डिजिटल लाइब्रेरी (Digital Library)

डिजिटल लाइब्रेरी में पुस्तकों, पत्रिकाओं, ऑडियो, विडियो, चित्र आदि का भंडार होता है। जब एक या एक से अधिक पुस्तकालय या निजी संग्रह अपने डिजिटल संग्रह को किसी नेटवर्क पर स्थापित करता है तो उसे ऑनलाइन पुस्तकालय कहा जाता है। इस प्रकार के ऑनलाइन पुस्तकालय से लोग अपने घरों अथवा पुस्तकालय में बैठकर कंप्यूटर, मोबाइल आदि द्वारा हर प्रकार की पुस्तक को आसानी से पढ़ पाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2023 के भाषण में घोषणा की है कि सरकार शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल लाइब्रेरी खोलेगी। बच्चों और किशोरों को लाभ मिलेगा। इस डिजिटल लाइब्रेरी से सभी स्कूलों और लाइब्रेरी को जोड़ा जाएगा। डिजिटल लाइब्रेरियों को गांव की पंचायतों तक खोला जायेगा, जिससे देश के प्रत्येक छात्र तक इसकी पहुंच हो सके।

डिजिटल पुस्तकालय की अवधारणा

    कीमती पुस्तकों को खरीदने में अक्षम लोगों तथा प्रतियोगी छात्रों के लिए डिजिटल पुस्तकालय वरदान है। डिजिटल पुस्तकालय में आभासी पुस्तकें होती है। इस पुस्तकालय में मुद्रित पुस्तकों, पत्रिकाओं, चित्रों, मानचित्रों तथा अन्य अध्ययन सामग्री को स्कैन कर डिजिटल स्वरूप में परिवर्तित किया जाता है। फिर इसे हाई स्पीड नेटवर्क, रिलेशनल डेटाबेस, सर्वर और डॉक्यूंमेंट मैनेजमेंट सिस्टम से जोड़ दिया जाता है। इस तरह के पुस्तकालय में ज्ञान सामग्री टेक्स्ट, ध्वनि, चलचित्र में भी उपलब्ध होते हैं। जैसे- एक छात्र अपने मुद्रित पाठ्यपुस्तक की कविता, कहानी को पढ़ता है। उसी कविता तथा कहानी को डिजिटल कर देने पर वह उसे ध्वनि तथा चलचित्र के माध्यम से देख सुन तथा पढ़ सकता है। आपने अनेक कवियों के कविता पाठ का विडियो सुना होगा। किसी-किसी संस्कृत पुस्तकालय में दुर्लभ पांडुलिपियाँ भी होती होती है। यह बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इसकी अतिरिक्त प्रतियाँ दुर्लभ होती है। आग, बाढ आदि प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य कारणों से इसके नष्ट होने पर इसकी दूसरी प्रति नहीं मिल सकती। अतः इन पाण्डुलिपियों का डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है। 

    किसी भी सामग्री को मुद्रित कराने में आने वाले व्यय से बहुत कम मूल्य पर उसका डिजिटलाइजेशन किया जा सकता है।  डिजिटलाइज की गयी सामग्री को बहुत कम समय में इसकी अनन्त प्रतियाँ बनायी जा सकती है। मुद्रित सामग्री की अपेक्षा इसका हस्तान्तरण तथा वितरण आसान होता है। अतः सरकारें अब पुस्तकालयों के डिजिटलाइजेशन पर ध्यान दे रही है। अबतक प्राथमिक शिक्षा में सरकारें निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें वितरित करती रही है। इसके मुद्रण तथा वितरण पर भारी खर्च आता है। पाठ्यपुस्तकों में निरंतर परिवर्तन भी होता है। इन पुस्तकों की मात्र एक डिजिटल प्रति निर्मित कर डिजिटल पुस्तकालय पर रख देने से उसतक लाखों छात्रों की पहुँच हो जाती है। पाठ्यक्रम में आंशिक परिवर्तन होने पर इसमें आसानी से परिवर्तन कर त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है। आप इस लेख को पढ़ रहे हैं। यह आपके सम्मुख डिजिटल रूप में उपलब्ध है। इस सामग्री में भी समय समय पर परिवर्तन परिवर्धन होता रहता है। डिजिटल सामग्री तक पहुँच के लिए सरकारें छात्रों को निःशुल्क टैबलेट दे रही है। आने वाला युग डिजिटल युग है। डिजिटल पुस्तकालय का भविष्य सुनहरा है।

डिजिटल लाइब्रेरी में मुद्रित पुस्तक, पत्रिका के स्थान पर डिजिटल पुस्तक, पत्रिका आदि उपलब्ध होता है। पुस्तकों के टेक्स्ट, फोटो, वीडियो या ऑडियो इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल फॉर्मेट को संग्रहीत कर एक हाई स्पीड नेटवर्क, रिलेशनल डेटाबेस, सर्वर और डॉक्यूंमेंट मैनेजमेंट सिस्टम से जोड़ दिया जाता है। इस  डिजिटल लाइब्रेरी का लाभ कोई भी व्यक्ति कहीं भी अपनी इंटरनेट की डिवाइस पर लॉगइन करके पढ़ सकता है।

डिजिटल लाइब्रेरी का लाभ

डिजिटल लाइब्रेरी बहुत उपयोगी है। कोई भी छात्र अपने फोन, लैपटॉप या टैब में लाखों पुस्तकों को समाहित कर सकता है। अर्थात् उसे पढ़ सकता है। वह कहीं भी बैठकर एक्सेस कर सकता है। इसके लिए उसके पास केवल इंटरनेट से युक्त डिवाइस होनी चाहिए। इस लाइब्रेरी का स्‍टोरेज स्‍पेस असीमित होगा जिससे दुनियाभर की पुस्‍तकों तक बच्‍चों की पहुंच बढ़ेगी। 

इस लेख में संस्कृत के ई- पुस्तकालयों का संक्षिप्त परिचय तथा उसका लिंक दिया जा रहा है। उपयोगकर्ता इस लिंक पर क्लिक कर उस पुस्तकालय पर उपलब्ध सामग्री की जानकारी प्राप्त करें।

1. Government Sanskrit Libraries Network

भारत सरकार संस्कृत पुस्तकालय नेटवर्क

https://eg4.nic.in/SANSKRIT/OPAC/Default.aspx

2. संस्कृत पुस्तकालयः The Sanskrit Library

https://sanskritlibrary.org/textsList.html

3. National Digital Library of India(NDLI)

नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया (एनडीएलआई) शिक्षा विभाग, भारत सरकार के अन्तर्गत संचालित एक वर्चुअल पुस्तकालय है। यह हिन्दी, अंग्रेजी तथा बंगला में अनेक पुस्तकालयों में उपलब्ध डाटा तक खोज/ब्राउज़ सुविधाओं के साथ पहुँच प्रदान करता है।

https://ndl.iitkgp.ac.in/

4. Internet Archive

https://archive.org/details/millionbooks

मिलियन बुक्स प्रोजेक्ट- यूनिवर्सल लाइब्रेरी प्रोजेक्ट के भारतीय स्कैनिंग केंद्रों से पुस्तकों का प्रारंभिक संग्रह, जिसे कभी-कभी मिलियन बुक्स प्रोजेक्ट कहा जाता है। इसे 16 दिसम्बर 2004 को आरम्भ किया गया।

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, भोपाल परिसर 


इस चित्र में आप पुस्तक खोज सुविधा तथा सदस्यों द्वारा लॉगिन करने की सुविधा के फील्ड को देख पा रहे होंगें।

    केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयभोपाल परिसर में आधुनिक सुविधाओं के साथ एक बहु विकसित सेंट्रल लाइब्रेरी है। यह केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के ऑनलाइन पुस्तकालय से जुड़ा हुआ है और एनआईसी के ई-ग्रन्थालय कार्यक्रम की मदद से पुस्तकों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया चल रही है। नवनिर्मित पुस्तकालय में पढ़ने के उद्देश्य के लिए अलग व्यवस्था होती है । रीडिंग ब्लॉक को भी दो भागों में विभाजित किया जाता है। इसमें बड़ी संख्या में पत्रिकाओं और पत्रिकाओं के अलावा 15000 से अधिक पुस्तकें शामिल हैं, जो इसे शोध गतिविधि और सीखने के लिए एक हब बनाती हैं। परिसर प्रशासन इसे उन लोगों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बनाने का प्रयास करता है जो संस्कृत विषयों में अपने ज्ञान को बढ़ाना चाहते हैं जैसे व्याकरण, साहित्य, शिक्षा-शास्त्र और ज्योतिष, कर्म कांड, वास्तु आदि जैसे समाज-समर्थक विषय।

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयभोपाल परिसर 

https://eg4.nic.in/SANSKRIT/OPAC/Default.aspx?LIB_CODE=RSKSBHOPAL

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान पुस्तकालय

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान पुस्तकालय के कैटलॉग को डजिटल कर दिया गया है। इस पुस्तकालय में पाण्डुलिपियों का एक अलग विभाग है, जिसमें लगभग 8000 दुर्लभ पाण्डुलिपियाँ संरक्षित है। इनमें से लगभग 5,000 पाण्डुलिपियों की विवरणिका तैयार कर 'पाण्डुलिपि विवरणिका' नाम से प्रकाशित किया गया है। पाण्डुलिपियों को स्कैन कराकर डजिटल किया जा रहा है। नीचे पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों की खोज सुविधा का चित्र दिया गया है-




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E- Books (ई-बुक्स)

इलेक्ट्रॉनिक पुस्तक को संक्षेप में ई-बुक कहा जाता है। यह कागज का न होकर डिजिटल रूप में होती है। डिजिटल रूप में उपलब्ध कराई गई पुस्तक के इलेक्ट्रॉनिक प्रकाशन को ई-बुक कहते है। इसे हम कंप्यूटर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से पढ़ पाते हैं। E- Text (ई-टेक्स्ट) के विपरीत ई- बुक एक Non-editable Book होता है । इसमें संशोधन नहीं किया जा सकता है। मुद्रित हो चुकी पुस्तक को स्कैन कर PDF (पोर्टबल डॉक्यूमेंट फॉर्मैट), ऍक्स्पीऍस आदि फार्मेट में परिवर्तन कर उसका इलेक्ट्रॉनिक संस्करण तैयार उसे ई-पुस्तक का रूप दिया जा सकता है।कम्प्यूटर में टाइप कर विभिन्न सॉफ्टवेयरों के द्वारा सीधे ई-पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का चलन भी तेजी से बढ़ा है। इससे प्रकाशकों का मुद्रण का व्यय बच जाता है। इस प्रकार की पुस्तकों को हम ई-रीडर उपकरणों जैसे- कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट और स्मार्टफोन, ब्यूबोर्ड, स्मार्ट बोर्ड आदि के माध्यम से पढ़ पाते हैं। अब अनेक ई-बुक रीडर उपकरण भी आ गये हैं, जिसके माध्यम से ई-बुक को पढ़ा जा सकता है। ई-बुक रीडर उपकरण को ई-बुक रीडर डिवायस भी कहा जाता है। आगे इन विषयों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

