वर्ष 2016 - 17 में प्रकाशित संस्कृत की महत्वपूर्ण पुस्तकें


      कालिन्दी एक गीति काव्य है।

      इसमें 131 संस्कृत गीत हैं।

      गीतों में देवी देवताओं के गीत, भारत माता का गीत, ऋतु गीत सहित आतंकवाद, भ्रूण हत्या आदि समसामयिक विषयों पर गीत हैं। इसका एक गीत पढ़ें-


»     वर्षणम्

आगता मेघमाला नभो मण्डलम् । दीयते कृष्णमेघैर्जलं पुष्कलम्।।

       दृश्यते भास्करो नाद्य तेजोधनः । वर्तते चान्धकारस्तु गाढो घनः ।।

        अम्बरञ्चाभवद् वारिदैः श्यामलम्। दीयते कृष्णमेघैर्जलं पुष्कलम्।।

श्रूयते चाम्बुदानां महागर्जनम्। लक्ष्यते कानने बर्हिणां नर्तनम् ।।

पीयते प्राणिवर्गैर्नवीनं जलम्। दीयते कृष्णमेघैर्जलं पुष्कलम्।।

    तोयदैः सत्वरं दुन्दभी वाद्यते । दामिनीनर्तनं व्योम्नि सम्भ्राजते ।।

    दर्दुरैर्गीयते सस्वरं मङ्गलम्। दीयते कृष्णमेघैर्जलं पुष्कलम्।।

वारिराशिर्नदीनां द्रुतं वर्धते । पर्वतैर्विन्दुघातो भृशं सह्यते ।।

वर्षया सुन्दरं भाति भूमेस्तलम् । दीयते कृष्णमेघैर्जलं पुष्कलम्।।

    सप्तवर्णैर्युतं वै नभः प्राङ्गणे। ऐन्द्रचापन्नु दृष्ट्वा च सायंतने ।।

    जायते मानसे भूरि कौतूहलम् । दीयते कृष्णमेघैर्जलं पुष्कलम्।।


लेखक परिचय- 





गीतभारतम् से साभार-

भारतं स्वतन्त्रं जातं रे

                                               

गायत गायत भो समवेताः भारतं स्वतन्त्रं जातं रे

जातो निरङ्कुशो हिमालयः प्राङ्गणं स्वतन्त्रं जातं रे।।

  

आत्मीये भारतराष्ट्रे भो आत्मीयाः शासनकर्तारः

नो राजा कोऽपि प्रजा न वा, द्वयमपि स्वतन्त्रं जातं रे ।।

  

प्राणाहुतयो दत्ता वीरैः स्वातन्त्र्यमवाप्तुं दिवङ्गताः

अवशिष्टानां सौख्यं सम्प्रति, जीवनं स्वतन्त्रं जातं रे ।।

  

आकाश्मीरात् सिन्धुं यावद् भारतमेकतासूत्रबद्धम्

उत्थाप्य त्रिवर्णध्वजं करे घोषयति स्वतन्त्रं जातं रे !!

 

स्वातन्त्र्यमवाप्तं सौभाग्यात् दौर्भाग्याद्राष्ट्रं विखण्डितम्

नो हास्यं नो रोदनं मुखे, ननु गृहं स्वतन्त्रं जातं रे !!

  

झञ्झाया हन्त विपाकोऽयं, किं भविता को ननु जानीते

झञ्झा शान्तेति तदेव वरं प्रतिदिनं स्वतन्त्रं जातं रे !! 







आद्योन्मेषः में पाँच उन्मेष हैं, जिनमें से पहली है देश की स्तुति, दूसरे उन्मेष में देवताओं की स्तुति है, तीसरे उन्मेष में गुरु की स्तुति है, चौथे उन्मेष में समसामयिक और पाँचवें उन्मेष में विविध रचनायें हैं। इस प्रकार यहाँ 51 रचनाओं का संकलन किया गया है। देश की स्तुति नमामि भव्यभारतम् भारतम् से आरम्भ होता है। दिल्ली शतक इसका खास आकर्षण है। यह आचार्य रमाकान्त शुक्ल की कविता 'भाति मे भारतम्' से पूरी तरह प्रभावित है। पुन: देवताओं की स्तुति में संस्कृत भाषा के स्तुतियों का भी विस्तार से वर्णन किया गया है। गुरु की स्तुति में लेखक के सभी गुरुओं का अभिवादन और अभिनंदन निहित है । समसामयिक उन्मेष में देश की समस्याओं को उठाया गया है। विभिन्न रचनाओं में होली के गीत, कहानियाँ, संस्मरण, शुभकामनाएँ, व्हाट्सएप वार्तालाप और फेसबुक वार्तालाप शामिल हैं।

            इस संकलन में स्रग्विणी, पंचचामर, शिखरिणी, द्रुतविलम्बित, स्रग्धरा, अनुष्टुप्, शार्दुलविक्रीडित, तोटक, वसन्ततिलका, मन्दाक्रान्ता, आर्या, मालिनी, शालिनी, इन्द्रवज्रा, उपजाति आदि छन्दों का प्रयोग किया गया है। इसके साथ ही इसमें व्रजलोकगीती, नौटंकीगीति आदि का भी प्रयोग किया गया है।

कवि परिचय




















Share:

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अनुवाद सुविधा

ब्लॉग की सामग्री यहाँ खोजें।

लोकप्रिय पोस्ट

जगदानन्द झा. Blogger द्वारा संचालित.

