महामारी में सतत् अर्थव्यवस्था: आत्मनिर्भर भारत

      विकास के अपने वादे के लिए प्रधान मंत्री मोदी पहली बार 2014 में चुने गए थे। भारत का आर्थिक रिकॉर्ड पिछले छह वर्षों में हालांकि अस्थिर रहा है। 2018 के बाद से सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में लगातार गिरावट आई है,  2019-20 में प्रति वर्ष 5% तक पहुंच गया। मोदी, वैश्वीकरण, प्रौद्योगिकी, निवेश और प्रस्तावक व्यापार, बाजार समर्थक, आर्थिक नीतियों के लिए प्रतिबद्ध रहे।

हालांकि, कोविद -19 संकट ने सब कुछ बदल दिया। फरवरी 2020 में प्रधानमंत्री मोदी ने अहमदाबाद, गुजरात में राष्ट्रपति ट्रम्प को गले लगाया ताकि संयुक्त राज्य अमेंरिका के साथ एक बड़े व्यापार का  समझौता हो सके। लेकिन 25 मार्च को भारत ने दुनिया के किसी भी देश से सबसे कड़े शहरी तालाबंदी की घोषणा की, जिससे आर्थिक गतिविधि रुक गयी और लाखों ग्रामीण प्रवासी श्रमिक फंस गए । भारत ने भी दुनिया के दूसरे सबसे बड़े केसलोड से संघर्ष किया है । हाल के अनुमान बताते हैं कि 2020-2021 में सकल घरेलू उत्पाद में 7.7% की कमी आई है जिससे भारत की लगभग चार वर्षों की आर्थिक प्रगति का उन्मूलन हो गया है।

 प्रधान मंत्री मोदी ने आपदा को अवसर में बदलने का एक मंत्र दिया: आत्मनिर्भरता। अप्रैल 2020 में एक भाषण में, प्रधान मंत्री  मोदी ने घोषणा की कि "दुनिया की स्थिति आज हमें सिखाती है कि आत्मनिर्भर भारत एकमात्र पथ है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है एषः पन्थाःयानी आत्मनिर्भर भारत ही इस विपदा से निकलने का मार्ग है।

पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति काफी प्राचीन है। अगर हम भारतीय संस्कृति पर नजर डालें तो वह हमें यह बताती है कि किसी भी परिस्थिति में भारतीय प्रजा आत्मनिर्भर रही है। आत्मनिर्भर का शाब्दिक अर्थ होता है, अपने खुद के पैरों पर खड़ा रहना, अपने आप पर निर्भर रहना, छोटी-छोटी चीज़ों के लिए किसी दूसरे पर अवलंबित नहीं रहना। आत्मनिर्भरता यानि कि स्वयं के कौशल से स्वयं का विकास करना। फिर चाहे कौशल छोटा हो या बड़ा। कोई भी व्यक्ति यदि किसी दूसरे पर निर्भर है, हर काम या अपनी आवश्यकता के लिए दूसरे से मदद की गुहार करता है तो उसके लिए यह बहुत बड़ी कमी है। उसे खुद पर निर्भर होना चाहिए न कि किसी दूसरे पर। यदि व्यक्ति आत्मनिर्भर होगा तो किसी भी समय उस पर कोई भी मुश्किल या समस्या आये तो वह खुद ही उसे सुलझा सकता है। बल्कि उसे किसी दूसरे की कोई जरूरत नहीं पड़ती। यही बात हमारे राष्ट्र निर्माण में भी काफी मददगार साबित होगी।

सारे विश्व के साथ-साथ भारत भी कोरोना की महामारी के दौर से गुजर रहा है, इसलिए इसके साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी प्राप्त हुआ है। इस महामारी के दौरान कुछ हद तक हमने आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार किया है और बिना अन्य देश की मदद से इस महामारी से लड़ने के लिए हमने देश में ही चीजों का निर्माण करना आरम्भ कर दिया है। हमने पीपीई किट, वेन्टिलेटर, सेनेटाइजर और एन.-95 मास्क का निर्माण अपने देश में ही शुरु कर दिया है। पहले यही चीजे हमें विदेशों से मंगानी पड़ती थी। इन सभी चीजों का निर्माण भारत में करना ही आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ने का पहला कदम है। इनके उत्पादन से हमें अन्य देशों की मदद भी नही लेनी पड़ रही है, और भारत आत्मनिर्भरता की ओर आगे कदम बढ़ा रहा है।