समय बदल रहा है और पढ़ने के तरीके तथा संसाधन भी बदलते जा रहे हैं। सन् 2000 तक लोग छपी हुई पुस्तकें पढ़ा करते थे। इस पुस्तक के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती थी। रात्री में प्रकाश उपलब्ध होने पर ही हम छपी पुस्तकों पढ़ पाते थे। यात्रा करते समय ढ़ेर सारी पुस्तकें साथ ले जाना तथा सभी जगह प्रकाश का मिलना संभव नहीं था। 2000 के दशक में मोबाइल तथा कम्प्यूटर का चलन बढ़ने लगा। इंटरनेट पर ई-बुक की बिक्री का चलन आरम्भ हुआ। पाठक ई-कॉमर्स सिस्टम का उपयोग करके वेबसाइटों पर ई-पुस्तकें खरीदने लगे। अब मुद्रित पुस्तकों के पारंपरिक प्रकाशक, पुस्तक विक्रेता वेबसाइटों पर पुस्तकों के कवर की छवियों ऑनलाइन प्रकाशित करने लगे हैं। यहाँ पुस्तक के शीर्षक के साथ लेखक का नाम, प्रकाशन वर्ष, मूल्य तथा पुस्तक का सामान्य परिचय दिया होता है। इस ऑनलाइन शीर्षकों के माध्यम पुस्तकों का चयन कर ऑर्डर दिया जाता हैं। कुछ वेबसाइट हमें मुफ्त में ई-पुस्तक डाउनलोड करने की सुविधा देती है। यहाँ से मुफ्त में पुस्तकें डाउनलोड कर पढ़ा जा सकता है। यहाँ उस प्रकाशक, शैक्षणिक संस्थान, स्वयं सेवी संस्था या व्यक्तिगत लोगों के वेबसाइट का परिचय दिया जा रहा है, जहाँ से संस्कृत से जुड़ी ई-बुक डाउनलोड किया जा सकता है अथवा पढ़ी जा सकती है-

-बुक के विभिन्न फॉर्मेट – Formats of E-books

ईबुक के महत्वपूर्ण फॉर्मेट में  PDF, EPUP, AZW का व्यापक उपयोग किया जाता है। ऑडियो पुस्तकें भी ई-पुस्तक की श्रेणी में आती है।

पीडीएफ (.pdf)

एक पीडीएफ, जिसे पोर्टेबल दस्तावेज़ प्रारूप के रूप में भी जाना जाता है। यह वह प्रारूप है जिससे अधिकांश लोग परिचित हैं। Adobe द्वारा निर्मित, PDF अपने उपयोग में आसानी और कस्टम लेआउट रखने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। चूंकि वे अपना फॉर्मेट रखते हैं, इसलिए उन्हें छोटे पर्दे पर पढ़ना मुश्किल हो सकता है। इसके बावजूद, वे अभी भी सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले ईबुक प्रारूपों में से एक हैं

EPUB (.epub) (पोर्टबल डॉक्यूमेंट फॉर्मैट), ऍक्स्पीऍस

एक ईपीयूबी, या इलेक्ट्रॉनिक प्रकाशन, सबसे व्यापक रूप से समर्थित फॉर्मेट है और इसे कंप्यूटर, स्मार्टफोन, टैबलेट और अधिकांश ई-रीडर (किंडल को छोड़कर) सहित विभिन्न उपकरणों पर पढ़ा जा सकता है। EPUB फाइलें रीफ्लो करने योग्य होती हैं, जो उन्हें वास्तविक ई-किताबें बनाती हैं और छोटे उपकरणों पर पढ़ने में आसान बनाती हैं। यदि आप मुख्य रूप से किंडल की पुस्तक को पढ़ना चाहते हैं तो MOBI चुनें।

AZW (.azw)

AZW फाइलें Amazon द्वारा अपने Kindle eReaders के लिए विकसित की गई थीं। ये फ़ाइलें बुकमार्क, एनोटेशन और हाइलाइट जैसी जटिल कंटेंट को संग्रहीत कर सकती हैं। लेकिन AZW फ़ाइलों का उपयोग किंडल या किंडल ऐप्स वाले उपकरणों तक ही सीमित है। इसके अतिरिक्त, उन्हें केवल अमेज़न ऑनलाइन बुकस्टोर से ही एक्सेस किया जा सकता है।

ई-बुक पढ़ने का संसाधन

एक ईबुक को विभिन्न डिजिटल उपकरणों पर पढ़ा जा सकता है। ई-बुक के फार्मेट के हिसाब से इसके लिए कुछ साफ्टवेयर की भी आवश्यकता पड़ सकती है। नीचे कुछ सबसे लोकप्रिय डिवाइस तथा साफ्टवेयर की जानकारी दी जा रही है, जिन पर ई-बुक्स पढ़ी जा हैं-

पीडीऍफ में मुद्रित ई- बुक के लिए

पीडीऍफ में मुद्रित ई-पुस्तकों को किसी कम्प्यूटर या मोबाइल पर ऍडॉब रीडर, फॉक्सिट रीडर, क्रोम के माध्यम से हैं। ऍडॉब पी॰डी॰ऍफ॰ फॉर्मेट की निर्माता कम्पनी ऍ़डॉब का है, ये आकार में काफी बड़ा है तथा पुराने सिस्टमों पर काफी धीमा चलता है, फॉक्सिट रीडर इसका एक मुफ्त एवं हल्का-फुल्का विकल्प है। इसे क्रोम या माइक्रोसाफ्ट एज पर भी पढ़ा जा सकता है।

ईबुक के लाभ – Benefits of E-books

ई-बुक पैसे बचाती हैं

ई-बुक्स पेपरबैक किताबों की तुलना में सस्ती होती हैं। एक ईबुक की औसत कीमत पेपरबैक किताबों से लगभग आधी होती हैं।

ई-बुक स्थान बचाती हैं

पुस्तकों को रखने के लिए अतिरिक्त स्थान की आवश्यकता पड़ती है। एक डिवाइस पर ई-पुस्तक की हजारों पुस्तकों संग्रहीत की जा सकती है तथा पढ़ी जा सकती है। इससे स्थान बचाती हैं।

ई-बुक से पर्यावरण सुरक्षा

पुस्तक-मुद्रण के लिए कागज की आवश्यकता होती है । पेड़ काटकर कागज बनाये जाते हैं। कागज बनाने के लिए कारखाने से अलग प्रदूषण पैदा होता है। इस प्रकार यह पर्यावरण को दुहरा नुकसान पहुँचाता है। ई-बुक अपनाकर पर्यावरण की सुरक्षा की जा सकती है।

ई-बुक सुविधाजनक हैं

ई-बुक्स कहीं ले जाने, हस्तांतकण करने में सुविधाजनक हैं। अपने आईपैड, ई-रीडर, स्मार्टफोन या टेबल (सभी हल्के उपकरण) पर अपनी पसंदीदा पुस्तकों को ले जाना, पेपरबैक पुस्तकों से अधिक आसान है।

शैक्षणिक संस्थाओं के वेबसाइट पर उपलब्ध ई-बुक

1. केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

2. SREE SANKARACHARYA UNIVERSITY OF SANSKRIT, KALADY

3. महर्षि पाणिनि एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन

4. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय 

5. लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विद्यापीठ , नई दिल्ली 


स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्य / व्यक्तिगत कार्य

6. संस्कृत की ई- बुक के लिए सबसे अच्छी वेबसाइट की सूची, उसका लिंक तथा विडियो के माध्यम से ई- पुस्तक खोज के लिए संस्कृतभाषी पर लिखित लेख Best Websites for Sanskrit Books पर क्लिक करें। 

7. Sanskrit Web इस वेबसाइट पर चारों वेदों के मंत्र दिये गये हैं। 

8. INTERNET ARCHIVE

9. sanskritdocuments

10. Sanskrit eBooks


ई- पाठ्यसामग्री के लिए यहाँ जायें-

https://nios.ac.in/

दिल्ली संस्कृत अकादमी

http://sanskritacademy.delhi.gov.in/wps/wcm/connect/doit_sanskrit/Sanskrit+Academy/home?presentationtemplate=PT_Home_hi

