पुस्तकों के मुद्रण में विविध अर्थ के बोधक अनेक
चिह्न प्रयुक्त होते हैं परन्तु प्राचीन काल में वाक्य समाप्ति हेतु। दण्ड तथा
श्लोक समाप्ति हेतु।। दण्ड के प्रयोग होते थे।
वर्तमान के चिह्न () , ‘’ ‘’---
आदि
एक लेखक ग्रन्थ लिखता था। दूसरा उसके मातृका का
संशोधन करता था। छूटे अक्षर अधिक अक्षर को ठीक करनक के साथ-साथ पीले या लाल वर्ष
के द्रव्य द्वारा गैरिक लापन करता था।
गैरिक लापन पर वाराणसी के महाराष्ट्रीय पंडित (1715-1775)
गंगा
राम जड़ी ने गैरिक सूत्र की रचना की।
इस पुस्तक पर इनकी वृत्ति भी उपलब्ध होती है।
रघुनाथ शर्मा के विवरण के साथ सम्प्रत्ति यह
प्रकाशित हुआ
सूत्र
श्री गणेशाय नमः ग्रन्थ में मंगलाचरण करें।
प्रतीकस्याद्यान्तयोरन्यतरत्र व्याख्येय सूत्र आदि को
रंगे।
शंकामतान्तरयोद्र्वयोः (शंका) पूर्व पक्ष के लिए ननु न,
च,
अथ
स्यादेतत्
मतान्तर-यद्वा,
अथवा,
परे
तु,
अन्ये
तु,
केचित्
इन्हें पंक्ति के आरम्भ में
रंगे।
सम्मततेरपि व्यज्जके ओं, तदाहुः
यदाहुः,
सम्मततिवाचक
पद अत्र ब्रूमः,
अयमाशः, मन्मते
तु ये उपसंहार,
सिद्वान्त
पंक्ति के प्रारम्भवाची इन शब्दों को रंगे।
निषेधस्य च व्याख्या
अािद में पूर्व पक्ष स्थापित कर अनंग जब खण्डन प्रारम्भ
करते है उसके वाचक शब्द तन्न, तच्चिन्त्यम्,
इत्यादि को रंगे
पक्षान्तर दोषन्तरयोः पढे़ पक्षान्तर बोधक पंक्ति के आरम्भ के
पद यद्वा,
अथवा
इत्यादि को रंगे। किच्च,
अपि
च दोषान्तरबोधक पद
ग्रन्थदेवतयोर्नाम्नि ग्रन्थ के बीच में नाम से निर्दिष्ट
किये गये ग्रन्थ के नाम, ग्रन्थकार
नाम,
देवताओं
के नाम को रंगे।
इतिश्र्यादौ सर्वत्र व्यवधानेन ग्रन्थ समाप्ति,
दूसरे
सर्ग,
अध्याय,
परिच्छेद,
विलास
के अंत में जो
पुष्पिका देखी जाती है। इति श्री से आरम्भ कर लिखा जाता है वह पुष्पिका गैरिक
वर्ण से लेपे।
अङकेऽङके इति गणित
सूत्रों में प्रथक् प्रथक् संख्या प्रदर्श हेतु प्रथक रंगो 24
को साथ में 2
4
को प्रथक प्रथक
सूत्र, वृत्ति, भाष्य, शंका, मतान्तर, सम्पत्ति, आक्षेप, पक्षान्तर, दोषान्त, सिद्वान्तों
की प्रथक्ता, ग्रन्थ, ग्रन्थकार
देवता, अंको के स्पष्ट ज्ञान
हेतु गैरिक लेपन करे।
कोई ऐसा वेबसाइट बतायें, जहाँ पर जाकर प्राचीन पाण्डुलिपियों का अध्ययन किया जा सके। मुझे आश्चर्य हो रहा है कि इतने समय बीत जाने के बाद भी ये पाण्डुलिपियाँ अभी तक क्यों नहीं प्रकाश में आ सकी। देश में जो भी संस्थायें पाण्डुलिपि के क्षेत्र में काम कर रही हो उसके बारे में भी लिखने का कष्ट करें।
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