मेघो वर्षति
प्रवहति नीरम्
।
तुष्यति कृषिकः
गच्छति गोष्ठम्
॥
नयति च वृषभं
हलमपि वहति ।
कर्षति
क्षेत्रं
वपति च बीजम्
।।
रोहति सस्यं
फलति प्रकामम्
।
भवति समृद्धिः
मनुकुलवृद्धिः
॥
लेखक- जि . महाबलेश्वरभट्ट
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