कंप्यूटर का सामान्य परिचय (General Introduction of Computer)

प्रस्तावना

नई शिक्षा नीति 2020 के अनुपालन में उत्तर प्रदेश सहित अनेक राज्य विश्वविद्यालयों के स्नातक / स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में कम्प्यूटर, इन्टरनेट, साफ्टवेयर, एवं अध्ययन- अध्यापन से संबन्धित ई-संसाधनों को शामिल किया गया है। इसमें संस्कृत, हिन्दी, उर्दू आदि भाषाओं के अध्येताओं और शिक्षकों को अधिगम क्षमता में वृद्धि के साथ भारतीय ज्ञान परम्परा और आधुनिक ज्ञान में सामंजस्य स्थापित करने और कौशल के रूप में अपनाना अपेक्षित है।इस ई- अध्ययन सामग्री में छवि, PDF और VIDEO भी शामिल है। आप यहाँ से PDF डाउनलोड कर सकते हैं। पाठ के अंत में पूछे जाने प्रश्नों तथा उसके उत्तर का नमूना भी दिया गया है।

                                                                       
                                                प्रथम पाठ

कम्प्यूटर का सामान्य परिचय (General Introduction of Computer)



स्वचालित रूप से विभिन्न तरह के आँकड़ों को संसाधित एवं पुर्नप्राप्त करने वाली इलेक्ट्रॉनिक संयंत्र संचालित युक्ति (Device) कम्प्यूटर कहलाती है। कम्प्यूटर एक ऐसा यंत्र है जो गणितीय तथा अगणितीय दोनों तरह की सूचनाओं का विश्लेषण या गणना करता है। चार्ल्स बवेज को कम्प्यूटर का जनक माना जाता है। 1833 में उन्होंने एक मशीन का आविष्कार किया, जिसे एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine) नाम दिया। मार्क-1 (1937 में निर्मित) विश्व का पहला कम्प्यूटर था। भारत में कम्प्यूटर का विकास 1955 से किया जा रहा है। सिद्धार्थ भारत का पहला कम्प्यूटर था।


कम्प्यूटर के अवयव या घटक (Parts of Computer)

जैसे विभिन्न अंगों के मेल से एक मानव शरीर बनता है, उसी प्रकार विभिन्न हार्डवेयर (Hardware) के मेल से एक कम्प्यूटर बनता है।

कंप्यूटर के मुख्य अवयव-

CPU (central processing unit)


central processing unit कंप्यूटर का दिमाग के नाम से जाना जाता है, उसी को कंप्यूटर के भाषा में सीपीयू कहा जाता है। यह इसमें इनपुट, एकत्र आंकड़े और आउटपुट परिणामों को संसाधित करने के लिए आवश्यक सभी परिपथ शामिल हैं। यह कंप्यूटर का प्रमुख अंग है।

सीपीयू में प्रोसेसर, रैम, हार्ड डिक्स के अलावा और भी जरूरी पार्ट्स होते हैं। वे सभी सीपीयू के अंदर ही रहते हैं।

Monitor



कम्प्यूटर में मॉनिटर एक डिस्प्ले यूनिट के नाम से भी जाना जाता है । मॉनिटर एक आउटपुट डिवाइस है। कीबोर्ड, माउस, फोन, कैमरा आदि से जो भी डाटा को इनपुट किया जाता है, उसको मॉनिटर पर देखा जाता है । कंप्यूटर के द्वारा प्रोसेसिंग किये गये परिणाम को भी मॉनिटर पर ही दिखाया जाता है।



uninterruptible power supply (UPS)

 

कंप्यूटर को निर्बाध विद्युत आपूर्ति करने के लिए यूपीएस का उपयोग किया जाता है। जब कभी अचानक बिजली चली जाती है, ऐसी स्थिति में कम्प्यूटर के यूपीएस से पावर सप्लाई मिलता है। इससे कंप्यूटर को बंद होने तथा डाटा लॉस होने से बचा सकते हैं ।



Keyboard

कीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस है। कीबोर्ड पर टाइप कर कंप्यूटर में इनपुट दिया जाता है। अतः इसे इनपुट डिवाइस के रूप में जाना जाता है।
माउस एक ऑप्टिकल डिवाइस है, जिसका उपयोग कंप्यूटर के प्रोग्राम को चलाने के लिए किया जाता है। किसी भी तरह के प्रोग्राम को खोलने, बंद करने या कंप्यूटर को संचालित करने के लिए माउस का उपयोग किया जाता है।



आइये अब कम्प्यूटर के बारे में विस्तार से जानते हैं।

हार्डवेयर (Hardware)

एक कम्प्यूटर की संरचना Input Device, सी. पी. यू. (CPU - Central Processing Unit) तथा Output Device से मिलकर तैयार होती है। कम्प्यूटर आगम युक्ति (Input Device) से प्रश्न लेता है, सी. पी. यू. (CPU - Central Processing Unit) में हल करता है और निर्गम युक्ति (Output Device) से परिणाम प्रस्तुत करता है। आगे हम Input Device, सी. पी. यू. (CPU - Central Processing Unit) तथा Output Device से परिचय प्राप्त करेंगे।

आगम युक्ति (Input Device)

कम्प्यूटर में हम अनेक तरह के कार्य करते हैं। इसके माध्यम से साफ्टवेयर की प्रोग्रामिंग, टाइपिंग, चित्र, विडियो निर्माण आदि कार्य करते हैं। इसके लिए हमें कंप्यूटर में इनपुट अर्थात् निर्देश देना होता है। जिस आगम युक्ति (Input Device) से इनपुट दिया जाता है, उसे इनपुट डिवाइस कहा जाता है। कम्प्यूटर को दिये गये इनपुट को वह प्रोसेस करने के बाद आउटपुट डिवाइस (मानीटर) पर प्रदर्शित करता है।

इनपुट डिवाइस 14 से अधिक प्रकार के होते है ।

1.    कीबोर्ड (Keyboard), 2. माउस (Mouse), 3. स्कैनर (Scanner), 4. टच स्क्रीन (Touch Screen), 5. जॉयस्टिक (Joystick), 6. लाइट पेन (Light Pen), 7. ट्रैकबाल (Trackball), 8. एम. आई.सी. आर. (MICR), 9. ऑप्टिकल कार्ड रीडर (OCR), 10. वेब कैमरा (Web Camera) 11. ऑप्टिकल बार कोड रीडर (OBR)  12. बारकोड रीडर 13. ओएमआर  (optical mark reader) 14. माइक्रोफोन (Microphone) आदि शामिल है। इन संसाधनों में से सबसे प्रमुख तथा अधिक उपयोग कीबोर्ड (Keyboard) तथा माउस (Mouse) का किया जाता है। आइये, हम इसका क्रमशः परिचय प्राप्त करते हैं।

कीबोर्ड (Keyboard)

कीबोर्ड  से Computer में किसी भी प्रकार के अल्फा न्यूमैरिक शब्द को टाइप करने के लिए उपयोग किया जाता है । कंप्‍यूटर में जब भी किसी प्रकार के डाटा या किसी भी प्रकार की इंफॉर्मेशन कैलकुलेशन कुछ भी करना होता है तो उसके लिए Computer को इनपुट देना पड़ता है उसके लिए कीबोर्ड का उपयोग किया जाता है । कीबोर्ड में सबसे ऊपर फंक्शन की एफ वन से लेकर एफ ट्वेल्थ तक होता है जिससे Computer के फंक्शन आदि को उपयोग करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. कीबोर्ड में 108 की होता है जिसमें अल्फाबेट की numeric की सिंबल की फंक्शन की एरों की एवं कुछ विशेष स्पेशल की होता है। एक स्टैंडर्ड कीबोर्ड में 105 की होती है। Multimedia कीबोर्ड में इससे अधिक Keys होती है। कीबोर्ड को कंप्यूटर में दो तरह से connect किया जाता है। पहला USB के द्वारा और दूसरा Bluetooth device द्वारा, ब्लूटूथ द्वारा connection को wireless communication भी कहे सकते है।

Keyboard को चार भागों में बांटा गया है।

माउस (Mouse)

यह कम्प्यूटर की आगम युक्ति (Input Device) है । इसका प्रयोग निश्चित विकल्पों में से किसी एक विकल्प के चयन के लिए किया जाता है। माउस का आविष्कार डगलस सी एंजेलबर्ट (Douglas C Engelbert ) ने 1963 में किया था। माउस में लेफ्ट बटन, राइट बटन और बीच में एक Scroll होता है। Scroll बटन बॉल जैसे आकार का होता है । इसी की के सहायता से माउस को संचालित किया जाता है। माउस का उपयोग क्लिक करने, (Scroll) करने, ड्रैग और ड्रॉप करने तथा खींचने में किया जाता है। लैपटॉप में एक टचपैड होता है, जो माउस के रूप में काम करता है।

इसमें आपको अपनी उंगली को टचपैड पर ले जाकर कर्सर या पॉइंटर की गति को control करने देता है।

माउस (Mouse) मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं-

मैकेनिकल माउस, ऑप्टिकल माउस तथा वायरलेस माउस ।


स्कैनर (Scanner)


स्कैनर का उपयोग चित्र और
document को स्कैन करके कंप्यूटर के अन्दर input करने में जाता है। इसके बाद  कंप्यूटर स्कैन की गई डाटा और इनफार्मेशन को digital format में convert करके एक डिजिटल file के रूप में अपने मेमोरी में सुरक्षित करता है। यह ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (Optical character recognition) तकनीकों का उपयोग करता है। इस उपकरण की सहायता से hard copy को soft copy में परिवर्तित कर स्क्रीन पर output के रूप में देख तथा किसी को भेज सकते हैं। मोबाइल से किसी document को स्कैन करने के लिए ऐप आ चुके हैं।

स्कैनर दो प्रकार होते है

1) MICR (Magnetic Ink Character Recognition)

2) Optical Scanner

a. OCR

b. OMR

एम. आई.सी. आर. (MICR)


Magnetic ink character recognition (MICR) 
का उपयोग चैक के निचले हिस्से पर MICR NO. को जांचने के लिए किया जाता है। MICR NO. को magnetic ink के द्वारा छापा जाता है। इस पर जो चुंबकीय मैग्नेटिक जानकारी होती है, उसको यह कैरेक्टर्स में परिवर्तित करता है। इस प्रकार उस कैरेक्टर्स को पढ़ना आसान हो जाता है।




ऑप्टिकल कार्ड रीडर (OCR)


Optical Character reader
की सहायता से हम किसी भी प्रकार के document के text को digital document (soft copy) में convert कर सकते है, और कंप्यूटर की मेमोरी में save कर सकते है। इसमें letter, number और special symbol होते हैं।  इसकी मदद से image और pdf file को स्कैन करके edited भी किया जा सकता है।



ओएमआर  (optical mark reader)


Optical mark reader
से प्रतियोगी परीक्षा की OMR sheet पर पेंसिल या पेन के चिन्ह की उपस्थिति और अनुपस्थिति को जांची जाती है। ओएमआर शीट के पेपर पर गोल-गोल घेरों को पेंसिल से भरा जाता है। इसके द्वारा कागज पर प्रकाश डाला जाता है, और परावर्तित प्रकाश (reflected light) को जांचा जाता है। जहां चिन्ह उपस्थित होगा, कागज के उस भाग से परावर्तित प्रकाश की तीव्रता (intensity) कम होगी। इसके उपयोग से कम समय में सही परिणाम पा लिया जाते हैं।

टच स्क्रीन (Touch Screen)


टच स्क्रीन को चलाने के लिए हम लोग अपने अंगुलियों का इस्तेमाल करते हैं और बहुत ही आसानी से हम लोग टच स्क्रीन डिवाइस को चला लेते हैं। इस टेक्नोलॉजी के द्वारा आउटपुट और इनपुट दोनों को स्क्रीन के द्वारा ही किया जा सकता है। टच स्क्रीन का उपयोग कंप्यूटर, मोबाइल
, एटीएम मशीन, टिकट वेंडिंग मशीन, वीडियो गेम तथा अन्य उपकरणों में भी किया जाता है। टच स्क्रीन डेक्सटॉप में कीबोर्ड और Mouse की आवश्यकता नहीं होता है। टच स्क्रीन तीन प्रकार के होते हैं।