मास्तु प्रतिलिपिः

इस ब्लॉग के बारे में

संस्कृतभाषी ब्लॉग में मुख्यतः मेरा
वैचारिक लेख, कर्मकाण्ड,ज्योतिष, आयुर्वेद, विधि, विद्वानों की जीवनी, 15 हजार संस्कृत पुस्तकों, 4 हजार पाण्डुलिपियों के नाम, उ.प्र. के संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों आदि के नाम व पता, संस्कृत गीत
आदि विषयों पर सामग्री उपलब्ध हैं। आप लेवल में जाकर इच्छित विषय का चयन करें। ब्लॉग की सामग्री खोजने के लिए खोज सुविधा का उपयोग करें

समर्थक एवं मित्र

सर्वाधिकार सुरक्षित

विषय श्रेणियाँ

ब्लॉग आर्काइव

संस्कृतसर्जना वर्ष 1 अंक 1

संस्कृतसर्जना वर्ष 1 अंक 2

संस्कृतसर्जना वर्ष 1 अंक 3

Sanskritsarjana वर्ष 2 अंक-1

Recent Posts

लेखानुक्रमणी

लेख सूचक पर क्लिक कर सामग्री खोजें

अभिनवगुप्त (1) अलंकार (3) आधुनिक संस्कृत गीत (16) आधुनिक संस्कृत साहित्य (5) उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान (1) उत्तराखंड (1) ऋग्वेद (1) ऋषिका (1) कणाद (1) करवा चौथ (1) कर्मकाण्ड (47) कहानी (1) कामशास्त्र (1) कारक (1) काल (2) काव्य (18) काव्यशास्त्र (27) काव्यशास्त्रकार (1) कुमाऊँ (1) कूर्मांचल (1) कृदन्त (3) कोजगरा (1) कोश (12) गंगा (1) गया (1) गाय (1) गीति काव्य (1) गृह कीट (1) गोविन्दराज (1) ग्रह (1) छन्द (6) छात्रवृत्ति (1) जगत् (1) जगदानन्द झा (3) जगन्नाथ (1) जीवनी (6) ज्योतिष (20) तकनीकि शिक्षा (21) तद्धित (11) तिङन्त (11) तिथि (1) तीर्थ (3) दर्शन (19) धन्वन्तरि (1) धर्म (1) धर्मशास्त्र (14) नक्षत्र (2) नाटक (4) नाट्यशास्त्र (2) नायिका (2) नीति (3) पतञ्जलि (3) पत्रकारिता (4) पत्रिका (6) पराङ्कुशाचार्य (2) पर्व (2) पाण्डुलिपि (2) पालि (3) पुरस्कार (13) पुराण (3) पुस्तक (1) पुस्तक संदर्शिका (1) पुस्तक सूची (14) पुस्तकालय (5) पूजा (1) प्रतियोगिता (1) प्रत्यभिज्ञा शास्त्र (1) प्रशस्तपाद (1) प्रहसन (1) प्रौद्योगिकी (1) बिल्हण (1) बौद्ध (6) बौद्ध दर्शन (2) ब्रह्मसूत्र (1) भरत (1) भर्तृहरि (2) भामह (1) भाषा (1) भाष्य (1) भोज प्रबन्ध (1) मगध (3) मनु (1) मनोरोग (1) महाविद्यालय (1) महोत्सव (2) मुहूर्त (1) योग (5) योग दिवस (2) रचनाकार (3) रस (1) रामसेतु (1) रामानुजाचार्य (4) रामायण (4) रोजगार (2) रोमशा (1) लघुसिद्धान्तकौमुदी (46) लिपि (1) वर्गीकरण (1) वल्लभ (1) वाल्मीकि (1) विद्यालय (1) विधि (1) विश्वनाथ (1) विश्वविद्यालय (1) वृष्टि (1) वेद (6) वैचारिक निबन्ध (26) वैशेषिक (1) व्याकरण (46) व्यास (2) व्रत (2) शंकाराचार्य (2) शरद् (1) शैव दर्शन (2) संख्या (1) संचार (1) संस्कार (19) संस्कृत (15) संस्कृत आयोग (1) संस्कृत कथा (11) संस्कृत गीतम्‌ (50) संस्कृत पत्रकारिता (2) संस्कृत प्रचार (1) संस्कृत लेखक (1) संस्कृत वाचन (1) संस्कृत विद्यालय (3) संस्कृत शिक्षा (6) संस्कृत सामान्य ज्ञान (1) संस्कृतसर्जना (5) सन्धि (3) समास (6) सम्मान (1) सामुद्रिक शास्त्र (1) साहित्य (7) साहित्यदर्पण (1) सुबन्त (6) सुभाषित (3) सूक्त (3) सूक्ति (1) सूचना (1) सोलर सिस्टम (1) सोशल मीडिया (2) स्तुति (2) स्तोत्र (11) स्मृति (12) स्वामि रङ्गरामानुजाचार्य (2) हास्य (1) हास्य काव्य (2) हुलासगंज (2) Devnagari script (2) Dharma (1) epic (1) jagdanand jha (1) JRF in Sanskrit (Code- 25) (3) Library (1) magazine (1) Mahabharata (1) Manuscriptology (2) Pustak Sangdarshika (1) Sanskrit (2) Sanskrit language (1) sanskrit saptaha (1) sanskritsarjana (3) sex (1) Student Contest (2) UGC NET/ JRF (4)