मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष (अगहन) महिना के शुक्ल पक्ष के एकादशी को होता है। हिन्दू धर्म में हर तिथि एवं हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है। मोक्षदा एकादशी का भी अपना एक अलग महत्व है, क्योंकि इस तिथि को गीता जयंती भी मनाया जाता है।
गीता जयंती
हिंदू धर्म में गीता को बेहद पवित्र ग्रंथ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही गीता की उत्पत्ति हुई थी। इसे
श्रीमद्भागवत गीता भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष मार्गशीर्ष माह
के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर हिंदू धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथ गीता की जयंती
मनाई जाती है। पूरे विश्व में यही एक ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है।
ब्रह्मपुराण के अनुसार, द्वापर युग में मार्गशीर्ष
शुक्ल एकादशी को श्रीकृष्ण ने इसी दिन गीता का उपदेश दिया था। गीता का उपदेशकृष्ण
ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. इसीलिए इस दिन को
गीता जंयती के रूप में मनाया जाता है। गीता का उपदेश मनुष्य को जीवन में श्रेष्ठ
बनाने के लिए प्रेरित करता है। गीता में कुल 18 अध्याय है।
इस दिन गीता का पाठ करने से भगवान श्रीकृष्ण का आर्शीवाद प्राप्त होता है।
मार्गशीर्ष मास को भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय महीना भी माना जाता है।
गीता का उपदेश मोह का क्षय करने के लिए है, इसीलिए एकादशी को मोक्षदा कहा गया। गीता में भगवान श्रीकृष्ण
ने अपने मित्र अर्जुन के मन में महाभारत के युद्ध के दौरान पैदा होने वाले भ्रम को
दूर करते हुए जीवन को सुखी और सफल बनाने के लिए उपदेश दिए थे। धर्म और कर्म के
महत्व को बताते हुए भगवान कृष्ण के इन उपदेशों को गीता में संग्रहित किया गया।
महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने जो उपदेश अर्जुन के मन में धर्म और
कर्म को लेकर पैदा हुई दुविधा को दूर किया था, वही आज मनुष्य
के तमाम समस्याओं के समाधान और सफल जीवन जीने की कला के रूप में गीता के उपदेशों
में समाहित है। गीता महाभारत ग्रंथ का एक हिस्सा है, जिसमें कुल 18 अध्याय है। इसके 6 अध्याय कर्मयोग, 6 अध्याय ज्ञानयोग और अंतिम 6 अध्याय में भक्तियोग के
उपदेश दिए गए हैं।
कुरुक्षेत्र में अर्जुन को श्रीकृष्ण ने ज्ञान का पाठ पढ़ाया था। कृष्ण जी ने
उन्हें सही और गलत का अंतर भी बताया था। कृष्ण जी चाहते थे कि वो सही फैसला ले पाए
और जीवन का सुदपयोग कर पाएं।जीवन जीने की अद्भुत कला गीता में वर्णित श्लोक में सिखाई
गई है। हर परिस्थिति में धैर्य से काम लेना चाहिए, यह गीता में ही सिखाया गया है।
किस तरह हर परिस्थिति में धैर्य से काम लेना चाहिए, यह सिखाया गया है। इसी के चलते
आज भी हजार वर्षों से गीता जयंती प्रासंगिक है। इसके जरिए ही श्रीकृष्ण द्वारा कही
गई गीता लोगों को अच्छे-बुरे कर्मों का फर्क
समझाती है।
क्यों मनाया जाता है यह दिन-
गीता जयंती पर हिंदू धर्म के महाग्रंथ गीता, भगवान श्रीकृष्ण और वेद व्यासजी की पूजा की जाती है। माना
जाता है कि दुनिया में किसी भी पवित्र ग्रंथ का जन्मदिन नहीं मनाया जाता है। लेकिन
श्रीमद्भगवत् गीता की जयंती मनाई जाती है। इसके पीछे का कारण यह है कि अन्य ग्रंथ
इंसानों द्वारा संकलित किए गए हैं लेकिन गीता का जन्म स्वयं भगवान श्री कृष्ण के
मुंह से हुआ है। बस इतना ही।
आप सभी को गीता जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
Usha Kiran के फेसबुक
वॉल से साभार।
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