सेज का ई विद्या- https://evidya.sagepub.in/evidya


संस्कृतशिक्षा के प्रसार में सोशल मीडिया के योगदान

http://sanskritbhasi.blogspot.in/2017/05/blog-post_31.html

Bestwebsite for Sanskrit books

https://sanskritbhasi.blogspot.com/2019/04/best-websites-for-sanskrit-books.html

My favourite website

https://sanskritbhasi.blogspot.com/2020/02/my-favorite-website.html

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E- Text (ई-टेक्स्ट)

 ई-टेक्स्ट का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक टेक्स्ट हैं। टेक्स्ट से आशय शब्दों या अक्षर के रूप में लिखित या मुद्रित वह शब्द है, जो कि किसी विषय से सम्बन्धित डेटा हो। इसे डिजिटल रूप में पढ़ा जाता है। टेक्स्ट (Text) को font, Text size, colour से आकार दिया जा सकता है। उसे पुनर्व्यवस्थित किया जा सकता है। ई-टेक्स्ट हर स्क्रीन में फिट हो सकता है। आप अभी अपने स्क्रीन पर ई-टेक्स्ट पढ़ रहे हैं।  आप जिस पाठ को पढ़ रहे हैं, वह आपकी स्क्रीन पर फिट बैठ गया होगा। इसका टेक्स्ट लाइन ब्रेक के साथ दिख रहा होगा। ई-टेक्स्ट प्रत्येक डिवाइस के अनुपात में फिट हो जाता है। इसके फान्ट का आकार बदल जाता है।

यह किसी सॉफ्टवेर tool content development, title development आदि उपलब्ध होता है l उदाहरण के लिए- अष्टाध्यायी. कॉम https://ashtadhyayi.com/ । यहाँ Text पर लिखित सामग्री प्राप्त होती है। आमतौर पर किसी तस्वीरों या पुस्तकों की स्कैन प्रति को "ई-टेक्स्ट" कहा जाता है, परन्तु यह ई-टेक्स्ट नहीं कहा जाएगा। ई-पाठ्य एक बाइनरी या एक पाठयुक्त फ़ाइल हो सकती है, जिसे किसी भी खुले स्रोत या मालिकाना सॉफ़्टवेयर के साथ देखा और पढ़ा जा सकता है । प्रकाशक की अनुमति हो तो ई-पाठ्य को मूल रूप से कॉपी कर अन्य मीडिया में पर पेस्ट किया जा सकता है। यह शब्द आमतौर पर ई-बुक के पर्याय में प्रयोग किया जाता है ।

ई-पाठ्य से सम्बन्धित कतिपय स्रोत-

1. संस्कृतभाषी- अभी आप इसी ब्लॉग पर हैं।

 https://sanskritbhasi.blogspot.com/

संस्कृत को अन्तर्जाल के माध्यम से प्रत्येक लाभार्थी तक पहुँचाने तथा संस्कृत विद्या में महती अभिरुचि के कारण जगदानन्द झा ने संस्कृतभाषी नामक ब्लॉग का निर्माण किया। यहाँ पर संस्कृत शिक्षण पाठशाला, वेदाङ्ग, साहित्य, दर्शन, पाठ्यक्रम, कर्मकाण्ड, विविध तथा आडियो बुक का मीनू बटन दिया गया है।

संस्कृत शिक्षण पाठशाला

इसके Sub minu पर जाने पर संस्कृत भाषा सीखने की प्रक्रिया, ट्यूटोरियल अभ्यास आदि दिये गये हैं।

वेदाङ्ग

इस मीनू में व्याकरण, शिक्षा, कोश, ज्योतिष विषयक पुस्तकों का ट्युटोरियल उपलब्ध है। व्याकरण में लघुसिद्धान्तकौमुदी की हिन्दी में विस्तृत व्याख्या के साथ आडियो तथा विडियो प्राप्त होते हैं। इसके माध्यम से कोई भी पाठक घर बैठे व्याकरण आदि विषयों को सीख सकता है।

पाठ्यक्रम

इस मीनू में संस्कृत पाठशालाओं तथा सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय  में संलग्न 40 से अधिक पाठ्यपुस्तकों की ई- अध्ययन सामग्री उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के बी.ए. द्वितीय सेमेस्टर में नई शिक्षा नीति 2020 के अन्तर्गत लागू कम्प्यूटर, इन्टरनेट, खोज सुविधा, ऑनलाइन अध्ययन तथा अध्यापन का प्लेटफार्म आदि पाठ्यक्रम की ई- अध्ययन सामग्री भी यहाँ उपलब्ध है। इसमें चित्र, PDF और VIDEO को भी शामिल किया गया है।  इसी पाठ्यक्रम के एक हिस्से को आप यहाँ पढ़ रहे हैं।

विविध

इस मीनू में शताधिक वैचारिक निबन्ध, हिन्दी कविताएँ, 21 हजार से अधिक संस्कृत पुस्तकों की सूची, 100 से अधिक संस्कृतज्ञ विद्वानों की जीवनी, व्याकरण आदि शास्त्रीय विषयों पर लेख, शिक्षण- प्रशिक्षण और भी बहुत कुछ उपलब्ध है।

संस्कृतभाषी ब्लॉग में वैचारिक लेख, कर्मकाण्ड,ज्योतिष, आयुर्वेद, विधि, विद्वानों की जीवनी, 15 हजार संस्कृत पुस्तकों, 4 हजार पाण्डुलिपियों के नाम, उ.प्र. के संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों आदि के नाम व पता, संस्कृत गीत आदि विषयों पर सामग्री उपलब्ध हैं। आप लेवल में जाकर इच्छित विषय का चयन करें। ब्लॉग की सामग्री खोजने के लिए खोज सुविधा का उपयोग करें 

2. वाल्मीकि रामायण

वाल्मीकि रामायण भारत का एक प्राचीन महाकाव्य है, जो सदियों से मानवीय मूल्यों में योगदान के लिए अत्यधिक मूल्यवान है और इसकी सार्वभौमिक प्रासंगिकता है। इसमें सात कांडों (बाल, अयोध्या, अरण्य, किष्किंधा, सुंदर, युद्ध तथा उत्तर कांड) में 24000 श्लोक हैं । प्रत्येक कांड सर्गों (भागों) में उप-विभाजित है। कुछ श्लोकों (श्लोकों) से बना प्रत्येक सर्ग है।

वाल्मीकि रामायण पर कई भाष्य हैं। यहाँ पर छह महत्वपूर्ण अनुदित टीकायें उपलब्ध है। चयनित टीकाएँ और टीकाकार के नाम इस प्रकार हैं। इसमें रामायण के दक्षिण पाठ को अपनाया गया है।

गोविंदराज प्रणीता रामायण भूषण टीका

 श्री माधव योगी प्रणीता अमृतकटक टीका

शिव सहाय प्रणीता रामायण शिरोमणि टीका

राम प्रणीता रामायण तिलक टीका

महेश्वर तीर्थ टीका

धर्मकूट टीका

इसमें अभी टीकाओं का सम्पूर्ण अनुवाद उपलब्ध नहीं हैं। यह परियोजना अंग्रेजी में शब्द क्रम और अर्थ देने के लिए और सर्ग का सारांश भी देने के लिए शुरू की गई, ताकि पाठक रामायण में संस्कृत की साहित्यिक और काव्यात्मक सुंदरता की सराहना कर सकें। इसे वर्तमान समय के साथ बनाए रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।

इसका विकास तथा अनुरक्षण आई. आई.टी. कानपुर द्वारा किया गया है।

इसमें प्रत्येक श्लोक का Audio भी दिया गया है।

वाल्मीकि रामायण पर क्लिक कर लिंक खोलें। 

इसके अतिरिक्त अधोलिखित वेबसाइट पर ई-टेक्स्ट सामग्री उपलब्ध होती है-

3. संस्कृत विकिपिडिया

https://sa.wikipedia.org/wiki

अष्टाध्यायी

https://ashtadhyayi.com/

4. भारतविद्या

Dr. SUSHIM DUBEY के भारतविद्या वेबसाइट पर उपनिषद् तथा अन्य दर्शनशास्त्र के ग्रन्थों का ई-टेक्स्ट मिलता है। इसमें अनेक Text संस्कृत विकिपिडिया का दुहराव प्रतीत होता है।

http://bharatvidya.org/index.htm

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Google विद्वान् (Google Scholar)

