास) - ले.- केशवचंद्र दाश। लोकभाषा प्रचार समिति (जगन्नाथपुरी, उडीसा) द्वारा सन् 1984 में प्रकाशित।

प्रतीक्षा - केशवचन्द्र दाश ।

प्रशासनशब्दावली - अनन्त त्रिपाठी शर्मा ।

प्रियदर्शिनी इन्दिरा- प्रबोधकुमार मिश्र। सन् 1984 में प्रकाशित ।

बन्दिनः स्वदेशचिन्ता - (मूल उडिया काव्य) प्रबोधकुमार मिश्र - 1984 I

बह्रारंभिणी लघुक्रिया- अनन्त त्रिपाठी शर्मा। सन् 1966 में प्रकाशित। (मूल लेखक- शेक्सपीयर)

बाणहरणम् (रूपक) - पुण्डरीकाक्ष मिश्र ।

भक्तकवि श्रीजयदेव प्रशस्ति- गोविन्दचन्द्र मिश्र । सन् 1974 में प्रकाशित।

भवते रोचते यथा- दिगम्बर महापात्र

भवभूतिचर्चा- अनन्त त्रिपाठी शर्मा।

मंगलापूजनम् (काव्य) - वैकुण्ठविहारी नन्द ।

मधुयानम् - केशवचंद्र दाश।

मलयदूतम् - प्रबोधकुमार मिश्र (1985)

मातृभक्तिमुक्तावलि (चम्पू) - जयकृष्ण मिश्र ।

माधवविलासम् (नाटक) - यतिराजाचार्य ।

मुक्तावली - दयानिधि मिश्र ।

मेघशतकम् - गदाधर दाश।

योगतत्त्ववारिधि - दामोदार शास्त्री ।

रंगरुचिरम् (काव्य) - दिगम्बर महापात्र ।

रत्नावली - डॉ. पूर्वचन्द्र शास्त्री ।

रसनिष्पत्तितत्त्वालोक- भागवतप्रसाद त्रिपाठी ।

रुचिराचरितम् - सुदर्शन त्रिपाठी ।

लावण्यवती - डा. अनन्त त्रिपाठी शर्मा 1967

लिंगराजायतनम् (स्तोत्र) - गणेश्वर रथ ।

वन्देभारतम् - (काव्य) डा. प्रबोधकुमार मिश्र (1967)

वाणीविलासम् - कुलमणि मिश्र (1982)

विभुस्तोत्रावली - सुदर्शनाचार्य।

वेणिस् सार्थवाह (मूल लेखक- शेक्सपीयर)- अनन्त त्रिपाठी शर्मा (1966) ।

वैदेहीशविलासम् (मूल- उडिया काव्य)- अनन्त त्रिपाठी शर्मा ।

व्यक्तिविवेकसमीक्षा- कमलेश मिश्र ।

व्यस्तरागम् (काव्य) - दिगम्बर महापात्र ।

शरणागतिस्तोत्रम् - वैकुण्ठविहारी नन्द ।

शीतलतृष्णा (उपन्यास) - केशवचन्द्र दाश (1983)

सन्तानवल्लरी (संकलन)- सदाशिव दाश ।

सर्पकेलि- वैकुण्ठविहारी नन्द ।

संस्कृतवर्णानां स्वरूपसमुत्पत्ति- लडुकेश्वर शतपथी ।

सांख्यतत्त्वदीपिका - दामोदर शास्त्री ।

सावित्रीपरिणयम् (नाटक) - वासुदेव महापात्र

श्रीजगन्नाथाष्टोत्तरशतकम् - सुदर्शनाचार्य ।

श्रीदुर्गाशतकम् - भरतचन्द्र नाथ | (1982)

श्रीरामवनवासम् (काव्य) वैकुण्ठविहारी नन्द ।

सिंहलविजयम् (नाटक) - सुदर्शन पाठी।

सीमान्तप्रहरी (रूपक) - सुदर्शनाचार्य ।

सुदामचरितम् (काव्य)- पुण्डरीकाक्ष मिश्र ।

सुधाहरणम् (नाटक) - पुण्डरीकाक्ष मिश्र।

सुरेन्द्रचरितम् (काव्य)- दिगम्बर महापात्र ।

सूर्यदूतम् - दयानिधि मिश्र (1972) |

स्वप्नदूतम् - प्रबोधकुमार मिश्र (1970) |

हनुमद्वस्त्राहरणम् - वैकुण्ठविहारी नन्द ।

हनुमत्सन्देशम् - मधुसूदन तर्कवाचस्पति ।

हेमलत (हम्लेट का अनुवाद) -अनन्त त्रिपाठी शर्मा।

                           उत्तरप्रदेश

अनुसन्धानपद्धति - डॉ. भगीरथप्रसाद त्रिपाठी संपूर्णानन्द ग्रन्थमाला- वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा १९७० में प्रकाशित ।

