संस्कृत काव्य
परम्परा में सर्वप्रथम वाल्मीकि-रामायण को माना जाता है। यह एक वीररस प्रधान
काव्य है। इसमें सर्वाधिक अनुष्टुप छन्द के
अतिरिक्त 15 अन्य छन्दों का भी प्रयोग
मिलता है। तदनन्तर महर्षि व्यासप्रणीत महाभारत का स्थान है, जो
छन्दों का सागर है। कालिदास के काव्य में आधुनिक नवीन छन्दः प्रवाह प्रवाहित है।
काव्यों में
सर्वाधिक प्रयुक्त हुए 28 प्रमुख छन्द निम्न हैं।
1.अनुष्टुप 2.उपजातिः (इन्द्र-उपेन्द्र वज्रा) 3. वंशस्य 4.
उपेन्द्रववज्रा 5.इन्द्रवजा्र 6. पुष्पिताग्रा 7. वैतालीयम् 8.द्रुतविलम्बितम्
9. रथोद्धता 10. मन्दाक्रान्ता 11.
वियोगिनी 12. उपजातिः (अन्य छन्दों का मिश्रण))
13. वसन्ततिलका 14. प्रमिताक्षरा 15.
प्रहर्षिणी 16.स्वागता 17. उद्रता 18. औपच्छन्दसिकम् 19. उपगीत्यार्या
20. मालिनी 21. मच्जुभाषिणी 22.
रूचिरा 23. शालिनी 24. शार्दूल
विक्रीडितम् 25. शिखरिणी 26. हरिणी 27.
आर्या और 28. स्रग्धरा
छन्दः शास्त्र विषयक ग्रन्थ
1. निदानसूत्रम्
2. ऋग्वेद प्रातिशाख्यम्
3. ऋक्सर्वानुक्रमणी छन्दः शास्त्रम्
4. छन्दः सूत्रम्
5. उपनिदान सूत्रम्
6. अग्नि पुराणम्
7. जय देवच्छन्दः
8. वृत्त मुक्तावली
(2) लौकिक छन्दः शास्त्रीय ग्रन्थ
1. नाट्यशास्त्रम्
2. छन्दः शास्त्रम् तथाछन्दः सूत्रम्
3. अग्निपुराणम्
4. श्रुतबोधः
5. जानाश्रयी छन्दोविचितिः
6. जय देवच्छन्दः
7. स्वयम्भुच्छदः
8. गाथालक्षणम्
9. बृहत्संहितावृत्तिः
10. छन्दोऽनुशासनम् (जयकीर्ति कृत)
11. वृतजाति समुच्चयः
12. छन्दः शेखरः
13. सुवृत्त तिलकम्
14.वृत्तरत्नाकरः
15. रत्नमंजूषा
16.छन्दोनुशासनम्
(हेमचन्द्रकृतम्)
17. वृत्तरत्नाकरवृत्तिः
(सुकविह्दयनन्दिनी)
18.कविदर्पणम्
19. अजितशान्तिस्तवटीका
20. प्राकृतपैंड्लम्
21.छन्दः कोशः
22. वाणी भूषणम्
23 छन्दोमज्जरी
24 वृत्तरत्नावलिः
25 वृत्तरत्नाकरटीका (रामचन्द्र
विबुध कृत)
26. वृत मौक्तिकम्
27. वृतमौक्तिकम् (भाग-2)
28. वृत्तरत्नाकरटीका (समय सुन्दर
कृत)
29. वृत्तरत्नाकरसेतुः
30. वृत्तरत्नाकर (नारायणी)
31. वृत्तमुक्तावली
32. वृत्तरत्नाकरभावर्थदीपिका
33. छन्दः कौस्तुभः
34. वाग्वल्लभः
35. वाग्वल्लभ वरवर्णिनी
36.छन्दः सन्दोहः
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