रामकथा पर लिखित साहित्य
१- महारामायण-
इसमें ३,
५०००० श्लोक हैं। शङ्कर-पार्वती के संवादरूप इस रामायण में कनकभवन
विहारी राम की ९९ रासलीलाओं का वर्णन है।
२- संवृत
रामायण- नारदकृत इस रामायण में २४,०००
श्लोक हैं। इसमें स्वायम्भुव मनु और शतरूपा की तपस्या तथा उनका दशरथ कौसल्या के
रूप में आविर्भाव वर्णित है ।
३- लोमश
रामायण ३२,००० श्लोकों की यह लोमश ऋषि की
कृति है। इसमें राजा कुमुद और वीरवती के दशरथ कौसल्या के रूप में जन्म का वर्णन है
।
४- अगस्त्य
रामायण - यह १६,००० श्लोकों का
ग्रन्थ है। इसमें मानुप्रताप अरिमर्दन की कथा है तथा राजा कुन्तल और सिन्धुमती का
दशरथ कौसल्या के रूप में जन्म वर्णित है।
५- मञ्जुल
रामायण - सुतीक्ष्ण कृत १.२०,००० श्लोकों की
यह कृति है। इसमें भानुप्रताप अरिमर्वन की कथा तथा शबरी के प्रति राम द्वारा नवधा
भक्ति का वर्णन है ।
६- सौपद्म
रामायण - अत्रि कृत इस रामायण में ६२,०००
श्लोक हैं। इसमें वाटिका प्रसङ्ग वर्णित है ।
७- रामायण
महामाला- शिव-पार्वती संवादरूप यह रचना ५६,०००
श्लोकों की है। इसमें भुशुण्डि द्वारा गण्ड-मोह का निवारण किया गया है ।
८- सौहार्द
रामायण - शरभङ्गा की यह कृति ४०,०००
श्लोकों की है । इसमें राम और लक्ष्मण का वानरी भाषा समझने और बोलने का उल्लेख है
।
९- रामायण
मणिरल-३६,००० श्लोकों की इस कृति में
वसिष्ठ अरुन्धती का संवाद है। इसमें श्रीराम द्वारा मिथिला- अयोध्या में
वसन्तोत्सव मनाने का उल्लेख है ।
१०- सौर्य
रामायण - ६२,००० श्लोकों की इस
कृति में हनुमान् का संवाद वर्णित है। इसमें शुकचरित्र तथा शुक का रजक बनकर सत्याग
में कारण बनना वर्णित है ।
११- चान्द्र
रामायण - ७५,००० श्लोकों वाली इस
कृति में केवट के पूर्व जन्म की कया विशेषरूप से वर्णित है
१२- मैन्द
रामायण - इसमें ५२,००० श्लोक तथा
मेन्द-कौरव का संवाद है । बाटिका प्रसङ्ग का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है ।
१३- स्वायम्भुव
रामायण - १८,००० श्लोकों की इस
रामायण में ब्रह्मा नारव का संवाद है। इसमें मन्दोदरी के गर्भ से सीता के जन्म का
वर्णन है ।
१४- सुब्रह्म
रामायण - इसमें ३२,००० श्लोक हैं ।
१५- सुवर्च
रामायण - इसमें १५,००० श्लोक तथा सुग्रीव-तारा
का संवाद है। इसमें सुलोचना की कथा, धोनी-घोविन-संवाद,
रावण चित्र के कारण शान्ता की चुगली शान्ता के प्रति सीता का शाप,
उसे पक्षी योनि की प्राप्ति एवं महारावण का वध वर्णित है ।
१६- देवरामायण-
इन्द्र मोर जयन्त के संवादरूप इस रामायण में १,०००००
श्लोक हैं ।
१७- श्रवण
रामायण- इसमें इन्द्र-जनक संवाद तथा १,२५,००० श्लोक हैं । इसमें मन्थरा की उत्पत्ति तथा चित्रकूट में भरत की यात्रा
के समय जनक का आगमन वर्णित है।
१८- दुरन्त
रामायण - इसमें ६१,००० श्लोक तथा
वसिष्ठ-जनक संवाद है। इसमें भारत की महिमा वर्णित है । १९- रामायण चम्पू -
१५,००० श्लोकों की इस कृति में शिव नारद का संवाद है। इसमें
शोलनिधि राजा के यहां स्वयंवर का वर्णन है ।
संस्कृत
साहित्य में रामकथा (महाकाव्य)
रघुवंश,
रावणवध या सेतुबन्ध, भट्टिकाव्य, जानकीहरण, अभिनन्दकृत रामचरित, रामायणमञ्जरी, दशावतारचरित, उदारराघव,
जानकी परिणय, रामलिङ्गामृत, जानकीरामक्रीडाह्निक,
राघवोल्लास और राम रहस्य में लाघव गौरव तथा संकोच विकास के साथ राम
कथा का वर्णन किया गया है ।
संस्कृत
नाटक में रामकथा
उत्तररामचरित,
कुन्दमाला, प्रतिमानाटक, मैथिलीकल्याण, दूताङ्गद, उन्मत्तराघव,
अभिषेकनाटक, महावीरचरित, उदात्तराघव, अनर्घराघव, बाल
रामायण, हनुमन्नाटक, आश्चर्यचूडामणि,
रामानन्द, कृत्यारावण, प्रसन्नराधव,
उल्लाघराघव, अञ्जनापवनञ्जय, रामाभ्युदय तथा अद्भुतदर्पण नाटकों में रामकथा का विविध रूप में विकास
देखा जाता है ।
संस्कृत
के स्फुट काव्य में रामकथा
श्लेषकाव्य, राघवपाण्डवीय,
राघवनैषधीय, सन्नीतिरामायण, रामकृष्णविलोमकाव्य, यादवराघवीय, रामलीलामृत, चित्रबन्धरामायण, हंससन्देश,
भ्रमरदूत, कपिदूत, कोकिलसन्देश,
चन्द्रदूत, रामगीतगोविन्द, गीतराघव, रामविलास, जानकी गीता,
सङ्गीतरघुनन्दन, राघवविलास, रामशतक, रामार्याशितक तथा आर्यारामायण
संस्कृत
कथा साहित्य एवं चम्पू काव्य में रामकथा
वसुदेवहिन्डी,
कथासरित्सागर, भोजकृत चम्पूरामायणम्, उत्तररामायणचम्पू तथा रामकल्पद्रुम।
संस्कृत
में अन्य रामकथा
सत्योपाख्यानम्,
अग्र रामायण, अद्भुत रामायणम्, तत्वार्थ रामायण, योग वासिष्ठः, भुशुण्डि रामायण, चीन रामायणम्, कृतिवास रामायण, कम्ब
रामायण, अध्यात्म रामायण, लघु योगवासिष्ठः, अद्भुत रामायणम्, मंजुरामायणम्, भुशुण्डि रामायण, श्री वशिष्ठ रामायणम्, रामायण काकाविन्, मन्त्ररामायणम्,
रामाभ्युदय यात्रा, आनन्दरामायणम्, रामायण मंजरी, बालरामायणम्, चित्रबन्धरामायणम्,
उभय प्रबोधक रामायण, तमिल कम्ब
रामायण, सत्योपाख्यानम्, आञ्जनेयरामायणम्
आज भी
संस्कृत में रामकथा पर आधारित अनेक काव्यों, कथासाहित्य एवं नाटकों की रचना हो रही
है। उनका विवरण यहाँ शीघ्र दिया जाएगा।