अभिनवमनोविज्ञानम् - डॉ. प्रभुदयालु अग्निहोत्री । संपूर्णानन्द ग्रन्थमाला- 1965 |

अभिनवमेघदूतम् - वसंत त्र्यंबक शेवडे। वाराणसी निवासी ।

अर्वाचीन मनोविज्ञानम्- भामराजदत्त कपिल। वाराणसेय सं.वि.वि. द्वारा प्रकाशित 1964।

उमोद्वाहमहाकाव्यम् - (सर्ग-16) हरिहर पाण्डेय। प्रकाशन 1986  

उषाहरणम् (22 सर्गात्मक) - अनन्तानंद । वाराणसीवासी ।

करपात्रपूजांजलि (गीतिकाव्य)- रमाशंकर मिश्र। प्रतापगढ-निवासी। 1987।

कर्णाजुनीयम् (महाकाव्य- 22 सर्ग) विन्ध्येश्वरीप्रसाद शास्त्री। 1967 में वाराणसी में प्रकाशित।

कापिशायिनी (गीतिकाव्य) - डॉ. जगन्नाथ पाठक। गंगानाथ झा विद्यापीठ, प्रयाग।

कालिदासशब्दानुक्रमकोश - डॉ. रेवाप्रसाद द्विवेदी (सनातन) । वाराणसी।

कालायसस्य प्रभवः (भिलाई स्टील प्लान्ट) डॉ. रेवाप्रसाद द्विवेदी (सनातन) हिंदू वि.वि. ।

काव्यालंकारकारिका - डॉ. रेवाप्रसाद द्विवेदी। (सनातन) चौखम्बा प्रकाशन- 1978।

काँग्रेसपराभवम् (नाटक) - डॉ. रेवाप्रसाद द्विवेदी (सनातन) चौखम्बा प्रकाशन- 1978।

क्षत्रपतिचरितम् (महाकाव्य- 19 सर्ग) - डॉ. उमाशंकर त्रिपाठी। काशीविद्यापीठ प्रकाशन- 1974 विषय- शिवाजी महाराज का चरित्र ।

गीतकन्दलिका - डॉ. हरिदत्त शर्मा। गंगानाथ झा विद्यापीठ प्रयाग- 1983 1

चैतन्यचन्द्रोदय - रामकुबेर मालवीय ।

तान्त्रिकविषये शाक्तदृष्टि- म.म. गोपीनाथ कविराज ।

तीर्थयात्रा-प्रहसनम् - रामकुबेर मालवीय । वाराणसी निवासी ।

दशरूपकतत्त्वदर्शनम् - डॉ. रामजी उपाध्याय । भारतीय संस्कृति संस्थान (इलाहाबाद) प्रकाशन ।

दुर्गास्तवमंजूषा - वसन्त त्र्यंबक शेवडे ।

बल्लवदूतम् - बटुकनाथ शर्मा ।

भक्तिरसविमर्श - डॉ. कपिलदेव ब्रह्मचारी। वाराणसी (1980)

भावांजलि -डा. श्रीमती नलिनी शुक्ला। कानपुर में प्रकाशित (1979)

मधुमयं रहस्यम् (गीतिसंग्रह) - डॉ. परमहंस मिश्र। वाराणसी ।

मनोविज्ञानमीमांसा - विश्वेश्वर सिद्धान्त शिरोमणि । (आत्माराम एण्ड सन्सदिल्ली- 1959) ।

महर्षिज्ञानानन्दचरितम् - (महाकाव्य-23 सर्ग) विन्ध्येश्वरी प्रसाद शास्त्री। शास्त्र प्रकाशन विभागभारतधर्म महामंडल (वाराणसी) द्वारासन् 1969 में प्रकाशित।

मानसभारती (रामचरितमानस का अनुवाद) - डॉ. जनार्दन गंगाधर रहाटे। वाराणसी निवासी । भुवनवाणी ट्रस्ट लखनऊ द्वारा प्रकाशित |

मारुतिचरितम् (गीतिकाव्य) - रमाशंकर मिश्र । प्रतापगढ निवासी (1977)।

मृद्वीका (गीतिकाव्य) - अभिराजेन्द्र मिश्र। वैजयन्त प्रकाशन, (इलाहाबाद) द्वारा प्रकाशित।

मीमांसादर्शनम् - डॉ. मण्डन मिश्र । दिल्ली ।

मायाविषये भारतीयदृष्ट्या पर्यालोचनम्- डॉ. कु. शशिबाला।

मृद्वीका - डा. जगन्नाथ पाठक। गंगानाथ झा विद्यापीठ ।

यूथिका (मूललेखक- शेक्सपीयर) नाटक - डॉ. रेवाप्रसाद द्विवेदी (सनातन) |

रघुनाथ-तार्किकशिरोमणि-चरितम् - वसंत त्र्यंबक शेवडे ।

रसदर्शनम् (साहित्यशास्त्रीय प्रबन्ध) - ले.- आचार्य रमेशचंद्र शुक्ल । देववाणी परिषद्दिल्ली 6 वाणी विहारनई दिल्ली 59द्वारा सन् 1984 में प्रकाशित। इस प्रबन्ध में 43 प्रकरणों में काव्यगत रस का विवेचन लेखक ने किया है। प्रबन्ध में सर्वत्र प्राचीन साहित्य शास्त्रीय ग्रंथों के वचन उद्धृत किये हैं।

रामायणसोपानम् (8-सर्ग) - रामचंद्र शास्त्री। विन्सेंट स्कूलराजघाटवाराणसी- 1976।

राष्ट्रगीतांजलि - डॉ. कपिलदेव द्विवेदी । विश्वभारती अनुसंधान परिषद्वाराणसी द्वारा 1978 में प्रकाशित।

रुक्मिणीहरणम् (21 सर्गात्मक महाकाव्य) - श्री. काशीनाथ द्विवेदी। मोतीलाल बनारसीदास प्रकाशन- 1966 ई. ।

वाग्वधूटी (गीतिकाव्य) - डॉ. अभिराज राजेन्द्र मिश्र वैजयन्त प्रकाशनइलाहाबाद।

विक्रमाङ्कदेवचरितम् - रामकुबेर मालवीयवाराणसी-निवासी ।

विन्ध्यवासिनीविजय (महाकाव्य) - वसन्त त्र्यंबक शेवडे । चौखम्बा प्रकाशन- 1985। सन् 1985 में साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कार प्राप्त ।

वृत्तमंजरी - वसन्त त्र्यंबक शेवडे ।

वेदार्थपारिजात - ले. स्वामी करपात्रीजी महाराज । ई. 20 वीं शती । वैदिक संस्कृति का परंपरानुसार प्रतिपादन करने वाले तथा पाश्चात्य विचारधारा का खंडन करने वाले विविध ग्रंथ हिंदी भाषा में लिखने के बाद जीवन की अंतिम अवस्था में स्वामीजी ने वेदभाष्य का लेखन किया। प्रस्तृत ग्रंथ उसी वेदभाष्य की भूमिका है। इसके प्रथम खंड में प्रमाणविषयक मार्मिक विवेचन किया है। द्वितीय खंड में मॅक्यमूलरमॅक्डोनेल प्रभृति पाश्चात्यएवं दयानन्द सरस्वती सदृश भारतीय विद्वानों के वेदविषयक मतों का सप्रमाण खंडन किया है। दो हजार पृष्ठों के इस महान् ग्रंथ में सहस्रावधि प्रमाणवचन उद्धृत होने के कारण यह ग्रंथ कोशस्वरूप हुआ है। 20 वीं शती के श्रेष्ठ संस्कृत ग्रंथों में वेदार्थपारिजात की गणना होती है। प्राप्तिस्थान-धानुका प्रकाशन संस्थानवृन्दावन विहारीभवन,मिश्रपोखरा वाराणसी।

शक्तिजयम् - डॉ. भोलाशंकर व्यास ।

शतपत्रम् (खंडकाव्य) डॉ. रेवाप्रसाद द्विवेदी (सनातन)

शरदिन्दुमुखी - डॉ. बटुकनाथ शास्त्री खिस्ते। वाराणसी निवासी।

शिशुकाव्यम् - वासुदेव द्विवेदी। सार्वभौम संस्कृत प्रचार कार्यालय (वाराणसी) द्वारा प्रकाशित।

शुम्भवधम् (महाकाव्य) - ले. वसंत त्र्यंबक शेवडे। वाराणसी निवासी। दुर्गासप्तशती के आधार पर भवानी की वीरगाथा इस महाकाव्य का विषय है। उत्तर प्रदेश शासन पुरस्कार प्राप्त।