महामारी कोरोना वायरस 2020 से उत्पन्न आर्थिक संकट ने आत्मनिर्भर भारत अभियान को जन्म दिया। इस अभियान की शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट (2019-20) के दौर में भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए की थी । 12 मई 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस अभियान के द्वारा भारत में लोगों को कामकाज करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और यह कोशिश की जाएगी कि अगले कुछ सालों में भारत अपनी जरूरत की अधिकतर वस्तुएं अपने देश में ही तैयार करे अर्थात आत्मनिर्भर बन जाये । इसलिए अभियान का नाम आत्मनिर्भर भारत अभियान रखा गया है । इस अभियान का अर्थ और उद्देश्य विदेशों से भारत में आने वाली वस्तुओं पर अपनी निर्भरता को कम करना है अर्थात् हमें ज्यादा से ज्यादा भारत में वस्तुओं का निर्माण एवं उपयोग करना है । उनकी गुणवत्ता में इतना सुधार करना है कि दूसरे देशों में भी बेच सकें ।

आज भारतीयों की दिन प्रतिदिन के सामान की 60% आपूर्ति चीन करता है।  अन्य देशों, जैसे की अमेरिका,  कोरिया,  जापान इत्यादि से भी भारत बहुत सा सामान आयात करता है । देश का विकास करने के लिए पहले देश को आत्मनिर्भरता हासिल करनी होगी और वह तभी संभव है जब हमारे निर्यात, आयात से अधिक होंगे । हम अपनी ज़रूरतों का अधिकतर सामान अपने देश में ही निर्मित करेंगे तभी हम आत्मनिर्भर कहलायेंगे और प्रगति के पथ पर अग्रसर होंगे ।

भारत में आत्मनिर्भरता की शुरुआत

भारत का इस आत्मनिर्भरताशब्द से बहुत पुराना नाता है । यह शब्द पहली बार सन 1905 में इस्तेमाल किया गया था । जिसमें नेताओं ने अपनी जनता से अपील की थी कि वह अपने देश में बनी वस्तुओं का इस्तेमाल करें। इस आंदोलन के द्वारा भारतियों से विदेशी माल का बहिष्कार और स्वदेशी माल को अंगीकार कर राष्ट्रीय शिक्षा एवं सत्याग्रह के महत्व पर बल दिया था । आजादी के बाद भारत की गरीबी और भुखमरी को देखते हुए महात्मा गांधी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा था, पर उस स्थिति में सुविधाओं की कमी के कारण ये पूरी तरह से संभव न हो सका, लेकिन जहां तक हो सका लोगों ने खुद को आत्मनिर्भर बनाया। इसके बाद चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-1974) में इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान भी आत्मनिर्भरता पर बल दिया गया था ।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण सारे विश्व में तालाबंदी है और सामान का आदान-प्रदान नहीं हो रहा है । इस समय में हमारी रोजमर्रा की जरूरतों को आसपास के छोटे-मोटे दुकानदार पूरा कर रहे हैं । हमें ज्यादा से ज्यादा कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने आसपास निर्मित वस्तुओं का प्रयोग करें उनके उपयोग को प्रोत्साहित करें। लोकल सामान का इतना प्रचार करें कि वे ग्लोबल बन जाएँ । इससे छोटे कारीगर और मजदूरों को प्रोत्साहन मिलेगा । इसे प्रधानमंत्री ने वोकल फॉर लोकल का नाम दिया ।

आत्मनिर्भर भारतके निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्कार नहीं किया जाएगा अपितु दुनिया के विकास में मदद की जाएगी। मिशन को दो चरणों में लागू किया जाएगा। प्रथम चरण में चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके। द्वितीय चरण में रत्न एवं आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभ

अर्थव्यवस्था   एक ऐसी इकॉनॉमी जो इन्क्रीमेंटल चेंज (वृद्धिशील परिवर्तन) नहीं बल्कि क्वांटम जंप (बड़ी उछाल) लाए।

आधारभूत संरचना (Infrastructure) – भारत की सरकार आधारभूत संरंचना में ज़रूरी निवेश के सुधार करेगी जिससे कि स्वदेशी वस्तुएं बाहर से आने वाले उत्पादों का मुकाबला कर सकें ।

 तंत्र (Administrative System) – आने वाले समय में ऑनलाइन सर्विस (e-governance) को बढ़ावा दिया जायेगा । 21 वीं सदी में विकास के लिए भारत को टेक्जिनोलॉजी ड्रिवेन सिस्टम की आवश्यकता है । जिससे सरकारी काम में पारदर्शिता बढ़ जाये और लोगों का सरकार पर और भारत पर विश्वास स्थापित हो सके ।

