वर्तमान पद्धतियों में चतुर्वेदों के मंत्रों का संग्रह कर
दिया गया है जिसे उपनयन के बाद सावित्री-सरस्वती-लक्ष्मी गणेश की अर्चना के बाद
उपनीत बटु से उसका औपचारिक उच्चारण मात्र करा दिया जाता है। अतः अब यह संस्कार
उपनयन का अंगभूत भाग रह गया है।
वेदारंभ संस्कार
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