सीमन्त उन्नीयते
यस्मिन् कर्मणि तत् सीमन्तोन्नयनम्-वी.मि.
विधि-किसी पुरुष नक्षत्रा में चन्द्रमा के स्थित होने पर स्त्री-पुरुष
को उस दिन फलाहार करके इस विधि को सम्पन्न किया जाता है। गणेशार्चन, नान्दी, प्राजापत्य आहुति देना चाहिए। पत्नी अग्नि
के पश्चिम आसन पर आसीन होती है और पति गूलरके कच्चे फलों का गुच्छ, कुशा, साही के कांटे लेकर उससे पत्नी के केश संवारता
है -महाव्याहृतियों का उच्चारण करते हुए।
अयभूर्ज्ज स्वतो वृक्ष ऊर्ज्ज्वेव फलिनी भव - पा.गृ. सूत्र
इस अवसर पर मंगल गान, ब्राह्मण भोजन
आदि कराने की प्रथा थी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें