हस्ती हस्ती
हस्ती
दिव्या दैवी
सृष्टिः !
कदलीसदृशी
शुण्डा
स्तम्भसमानाः
पादाः ।
शूर्पाकारौ
कर्णौ
धवलौ दीपौ
दन्तौ ॥
उदरं
भाण्डाकारम्
उन्नतबृहच्छरीरम्
।
अल्पं तुच्छं
पुच्छम्
अहो अहो
विचित्रम् ॥
पर्वतसदृशे
गात्रे
सर्षप-सन्निभ-नेत्रे
।
कथमतिबलवान्
एषः
अंकुशमात्राद् भीतः ॥
लेखक- जनार्दन हेगडे
संस्कृत को अन्तर्जाल के माध्यम से प्रत्येक लाभार्थी तक पहुँचाने तथा संस्कृत विद्या में महती अभिरुचि के कारण ब्लॉग तक चला आया। संस्कृत पुस्तकों की ई- अध्ययन सामग्री निर्माण, आधुनिक
संस्कृत गीतकारों की प्रतिनिधि रचनायें के संकलन आदि कार्य में जुटा हूँ। इसका Text, Audio, Video यहाँ उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त मेरे अपने प्रिय शताधिक वैचारिक निबन्ध, हिन्दी कविताएँ, 21 हजार से अधिक संस्कृत पुस्तकों की सूची, 100 से अधिक संस्कृतज्ञ विद्वानों की जीवनी, व्याकरण आदि शास्त्रीय विषयों पर लेख, शिक्षण- प्रशिक्षण और भी बहुत कुछ इस ब्लॉग पर उपलब्ध है।
इच्छुक व्यक्ति पुस्तक मुद्रण के लिए दान देने हेतु मुझसे दूरभाष - 73 8888 33 06 पर सम्पर्क करें। दानदाताओं के वित्तीय सहयोग को पुस्तक पर अंकित किया जाएगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें