संस्कृत के विकास में लिपि एक समस्या

              संस्कृत भाषा के विकास में लिपि भी एक समस्या है। आज संस्कृत की अधिसंख्य पुस्तकें देवनागरी लिपि में मुद्रित होती है। कारण यह हैं कि इस लिपि में पढ़ने वालों की संख्या या यूं कहें ग्राहकों की संख्या ज्यादा है। अहिंदी भाषी क्षेत्र के छात्र देवनागरी लिपि में पढ़ने में ज्यादा प्रवीण नहीं होते। संस्कृत पढ़ने के समय यह लिपि उनके सामने प्रथमतः समस्या के रूप में उपस्थित होती है। अब वह पहले भाषा पढ़े या लिपि ? उडि़या, बंगला, मराठी आदि लिपियों में प्रकाशक संस्कृत की पुस्तकें ज्यादातर नहीं छापते, क्योंकि पाठक वर्ग कम होने से विक्रय की समस्या आती है। जो प्रकाशक क्षेत्रीय भाषाओं के लिपियों में संस्कृत पुस्तकें प्रकाशित करते थे, वे भी अब मुंह मोड़ रहे हैं।
              दूसरी समस्या है विविध लिपियों की अज्ञानता। संस्कृत के विविध शास्त्रों का विकास क्रमशः देश के अनेक भूभाग में होता रहा। उदाहरणार्थ न्याय दर्शन का विकास मिथिला तथा बंगल में हुआ दोनों बंग है। न्याय शास्त्र के प्रौढ़ ग्रन्थों का लेखन भी इन्हीं लिपियों में हुआ, जो अब पाण्डुलिपि के रूप में उपलब्ध होता हैं। आज के अधिकांश दार्शनिक इस लिपि से परिचित नहीं है। वे इन पाण्डुलिपि को देवनागरी में लेखन करने में असमर्थ हैं, फलतः संस्कृत भाषा का एक महत्वपूर्ण शास्त्र लिपिगत समस्या के कारण प्रसार नहीं पा रहा है।
              तीसरी समस्या अध्यापक और छात्र के बीच लिपिगत अथवा भाषाई भी है केन्द्रीय स्तर से संचालित विश्वविद्यालयों, शिक्षण केन्द्रो में नियुक्त प्राध्यापक बहुभाषा एवं लिपि ज्ञाता विद्वान् को यदि उड़ीसा में अध्यापन हेतु नियुक्त किया जाता है तो उस अध्यापक एवं छात्र दोनों के सामने लिपि और भाषा की समस्या सामने आती है। वहाँ अतिरिक्त रूप से दोनों जिससे इस समस्या का समाधान हो सके। टंकन एवं मुद्रण के क्षेत्र में भी लिपि समस्या के रूप में आती है, जब हम अनेक साफ्टवेयर के प्रयोग में जाते हैं। यूनीकोड सबसे बेहतरीन विकल्प के रूप में सामने आया। यह फान्ट अन्तः संजाल पर प्रयुक्त किया जाता है तथा निर्वाध रूप से किसी भी कम्प्यूटर आदि पर खोला जा सकता है। परन्तु समस्या पुनः तब खड़ी हो जाती है जब हम अक्षर संयोजन के लिए प्रयुक्त होने वाले साफ्टवेयर पेजमेकर में इसे प्रयोग करना चाहते हैं। पेज मेकर में पुस्तकों के आकार प्रकार आदि सुसज्जित करने के अनेक प्रकार की सुविधा है। प्रायः पुस्तकों का अक्षर संयोजन इसी में किया जाता है।
              पेजमेकर इसे सपोर्ट नहीं करता। विज्ञापन, आकृति सज्जा के लिए निर्मित साफ्टवेयर कोरल ड्रा भी यूनीकोड को सपोर्ट नहीं करता।
                        इस प्रकार हम पाते हैं कि लिपि संस्कृत भाषा के विकास में आज अनेकविध समस्याओं को लेकर खड़ी है। टंकन के क्षेत्र में लिपि के मानकीकरण पर भी विचार किया जा सकता है।
Share:

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अनुवाद सुविधा

ब्लॉग की सामग्री यहाँ खोजें।

लोकप्रिय पोस्ट

जगदानन्द झा. Blogger द्वारा संचालित.