श्रीमालवीयचरितम् - रामकुबेर मालवीय ।

श्रीमोतीबाबाजामदारचरितम् - वसंत त्र्यंबक शेवडे ।

श्रीराधाचरितम् (महाकाव्य) - कालिकाप्रसाद शुक्ल । सुधीप्रकाशनवाराणसी (1965)  

श्रीस्वामिविवेकानन्दचरितम् (अठारह सर्गात्मक) - श्री त्र्यंबक शर्मा भाण्डारकर। भारतमनीषा संस्कृत ग्रन्थमाला द्वारा प्रकाशित 1973।

श्रीहरिसंभवमहाकाव्यम्-  महाकवि- अचित्यानन्द वर्णित (अठारह सर्गात्मक महाकाव्य) स्वामी नारायण मंदिर मच्छोदरीवाराणसी।

सप्तर्षिकाँग्रेसम् (नाटक) - डॉ. रेवाप्रसाद द्विवेदी।

साहित्यबिन्दु - पं. छज्जूराम शास्त्री। विद्यासागर प्रकाशनमेहेरचन्द्र लक्ष्मणदास संस्कृत पुस्तकालय- दिल्ली (1961)

साहित्यविवेक - डॉ. विश्वनाथ भट्टाचार्य । वाराणसी।

सीताचरितम् - (महाकाव्य) डॉ. रेवाप्रसाद द्विवेदी (सनातन) (10 सर्ग)  मनीषा प्रकाशन वाराणसी (1975)

स्वप्नविज्ञानम् - पं. रामस्वरूप शास्त्री। अलीगढ विश्वविद्यालय प्रकाशन- 1960 ।

हास-विलासः -डॉ. प्रशस्य मित्र शास्त्री। परिजात प्रकाशन, (कानपुर) द्वारा प्रकाशित ।

                                 दिल्ली

अभिनव हनुमन्नाटकम्- ले. रमेशचन्द्र शुक्ल । मोतीनाथ संस्कृत महाविद्यालय (नई दिल्ली) में अध्यापक। तुलसीरामायण से प्रभावित नौ अंकों का नाटक। हनुमान्जी इस नाटक के नायक हैं। सन् 1982 में देववाणी परिषद् (दिल्ली) द्वारा प्रकाशित ।

अर्वाचीन संस्कृत साहित्य परिचय- संपादक रमाकान्त शुक्ल । इसमें अर्वाचीन काल में रचित कतिपय उल्लेखनीय संस्कृत ग्रंथों में प्रतिपादित विषयों की समीक्षा करने वाले डॉ. (कु.) टंडनडॉ. हरिनारायण दीक्षितडॉ. कैलासनाथ द्विवेदीडॉ. रमाकान्त शुक्लडॉ.सी.आर. स्वामिनाथन्डॉ रमेशचन्द्र शुक्लविद्वानों के शोधनिबंध संकलित किए हैं। पृष्ठसंख्या- 114। सन्- 1982 में देववाणी परिषददिल्ली द्वारा प्रकाशित।

आभाणकमंजरी - ले.- टी.वी. परमेश्वर अय्यर। इसमें अंग्रेजी भाषा के ढाई सौ सूक्तियों का अनुष्टभ् पंक्तियों में सुबोध अनुवाद किया है। 1981 में देववाणी परिषददिल्ली द्वारा प्रकाशित ।

कूहा (खंडकाव्य) ले- उमाकान्त शुक्ल । जन्म सन् 1936। श्रीमती इन्दिरा गांधी की निर्मम हत्या से व्यथित लेखक ने राजीव गांधी को नायक करते हुए इस काव्य में इन्दिराजी का गुणवर्णन किया है। कूहा शब्द का अर्थ है कुज्झटिका अथवा कुया। श्लोकसंख्या 120। हिन्दी और अंग्रेजी गद्यानुवाद सहित सन् 1984 में देववाणी परिषद्दिल्ली द्वारा प्रकाशित।

गीताली - डॉ. चन्द्रभानु त्रिपाठी ।

जय भारतभूमे - ले. डॉ. रमाकान्त शुक्ल । जन्म सन् 1940। राजधानी कॉलेज (दिल्ली) में हिंदी के प्राध्यापक तथा देववाणी परिषद (दिल्ली) के महासचिव । लेखक द्वारा छात्रावस्था में लिखित भारत भक्तिपर काव्यों का संग्रह । लेखक के अर्वाचीन संस्कृत महाकाव्य विमर्श (3 खण्ड) अर्वाचीन संस्कृत साहित्य परिचय (2 खंड)तथा पुरश्चरण कमलम्पण्डितराजीयम् और अभिशापम् नामक नाटक प्रकाशित हुए हैं। देववाणी परिषद् (दिल्ली) द्वारा सन् 1981 में प्रकाशित।