जनसंख्या संरचना ( vibrant demography)– भारत की जनसंख्या में 18 से 35 वर्ष की आयु के लोग सबसे ज्यादा है । इसलिए उन्हें वाइब्रेंट डेमोग्राफी नाम से संबोधित किया है । हमारे पास युवा शक्ति का विशाल भंडार है ।इस जनसंख्या के भार को मुनाफे में तब्दील करने के लिए हमें लोगों को ज्यादा से ज्यादा काम देना होगा। उन्हें रोजगार तभी मिल सकता है जब हम लोकल निर्मित वस्तुओं का प्रयोग करें । मेंड इन इंडिया और मेंक इन इंडिया को बढ़ावा देकर भारत का सामान दूसरे देशों तक पहुंचाना है ।

मांग (Demand) – 137 करोड की जनसँख्या वाले भारत देश में वस्तुओं की मांग की कोई कमी नही है। हमें इस भारी मांग का उपयोग अपने देश के में निर्मित चीज़ों की बिक्री बढाने के लिए करना है । हमें अपनी सप्लाई चेन को मजबूत करना होगा ।

 मई 2020 में केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन के द्वारा चार चरणों में आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा की गई थी। सरकार द्वारा घोषित आर्थिक प्रोत्साहन राहत पैकेज की कीमत 20 लाख करोड़ रूपये बताई गई है। इसमें गरीबों के लिए पहले से घोषित 1.70 लाख करोड़ रूपये के राहत पैकेज, पीएमजीकेवाई के रूप में, कोरोना वायरस महामारी और उसके प्रसारक को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण होने वाली कठिनाइयों को दूर करना शामिल है।

इंश्योरेंस कवर जो स्वास्थ्य कर्मी और पुलिस कोरोना कमांडोज की तरह इस कोरोना वायरस से देश के लिए लड़ रहे हैं, उन स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष लाभ दिया गया है । इस योजना के तहत यदि किसी स्वास्थ्य कर्मी की इस कोरोना वायरस से लड़ाई के दौरान जान चली जाती है तो उस स्वास्थ्य कर्मी के परिवार को 50 लाख रूपए रुपए दिए जाएंगे ।

वन नेशन, वन राशन कार्ड योजनाः- इसके तहत मज़दूर चाहे देश के किसी भी कोने में हों, वहां के राशन डिपो से अपने हिस्से का अनाज ले सकते हैं। इसका फ़ायदा उन सभी प्रवासी मज़दूरों को मिल पाएगा जो रोज़गार के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं । इस योजना में आठ करोड़ प्रवासी मज़दूरों के लिए 3500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है । उन सभी प्रवासी मज़दूरों को भी मुफ़्त अनाज दिया जाएगा, जिनके पास राशनकार्ड नहीं है । गरीब लोगों को अगले तीन महीने तक हर महीने 5 किलो गेहूं या चावल और 1 किलो दाल मुफ्त में मिलेगी।

उज्जवला योजनाः- गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले आठ करोड़ गरीब परिवार जो कि उज्जवला योजना के अंतर्गत गैस सिलेंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें अगले 3 महीनों तक मुफ्त में गैस सिलेंडर दिया जाएगा ।

जन धन अकाउंटः- 20 करोड़ महिलाओं के पास जन धन अकाउंट है, उन्हें अगले 3 महीनों तक प्रतिमाह 500 दिए जाएंगे ।

मनरेगा मज़दूरीः- मनरेगा के मज़दूरों की दिहाड़ी 182 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 202 रुपये प्रतिदिन कर दी गई है ।

रेहड़ी-पटरी वालों के स्वरोजगार के लिए ऋण- रेहड़ी-पटरी वालों और घरों में काम करने वालों को 10 हज़ार रुपये तक का कर्ज़ मिल सकेगा। इसके लिए पांच हज़ार करोड़ रुपये की सहयोग राशि की घोषणा की गयी ।

पैकेज का बहुत बड़ा हिस्सा ऋण के रूप में देने की योजना है। सरकार बैंकों को ऋण वापसी की गारंटी देगी। कुछ क्षेत्रों में ब्याज दर में 2 प्रतिशत का भार स्वयं वहन करेगी। कोरोना महासंकट के दौर में दुनिया में भारत ही ऐसा राष्ट्र है, जिसने इतने बड़े पैकेज की घोषणा की है।

सूक्ष्म, लघु, एवं मध्यम वर्गीय गृह उद्योग के लिए घोषणा-

आत्मनिर्भर भारत अभियान का मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म, लघु, एवं मध्यम वर्गीय गृह उद्योग (MSMEs) को बढ़ावा देकर भारत से बेरोज़गारी और गरीबी को ख़त्म करना है । एमएसएमई जोकि 12 हजार करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है । इस अभियान के अंतर्गत की गयी घोषणाएं इस प्रकार हैं

Ø  3 लाख करोड़ के गारंटी फ्री लोन की घोषणा ।

Ø  एक साल तक ईएमआई चुकाने से मिली राहत ।

Ø  इस घोषणा से 45 लाख एमएसएमई को फायदा मिलेगा ।

इसके अलावा सरकार ने MSME की परिभाषा पूरी तरह बदल दी है

प्रधानमंत्री ने वसुधैव कुटुम्बकम्कहकर यह इशारा किया कि भारत पूरे विश्व को अपना घर मानता है । भारत की उन्नति में सारे विश्व की उन्नति है । आत्मनिर्भर भारत का अभिप्राय यह नहीं है कि भारत सभी देशों से अपने व्यापारिक रिश्ते तोड़ देगा । भारत अपनी उन्नति में सभी को साथ लेकर चलना चाहता है । हम यह चाहते हैं कि दूसरे देश आकर हमारे देश में विनिवेश करें और भारत की बनी हुई वस्तुएं विश्व के हर कोने में पहुंचे ।

भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान 1.0, 2.0 तथा 3.0 लांच कर चुकी है। आत्मनिर्भर भारत 3.0 राहत पैकेज के तहत केंद्र सरकार ने 2,65,080 करोड़ रुपये की 12 घोषणाएं की हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना का एलान किया। इससे ज्यादा से ज्यादा कर्मचारी ईपीएफओ से जुड़ेंगे और पीएफ का फायदा उठा पाएंगे। इससे संगठित क्षेत्र में रोजगार को बल मिलेगा। ऐसे कर्मचारी जो पहले पीएफ के लिए पंजीकृत नहीं थे और जिनकी सैलरी 15 हजार से कम है उन्हें इस योजना का लाभ मिलेगा। इसके लिए कंपनी का ईपीएफओ से पंजीकृत होना जरूरी है। जिन लोगों के पास अगस्त से सितंबर तक नौकरी नहीं थी लेकिन बाद में पीएफ से जुड़े हैं उन्हें भी इस योजना का लाभ मिलेगा। यह योजना 30 जून 2021 तक लागू रहेगी। 

आवास योजना

सरकार ने पीएम शहरी आवास योजना के लिए 18000 करोड रुपए की अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराइए है। इससे कुल 30 लाख मकानों को फायदा मिलेगा। इससे 78 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। इस योजना से गरीबों को पक्का घर मुहैया होगा। 

सरकार ने बताया है कि निर्माण और बुनियादी ढांचा सेक्टर की कंपनियों को अब कॉन्ट्रैक्ट के लिए परफॉर्मेंस सिक्योरिटी के तौर पर पांच से 10 प्रतिशत के स्थान पर केवल तीन प्रतिशत की रकम रखनी होगी। यह राहत 31 दिसंबर, 2021 तक जारी रहेगी। सरकार ने किसानों को उर्वरक सब्सिडी देने के लिए 65 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इससे देश के 14 करोड़ किसानों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा। आने वाले फसल के सीजन में किसानों को इसका फायदा मिलेगा।

आत्मनिर्भर भारत की भावना से प्रेरित होकर २११ गायकों ने जयतु जयतु भारतम्गीत का निर्माण किया है । वर्तमान में, यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत में सरकारी खर्च का अंतिम स्तर क्या होगा। बहुत से लोग यह कहकर इसकी आलोचना कर रहे हैं कि जीडीपी (GDP) के 10% के प्रस्तावित स्तर से बहुत दूर आत्मनिर्भर भारत अभियान में वास्तविक सरकारी व्यय जीडीपी का सिर्फ 1% ही अपेक्षित है ।

कोरोना की महामारी काल मे सभी देश अपने आन्तरिक स्थितीयों और समस्याओं, बेरोजगारी, चिकित्सा और कई अन्य समस्याओं से जुझ रहा है और भारत भी उनमे से ही एक है। भारत ने पीपीई किट, वैन्टिलेटर इत्यादि चीजों को बनाकर आत्मनिर्भरता की ओर  अपना पहला कदम बढ़ा दिया है और हमे भी इसमे अपना योगदान देकर आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करना होगा। हमें ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने की आवश्यकता है। हम सहजता से मिल जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों और कच्चे मालों के द्वारा वस्तुओं का निर्माण करके अपने आसपास के बाजारों में इसे बेच सकते है। इससे आप स्वयं के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत की राह में अपना योगदान दे सकते है, और हम सब मिलकर एक आत्मनिर्भर राष्ट्र निर्माण सपने को मजबूत बनाने में सहयोग कर सकते है।

लेखक नाम - जयेश कृष्ण

कक्षा 10           

आवासीय पता- D-202/4 KURMANCHAL NAGAR LUCKNOW


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