कुमारदास ने सातवीं शताब्दी में जानकीहरण महाकाव्य की रचना की । कवि का जन्म भारत में हुआ या लंका में यह विवादास्पद है। कुमारदास रचित जानकीहरण की प्रथम प्राप्ति लंका में हुई थी। और तत्संबंधी अनुश्रुतियों की जन्मभूमि प्राय: लंका ही है। कुमारदास की एक खलु शब्द के प्रयोग करने से पता चलता है कि वे 600 ई० के है । कीथ के अनुसार ये माघ से पहले हुए। ज्ञानकीहरण में रामायण की पूरी कथा कही गई है, किंतु सारी कथा का केंद्रबिंदु जानकी के हरण को घटना बनाया गया है। इसमें 20 सर्ग है। काव्यशैली के माध्यम रामचरित में मनोरम वर्णनों का गुम्फन कुमार दास की प्रथम विशेषता है । इसमें 1426 श्लोक हैं।
जानकीहरण
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