नवभारतपुराणम् - ले.- रमेशचन्द्र शुक्ल । इसमें 14 अध्यायों में आधुनिक भारत की महत्त्वपूर्ण बातों का निवेदन किया है। जिस में स्वतंत्रतायुद्ध, समाजवाद, धर्मनिरूपण जैसे विषयों का अन्तर्भाव हुआ है। देववाणी परिषद्, (दिल्ली) द्वारा सन् 1985 में प्रकाशित।

नर्मसप्तशती - डॉ. भगीरथप्रसाद त्रिपाठी (1984) पूर्णकुम्भ ले. विष्णुकान्त शुक्ल । विश्वसंस्कृतम्, स्वरमंगला, संवित् इत्यादि संस्कृत पत्रिकाओं में प्रकाशित दस ललित गद्य लेखों का संग्रह। सन् 1982 में देववाणी परिषद् (दिल्ली) द्वारा प्रकाशित।

बदरीश-तरंगिणी - ले. सुंदरराज पिता राघवाचार्य। लेखक रसायन शास्त्र में एम.एस.सी. तथा आई.ए.एस. उपाधिधारी एवं भारतसरकार के उच्च अधिकारी हैं। इस काव्य में कुल 110 श्लोकों में बदरीनाथ क्षेत्र का माहात्म्य वर्णन किया है। अंग्रजी अनुवाद सहित देववाणी परिषद् दिल्ली, द्वारा सन् 1983 में प्रकाशित।

बदरीशसुप्रभभातम् (स्तोत्रकाव्य) ले.- डॉ. शास्त्रपुरम् रामकृष्णस्वामिनाथन्। पचास श्लेकों में बदरीनारायण क्षेत्र की महिमा का वर्णन इसमें किया है। प्रत्येक श्लोक के अन्त में "श्रीनाथ ते बदरिकेश्वर सुप्रभातम्" यह पंक्ति आती है। डॉ. 44 एन. रघुनाथ अय्यर द्वारा लिखित सुबोध व्याख्या के साथ सन् 1983 में देववाणी परिषद् (दिल्ली) द्वारा इसका प्रकाशन हुआ।

भाति मे भारतम् - ले. डॉ. रमाकांत शुक्ल । दिल्ली विश्वविद्यालय राजधानी कॉलेज में हिंदी विभाग के प्राध्यापक । स्त्रग्विणी वृत्त में देशभक्ति पर 108 पद्यों का संग्रह । सन् 1980 में देववाणी परिषद् (दिल्ली) द्वारा हिंदी तथा अंग्रेजी अनुवादों के साथ प्रकाशित। इस काव्य के प्रत्येक पद्य के अन्त में भूतले भाति मेऽनारतं भारतम्" यह पंक्ति है।

व्यंजनाविमर्श - डॉ. रविशंकर नागर । वन्दना प्रकाशन, दिल्ली 1977

सुरश्मिकाश्मीरम् - ले.- सुंदरराज । जन्म- सन् 1936। 108 श्लोकों में काश्मीर प्रदेश के निसर्ग सौदर्य का वर्णन । श्री सुंदरराज भारत शासन के उच्चाधिकारी हैं। इनके जगन्नाथ विषयक विविध स्तोत्र-काव्य प्रकाशित हुए हैं। सन् 1983 में प्रस्तृत काव्य देववाणी परिषद् (दिल्ली) द्वारा अंग्रेजी अनुवाद के साथ प्रकाशित हुआ।

सूर्यप्रभा - श्रीनिवास शास्त्री। राजस्थान व उत्तर प्रदेश संस्कृत अकादमी द्वारा पुरस्कार प्राप्त । वाणीवेश्म (कलकत्ता) द्वारा प्रकाशित (1968)।

स्फूर्तिसप्तशती - ले.- डॉ. शिवदत्तशर्मा चतुर्वेद । पिता- म.म. गिरिधरशर्मा चतुर्वेद । वाराणसी निवासी । जन्म सन् 1934। इस ग्रंथ में विविध 96 विषयों पर लिखित कविताओं का संग्रह किया है। प्रस्तुत लेखक द्वारा गोस्वामितुलसीदास-शतकम्, विद्योपार्जनशतकम्, काव्यप्रयोजनशतकम्, काव्यकारणशतकम् इत्यादि शतककाव्य लिखे गये हैं। सन् 1982 में देववाणी परिषद् द्वारा स्फूर्तिसप्तशती का प्रकाशन हुआ।

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