जॉयस्टिक (Joystick)



इसका उपयोग ज्यादातर गेम खेलने के लिए किया जाता है या एक छोटी सी मुड़ी हुई आकार की तरह होता है जो
cursor को इधर-उधर चलाने में काम आता है कुछ जॉयस्टिक कीबोर्ड में भी लगे हुए होते हैं, जो कीबोर्ड के बटन से अलग काम करते हैं। जॉयस्टिक Computer को चलाने और वीडियो गेम खेलने में अधिक उपयोग किया जाता है




लाइट पेन (Light Pen)


लाइट पेन का उपयोग
Computer पर पेन की तरह ही किसी चीज को लिखना हो या ड्रॉ करना हो उसके लिए लाइट पेन का उपयोग करते हैं।  लाइट पेन में एक बॉल की तरह लाइट लगा होता है, जिसके द्वारा इस स्क्रीन पर हम लोग कुछ भी बहुत ही आसानी से ड्रॉ कर सकते हैं। माउस की तरह यह भी एक pointer device है। यह LCD स्क्रीन के अनुकूल नहीं है, इसलिए यह आजकल उपयोग में नहीं है।



ट्रैकबाल (Trackball)


ट्रैकबॉल एक
Input Device है जिसका उपयोग माउस के जगह पर किया जाता है या फिर ट्रैकबॉल एक माउस की तरह डिवाइस है। इसमें एक बॅाल लगा होता है, जिसको अंगुलियों से घुमाकर के कम्प्यूटर को पॉइंट किया जाता है । यह बहुत ही आसानी से बिना हाथ घूमाए केवल बोल को move कराने से ही कम्प्यूटर को संचालित करता है। इसका उपयोग Mouse के बेहतर विकल्प के तौर पर किया जाता है। ट्रैकबॉल का उपयोग करना बहुत ही आरामदायक होता है ,क्योंकि इसमें माउस की तरह इधर-उधर घुमाने की जरूरत नहीं पड़ता है।

वेब कैमरा (Web Camera)


वेब कैमरा से वीडियो या फोटो खींचा जाता है। वेब कैमरा भी एक
Input Device है। Web camera का प्रयोग वीडियो कॉलिंग या वीडियो चैट करने के लिए भी किया जाता है । आजकल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिक्षण, प्रशिक्षण, सभा, कवि सम्मेलन, इंटरव्यू आदि किये जाते हैं। इसमें वेब कैमरा का उपयोग किया जाता है।



ऑप्टिकल बार कोड रीडर (OBR) 


बारकोड रीडर एक
Input Device है । इसका उपयोग पुस्तकालय के पुस्तकों तथा अन्य पुस्तकों में लगे बार कोड को स्कैन करने, विभिन्न उत्पादों के बारे में जानकारी प्राप्त करने, मॉल या शॉपिंग सेंटर पर किया जाता है।  जब हम लोग हम लोग किसी सामान को खरीदने मॉल में जाते हैं, वहाँ के उत्पाद पर लगे बार कोड को इस उपकरण द्वारा रीड कर भुगतान लेते देखते हैं। सामान के ऊपर लगे बार कोड को रीड करने के लिए बारकोड रीडर का उपयोग किया जाता है ।



माइक्रोफोन (Microphone)


Microphone एक कंप्यूटर input device है। जिसका उपयोग ध्वनि (Sound) को कंप्यूटर या मोबाइल में input करने के लिए किया जाता है। यह audio signals को digital data में convert करके कंप्यूटर या मोबाइल में save करता है। आपने ऑनलाइन कक्षा में अध्यापन करने वाले अध्यापकों को Microphone लगाकर बोलते देखा होगा।


अबतक आपने कम्प्यूटर के तीन घटक में से एक घटक इनपुट डिवाइस के बारे में जाना। इसके बाद (C.P. U. Central Processing Unit) के बारे में जानकारी प्राप्त करें।

सी. पी. यू. (C.P. U. Central Processing Unit)

इसके निम्नलिखित तीन भाग है

1. माइक्रो प्रोसेसर (Micro Processer)

2. चिप (chip)

3. स्मृति (Memory)

1. माइक्रो प्रोसेसर (Micro Processer)

यह कम्प्यूटर की केन्द्रीय प्रसाधक इकाई (C. P. U. Central Processing Unit) का वह भाग है, जो मूल रूप से सभी विश्लेषणात्मक कार्यों के लिए प्रमुख भूमिका निभाता है। छोटे कम्प्यूटर में एक ही माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है, किन्तु विकसित कम्प्यूटरों में कई माइक्रोप्रोसेसर एक साथ कार्य करते है। किसी भी माइक्रोप्रोससर में मूलतः तीन इकाइयाँ होती है।

 • ALU (Arithmetic Logical Unit इसका कार्य, सभी तार्किक तथा गणितीय प्रक्रियाओं को संपन्न करना है।

• Control Unit - यह माइक्रोप्रोसेसर की सारी इकाइयों के बीच व्यवस्था बनाए रखती है।

माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग न केवल कम्प्यूटरों बल्कि अन्य बुद्धिमान मशीनों में भी किया जाता है। जैसे- फर्जी लॉजिक पर आधारित वाशिंग मशीन तथा माइक्रोवेव ओवन आदि।

2. चिप (Chip)

यह वह सरंचना है, जिस पर कम्प्यूटर के एकीकृत परिपथ (Integrated Circuit) का निर्माण किया जाता है। कोशिश यह की जाती है कि चिप का आकार कम से कम हो तथा परिपथ की प्रकृति जटिल से जटिल हो। वर्तमान समय में चिप के लिए सिलिकॉन का प्रयोग किया जाता है। इसके प्रयोग से कम्प्यूटर के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। अब प्रयास यह किया जा रहा है कि प्रोटीन से बनने वाली बायोचिप का विकास किया जाए। इन चिपों के प्रयोग से न केवल परिपथों (Circuits) की मात्रा बढ़ायी जा सकेगी, बल्कि यह भी संभावना है कि मानव तंत्रिका तंत्र के संकेत सीधे कम्प्यूटर के द्वारा ग्रहण किये जा सकेंगे।

3. स्मृति (Memory)

जब आप बच्चे थे तब आपको चित्रों तथा आकृतियों के द्वारा अक्षर और अंक के बारे में सिखाया गया होगा । क्या आपको अभी भी यह याद है? कैसे? यह इसलिए है, क्योंकि ये आपकी स्मृति में संग्रहीत थे। मानव स्मृति की तरह, कंप्यूटर में भी विभिन्न कार्यों को करने के लिए सभी डेटा और निर्देशों को संग्रहीत करने के लिए मेमोरी होती है।

सी. पी. यू. का दूसरा विशेष महत्वपूर्ण अवयव है- स्मृति (Memory) । यह ठीक वैसा ही कार्य करती है, जैसे मानव अपने स्मृति से करता है। इनपुट डिवाइस का उपयोग करके कंप्यूटर में दर्ज किए गए डेटा और निर्देशों को मेमोरी के अंदर संग्रहीत किया जाता है। इसके दो तरह के कार्य हैं।

1.    नई सूचनाओं को एकत्रित करना।

2.    किसी भी विश्लेषण की प्रक्रिया में उन सूचनाओं को प्रस्तुत करना, जिनकी बार-बार जरूरत पड़ती है।

स्मृति दो प्रकार की होती है:-

1. प्राथमिक स्मृति

2. द्वितीयक स्मृति

प्राथमिक स्मृति (Primary Memory):

यह कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी होती है। CPU इस मेमोरी को सीधे एक्सेस कर सकता है। यह कंप्यूटर के मदरबोर्ड पर फिक्स होता है। प्राइमरी मेमोरी को आगे दो प्रकारों में बांटा गया है:

1. रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM)

2. रीड ओनली मेमोरी (ROM)


रैंडम एक्सेस मेमोरी (
RAM)

RAM एक अस्थायी मेमोरी है। कंप्यूटर के बंद होने पर इस मेमोरी में संग्रहीत जानकारी खो जाती है। इसलिए इसे वोलेटाइल मेमोरी भी कहते हैं। यह उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए डेटा और निर्देशों और कंप्यूटर द्वारा उत्पादित परिणामों को अस्थायी रूप से संग्रहीत करता है।

रैम के प्रकार:

1. डायनामिक रैम (DRAM): डेटा को रिफ्रेश करने के लिए इसे निरंतर पावर की आवश्यकता होती है ।

2.स्टेटिक रैम (SRAM): डेटा को होल्ड करने के लिए इसे निरंतर पावर की भी आवश्यकता होती है, लेकिन इसे DRAM की तरह लगातार रिफ्रेश करने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, एसआरएएम काफी तेज है और डीआरएएम की तुलना में कम बिजली का उपयोग करता है।


रीड ओनली मेमोरी (
ROM)

ROM में संग्रहीत सूचना प्रकृति में स्थायी होती है, अर्थात्, यह सिस्टम के स्विच ऑफ होने पर भी डेटा को धारण करती है। इसमें शुरुआती निर्देश होते हैं जो कंप्यूटर शुरू करने के लिए आवश्यक होते हैं। इसे गैर-वाष्पशील मेमोरी भी कहा जाता है। 

द्वितीयक स्मृति (Secondary Memory)

यह मेमोरी प्रकृति में स्थायी होती है और सीपीयू द्वारा सीधे एक्सेस नहीं की जाती है। यह उपयोगकर्ताओं को डेटा संग्रहीत करने की अनुमति देता है जिसे आसानी से पुनर्प्राप्त किया जा सकता है। यह तुलना में सस्ता है । इसे कम्प्यूटर में बाहर से जोड़ा जाता है, जैसे सी. डी. डी. वी. डी, पेन ड्राइव, मेमोरी कार्ड इत्यादि।

सेकेंडरी मेमोरी डिवाइस को सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस भी कहा जाता है। इसे तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:-

1.चुम्बकीय डिस्क  (Magnetic Tape) हार्ड डिस्क

2.ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk) सीडी डीवीडी  ब्लू - रे डिस्क

3.फ्लैश ड्राइव (Flash Memory) मेमोरी कार्ड

चुंबकीय डिस्क

जैसे कि एक हार्ड डिस्क एक चुंबकीय कोटिंग के साथ कवर किया गया है। आप चुंबकीय डिस्क पर डेटा को कितनी भी बार रिकॉर्ड और मिटा सकते हैं।

हार्ड डिस्क


हार्ड
डिस्क में एक या एक से अधिक चुंबकीय डिस्क होते हैं, जिन्हें प्लैटर्स कहा जाता है। प्रत्येक डिस्क के पैक में ऊपर और नीचे की सतह होती है जिस पर चुंबकीय हेड का उपयोग करके डेटा रिकॉर्ड किया जाता है। यह कंप्यूटर सिस्टम में स्थायी रूप से फिक्स होता है। यह आमतौर पर स्थायी बड़े पैमाने पर भंडारण के लिए उपयोग किया जाता है। हार्डडिस्क का सबसे महत्वपूर्ण कार्य प्रोग्राम फाइल्स और डेटा की फ़ाइलों को स्टोर करना है । हार्ड डिस्क 5 TB (TeraByte) या इससे भी अधिक भंडारण क्षमता के साथ विभिन्न आकारों में आती है। सीपीयू हार्ड डिस्क पर संग्रहीत डेटा को सीडी पर डेटा तक पहुंचने की तुलना में बहुत तेजी से एक्सेस करता है। प्राथमिक स्मृति का दूसरा नाम हार्ड डिस्क है। इसे ही विन्वेस्टर स्मृति (Vinechaster Memory) भी कहा जाता है। इसमें वे सूचनाएँ अंकित होती है जो कम्प्यूटर की मूलभूत कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक मानी जाती है।

बाहरी हार्ड डिस्क भी उपलब्ध हैं। वे हार्ड डिस्क हैं, जिन्हें यूएसबी पोर्ट की मदद से किसी भी कंप्यूटर से जोड़ा जा सकता है।

