अमरुक शतक राजा अमरुक द्वारा लिखी गई है। अमरूकशतक मुक्तक काव्य-परंपरा का एक ऐसा मानदंड बन गया है, जिसकी ऊँचाई अभी भी उतनी ही है। अमरुक के काल के विषय में इतना अवश्य कहा जा सकता है कि आनंदवर्धन से पहले हुए । अमरुक आठवीं शताब्दी के पहले मुक्तक के एक अनोखे कवि के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त कर चुके हैं।
आनंदवर्धन ने ध्वन्यालोक में इसकी चर्चा की है। अमरुशतक की कविता अत्यंत मनोहारिणी है। एक-2 छंद में भाव, रस और अर्थ का प्रबंधवत् सन्निवेश हुआ है। अमरूक की यह रचना प्रेमी हृदय की भिन्न-2 मनोवृत्तियों का समाहार है। इसमें प्रेम और श्रृंगार के सभी पक्षों का यर्थाथ वर्णन है।
अमरुक शतक सहृदयों का सार है। सुभाषितों का
सुंदर आगार है। प्रेमियों का अपराग और संधान कराने में अमरुक अद्वितीय हैं।
प्रत्येक मुक्तक की अपनी अलग 2 विशेषता है और उस विशेषताओं को लिए यह सारे संस्कृत मुक्तकों
में बेजोड़ है।
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