मास्तु प्रतिलिपिः

इस ब्लॉग के बारे में

संस्कृतभाषी ब्लॉग में मुख्यतः मेरा
वैचारिक लेख, कर्मकाण्ड,ज्योतिष, आयुर्वेद, विधि, विद्वानों की जीवनी, 15 हजार संस्कृत पुस्तकों, 4 हजार पाण्डुलिपियों के नाम, उ.प्र. के संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों आदि के नाम व पता, संस्कृत गीत
आदि विषयों पर सामग्री उपलब्ध हैं। आप लेवल में जाकर इच्छित विषय का चयन करें। ब्लॉग की सामग्री खोजने के लिए खोज सुविधा का उपयोग करें

समर्थक एवं मित्र

सर्वाधिकार सुरक्षित

विषय श्रेणियाँ

ब्लॉग आर्काइव

संस्कृतसर्जना वर्ष 1 अंक 1

संस्कृतसर्जना वर्ष 1 अंक 2

संस्कृतसर्जना वर्ष 1 अंक 3

Sanskritsarjana वर्ष 2 अंक-1

Recent Posts

लेखानुक्रमणी

लेख सूचक पर क्लिक कर सामग्री खोजें

अभिनवगुप्त (1) अलंकार (3) आधुनिक संस्कृत गीत (14) आधुनिक संस्कृत साहित्य (5) उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान (1) उत्तराखंड (1) ऋग्वेद (1) ऋषिका (1) कणाद (1) करवा चौथ (1) कर्मकाण्ड (47) कहानी (1) कामशास्त्र (1) कारक (1) काल (2) काव्य (16) काव्यशास्त्र (27) काव्यशास्त्रकार (1) कुमाऊँ (1) कूर्मांचल (1) कृदन्त (3) कोजगरा (1) कोश (12) गंगा (1) गया (1) गाय (1) गीति काव्य (1) गृह कीट (1) गोविन्दराज (1) ग्रह (1) छन्द (6) छात्रवृत्ति (1) जगत् (1) जगदानन्द झा (3) जगन्नाथ (1) जीवनी (6) ज्योतिष (20) तकनीकि शिक्षा (21) तद्धित (10) तिङन्त (11) तिथि (1) तीर्थ (3) दर्शन (19) धन्वन्तरि (1) धर्म (1) धर्मशास्त्र (14) नक्षत्र (2) नाटक (4) नाट्यशास्त्र (2) नायिका (2) नीति (3) पतञ्जलि (3) पत्रकारिता (4) पत्रिका (6) पराङ्कुशाचार्य (2) पर्व (2) पाण्डुलिपि (2) पालि (3) पुरस्कार (13) पुराण (3) पुस्तक (1) पुस्तक संदर्शिका (1) पुस्तक सूची (14) पुस्तकालय (5) पूजा (1) प्रत्यभिज्ञा शास्त्र (1) प्रशस्तपाद (1) प्रहसन (1) प्रौद्योगिकी (1) बिल्हण (1) बौद्ध (6) बौद्ध दर्शन (2) ब्रह्मसूत्र (1) भरत (1) भर्तृहरि (2) भामह (1) भाषा (1) भाष्य (1) भोज प्रबन्ध (1) मगध (3) मनु (1) मनोरोग (1) महाविद्यालय (1) महोत्सव (2) मुहूर्त (1) योग (5) योग दिवस (2) रचनाकार (3) रस (1) रामसेतु (1) रामानुजाचार्य (4) रामायण (3) रोजगार (2) रोमशा (1) लघुसिद्धान्तकौमुदी (45) लिपि (1) वर्गीकरण (1) वल्लभ (1) वाल्मीकि (1) विद्यालय (1) विधि (1) विश्वनाथ (1) विश्वविद्यालय (1) वृष्टि (1) वेद (6) वैचारिक निबन्ध (26) वैशेषिक (1) व्याकरण (46) व्यास (2) व्रत (2) शंकाराचार्य (2) शरद् (1) शैव दर्शन (2) संख्या (1) संचार (1) संस्कार (19) संस्कृत (15) संस्कृत आयोग (1) संस्कृत कथा (11) संस्कृत गीतम्‌ (50) संस्कृत पत्रकारिता (2) संस्कृत प्रचार (1) संस्कृत लेखक (1) संस्कृत वाचन (1) संस्कृत विद्यालय (3) संस्कृत शिक्षा (6) संस्कृत सामान्य ज्ञान (1) संस्कृतसर्जना (5) सन्धि (3) समास (6) सम्मान (1) सामुद्रिक शास्त्र (1) साहित्य (7) साहित्यदर्पण (1) सुबन्त (6) सुभाषित (3) सूक्त (3) सूक्ति (1) सूचना (1) सोलर सिस्टम (1) सोशल मीडिया (2) स्तुति (2) स्तोत्र (11) स्मृति (12) स्वामि रङ्गरामानुजाचार्य (2) हास्य (1) हास्य काव्य (2) हुलासगंज (2) Devnagari script (2) Dharma (1) epic (1) jagdanand jha (1) JRF in Sanskrit (Code- 25) (3) Library (1) magazine (1) Mahabharata (1) Manuscriptology (2) Pustak Sangdarshika (1) Sanskrit (2) Sanskrit language (1) sanskrit saptaha (1) sanskritsarjana (3) sex (1) Student Contest (2) UGC NET/ JRF (4)