 विशेष रूप से अकादमिक स्रोतों को खोजने के लिए बनाया गया है। इनमें विभिन्न क्षेत्रों के लेख, किताबें, शोध प्रबंध और सार शामिल हैं। यह कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस के माध्यम से मुफ़्त और उपयोग में आसान है । इसमें कई उपयोगी सुविधाएँ शामिल हैं।



Google Scholar सामान्य Google खोज पृष्ठ जैसा दिखता है, जिसके नीचे Google विद्वान लोगो और एक खोज बॉक्स है।

आप कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस के माध्यम से Google विद्वान तक पहुंच सकते हैं। Google Chrome ब्राउज़र में एक Google विद्वान बटन भी है जिसे आप खोज को आसान बनाने के लिए जोड़ सकते हैं।

अपने Google खाते में साइन इन करें। यदि आप पहले से ही अपने Gmail से Google खाते में लॉग इन हैं तो इसकी आश्यकता नहीं है। यह अन्य Google खातों से लिंक कर देगा।

ध्यान दे, यदि आपके पास एक संस्थागत या पुस्तकालय का खाता है तभी साइन इन कर सकते हैं।

आप जिस विषय को खोज रहे हैं उसे खोज वाक्स में दर्ज करें। मुख्य शब्द टाइप करें। परिणाम प्राप्त करने के लिए खोज बटन पर क्लिक करें। (खोज बार वाक्स की दाईं ओर है)।

उदाहरण के लिए, आप संस्कृत विषय खोजना चाहते हैं, तो आप 'संस्कृत' टाइप कर सकते हैं।

यथासंभव कम खोज शब्दों का उपयोग करने से व्यापक परिणाम प्राप्त होंगे। यदि आपको प्रासंगिक परिणाम खोजने में समस्या हो रही है, तो खोज शब्दों के अतिरिक्त शब्दों का उपयोग कर प्रयास करें।

उन्नत खोज - यदि आप सामान्य खोज से परिणामों तक पहुँच नहीं पा रहे हैं तब उन्नत खोज विकल्पों को आज़मा सकते हैं।

बूलियन खोज कनेक्टर्स का उपयोग करें।

आप अपने खोज शब्दों को बूलियन कनेक्टर के साथ जोड़कर अधिक सटीक खोज चला सकते हैं। उदाहरण के लिए:-

किसी खोज शब्द से पहले ऋण चिह्न ("-") दर्ज करने से वह परिणामों से समाप्त हो जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि आप भारतीय संस्कृति पर शोध कर रहे हैं, लेकिन गौ से संबंधित परिणाम नहीं खोजना चाहते हैं, तो गौ को छोड़कर शेष परिणाम देगा।

खोज शब्दों के बीच OR टाइप करके परिणामों को पुनः प्राप्त कर सकते है। जैसे व्याकरण और साहित्य में रुचि रखते हैं, तो आप 'व्याकरण और साहित्य' से सम्बन्धित खोज कर सकते हैं।

Google विद्वान पर जाने के लिए Google Scholar पर क्लिक करें। 

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वैचारिक लेख, कर्मकाण्ड,ज्योतिष, आयुर्वेद, विधि, विद्वानों की जीवनी, 15 हजार संस्कृत पुस्तकों, 4 हजार पाण्डुलिपियों के नाम, उ.प्र. के संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों आदि के नाम व पता, संस्कृत गीत
आदि विषयों पर सामग्री उपलब्ध हैं। आप लेवल में जाकर इच्छित विषय का चयन करें। ब्लॉग की सामग्री खोजने के लिए खोज सुविधा का उपयोग करें

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