ई-टेक्स्ट का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक टेक्स्ट हैं। टेक्स्ट से आशय शब्दों या अक्षर के रूप में लिखित या मुद्रित वह शब्द है, जो कि किसी विषय से सम्बन्धित डेटा हो। इसे डिजिटल रूप में पढ़ा जाता है। टेक्स्ट (Text) को font, Text size, colour से आकार दिया जा सकता है। उसे पुनर्व्यवस्थित किया जा सकता है। ई-टेक्स्ट हर स्क्रीन में फिट हो सकता है। आप अभी अपने स्क्रीन पर ई-टेक्स्ट पढ़ रहे हैं। आप जिस पाठ को पढ़ रहे हैं, वह आपकी स्क्रीन पर फिट बैठ गया होगा। इसका टेक्स्ट लाइन ब्रेक के साथ दिख रहा होगा। ई-टेक्स्ट प्रत्येक डिवाइस के अनुपात में फिट हो जाता है। इसके फान्ट का आकार बदल जाता है।
यह किसी सॉफ्टवेर tool content
development, title development आदि उपलब्ध
होता है l उदाहरण के लिए- अष्टाध्यायी. कॉम https://ashtadhyayi.com/
। यहाँ Text पर लिखित सामग्री प्राप्त होती है। आमतौर पर किसी तस्वीरों या पुस्तकों की
स्कैन प्रति को "ई-टेक्स्ट" कहा जाता है, परन्तु यह ई-टेक्स्ट नहीं कहा जाएगा। ई-पाठ्य एक
बाइनरी या एक पाठयुक्त फ़ाइल हो सकती है, जिसे किसी भी खुले स्रोत या मालिकाना सॉफ़्टवेयर के साथ देखा और पढ़ा जा सकता
है । प्रकाशक की अनुमति हो तो ई-पाठ्य को मूल रूप से कॉपी कर अन्य मीडिया में पर
पेस्ट किया जा सकता है। यह शब्द आमतौर पर ई-बुक के पर्याय में प्रयोग किया जाता है
।
ई-पाठ्य से सम्बन्धित कतिपय स्रोत-
1. संस्कृतभाषी- अभी आप इसी ब्लॉग पर हैं।
https://sanskritbhasi.blogspot.com/
संस्कृत को अन्तर्जाल के माध्यम से प्रत्येक लाभार्थी तक पहुँचाने तथा संस्कृत विद्या में महती अभिरुचि के कारण जगदानन्द झा ने संस्कृतभाषी नामक ब्लॉग का निर्माण किया। यहाँ पर संस्कृत शिक्षण पाठशाला, वेदाङ्ग, साहित्य, दर्शन, पाठ्यक्रम, कर्मकाण्ड, विविध तथा आडियो बुक का मीनू बटन दिया गया है।
संस्कृत शिक्षण पाठशाला
इसके Sub minu पर जाने पर संस्कृत भाषा सीखने की
प्रक्रिया, ट्यूटोरियल अभ्यास आदि दिये गये हैं।
वेदाङ्ग
इस मीनू में व्याकरण, शिक्षा, कोश, ज्योतिष विषयक पुस्तकों
का ट्युटोरियल उपलब्ध है। व्याकरण में लघुसिद्धान्तकौमुदी की हिन्दी में विस्तृत
व्याख्या के साथ आडियो तथा विडियो प्राप्त होते हैं। इसके माध्यम से कोई भी पाठक
घर बैठे व्याकरण आदि विषयों को सीख सकता है।
पाठ्यक्रम
इस मीनू में संस्कृत पाठशालाओं तथा सम्पूर्णानन्द संस्कृत
विश्वविद्यालय में
संलग्न 40 से अधिक पाठ्यपुस्तकों की ई- अध्ययन सामग्री उपलब्ध है।
विविध
इस मीनू में शताधिक वैचारिक निबन्ध, हिन्दी कविताएँ, 21 हजार से अधिक संस्कृत पुस्तकों
की सूची, 100
से अधिक संस्कृतज्ञ विद्वानों की जीवनी, व्याकरण आदि शास्त्रीय विषयों पर लेख, शिक्षण- प्रशिक्षण और भी बहुत कुछ उपलब्ध
है।
संस्कृतभाषी ब्लॉग में वैचारिक लेख, कर्मकाण्ड,ज्योतिष, आयुर्वेद, विधि, विद्वानों की जीवनी, 15 हजार संस्कृत पुस्तकों, 4 हजार पाण्डुलिपियों के नाम, उ.प्र. के संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों आदि के नाम व पता, संस्कृत गीत आदि विषयों पर सामग्री
उपलब्ध हैं। आप लेवल में जाकर इच्छित विषय का चयन करें। ब्लॉग की सामग्री खोजने के
लिए खोज सुविधा का उपयोग करें ।
2. वाल्मीकि रामायण
वाल्मीकि रामायण भारत का एक
प्राचीन महाकाव्य है, जो सदियों से मानवीय मूल्यों में योगदान के लिए अत्यधिक
मूल्यवान है और इसकी सार्वभौमिक प्रासंगिकता है। इसमें सात कांडों (बाल, अयोध्या, अरण्य, किष्किंधा, सुंदर, युद्ध तथा उत्तर कांड) में 24000
श्लोक हैं । प्रत्येक कांड सर्गों (भागों) में उप-विभाजित है। कुछ श्लोकों
(श्लोकों) से बना प्रत्येक सर्ग है।
वाल्मीकि रामायण पर कई भाष्य हैं। यहाँ
पर छह महत्वपूर्ण अनुदित टीकायें उपलब्ध है। चयनित टीकाएँ और टीकाकार के नाम इस
प्रकार हैं। इसमें रामायण के दक्षिण पाठ को अपनाया गया है।
गोविंदराज प्रणीता रामायण भूषण
टीका
श्री माधव योगी प्रणीता अमृतकटक टीका
शिव सहाय प्रणीता रामायण शिरोमणि टीका
राम प्रणीता रामायण तिलक टीका
महेश्वर तीर्थ टीका
धर्मकूट टीका
इसमें अभी टीकाओं का सम्पूर्ण
अनुवाद उपलब्ध नहीं हैं। यह परियोजना अंग्रेजी में शब्द क्रम और अर्थ देने के लिए
और सर्ग का सारांश भी देने के लिए शुरू की गई, ताकि पाठक रामायण में संस्कृत की
साहित्यिक और काव्यात्मक सुंदरता की सराहना कर सकें। इसे वर्तमान समय के साथ बनाए
रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
इसका विकास तथा अनुरक्षण आई.
आई.टी. कानपुर द्वारा किया गया है।
इसमें प्रत्येक श्लोक का Audio भी दिया गया है।
वाल्मीकि रामायण पर क्लिक कर लिंक खोलें।
इसके अतिरिक्त अधोलिखित वेबसाइट पर ई-टेक्स्ट सामग्री उपलब्ध होती है-
https://ashtadhyayi.com/
4. भारतविद्या
Dr. SUSHIM DUBEY के भारतविद्या वेबसाइट पर
उपनिषद् तथा अन्य दर्शनशास्त्र के ग्रन्थों का ई-टेक्स्ट मिलता है। इसमें अनेक Text संस्कृत विकिपिडिया का दुहराव
प्रतीत होता है।
http://bharatvidya.org/index.htm
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