ऑप्टिकल डिस्क

ऑप्टिकल डिस्क एक इलेक्ट्रॉनिक डेटा स्टोरेज माध्यम है जिसे कम शक्ति वाले लेजर बीम तकनीकी का उपयोग करके लिखा और पढ़ा जा सकता है। ऑप्टिकल डिस्क में डेटा को लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है ।

ऑप्टिकल डिस्क गोल चमकदार डिस्क होती है। पेन ड्राइव के आ जाने के बाद ऑप्टिकल डिस्क का प्रयोग बहुत कम किया जाने लगा है।  यह एक Secondary Storage Device होता है । ऑप्टिकल डिस्क मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है – CD, DVD और Blue Ray

कॉम्पैक्ट डिस्क (CD)


(Compact Discसीडी ड्राइव एक कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी) पर संग्रहीत जानकारी को पढ़ता है। सीडी एक एक्सटर्नल स्टोरेज डिवाइस है। इसमें
700 एम बी तक डेटा रखा जा सकता है। सीडी ड्राइव आमतौर पर सीपीयू बॉक्स के अंदर जुड़ा होता है,लेकिन इसे यूएसबी पोर्ट का उपयोग करके भी जोड़ा जा सकता है। यह डिजिटल सूचनाओं का ही एक अंतिम रूप है। इसमें 4000 पृष्ठों तक की सूचनाएँ अंकित की जा सकती हैं। यह एक मेटालिक डिस्क है, जिसमें लेजर किरणों के द्वारा आँकड़ों का संग्रहण किया जाता है। ऑप्टिकल डिस्क का जीवनकाल चुंबकीय डिस्क से अधिक होता है। CD में इमेज, टेक्स्ट और साउंड को संग्रहीत किया जा सकता है।

सीडी के प्रकार:

1. CD-ROM (कॉम्पैक्ट डिस्क रीड ओनली मेमोरी): CD-ROM


CD-ROM उसे कहा जाता है जिसपर डेटा निर्माण के समय जो लिखा गया होता है उस डेटा को संशोधित या मिटाया नहीं जा सकता है।

2. सीडी-आर (कॉम्पैक्ट डिस्क रिकॉर्ड करने योग्य):

एक सीडी-आर का उपयोग उपयोगकर्ता द्वारा केवल एक बार डेटा लिखने के लिए किया जा सकता है। इस डेटा को बदला या मिटाया नहीं जा सकता है।

3. सीडी-आरडब्ल्यू (कॉम्पैक्ट डिस्क रीराइटेबल):

सीडी-आरडब्ल्यू का इस्तेमाल बार-बार डेटा लिखने के लिए किया जा सकता है। डेटा को मिटाया जा सकता है और आवश्यकतानुसार कई बार संशोधित किया जा सकता है।

डी. वी. डी. (D.V.D. - Digital Versatile Disc)


यह सी. डी. का ही विकसित रूप है । डीवीडी अब कंप्यूटर में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है। वे अब सूचना और वीडियो संग्रहीत करने का एक लोकप्रिय माध्यम बन गए हैं। डीवीडी लगभग एक सीडी के समान है। यहां तक ​​कि कामकाज भी ऐसा ही है। फर्क सिर्फ इतना है कि इसमें एक सीडी से ज्यादा सूचनाओं का भंडारण दोनों तरफ़ तथा अति संकलित रूप में किया जाता है। इसकी क्षमता लगभग 10 सीडी के बराबर आंकी गयी है। डीवीडी का व्यापक रूप से फिल्मों और अन्य डेटा को संग्रहीत करने और देखने के लिए उपयोग किया जाता है।

पेनड्राइव का आविष्कार 1998 में IBM ने किया था।


ब्लू - रे डिस्क
(BLUE RAY DISK)

ब्लू - रे डिस्क ब्लू-रे डिस्क एक ऑप्टिकल डिस्क है। इसका उपयोग बड़ी मात्रा में डेटा संग्रहीत करने और वीडियो चलाने के लिए किया जाता है। डीवीडी और ब्लू-रेडिस्क के बीच मुख्य अंतर भंडारण क्षमता है।


फ्लैश ड्राइव
(FLASH DRIVE)

फ्लैश ड्राइव एक यूएसबी (यूनिवर्सल सीरियल बस) कनेक्टर के साथ एकीकृत एक छोटा पोर्टेबल डेटा स्टोरेज डिवाइस है। फ्लैश ड्राइव एक गैर-वाष्पशील मेमोरी है जिसमें चिप के रूप में कोई यांत्रिक तत्व नहीं होता है। पेन ड्राइव एक हटाने योग्य ड्राइव है जिसमें फ्लैश मेमोरी होती है जो यूएसबी पोर्ट के माध्यम से जुड़ी होती है। USB 3.0 को 2008 में डिज़ाइन किया गया था, जिसमें 5 Gbps तक की डेटा ट्रांसफर क्षमता थी, जबकि USB 3.1 (2013 का वर्ष) को 10 Gbps के सुपर स्पीड मोड में अपडेट किया गया था। मार्च 2016 तक, 8 से 256 जीबी तक के फ्लैश ड्राइव अक्सर बेचे जाते हैं, और कम अक्सर 512 जीबी और 1 टीबी इकाइयां।

लोगों को लगता है कि पेन ड्राइव और फ्लैश ड्राइव एक ही डिवाइस है क्योंकि सभी पेन ड्राइव फ्लैश ड्राइव हैं। हालांकि, किसी को यह समझना चाहिए कि फ्लैश ड्राइव में ऐसे उपयोग होते हैं जिन्हें पेन ड्राइव की क्षमताओं से आगे बढ़ाया जा सकता है।

 डेटा स्टोरेज के लिए फ्लैश ड्राइव के कई अलग-अलग उपयोग हैं। यूनिवर्सल सीरियल बस (USB) फ्लैश ड्राइव एक पोर्टेबल प्रकार की फ्लैश मेमोरी डिवाइस है। इसमें एक मुद्रित सर्किट, एक फ्लैश चिप और एक यूएसबी कनेक्टर शामिल है। इन घटकों को एक कठोर प्लास्टिक, धातु या रबर के मामले में संरक्षित किया जाता है। फ्लैश ड्राइव का आविष्कार 1999 में इजरायली कंपनी, एम-सिस्टम्स द्वारा किया गया था। फ्लैश ड्राइव का मुख्य उद्देश्य लॉन्ग टर्म स्टोरेज नहीं है, बल्कि शॉर्ट टर्म स्टोरेज और डेटा ट्रांसफर है।


पेन ड्राइव
(PEN DRIVE)

यह एक पोर्टेबल हार्ड ड्राइव के रूप में कार्य करता है । इसका उपयोग किसी भी डिजिटल डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानान्तरित करने के लिए किया जाता है । यह अन्य storage device की तुलना में बहुत तेजी से काम करता है। इसका उपयोग करना आसान है, क्योंकि यह छोटा है, इसे जेब में रखा जा सकता है और यूएसबी ड्राइव के साथ किसी भी कंप्यूटर में प्लग किया जा सकता है। पेन ड्राइव की स्टोरेज क्षमता 1TB तक है।


मेमोरी कार्ड

इसे आमतौर पर मल्टीमीडिया मेमोरी कार्ड के रूप में जाना जाता है। यह आकार में बहुत छोटा होता है। आमतौर पर 1-1.5 इंच इसका व्यास होता है। इनका उपयोग मोबाइल फोन और डिजिटल कैमरों में किया जाता है। मेमोरी कार्ड पर संग्रहीत डेटा को पढ़ने के लिए आपके पास कार्ड रीडर होना चाहिए ।

कंप्यूटर की मेमोरी को मापना

आपने सुना होगा कि आपके कंप्यूटर में 4 गीगाबाइट रैम (रैंडम एक्सेस मेमोरी) और 500 गीगाबाइट हार्ड डिस्क स्थान है। कंप्यूटर की मेमोरी को मापने की मूल इकाई बाइट है। एक बाइट में आठ बिट्स का समूह होता है, उदाहरण के लिए, 10001011, यानी 1 बाइट 8 बिट्स के बराबर होता है।

कंप्यूटर की मेमोरी को मापने की अन्य इकाइयों किलोबाइट, मेगाबाइट, गीगाबाइट, टेराबाइट आदि हैं।

बिट्स एवं बाइट्स (Bits & Bytes)

कम्प्यूटर की क्षमता का आकलन (Bytes) में किया जाता है। Bytes कम्प्यूटर में प्रयुक्त होने वाले एक कैरेक्टर को कहते हैं और ऐसा प्रत्येक कैरेक्टर मूलत: 8 बाइट्स से मिलकर बना होता है। कुछ बड़े कम्प्यूटरों में 1 बाइट्स में 32 बिट्स तक होने लगे हैं।

1 kilobyte = 1024 Bytes

1 Megabyte = 1024 K B.

1 Gigabyte = 1024 MB.

1 Terrabytes = 1024 GB

 

* 1 किलोबाइट (KB) 1024 बाइट्स के बराबर होता है।

* 1 मेगाबाइट (एमबी) 1024 केबी के बराबर है।

* 1 गीगाबाइट (जीबी) 1024 एमबी के बराबर होता है।

* 1 टेराबाइट (टीबी) 1024 जीबी के बराबर है।

* 1 पेटाबाइट (पीबी) 1024 टीबी के बराबर है।

* 1 एक्साबाइट (ईबी) 1024 पीबी के बराबर है।

* 1 ज़ेटाबाइट (ZB) 1024 EB के बराबर है।

* 1 योटाबाइट (YB) 1024 ZB के बराबर होता है।

अबतक आपने जाना कि-

* RAM एक अस्थायी मेमोरी है। कंप्यूटर के बंद होने पर इस मेमोरी में संग्रहीत जानकारी खो जाती है।

* ROM में संग्रहीत सूचना प्रकृति में स्थायी होती है, अर्थात् यह सिस्टम के स्विच ऑफ होने पर भी डेटा को धारण करती है।

* भंडारण उपकरणों का उपयोग डेटा और सूचनाओं को भविष्य में उपयोग के लिए संग्रहीत करने के लिए किया जाता है।

* चुंबकीय डिस्क को चुंबकीय कोटिंग के साथ कवर किया जाता है।

* ऑप्टिकल डिस्क इलेक्ट्रॉनिक डेटा स्टोरेज का माध्यम है जिसे कम शक्ति वाले लेजर बीम का उपयोग करके लिखा और पढ़ा जा सकता है।

* यूएसबी फ्लैश ड्राइव एक छोटा पोर्टेबल डेटा स्टोरेज डिवाइस है जो यूएसबी (यूनिवर्सलसीरियल बस) कनेक्टर के साथ एकीकृत है।

* कंप्यूटर की मेमोरी को मापने की मूल इकाई बाइट है।

* कंप्यूटर की मेमोरी को मापने की अन्य इकाइयाँ किलोबाइट, मेगाबाइट,गीगाबाइट, टेराबाइट आदि हैं।

Output Device

मॉनिटर (Monitor), प्रिंटर (Printer), स्पीकर (Speaker), प्रोजेक्टर (Projector) ये महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइस हैं।

प्रश्न मंच

1.कंप्यूटर के इनपुट और आउटपुट डिवाइस क्या हैं संक्षेप में बताएं।

इनपुट डिवाइस वह होती है, जिसके माध्यम से कंप्यूटर में डाटा भेजा जाता है। जैसे- 1.            कीबोर्ड (Keyboard), 2. माउस (Mouse), 3. स्कैनर (Scanner), 4. टच स्क्रीन (Touch Screen), 5. जॉयस्टिक (Joystick), 6. लाइट पेन (Light Pen), 7. ट्रैकबाल (Trackball), 8. एम. आई.सी. आर. (MICR), 9. ऑप्टिकल कार्ड रीडर (OCR), 10. वेब कैमरा (Web Camera) 11. ऑप्टिकल बार कोड रीडर (OBR)  12. बारकोड रीडर 13. ओएमआर  (optical mark reader) 14. माइक्रोफोन (Microphone) आदि। कीबोर्ड से टाइप कर डाटा कंप्यूटर भेजा जाता है अतः यह इनपुट डिवाइस है । इसी प्रकार अन्य डिवाइस से भी कम्प्यूटर में डाटा भेजा जाता है।

आउटपुट डिवाइस (Output Device) वह है, जिसके माध्यम से कंप्यूटर में दिये गये इनपुट का परिणाम प्राप्त होता है। यह हार्डवेयर का एक मुख्य घटक है। जब हम कंप्यूटर को इनपुट डिवाइस के द्वारा देते है तब डाटा प्रोसेसिंग के बाद हमें जो परिणाम प्राप्त होता है उसे आउटपुट डिवाइस देखा एवं सुना जा सकता है। जैसे- मॉनिटर, प्रोजेक्टर, स्पीकर, हेडफोन और प्रिंटर । मॉनिटर के माध्यम से हम आउटपुट को कंप्यूटर के मॉनीटर पर देखते हैं। स्पीकर के माध्यम से सुनते हैं। प्रिंटर के द्वारा प्रिन्ट कर सकते है।

  2. आरएएम (Random Access Memory) क्या है?

