संस्कृत पत्रकारिता के लिए दृष्टिपत्र
संस्कृत पत्रकारिता
में अभी समाचार बेचने की परम्परा नहीं है। पाठक क्या पढ़ना चाहता है? इसपर विचार
नहीं किया जाता । यहाँ पर लोगों को क्या पढ़ना चाहिए इस बात पर जोर है। कुल मिलाकर
संस्कृत पत्रकारिता साहित्य की परिधि से बाहर नहीं निकल सका है। अन्य भाषाओं की
पत्रकारिता साहित्य को सनसनीखेज बनता है, जिससे पाठक नहीं चाहते हुए अध्ययन को
उत्सुक हो जाते है।...
संस्कृत के उपसर्गों का अर्थ
उपसर्गवृत्तिः
प्र
प्रत्यपिपरापोपपर्यन्ववविसंस्वति ।
निर्न्युदधिदुरभ्याङ्
उपसर्गाश्च विंशतिः ॥
प्र प्रति
अपि परा अप अप उप परि अनु अव वि सम् सु अति निर् नि उत् अधि दुर् अभि आ । इनमें से
निस् में निर् तथा दुस् में दुर् शेष रहता है। अतः निर् तथा दुर् उपसर्ग का ही उदाहरण यहाँ दिया गया है । अलग- अलग उदाहरण
नहीं दिये गये हैं। लघुसिद्धान्तकौमुदी...