कालिदासो जने
जने
कण्ठे कण्ठे
संस्कृतम्
ग्रामे ग्रामे
नगरे नगरे
गेहे गेहे
संस्कृतम् ॥
मुनिजनवाणी
कविजनवाणी
प्रियजनवाणी
संस्कृतम् ॥
सरला भाषा
मधुरा भाषा
दिव्या भाषा
संस्कृतम् ॥
मुनिजनवाञ्छा
कविजनवाञ्छा
बुधजनवाञ्छा
संस्कृतम् ॥
गमनागमने
कार्यक्षेत्रे
वार्तालापे
संस्कृतम् ॥
जने जने
रामायणचरितम्
प्रियजनभाषा
संस्कृतम् ॥
स्थाने स्थाने
भारतदेशे
सदने सदने
संस्कृतम् ॥
संस्कृत को अन्तर्जाल के माध्यम से प्रत्येक लाभार्थी तक पहुँचाने तथा संस्कृत विद्या में महती अभिरुचि के कारण ब्लॉग तक चला आया। संस्कृत पुस्तकों की ई- अध्ययन सामग्री निर्माण, आधुनिक
संस्कृत गीतकारों की प्रतिनिधि रचनायें के संकलन आदि कार्य में जुटा हूँ। इसका Text, Audio, Video यहाँ उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त मेरे अपने प्रिय शताधिक वैचारिक निबन्ध, हिन्दी कविताएँ, 21 हजार से अधिक संस्कृत पुस्तकों की सूची, 100 से अधिक संस्कृतज्ञ विद्वानों की जीवनी, व्याकरण आदि शास्त्रीय विषयों पर लेख, शिक्षण- प्रशिक्षण और भी बहुत कुछ इस ब्लॉग पर उपलब्ध है।
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