आरएएम का पूरा नाम Random Access Memory (रैंडम एक्सेस मेमोरी) हैं। इसे प्राथमिक मेमोरी भी कहते हैं। यह एक अस्थायी मेमोरी है। कंप्यूटर के बंद होने पर इस मेमोरी में संग्रहीत जानकारी खो जाती है। RAM में CPU द्वारा वर्तमान में किये जा रहे कार्यों का डाटा और निर्देश स्टोर रहते हैं। यह द्वितीयक भंडारण उपकरणों की तुलना में अभिगम के संबंध में तीव्र होता है। यह मेमोरी CPU का भाग होती हैं।

3. आरओएम क्या है?

आरओएम का पूरा नाम रीड ओनली मेमोरी है। रीड ओनली मेमोरी का उपयोग सिस्टम को चालू करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग कंप्यूटर की प्रारंभिक जानकारी को संग्रहीत करने के लिए किया जाता है। इसे प्राथमिक मेमोरी भी कहते हैं। यह अपनी विषय वस्तु को बनाए रखता है, भले ही कंप्यूटर बंद हो जाए।

4. कंप्यूटर में कितने प्रकार की मेमोरी होती है। सभी मेमोरी को संक्षेप में समझाएँ।

कंप्यूटर में तीन प्रकार की मेमोरी होती हैं।

1.प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory/ Volatile memory) Read-Only Memory (ROM) एक non-volatile memory होती है.

2.द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory / non-volatile memory)

3.कैश मेमोरी (Caches Memory)

(1) प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory)

यह कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। इसमें डाटा, सूचना, तथा प्रोग्राम को प्रोसेसिंग के समय संग्रहीत किये जाते है तथा जरुरत पड़ने पर इन्हें प्राथमिक मेमोरी से प्राप्त किया जा सकता है। प्राथमिक मेमोरी को मुख्य मेमोरी या प्राइमरी स्टोरेज भी कहते हैं।

कंप्यूटर की मेमोरी Cell या Location में विभाजित होती है, प्रत्येक cell का अपना एक address होता है जिसके द्वारा उसे refer किया जाता है, यदि कंप्यूटर की मेमोरी 1MB है तो इसका अर्थ है कि यह लगभग 1048576  अक्षरों को संग्रहित कर सकती है। कंप्यूटर की मेन मेमोरी दो प्रकार की होती है ।

RAM (Random-access memory)

ROM (Read-only memory)

(i) RAM (Random-access memory)

रैन्डम एक्सेस मेमोरी कंप्यूटर की अस्थाई मेमोरी है। कीबोर्ड या अन्य किसी Input Device से इनपुट किया गया डाटा, प्रक्रिया से पहले रैम में ही संग्रहित किया जाता है और सीपीयू द्वारा आवश्यकतानुसार वहाँ से प्राप्त कर लिया जाता है।

इस मेमोरी के अंतर्गत हम डाटा को संग्रहित करने के साथ-साथ पढ़ भी सकते हैं। रैम में डाटा या प्रोग्राम अस्थाई रूप से संग्रहित होते हैं तथा कंप्यूटर बंद अथवा विद्युत प्रवाह बंद हो जाने पर रैम में संग्रहित (Store) डाटा मिट जाता है इसलिए RAM को वोलेटाइल (Volatile) मेमोरी या अस्थाई मेमोरी भी कहा जाता है। रैम विभिन्न क्षमता या आकार की होती हैं जैसे- 512MB, 1GB, 2GB, 4GB आदि।

पर्सनल कंप्यूटर में मुख्यतः अधोलिखित प्रकार की रैम प्रयोग में लाई जाती है ।

डायनैमिक रैम (DRAM)

सिंक्रोनस डीरैम (SDRAM)

स्टैटिक रैम (SRAM)

(A) डायनैमिक रैम (DRAM)

मेमोरी की श्रेणी में डायनैमिक रैम बहुत ही साधारण मेमोरी है। इस मेमोरी को बहुत जल्दी-जल्दी रिफ्रेश करने की आवश्यकता पड़ती है, यह एक सेकेंड पर लगभग हजार बार रिफ्रेश होती है तथा प्रत्येक बार रिफ्रेश होने पर इसमें पहले से स्थित विषय वस्तु को मिटा देती है। डायनैमिक रैम की गति काफी धीमी होती है।

 (B) सिंक्रोनस डीरैम (SDRAM)

इसका कार्य भी डायनैमिक रैम की तरह ही होता है, परंतु सिंक्रोनस डीरैम की गति डायनैमिक रैम की तुलना में थोड़ी तेज होती है । इसकी तेज गति के कारण यह सीपीयू की घड़ी की गति के अनुसार चलती है तथा यह डायनैमिक रैम की अपेक्षा डेटा को तेजी से स्थानांतरित करती है।

(C) स्टैटिक रैम (SRAM)

सभी प्रकार के रैम की अपेक्षा में स्टैटिक रैम सबसे अधिक तेज तथा महंगी होती है। स्टैटिक रैम का रिफ्रेश रेट सबसे कम होता है। जिसके कारण यह डाटा को अपेक्षाकृत अधिक समय तक संग्रहित कर सकती है। इसका प्रयोग विशिष्ट उद्देश्य कंप्यूटर के लिए किया जाता है ।

(ii) ROM (Read-only memory)

ROM का पूरा नाम Read Only Memory होता है। यह स्थाई मेमोरी होती है। कंप्यूटर के निर्माण के समय इसमें कुछ प्रोग्राम संग्रहित (Store) कर दिए जाते हैं, इस मेमोरी में संग्रहित प्रोग्राम परिवर्तित और नष्ट नहीं किए जा सकते हैं, उन्हें केवल पढ़ा जा सकता है इसलिए यह मेमोरी रीड ओनली मेमोरी कहलाती है। यह मेमोरी सेमीकंडक्टर पदार्थ से निर्मित IC Chip होती है। ROM को नॉन-वोलेटाइल (Non-Volatile) मेमोरी या स्थाई मेमोरी भी कहते हैं ।

ROM के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं -

PROM (Programmable Read Only Memory)

EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory)

EEPROM(Electrical Erasable Programmable Read Only Memory)

(a) PROM (Programmable Read Only Memory)

PROM एक ऐसी मेमोरी चिप होती है, जिसमें आवश्यकता होने पर विशेष उपकरणों द्वारा प्रोग्राम संग्रहित किए जा सकते हैं परंतु एक बार संग्रहित होने के बाद उन्हें मिटाया नहीं जा सकता ।

(b) EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory)

यह PROM के समान ही होती है, लेकिन EPROM अंदर संग्रहित किए गए प्रोग्राम को एक विशेष प्रक्रिया द्वारा मिटा सकते हैं, और नए प्रोग्राम को संग्रहित किया जा सकता है ।

(c) EEPROM(Electrical Erasable Programmable Read Only Memory)

EEPROM के अंतर्गत अगर हमें कोई प्रोग्राम संग्रहित करना है अथवा मिटाना होता है तो इसके लिए हमें किसी अन्य उपकरण की आवश्यकता नहीं होती, यह कार्य कंप्यूटर में उपस्थित इलेक्ट्रॉनिक्स सिग्नल के द्वारा ही हो जाता है।

(2) द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory )

द्वितीयक मेमोरी से यहाँ हमारा अभिप्राय Extra Storage Device से है, क्योंकि डाटा स्टोरेज के लिए हमें extra device की अवश्यकता भी होती है। द्वितीयक मेमोरी सी.पी.यू के बाहर से भौतिक रूप में लगाई जा सकती हैं। इस प्रकार के storage को Auxiliary Storage System कहते हैं। यह दीर्घकालीन स्थाई संग्रहण माध्यम है। हालांकि रैम भी स्थाई रूप से डेटा संग्रह करता है परंतु उस पर बाद में डाटा जोड़ा नहीं जा सकता ।

कंप्यूटर पर जो कार्य किया जाता है उसे प्रयोक्ता (User) के इच्छा अनुसार एक डिस्क मे सुरक्षित रखा जाता है तथा इस डाटा को प्रयोक्ता अपनी जरुरत के अनुसार ले सकता है, ऐसे संग्रहण को द्वितीयक संग्रहण कहते हैं तथा इस में प्रयुक्त होने वाले डिवाइसेज द्वितीयक संग्रहण उपकरण (Secondary storage device) इस कहलाते हैं।

डाटा संग्रहण के अतिरिक्त द्वितीयक भंडारण उपकरण, डाटा को स्थानांतरित करते के लिए भी उपयोगी होता है, इसकी सहायता से हम डाटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तथा एक स्थान से दूसरे स्थान में स्थानांतरित कर सकते हैं। द्वितीयक संग्रहण प्रणाली का उपयोग डाटा का बैकअप तैयार करने के लिए भी होता है, जो डाटा के सुरक्षा दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह प्राइमरी स्टोरेज की अपेक्षा कई गुना डाटा को स्टोर करता है। इसके अंतर्गत Hard disk, Floppy disk आदि आते हैं।

(3) कैश मेमोरी (Cache Memory)

Cache Memory प्रोग्राम इंस्ट्रक्शन और डेटा को स्टोर करता है, जो कंप्यूटर कई बार उपयोग करता है। प्रोसेसर कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी से प्राप्त करने के बजाय इस जानकारी को कैश से प्राप्त कर सकता है। कैश मेमोरी एक विशेष उच्च गति वाली अस्थायी मेमोरी होती है। जो आकार में प्राथमिक और द्वितीयक मेमोरी से छोटी, लेकिन गति मे तेज होती है। सीपीयू इसे प्राथमिक मेमोरी की तुलना में अधिक तेज़ी से एक्सेस कर सकता है। कैश मेमोरी का उपयोग मुख्य मेमोरी से डेटा तक पहुंचने के औसत समय को कम करने के लिए किया जाता है।

4. कंप्यूटर में पोर्ट क्या होता है?

कम्प्यूटर पोर्ट  (Computer Port) Computer Case या Cabinet में मौजूद वह कनेक्शन पॉइन्ट है, जिसके माध्यम से विभिन्न बाह्य उपकरणों जैसे- कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर और प्रिंटर को कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है। यह सीपीयू के साथ लगा होता है। उदाहरण के लिये कीबोर्ड के केबल कनेक्टर को कंप्यूटर कैबिनेट के पीछे तरफ मौजूद जिस छिद्र (Hole) में डालते है, उसे Computer Port कहा जाता है। Computer Port वह हिस्सा है, जिसके माध्यम से कम्प्यूटर और विभिन्न बाह्य उपकरणों के बीच कनेक्शन स्थापित हो पाता है। कम्प्यूटर में अधिकतर पोर्ट कम्प्यूटर सीपीयू के पीछे होते हैं, कुछ पोर्ट कम्प्यूटर सीपीयू के आगे भी होते है। कंप्यूटर तथा बाह्य उपकरणों को आपस में जोड़ने के लिये Ports इंटरफेस के रूप में कार्य करता है। चूंकि यह Computer की इनपुट व आउटपुट डिवाइस के लिये कनेक्शन पॉइन्ट है, इसलिए इन्हें I/O (Input/Output) Ports भी कहते है। इसी Computer Port के कारण Computer अन्य डिवाइस के साथ कम्युनिकेशन हो है, अतः इन्हें Communication Ports कहा जाता है।

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